देवभूमि उत्तराखंड ऋषि मुनियों की धरती कही जाती हैं। उत्तराखंड को हिन्दू सनातनी परम्परा में धरती का स्वर्ग कहा जाता हैं क्योंकि यहाँ आज भी देवी और देवता का निवास स्थान माना जाता हैं।
उत्तराखंड के कण- कण में अनेक देवी और देवताओं का वास होता हैं जैसे भोलेनाथ का केदारनाथ मंदिर, विष्णु जी का बद्रीनाथ धाम तो माता पार्वती का गौरीकुंड के साथ ही हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे कई धार्मिक नगर हैं, जो गंगा किनारे बसे पवित्र और धार्मिक नगर में से एक हैं।
भारत के चारधाम
सबसे पहले हम यह जान ले कि भारत के बड़े चारधाम के अंतर्गत-
- उत्तर में बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
- दक्षिण में रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- पूर्व में जगन्नाथपुरी (ओडिशा)
- पश्चिम में द्वारका (गुजरात)
यह सभी तीर्थ स्थल घोषित हैं, जहाँ पर श्रद्धालुओं का जाना सौभाग्य की बात होती हैं।
आज के लेख में मैं उत्तराखंड के चारधाम पर चर्चा करूंगा और आप को बता दूं कि इस यात्रा को ही छोटा चार धाम भी कहा जाता हैं।
उत्तराखंड के चार धाम में, जो चार तीर्थ स्थल शामिल हैं, यह सभी भारत के पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के तीन जिलों उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली में स्थित हैं, अर्थात-
- यमुनोत्री धाम (उत्तरकाशी)
- गंगोत्री धाम (उत्तरकाशी)
- केदारनाथ धाम (रुद्रप्रयाग)
- बद्रीनाथ धाम (चमोली)
इस चारधाम में श्रद्धालुओं के द्वारा लगभग 1600 से 1650 Km की दूरी सम्पूर्ण यात्रा के रूप में पूरा किया जाता हैं। यह सम्पूर्ण यात्रा 9 से 10 दिनों में पूरी की जाती हैं।
कुछ श्रद्धालुओं के द्वारा एक धाम, दो धाम या पूरा चारधाम की यात्रा के रूप में भी धार्मिक यात्रा की जाती हैं।
इस प्रकार से चारधाम की यात्रा में आप ट्रैकिंग से लेकर धार्मिक ट्रैकिंग और हाईकिंग करते हुऐ अपने यात्रा को पूरा करते हैं।
यह यात्रा एडवेंचर, प्राकृतिक सौंदर्य तथा हरियाली भरा हुआ होता हैं। मैं सूर्य प्रकाश इस चार धाम यात्रा में से दो धाम की यात्रा (बद्रीनाथ और केदारनाथ) सोलो यात्रा के रूप में किया था। यह एक छोटी यात्रा तो नही थी लेकिन यह यात्रा मेरे जीवन की सबसे अद्वितीय और न भुलाने वाली यात्रा बन गयी थी।
यदि आपको इस यात्रा के बारे में ज्यादा डिटेल जानना हो तो मेरे इस लेख "ऋषिकेश, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की आपस में दूरी एक यादगार सफ़र में से एक हैं।" को एक बार अवश्य पढ़ें।
चारधाम यात्रा का खर्च प्रतिव्यक्ति कितना होगा?
