झारखंड का नाम आते ही आपके मन में कोइलरी इंडस्ट्री यानी कोयले की खान ही दिमाग में आने लगता हैं, लेकिन शायद कम लोग ही यहाँ की खूबसूरती को जानते हैं क्योंकि आधा झारखंड तो प्राकृतिक संसाधनों और हरे- भरे पर्वतों और खूबसूरत घाटियों के लिए भी जाना जाता हैं।
15 नवम्बर, 2000 को तत्कालीन बिहार राज्य से अलग होकर के झारखंड राज्य की स्थापना हुई हैं। झारखंड के अलग होते ही पूरा इंडस्ट्रीज झारखंड में चला आया और पर्यटन स्थल बिहार में रह गया, इसलिए हम सभी झारखंड का नाम आते ही केवल बड़े- बड़े कल कारखाने की ही बात करने लगते हैं।
आपको यहाँ हम यह भी बताते चले कि इसी राज्य के देवघर नामक धार्मिक नगर में द्वादश ज्योतिर्लिंग की श्रेणी में आने वाले बाबा वैधनाथ धाम का प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो महादेव शिव और शक्ति दोनों को समर्पित हैं।
इसके अलावा रामगढ़ जिले में राजरप्पा में 51 शक्तिपीठों में से एक पीठ छिन्नमस्तिका मन्दिर हैं, जहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं का दर्शन करने के लिए भीड़ लगा रहता हैं।
आज हम इसी झारखण्ड राज्य के बेहद खूबसूरत साइट सीन पर चर्चा करेंगे जिसे पतरातू घाटी या Valley Of Patratu के नाम से जानते हैं।
वैली ऑफ पतरातू
रांची से मात्र एक घंटे की दूरी पर स्थित पतरातू घाटी अपने पहाड़ी इलाकों और हरे भरे प्राकृतिक नजारों के साथ कठिन मोड़दार सड़को के लिए प्रसिद्ध हैं।
पतरातू को झारखण्ड का शिमला भी कहते हैं, जैसे झारखण्ड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ का शिमला मैनपाट हैं न ठीक उसी तरह से पतरातू का भी मौसम सुहाना होता हैं, यानी कि गर्मी के समय में हिल स्टेशन वाली भरपूर फीलिंग्स आपको मिलेगी।
पतरातू वैली जाने का सही समय
घूमने के लिए यह जगह वर्ष भर अच्छा हैं लेकिन हल्की हल्की बरसात में यहाँ का घूमने का मजा ही अलग हैं। वैसे सर्दी के मौसम में घूमने का अपना अलग मजा हैं।
गर्मी में उत्तर भारत के लोगो का कम बजट में अच्छा स्थल माना जाता हैं।
पतरातू वैली कहाँ स्थित है?
झारखण्ड राज्य के रामगढ़ जिले में स्थित पतरातू डैम और खूबसूरत साइट सीन के जाना जाता हैं। यह रामगढ़ जिले के मुख्यालय से मात्र 36 से 38 Km की दूरी पर जबकि राज्य की राजधानी रांची से केवल 33 से 35 Km की दूरी पर स्थित झारखण्ड का एक हिल स्टेशन एरिया हैं।
पतरातू वैली कैसे पहुँचे?
पतरातू वैली पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले रामगढ़ कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचाना होगा और वहाँ से टैक्सी से या बस से या फिर अपने निजी साधन से मात्र 36 Km की दूरी लगभग 1 घण्टे में तय करके आसानी से पहुँच सकते हैं।
अगर सड़क मार्ग की बात करें तो पूरे झारखण्ड राज्य से सीधे सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं, जहाँ पर सरकारी बस या प्राइवेट बस से या टैक्सी बुक करके या निजी साधन से आसानी से पहुँचा जा सकता हैं।
सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रांची का बिरसा मुंडा हवाई अड्डा हैं, जो पतरातू घाटी से मात्र 50 Km की दूरी पर स्थित हैं। आप एयरपोर्ट पर उतर कर टैक्सी बुक करके आसानी से पहुँच सकते हैं।
प्रमुख शहरों से पतरातू वैली की दूरी
- देवघर से- 244 Km
- छिन्नमस्तिका देवी मंदिर से- 61 Km
- सासाराम से- 279 Km
- गया से- 201 Km
- मैनपाट से- 325 Km
- वाराणसी से- 402 Km
- लखनऊ से- 728 Km
पतरातू में खाने-पीने और रुकने के विकल्प
पतरातू वैली घूमने के लिए आपको कई बेहतर विकल्प मौजूद हैं। आप रांची में या रामगढ़ में रुक सकते हैं। यहाँ आपको सस्ते से लेकर महंगे बजट वाले होटल, लॉज, घर्मशाला और होम स्टे मिल जायेंगे।
खाने-पीने के लिए लोकल स्ट्रीट फूड के साथ कई रेस्टोरेंट और ढाबे के विकल्प मिलेंगे जहाँ आप अपने पॉकेट के अनुसार अपने पसंद के नाश्ते, लंच और डिनर का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
पतरातू वैली में घूमने के साइट सीन
यह वैली मुन्नार की याद दिलाने वाली वैली की तरह हैं। आपको यहाँ बहुत घुमावदार रोड पर सफर करने का एक दुर्लभ रोमांच मिलेगा।
आप यहाँ ट्रैकिंग या हाईकिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं। भारत के प्रसिद्ध रोड ट्रिप की तरह आप यहाँ भी आनन्द ले सकते हैं।
आप जब भी पतरातू वैली आएंगे घूमने तो आपको यहाँ पर हरे भरे प्राकृतिक हरियाली मिलेगा और हिल स्टेशन वाली फीलिंग तो पूरा आयेगा।
यकीन मानिये की कम बजट में और कम समय मे आपको मनाली और दार्जिलिंग की याद न दिला दे तो अपने चहेते सोलो यात्री को याद रखेंगे।
आप यहाँ घाटी के साथ नलकारी नदी पर बने विशाल डैम और जलाशय को घूमने का भी आनंद उठा सकते हैं। इसी जलाशय लगा हुआ थर्मल पावर प्लांट बना हुआ हैं।
आप यदि इस क्षेत्र में आये हैं तो मात्र 61 Km की दूरी पर स्थित विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता छिन्नमस्तिका मन्दिर का भी दर्शन जरूर करें यह आपकी ट्रिप को और चार चांद लगा देगा।
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धन्यवाद।
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