सोलो यात्रा करने के लिए लेह और लद्दाख किसी जन्नत से कम नहीं, इस लिए अगर आप लद्दाख की ओर अकेले ही जाने प्लान बना रहे हैं तो इस लेख के माध्यम से आपको लद्दाख का सम्पूर्ण ट्रेवल गाइड हिंदी में दे रहा हूँ। इस लेख में आप जानेंगे लदाख जाने का सही मौसम (महीना) रुकने का स्थान, होटल, लद्दाख के आस-पास घूमने की बेस्ट जगह (टूरिस्ट प्लेस) इत्यादि।
"ओ भैया आल इज वेल" वाला गाना याद आया, जी हाँ! बिल्कुल सही पकड़े हैं, हम थ्री इडियट्स हिंदी फिल्म की बात कर रहे हैं।
इस फ़िल्म में आखरी सीन में जितने भी प्राकृतिक दृश्यों को देखा, झील देखा हैं, इन सभी को हकीकत में देखने का मन तो बिल्कुल ही करता होगा?
अरे मैंने ये क्या पूछ दिया? आप घूमने के लिए ही तो मुझे खोज रहे हैं तो चले फिर आज लद्दाख घूम कर आया जाये।
लद्दाख का नाम आते ही पूरा शरीर एडवेंचर और मनोरंजन से भर जाता हैं क्योंकि यहाँ के ऊँचे- ऊँचे बर्फ से ढके हिमालय की पर्वत श्रेणियों को आप अपने बाहों में कैद करने को बेकरार हैं।
पूरा लद्दाख झीलों, मठों, प्राकृतिक दृश्यों, धार्मिक स्थलों, शांत वातावरण, सुंदर और खूबसूरत नज़ारों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
नमस्कार मेरे मित्रो और छोटे साथियों! आज आपका सोलो ट्रेवलर सूर्य प्रकाश लेह लदाख की सैर कराने ले चल रहा हैं, तो अपने दिल थाम कर प्रसन्न मुद्रा में मेरे इस लेख को पढ़े-
यकीन माने आज आपको लेख के खत्म होते- होते लद्दाख की पूरी सैर न करा दिया तो जो आप कहे।
लद्दाख का इतिहास
अगर इसके इतिहास को देखा जाये, तो मैं इसके आधुनिक इतिहास पर ही चर्चा करूँगा। यह जम्मू और कश्मीर का एक हिस्सा था, जिसके आधे से अधिक भू- भाग पर एक तरफ से पाकिस्तान और दूसरी तरफ से अक्साई चीन का कब्ज़ा हैं।
अगस्त 2019 में किये गये घोषणा के फलस्वरूप 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू & कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटा कर इसे और लद्दाख को अलग- अलग दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
वर्तमान परिवेश में लद्दाख एक यूनियन टेरोटेरी स्टेट हैं। इस राज्य की राजधानी लेह हैं, जबकि राज्य के केवल दो जिले क्रमशः लेह और कारगिल हैं।
लद्दाख को भौगोलिक दृष्टि से देंखे तो उत्तर में काराकोरम की पर्वत श्रृंखला जबकि दक्षिण में हिमालय की चोटियों के मध्य बसा बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन हैं।
यह पूरा राज्य ही पर्वतीय हैं, जहाँ के अधिकतर स्थान वर्ष भर बर्फ से ढके रहते हैं।
लद्दाख कैसे पहुँचे
यहाँ पहुँचने के लिये अंतिम रेलवे स्टेशन जम्मूतवी हैं। यहाँ से सड़क मार्ग से या तो बस या प्राइवेट टैक्सी या फिर बाइक से लद्दाख पहुँचा जा सकता हैं। सबसे नजदीक का हवाई अड्डा लेह में कुशोक बकुला रिमपोचे नाम से हैं, जो कि एक सार्वजनिक एयरपोर्ट हैं।
अन्य साधनों के लिए सड़क मार्ग सबसे बेस्ट ऑप्शन हैं, क्योंकि पूरे लद्दाख में आप सड़क के माध्यम से लगभग किसी भी स्थान पर जा सकते हैं।