चार धाम यात्रा का बजट आप अपने आवश्यकता के अनुसार बना सकते हैं। यदि आप उत्तराखंड के बेस कैंप या आधार बिंदु से शुरू करते हुये वही पर समापन करते हो तो प्रतिदिन के हिसाब से कम से कम 2000 से 2500 रुपये का बजट बना कर चलेंगे तो आपकी यात्रा आरामदायक बन सकती हैं।
ध्यान रहे इसमें हैलीकॉप्टर की सेवा शुल्क को नही बल्कि पैदल ट्रैकिंग करते हुये चार धाम की यात्रा पूरी करने का बजट बताया हूँ।
इस प्रतिदिन के बजट में आप रुकना से लेकर खाना और बस या टैक्सी का भाड़ा मैनेज कर सकते हैं।
उत्तराखंड चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
उत्तराखंड के चार धाम यात्रा करने से पहले आपको registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाकर अपना व्यक्तिगत सूचना भर कर फॉर्म ऑनलाइन सबमिट करना होगा और जब भरा हुआ फॉर्म जेनरेट हो जाये तो उसका एक हार्ड कॉपी यानी प्रिंट आउट निकाल कर अपने पास पूरे यात्रा के दौरान सुरक्षित रखना होगा।
आप छोटा चार धाम में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ धाम, बद्रीनाथ धाम के साथ ही साथ सिक्ख धर्म और हिन्दू धर्म के आस्था का प्रतीक "हेमकुण्ड साहिब" का भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। शुद्ध रूप से आप इस फॉर्म को "यात्रा पर्ची" और "यात्रा पास" भी कह सकते हैं।
आपको सबसे पहले साइट पर जाकर अपना एकाउंट बनाना होगा यानी यूजर आईडी तथा पासवर्ड बनाना होगाऔर तब आप अपना उस बनाये एकाउंट के जरिये रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके लिये अतिरिक्त डॉक्यूमेंट और डिटेल में निम्नलिखित आईडी लगेगी।
- आधार कार्ड या कोई राजकीय आई कार्ड।
- ईमेल आईडी।
- मोबाइल नंबर।
- एक फोटो।
- अन्य कोई डॉक्यूमेंट जो मेंशन हो, को अपने पास रख कर फॉर्म भरना होगा।
Note-
- यात्रा रजिस्ट्रेशन पास के साथ ओरिजिनल आधार कार्ड या कोई आई कार्ड जिसका विवरण दिया हैं साथ में कैरी करना होगा।
- अगर आपके पास समय हो तो बदरीनाथ से पहले और जोशीमठ के बीच मे ही गोविंदघाट से "हेमकुण्ड साहिब" और "फूलों की घाटी" को भी घूमा जा सकता हैं।
उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू करने का आधार बिंदु
आपको चार धाम यात्रा को शुरू करने के लिए सबसे पहले हरिद्वार, देहरादून या ऋषिकेश, इन तीनो में से किसी एक स्थान पर आना होगा। भारत से उत्तराखंड के यह तीनों शहर सड़क मार्ग, रेल मार्ग से बहुत ही अच्छे से जुड़े हुये हैं।
यदि आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं, तो सबसे नज़दीक का एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून हैं। एयरपोर्ट से-
- देहरादून की दूरी लगभग 20 से 22 Km तक हैं।
- हरिद्वार की दूरी लगभग 40 से 45 Km तक हैं।
- ऋषिकेश की दूरी लगभग 22 से 25 Km तक हैं।
ऊपर में वर्णित तीनो नगरों को बेस (आधार बिंदु) प्लेस मानकर वहाँ पहुँचने के बाद आपको बस सेवा, टैक्सी सेवा या अपने निजी साधन के मदद से चार धाम की यात्रा शुरू कर सकते हैं।
मैं यहाँ पर आधार नगर हरिद्वार को मान कर दूरी पर चर्चा करने जा रहा हूँ, वैसे देहरादून और ऋषिकेश से 50 Km तक का अंतर पड़ जायेगा।
हरिद्वार एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात हैं। यह नगर गंगा नदी के पवित्र और पावन तट पर धार्मिक नगर के रूप में स्थित हैं। यहाँ पर 12 वर्षों पर लगने वाले महाकुंभ का भी आयोजक स्थल हैं।
हरिद्वार से दूरी
- यमुनोत्री- 240 Km
- गंगोत्री- 290 Km
- केदारनाथ- 250 Km
- बद्रीनाथ- 320 Km
उत्तराखंड की चार धाम की यात्रा कब शुरू होती हैं
प्रत्येक वर्ष जब पूरे देश में अक्षय तृतीया यानी परशुराम जयंती मनाई जाती हैं, तो इस दिन से चार धाम यात्रा की शुरुआत होती हैं अर्थात सभी धामों के कपाट विधिवत पूजन के बाद खोल दिया जाता हैं।
वही दूसरे तरफ प्रत्येक वर्ष में दीपावली के बाद जब भैया दूज का पर्व मनाते हैं, तो उसी दिन से सभी मंदिरों के कपाट पूजन के बाद बंद होने लगते हैं।
कुल मिलाकर प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह से लेकर नवंबर तक यात्रा चलती है, उसके बाद विधिवत पूजा- अर्चना के बाद मन्दिर बंद कर दिया जाता हैं। यह प्रक्रिया हर वर्ष चलती रहती हैं।
चार धाम यात्रा जाने का सबसे सही समय
आप सोलो यात्रा करने जा रहे है या फैमिली या दोस्तो के साथ तो या तो मई के महीने में प्लान बनाइये जाने का या फिर सिंतबर, अक्टूबर या नवंबर माह में चार धाम का प्लान बना सकते हैं।
यात्रा के शुरुआती महीने और अंतिम के दो से तीन महीने में भीड़भाड़ नही रहता हैं। आप आराम से यात्रा को एन्जॉय करते हुये चारधाम की यात्रा को पूरा किया जा सकता हैं।
यात्रा पर कब न जाये?
