आज हम आपको बताएंगे कि शब्दो की बारीकियां क्या होती हैं, हम जल्दी में बोल तो कुछ देते हैं जबकि अर्थ कुछ और ही निकल कर आता हैं।
अर्थात हम सभी किसी भी बात में कुछ भी बोल कर अपना कार्य तो जरूर पूरा कर लेते हैं, परन्तु क्या हम सही शब्दो का चुनाव करते हैं बोलने में?
सच पूछे तो लगभग 70 से 80 प्रतिशत लोग अपना काम हो जाने को जीत या कामयाबी कहते हैं, लेकिन उसका अर्थ या मायना कुछ और ही होता हैं।
दोस्तो आज का लेख पेट पूजा को लेकर के हैं, लेकिन हम यहाँ आपको कुछ खिलाने वाले नही हैं बल्कि ऐसी जानकारी देने वाले हैं, जो बहुत ही काम की हैं।
जी हाँ, मित्रो आज आपका साथी सोलो यात्री आपके लिए बड़ी ही दिलचस्प जानकारी लेकर आया हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं आज की चर्चा हाँ इतना जरूर हैं कि आप हमें कमेंट्स कर के अपना फीड बैक जरूर दीजियेगा ताकि मेरा हौसला अफजाई होता रहे और फिर मैं पुनः आपके समक्ष कुछ और नया टॉपिक ले कर प्रस्तुत हो सकू।
रेस्टोरेंट, ढाबा, लाइन होटल इत्यादि में क्या कोई फर्क है?
सभी शब्दों का अपना अलग महत्व हैं, कितने लोग तो रेस्टोरेंट की तुलना ढाबा से या यहाँ तक कि लंगर से भी कर देते हैं कि क्या फर्क पड़ता हैं? मुख्य रूप से तो भोजन ही करना हैं,
परन्तु ऐसा नही हैं सभी शब्दो का अर्थ अलग- अलग होता हैं भले हो सभी व्यवस्थाओं में मुख्य विषय भोजन ग्रहण करने से हैं।
इससे पहले मैं दो विषयों चर्चा किया था रिसोर्ट का हिंदी में मतलब क्या होता है और धर्मशाला, होटल, डारमेट्री, रिटायरिंग रूम, मोटल, लॉज, होम-स्टे में क्या अंतर हैं? आज का ये लेख भी उसी तरह का है। तो यदि आपने उन लेखों को नहीं पढ़ा तो आवश्य पढ़ें।
आज के लेख में सभी शब्दो पर एक विस्तृत चर्चा किया जाएगा ताकि आपको आगे इससे सम्बंधित किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही हो सके-
रेस्टोरेंट या रेस्तरां
यह ऐसा भोजनालय हैं, जहाँ पर ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, इत्यादि के पैसे चुकाने पड़ते हैं। यहाँ फैमिली को ध्यान में रख कर बैठने की भी व्यवस्था होती हैं।
वैसे रेस्टोरेंट में कोई भी चाहे अकेले हो या परिवार के साथ आराम से बैठ कर जो भी चाहे आप खा- पी सकते हैं।
यहाँ आपको खाने- पीने सम्बंधित वस्तुओं की एक लिस्ट मिलती हैं, जिसे व्यंजन सूची या भोजन सूची (Menu Card) कहते हैं।
इस प्रकार आप अपने पसंद के नाश्ते, भोजन का चुनाव कर सकते हैं और लज़ीज व्यंजन का लुत्फ उठा सकते हैं।
रेस्टोरेंट में आप कुछ भी आर्डर करेंगे उसके लिए आपको निश्चित शुल्क देना पड़ता हैं।
रेस्टोरेंट कई प्रकार के होते हैं जैसे- शाकाहारी और मांसाहारी रेस्टोरेंट अलग- अलग तथा Veg और Non- Veg एक में ही रेस्टोरेंट।
ढाबा
यह भी एक प्रकार के रेस्टोरेंट जैसी व्यवस्था हैं, बस फर्क इतना हैं कि यह अधिकतर शहर से बाहर सड़क या हाई- वे के किनारे बने होते हैं।
यहाँ पर आने वाले अधिकतर यात्री कहीं जा रहे होते हैं, तो कुछ देर के लिए विश्राम करते हैं यानी रुकते हैं और खाने- पीने के बाद जो भी पैसे चार्ज किये जाते हैं,
उसे दे कर अपने मंज़िल को निकल जाते हैं। यहाँ पर अधिकतर दूर- दूर को यात्रा करने वाले भी या ट्रक चालक अपने लॉरी के साथ रुक कर भोजन करने के बाद आगे बढ़ते हैं।
लाइन होटल/लाइन ढाबा
यह भी होटल और ढाबे का मिश्रित रूप होता हैं। क्योंकि ऐसे जगह पर रुकने, विश्राम करने, जन सुविधाओं से पूर्ण और ढाबा नाश्ते तथा भोजन के लिए जैसी सभी व्यवस्था होती हैं।
यह आपको मुख्य मार्गों में या राजमार्गों या हाई- वे इत्यादि के किनारे बने होते हैं। इन होटल रूपी ढाबे पर जगह की कमी नही होती हैं।
तभी तो लम्बी से लम्बी दूरी तय कर के आने वाले फ़ैमिली, दोस्तों, ट्रक चालक इत्यादि के वाहन को पार्क करने की व्यापक स्तर पर व्यवस्था होती हैं।
यहाँ केवल भोजन, नाश्ते इत्यादि का ही पैसा देना पड़ता हैं, बाकी सुविधाएं फ्री होती हैं। कभी- कभी अधिकतर अच्छे लाइन होटल या लाइन ढाबे पर रुकने या जन सुविधाओं का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता हैं।
आप यहाँ होटल की तरह रात्रि विश्राम के लिए रूम लेना चाहें तो उसके लिए भी अलग से रूम चार्ज देना पड़ता हैं।
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