आने और जाने का समय निकाल दे तो लद्दाख को पूरा घूमने के लिए जो कि प्रमुख स्थानों को टच करना हो तो कम से कम 4 से 5 दिन नही तो कम से कम 3 दिन तो चाहिए ही।
जबकि बाइक से प्लान बना रहे हों तो 15से 20 दिन का ट्रिप मान कर चलिये दिल्ली जैसे दूर इलाको से जाने के लिए नही तो जम्मू या मनाली या फिर श्रीनगर से बाइक ट्रिप करने के लिए 10 से 12 दिन में पूरी ट्रिप हो जाएगी।
Note- लद्दाख भ्रमण के लिए आपको अपने कीमती समय को फुर्सत से निकाल कर मैनेज करना होगा नही तो आप भागमभाग में थक भी जाएंगे और घूम भी नही पाएंगे।
लेह लदाख से प्रमुख शहरों की दूरी
कटरा से- 645 KM
जम्मू से- 670 KM
श्रीनगर से- 425 KM
गुलमर्ग से- 466 KM
कारगिल से- 225 KM
पटनीटॉप से- 592 KM
मनाली से- 434 KM
कुल्लू से- 474 KM
चंडीगढ़ से- 742 KM
दिल्ली से- 990 KM
धर्मशाला से- 649 KM
कांगड़ा से- 659 KM
वाराणसी से- 1839 KM
लेह-लद्दाख की बाइक ट्रिप
अगर आप एडवेंचर ट्रिप करना चाहते हैं, तो बाइक से जाये। इसके लिए आप अपना ग्रुप बना ले और फिर बाइक से निकल पड़े अपने मंजिल को नापने के लिए।
अगर आप बाइक से या बुलेट से रोड ट्रिप करते हुए लद्दाख की सैर करना चाहते हैं, तो दिल्ली से लद्दाख, मनाली से लद्दाख और जम्मू से लद्दाख की सैर ज्यादा करते हैं, जिन्हें भी एडवेंचर पसंद हैं।
यदि यात्रा बाइक की हो तो अपने "यात्रा परिधान" से लेकर बाइक मेंटेनेन्स और पॉकेट में कैश के साथ अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पेट्रोल की व्यवस्था साथ रखना होगा और उसके लिए गैलन बेसिक जरूरत होती हैं। चूंकि लद्दाख ठंडी वाली जगह हैं, तो जैकेट, घुटना कवर हाथों के लिए ग्लब्स तथा पैरों के लिए बूट अतिआवश्यक वस्तु है।
Note- अगर बाइक रेंट पर लेनी हो तो मनाली, जम्मू, श्रीनगर से बहुत ट्रैवेल एजेंट बाइक प्रोवाइड कराते हैं।
रेंट वाली बाइक का प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज लिया जाता हैं, जिसकी बारगेनिंग आप अपने स्तर पर कर सकते हैं। रेंट पर बाइक लेने के लिए जरूरी कागजात में आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और इसके अलावा अन्य जरूरी डॉक्यूमेंट भी चाहिए।
लद्दाख के कुछ हिस्सों में जाने के लिए परमिट की आवश्यकता पड़ती हैं, जिसे आपको वही पहुँचकर बनवाना पड़ेगा।
कब जाए और कहाँ रुके
लद्दाख जाने का सही समय अप्रैल से जून तक सबसे सही समय हैं क्योंकि अप्रैल से पहले सर्दी का मौसम जबकि जून के बाद बरसात का समय आ जाने के कारण बर्फीले जगहों पर जाना, ड्राइव करना और घूमना नही हो पाता हैं।
पूरा इलाका ही हिमालयन बेल्ट हैं अतः आप अप्रैल से जून के मध्य ही जाने का ट्रिप प्लान करें।
अब बात कर ले कि कहाँ रुका जाये तो लदाख में हज़ारों पर्यटक/ सैलानी या विदेशी सैलानी अपने- अपने ट्रिप प्लान के तहत घूमने के लिए आते हैं।
यहाँ आपको रुकने के लिए होटल, लॉज, गेस्ट हाउस मिलेंगे जहाँ आप बुकिंग के माध्यम से रुक सकते हैं। आप ऑनलाइन बुकिंग भी पहले से करके जा सकते हैं। अनेक ट्रैवेल एजेंट भी प्लान आफर करते हैं जिसे बुक करके आप लद्दाख की सैर कर सकते हैं।
लद्दाख में घूमने लायक स्थान