15 जून के बाद उत्तर भारत में मानसून या वर्षा का समय शुरू हो जाता हैं, जो लगभग 15 अगस्त यानी 2 माह तक चलता हैं।
इस दौरान पहाड़ी इलाकों में बारिश के कारण फिसलन और पत्थर के गिरने से रास्ता जगह-जगह से बंद हो जाते हैं और इसलिए यात्रा आपकी प्रभावित हो सकती हैं।
मार्ग डाइवर्ट कर दिये जाते हैं या यात्रा को जगह-जगह शिविर या यात्री निवास में रोक दिया जाता हैं। इस प्रकार से वर्षा ऋतु में अनेक दिक्कत और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हैं।
अतः आप सभी से अनुरोध हैं, कि चार धाम की यात्रा को इस मानसून सत्र में शुरू न करें। पूरा चारधाम, हिल स्टेशन की भांति पहाड़ी इलाका है।
चारधाम यात्रा पर जाने के लिए सबसे अच्छा साधन
सबसे अच्छा विकल्प स्वयं एक लोकल स्तर पर टूर एंड ट्रैवेल एजेंसी से टैक्सी बुक कर ले या अपने साथ निजी साधन से आये हो तो लोकल ड्राइवर को बुक कर ले यकीन मानिये आपकी यात्रा समय से और अच्छे से पूर्ण हो जायेगी।
नही तो सस्ते और बजट को ध्यान में रख कर बस से भी अपनी यात्रा को शुरू कर सकते हैं। बस की सेवा हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से सुबह में शुरू होती हैं।
चार धाम यात्रा के दौरान रुकने की व्यवस्था
पूरे उत्तराखंड में आपको रुकने की कोई भी दिक्कत नही होने वाली हैं। आपको जगह-जगह होटल, धर्मशाला, लॉज, होम- स्टे, डोरमेट्री जैसी सुविधा उपलब्ध होती हैं।
यदि आप किसी भी धाम पर कैम्प में रुकने का मन बना रहे हो या होटल में रुकना चाह रहे हो, तो गढ़वाल मंडल विकास निगम की आधिकारिक वेबसाइट- gmvnonline.com पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।
चार धाम टूर पैकेज भी अच्छा विकल्प हैं
यदि आप चार धाम यात्रा को बेफिक्र और पूरी निश्चिंत होकर करना चाहते हो तो कई निजी टूर ऑपरेटरों या कंपनियों के द्वारा चारधाम यात्रा टूर पैकेज दिया जाता हैं, जिसे आप चुन सकते हैं।
आप GMVN की साइट पर जा कर वहाँ पर भी मन चाहा पैकेज का विकल्प देख सकते हैं। मैं यहाँ पर किसी भी पैकेज का मूल्य नही बता रहा हूँ क्योंकि सभी के रेट समय के अनुसार बदलते रहते हैं।
चारधाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग
यदि आपकी बजट की कोई समस्या नही हैं, तो आपके पास हेली सर्विस का भी अच्छा विकल्प मौजूद हैं। आप चाहे तो इसकी पहले से बुकिंग करके अपने सुविधा के अनुसार सभी जगहों का या किसी भी सेलेक्ट धाम की यात्रा पूरी कर सकते हैं।
हेली सर्विस यानी हैलीकॉप्टर के लिए आपको इसके आधिकारिक वेबसाइट- https://heliservices.uk.gov.in/
से बुकिंग कर सकते हैं। किराया जानने के लिए साइट का अवलोकन कर सकते हैं। यह साइट GMVN की साइट हैं।
चार धाम यात्रा में खाने-पीने की व्यवस्था
आप देवभूमि उत्तराखंड की यात्रा पर हैं, जहाँ आपको खाने-पीने की कोई दिक्कत नही होगी। आपको हर जगह होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा, मोटल जैसी सुविधा मिलेगी जहाँ पर आप शुद्ध भोजन अर्थात ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर की सुविधा ले सकते हैं।
आप प्रत्येक जगह स्ट्रीट फूड को भी बखूबी एन्जॉय कर सकते हैं, जिसमें अनेक खाने की वस्तुओं को जैसे भुट्टा, जूस, चाय और कॉफी, पूरी-सब्जी, ब्रेड पकोड़ा इत्यादि कम दाम में आसानी से मिल जायेगा।