लेह- लद्दाख को भारत का ही नही धरती का स्वर्ग कहा जाता हैं। यहाँ की हसीन वादियों में आप घूमते हुये खो जाएंगे।
आप यहाँ प्राकृतिक दृश्यों को देख कर अविभूत न हो जाये तो कहना, तो चलिए फिर हम देखते है कि लद्दाख टूर में क्या- क्या विजिट किया जा सकता हैं।
पैंगोंग झील
इसे पैंगोंग त्सो भी कहते हैं। पूरी तरह से प्राकृतिक सुंदरता को बिखेरे हुए यह नीले रंग की झील की छँटा देखने लायक हैं।
सैलानियों का प्रमुख आकर्षण का केंद्र यह झील चीन सीमा के बेहद करीब हैं। इस झील का पानी नमकीन है तब भी यह सर्दी के मौसम में जम जाती हैं।
यह झील कम से कम 12 से 15 Km तक फैली हुई लद्दाख ही नही समूचे भारत का गौरव हैं। अनेक फिल्मों की शूटिंग यहाँ हो चुकी हैं।
झील के पास का तापमान गर्मी के समय मे 5 से 10 डिग्री का बना होता हैं, जबकि सर्दी में तो तापमान माइनस में चला जाता हैं। कुछ भी कहे यह झील लेह- लद्दाख की लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से प्रमुख हैं।
शांति स्तूप
बौद्ध धर्म को समर्पित यह शांति स्तूप लेह से 5 से 7 Km की दूरी पर स्थित हैं, जो यहाँ घूमने वालो के लिए दूसरी प्रसिद्ध जगह हैं। यह 2000 से भी अधिक वर्षो से पुराना स्तूप हैं।
सफेद रंग की गुम्बद वाली स्तूप सबके मध्य आकर्षण का केंद्र होता हैं। यहाँ आप सीढ़ियों के माध्यम से ट्रेकिंग करके अपना अनुभव साझा कर सकते हैं।
लेह पैलेस
यहाँ का लेह महल नामग्याल राजघराना का शाही निवास स्थान या शाही महल हैं। पूरे नौ मंजिले की इस इमारत से पूरे लेह शहर का दीदार कर सकते हैं।
इसकी बनावट देखने लायक हैं, दूर से देखने पर यह एक डब्बे के ऊपर डब्बे की आकृति जैसा दिखाई देने वाला महल सैलानियों को अपने तरफ बरबस ही खींच देता हैं। पर्यटक बिना पलक झपकाये इस इमारत को देखते हुए इसके साथ कई सेल्फी या फ़ोटो क्लिक किये बिना नही रह सकते।
फुकताल मठ
लद्दाख में जास्कर श्रेणी में स्थित यह मठ हज़ारों वर्षो पुराना हैं, जो एक गुफा में स्थित हैं। यह इतनी ऊंचाई पर बसा हुआ मठ हैं, जहाँ पर आप पैदल ही ट्रैकिंग कर के पहुँच सकते हैं। इसके लिए ट्रेकिंग करने वाले अपनी यात्रा एडवेंचर से करते हुए खूब एन्जॉय करते हैं।
हेमिस मठ
लेह से 40 से 45 Km की दूरी पर स्थित 11 वीं शताब्दी में बना हेमिस मठ अपने बनावट और खूबसूरत दृश्यों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यह 12 वर्षो पर खुलता हैं।
प्रत्येक वर्ष वार्षिक उत्सव यही सम्पन्न होता हैं, जिसे देखना अपने आप में पर्यटन हैं। हेमिस नेशनल पार्क यहाँ का अलग अनुभूति कराता हैं, जहाँ का लुप्तप्राय "हिम तेंदुआ" का प्राकृतिक घर हैं।
लेह मार्केट
जब भी आप कही जाए तो लोकल मार्केट जरूर घूमें क्योंकि बहुत से ऐसे वस्तु जो आपके यहाँ नही मिलती हैं, तो उसे यहाँ से खरीद कर ले जाया जा सकता हैं।
इससे लोकल के लिए व्यापार होने से आजीविका का एक साधन उपलब्ध होगा और दूसरा की जहाँ गए हैं घूमने, वहाँ की निशानी भी घर पर ला सकते हैं। तिब्बती मार्केट से ऊनी और गर्म कपड़े, शाल इत्यादि भी आप अपने मन पसंद की खरीद सकते हैं ।