किसी-किसी धाम पर भक्तों और बड़े-बड़े ट्रस्ट के द्वारा लंगर का भी आयोजन किया जाता हैं, आप वहाँ पर भी व्यंजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।
चारधाम यात्रा के समय बरतने वाली सावधानी
- अपना सम्पूर्ण चेकअप करा कर उसका सर्टिफिकेट जरूर अपने पास रखे।
- आप यदि निजी गाड़ी से आये हो तो स्वयं ड्राइव करने से बचे क्योंकि यह आपका मैदानी क्षेत्र नही बल्कि पर्वतीय इलाकों वाला स्थान हैं, जहाँ आपको गाड़ी चलाने में दिक्कत हो सकती हैं।
- मेडिकल किट यानी जरूरी दवाइयों का एक थैला बना कर पास जरूर रखें, क्या पता कब आपको या दूसरों को जरूरत पड़ जाये।
- पास में पर्याप्त कैश यानी नकद जरूर रखे क्योंकि बहुत सी जगहों पर ATM और ऑनलाइन पेमेंट के विकल्प मौजूद नही रहते हैं।
- मोबाइल में नम्बर वह प्रयोग करें तथा कुछ दिन के लिए जिसका नेटवर्क सही तरीके से काम करता हो, उसे प्रयोग में लाये।
- सांस वाली कोई समस्या हो तो चार धाम यात्रा से बचिये क्योंकि कई धामों की चढ़ाई ज्यादा होने पर ऑक्सीजन लेवल कम होने से इसकी समस्या भी हो सकती हैं।
चार धाम यात्रा के दौरान परिधान क्या रखें?
आप भले गर्मी के समय जा रहे हों परंतु इस यात्रा का परिधान सर्दी के जैसा होना चाहिए अर्थात अपनी तैयारी गर्म कपड़ों के साथ जैसे विंटर इनर, स्वेटर, जैकेट, कोट, ऊनी वस्त्र, साल, ग्लब्स इत्यादि की व्यवस्था बेहतर तरीके से कर के जाये।
कुछ जगहों के मौसम तो ठीक ठाक मिलेगा लेकिन कुछ जगहों पर आपकी सोच से ज्यादा ठंडा मिल सकता हैं।
चारधाम यात्रा के मुख्य चार धार्मिक स्थल
चार धाम यात्रा के दौरान आपकी शुरुआत जिस क्रम से होती हैं, तो उसके अनुसार-
यमुनोत्री धाम
यह चारधाम का पहला पड़ाव हैं। यहाँ पर लगभग 5 से 6 Km की ट्रैकिंग कर के आप मन्दिर का दर्शन कर सकते हैं। यहाँ पर टट्टू और खच्चर की सेवा भी उपलब्ध होती हैं।
मन्दिर परिसर से आगे कुछ दूरी पर यमुनोत्री नदी का उदगम स्थल हैं। यह धाम उत्तरकाशी जिले के अंतर्गत आता हैं।
गंगोत्री धाम
चार धाम यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री धाम जो उत्तरकाशी जिले में आने वाला दूसरा प्रसिद्ध धाम हैं। यही से आगे 20 से 25 Km की धार्मिक ट्रैकिंग करते हुए भागीरथी नदी के उदगम स्थल पर जाकर लोग पुण्य प्राप्त हेतु स्नान करते हैं।
यहाँ पर आपको कुली और खच्चर की सुविधा मिल जायेगी।
केदारनाथ धाम
यह रुद्रप्रयाग जिले में स्थित सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक सबसे प्राचीन ज्योर्तिलिंग हैं, जो शिव जी को समर्पित मन्दिर हैं। यह तीसरा पड़ाव हैं।
गौरीकुण्ड से लगभग 18 Km की खड़ी चढ़ाई के बाद इस मंदिर के दर्शन प्राप्त होते हैं।
बद्रीनाथ धाम
चमोली जिले में स्थित यह धाम चारधाम यात्रा का अंतिम और चौथा पड़ाव हैं। यह मन्दिर विष्णुजी को समर्पित हैं।
चार धाम की यात्रा में सबसे दूर यह मन्दिर हैं परंतु यहाँ कोई चढ़ाई नही करनी पड़ती हैं इसलिए यहाँ पहुँचना अन्य तीनो धाम के अपेक्षा सरल हैं।
आपका साधन सीधे धाम तक मन्दिर के पार्किंग स्थल तक चला जायेगा। आप अलकनंदा नदी पर बने पुल को पर कर के मन्दिर के गर्भगृह में दर्शन कर सकते हैं।
यहाँ इस मंदिर में विष्णुजी या श्रीहरि का मूर्ति न होकर शालिग्राम के रूप में या पिंडी के रूप में पूजा होती हैं।
चार धाम की यात्रा के दौरान अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल
जब आप ऋषिकेश से आगे बढ़ेंगे तो श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच में धारी देवी माता का शक्तिपीठ मन्दिर पड़ेगा।
आपको यहाँ बता दे कि यह मन्दिर अत्यधिक चमत्कारी मन्दिर में से एक हैं। इस मंदिर की महिमा जानने के लिए मेरे इस लेख "माँ धारी देवी मंदिर 108 शक्तिपीठ में से एक पीठ हैं" को जरूर पढ़ें।
केदारनाथ धाम के बेस पॉइंट पर माता गौरी का प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिसे गौरी माता का प्राचीन मंदिर कहते हैं। यहाँ भक्त गौरीकुंड पर स्नान करके अपने चारधाम की यात्रा का तीसरा पड़ाव केदारनाथ की चढ़ाई शुरू करते हैं।
बद्रीनाथ धाम के दर्शन करके जब वापसी में आते हैं, तो गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के लिए रास्ता गया हैं।
जो घांघरिया गांव से 5 से 6 Km की ट्रेक करके पहुँचा जा सकता हैं। यह मन्दिर सिक्ख धर्म के साथ ही साथ हिन्दू धर्म में भी पूज्यमान हैं।
बद्रीनाथ से ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार या देहरादून आते समय आपको उत्तराखंड के पंच प्रयाग के दर्शन होते रहेंगे। आप इन सभी स्थानों पर जाना न भूलें क्योंकि यह सभी स्थल किसी तीर्थ स्थल से कम नही हैं।
यदि पंचप्रयाग के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी चाहते हैं, तो tripghumo के इस सुंदर लेख- "उत्तराखंड में पंच प्रयाग में कौन-कौन से प्रयाग शामिल हैं?" अवलोकन जरूर करें।
चारधाम यात्रा में पड़ने वाले हिल स्टेशन
चारधाम यात्रा के दौरान जब आप केदारनाथ धाम से बद्रीनाथ धाम को जायेंगे तो शॉर्टकट वाले रास्ते में आपको "चोपता" हिल स्टेशन मिलेगा, जहाँ से तुंगनाथ मन्दिर की धार्मिक ट्रैकिंग कर सकते हैं। कैंपिंग साइट के लिये तो चोपता प्रसिद्ध ही हैं।
यदि आप बद्रीनाथ धाम में दर्शन करके खाली हो गये तो वही से मात्र 3 से 4 Km की दूरी पर स्थित माना गांव (माणा गांव) हैं, जो अपने खूबसूरती और प्राकृतिक नज़ारों के लिए प्रसिद्ध हैं।
बद्रीनाथ धाम से वापसी में गोविंदघाट से घांघरिया गांव से फूलों की घाटी भी लोग घूमने के लिए जाते हैं।
जो प्राकृतिक प्रेमी होते हैं, उन्हें यह जगह पसंद आयेगी। प्रत्येक वर्ष 1 जून को खुलकर यह फ्लावर्स वैली अक्टूबर में बंद हो जाता हैं।
आपको जाने का सही समय जुलाई से सितम्बर तक का सबसे अच्छा माना जाता हैं। इस वैली को 2005 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर दिया गया हैं।
चार धाम यात्रा के दौरान आप एडवेंचर स्पोर्ट्स कर सकते हैं
जब आप चार धाम यात्रा पर हैं और एडवेंचर प्रेमी हो तो आप के लिए ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग, बंजी जंपिंग, कैंपिंग साइट, हाईकिंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं। इसके अलावा बहुत से स्थानों पर ट्रैकिंग और धार्मिक ट्रैकिंग का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं।
आज की जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट्स कर के जरूर बताइयेगा और साथ ही साथ इस बात का भी जिक्र करियेगा की किस धाम पर गये या चारधाम यात्रा का अनुभव कैसा रहा? जरूर बताइयेगा।
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