इस लोकल बाजार में खाने- पीने का लुत्फ़ उठा सकते हैं। इतना जरूर कहेंगे कि लद्दाख के लोकल फ़ूड यानी स्थानीय व्यंजन का स्वाद जरूर चखे।
कारगिल
बात लद्दाख की करे और जुबान पर देशभक्ति न हो तो जीवन का क्या फायदा, जी हाँ- हम कारगिल की बात कर रहे हैं।
सन 1999 में पाकिस्तान और भारत के युद्व तथा भारत के विजयी होने का गवाह यह क्षेत्र यदि आप ने नही देखा तो क्या देखा। यहाँ के फ़िज़ाओं में देशभक्ति की आंधी चलती हैं, बस इंतज़ार हैं केवल इस आंधी में बहने की।
और फिर भारत की जीत हर भारतीय के सीने को चौड़ा कर देता हैं। कारगिल के आस- पास प्राकृतिक सौंदर्य और बौद्धिस्ट मठ को देखने और घूमने का आनन्द ही अनोखा हैं।
खारदुंग-ला पास
लेह से करीब 42 Km की दूरी पर स्थित खारदुंग पास पर बने रोड से गुजरने की शान ही अलग हैं क्योंकि आप दुनिया के सबसे ऊंचे सड़क या मार्ग पर हैं।
यहाँ भारतीय सेना का आना जाना रहता हैं। अगर सैलानियों को यहाँ जाना हैं, तो परमिट बनवाना पड़ता हैं, जो लोकल टूर एजेंट आपके जरूरी कागज़ जैसे आधार कार्ड या कोई अन्य से आसानी से बनवा देते हैं।
लद्दाख में राफ्टिंग
लद्दाख में जांस्कर नदी में राफ्टिंग का मज़ा हिल स्टेशन के साथ नदी- राफ्टिंग का संगम सच पूछे तो अद्धभुत संयोग हैं। भारत के चुनिंदा राफ्टिंग में यह शामिल जांस्कर नदी का एडवेंचर खेल आप में जोश भर देता हैं।
जो लोग जोखिम भरे खेल को करने के लिए उत्सुक होते हैं, मेरा यकीन मानिये यहाँ आकर आप राफ्टिंग के लिए मचल उठेंगे। घबराइये नही आपके सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जायेगा।
आप पूरी राफ्टिंग के समय गाइड के संरक्षण में रहेंगे। अप्रैल से जून या जुलाई तक राफ्टिंग का आनन्द ले सकते हैं। बरसात के समय राफ्टिंग पूरी तरह बन्द रहता हैं।
लद्दाख चादर ट्रेकिंग
यूँ तो आपने कई ट्रेकिंग या धार्मिक ट्रैकिंग की होगी परन्तु भारत में सबसे कठिन और साहसिक ट्रेकिंग में यहाँ का ट्रेक शामिल हैं।
जांस्कर नदी के पास का क्षेत्र जो सर्दी में सफेद चादर रूपी बर्फ में बदल जाती हैं, मेरा मतलब की सर्दी में यह नदी जम जाती हैं। जब भी आप घूमने या ट्रेकिंग करने जाये तो सावधानी पूर्वक ट्रेकिंग करते हुऐ आगे चलते चले जायें।
मैग्नेटिक हिल
लेह से लगभग 30 से 35 Km की दूरी पर यह मैग्नेटिक पहाड़ी हैं, जिसे ग्रेविटी हिल या पहाड़ी कहते हैं। यह लेह- लद्दाख के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक अति महत्वपूर्ण स्थल हैं।
यहाँ की खासियत यह है कि इसके क्षेत्र में जाते ही मोटर- कार या बाइक अपने आप इस पहाड़ी की तरफ गुरुत्वाकर्षण के चलते चले जायेंगे।
लोगो के मध्य यह आश्चर्यजनक वस्तु विशेष के चलते सबके आकर्षण का केंद्र बन जाता है। मेरी राय में यदि आप जाये तो यहाँ जरूर जाये।
आज की जानकारी जो कि हिंदी में आप तक पहुँचा रहा हूँ, आशा करता हूँ कि आप मेरे साथ खूब एन्जॉय किये होंगे और अपने ज्ञान को बढ़ाया होगा, तो आप कब जा रहे हैं लद्दाख की सैर पर, हमें कमेंट्स करके जरूर बताइयेगा।
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