हमारे उत्तर प्रदेश में एक कहावत कही जाती है कि "शाम-ए-अवध" और "सुबह-ए-बनारस" नही देखा तो क्या देखा?।
जी हाँ आपने सही पहचाना आज हम नवाबों के शहर अवध और यू पी के दिल यानी लखनऊ की बात करने वाले है।
एक बात जरूर कहना चाहूँगा कि हैदराबाद दक्षिण में हैं जबकि लखनऊ उत्तर प्रदेश में, परन्तु दोनों में एक समानता हैं, कि जैसे-
हैदराबाद को City Of Nizam कहते हैं ठीक उसी तरह से लखनऊ को City Of Nawab कहा जाता हैं क्योंकि नवाब कहे या फिर निज़ाम दोनों का इतिहास एक जैसा हैं।
जैसे- खानपान, संस्कृति, अंदाज़ सब एक जैसा ही हैं। मैंने इन दोनों शहरों का विजिट किया हैं।
ये दोनों नगर मुग़लई वास्तु, पहनावा, वेशभूषा और इमारत तथा मुग़लई व्यंजन के लिए पूरे देश ही नही विदेश में भी प्रसिद्ध हैं।
" पहले आप, नही पहले आप " वाला किस्सा सुने हैं न! तो कही इस चक्कर में लखनऊ जाने वाली ट्रेन न छूट जाये।
पूरी यात्रा करने के दौरान और पूरे ट्रिप पर हम आपके साथ हैं, तो चलिये फिर-
एक ट्रिप करें और घूम कर आये.
लखनऊ, मुग़लई तहज़ीब और संस्कृति का अनोखा संगम हैं, इसे गंगा और जमुनी सभ्यता का प्रतीक माना जाता हैं।
पूरे शहर में मध्यकालीन समय के बने हुए अदभुत और स्थापत्य की दृष्टि से नक्काशीदार पुरातन वास्तु से निर्मित इमारते मिल जाएंगी, जिसका
दीदार किये बिना आप, अपने को रोक नही पाएंगे।
वर्तमान में लखनऊ की स्थिति-
भारत की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी हैं (1950 से) क्योंकि न्यायिक राजधानी आप प्रयागराज (इलाहाबाद) हैं, को कह सकते हैं। यह शहर गोमती नदी के किनारे स्थित हैं।
लखनऊ को उत्तर प्रदेश का दिल भी कह सकते हैं क्योंकि यह लगभग मध्य उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।
लखनऊ का इतिहास
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लखनऊ राजा राम जी का क्षेत्र था। अर्थात यह कोसल राज्य के रूप में विद्यमान था, जिसकी राजधानी अयोध्या थी। बाद में यही क्षेत्र अवध कहलाया।
लंका विजय के बाद जब प्रभु श्री राम जी अयोध्या के राजा बने तभी अपने अनुज भाई श्री लक्ष्मण जी के लिए एक नगर बसाया और उस नगर का नामकरण हुआ लक्ष्मणपुर।
अब बात करते है कि मध्यकालीन समय मे जब सल्तनत युग और उसके बाद मुग़ल युग की शुरुआत हुईं तो इस जगह का नाम लखनऊ कर दिया गया था।
कैसे लखनऊ पहुँचे?
सड़क मार्ग
लखनऊ पहुँचना बहुत ही आसान हैं। यह नगर सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश के सभी हिस्से से और पड़ोसी राज्यों से राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से सीधे जुड़ा हुआ हैं।
भारत के बाकी हिस्सों से भी वेल कनेक्टिविटी हैं।
लखनऊ जाने के लिए सरकारी यानी रोडवेज बसों की सभी जिलों से अच्छी कनेक्टिविटी है। यहाँ तक कि प्राइवेट बसों का संचालन भी बेहतर हैं।
रोडवेज बस स्टैंड आलमबाग उत्तर प्रदेश का सबसे हाईटेक बस स्टैंड हैं। नगर में कही भी जाने के लिए रोडवेज़ की महानगरी सिटी बस सेवा का संचालन बेहतर स्थिति में हैं।
शहर में मेट्रो रेल की भी सुविधा हैं, परन्तु अभी कुछ चुनिंदा रूट पर ही ये सेवा मिलेंगी, बाकी के लिए कार्य प्रगति पर हैं।
रेल मार्ग
अगर आप लखनऊ पहुँचने के लिए रेल का ऑप्शन चुनते हैं तो भारत के लगभग सभी प्रमुख नगरों से सीधा जुड़ा हुआ हैं। बस आप एक बात का ध्यान जरूर दे कि लखनऊ में दो रेलवे स्टेशन प्रमुख हैं-
- लखनऊ (NR) स्टेशन code है- LKO
- लखनऊ (NE) स्टेशन code है- LJN
हाँ खास बात ये जरूर हैं कि ये दोनों रेलवे स्टेशन एक दूसरे के बगल में ही लखनऊ के चारबाग में स्थित हैं, तभी तो इसे चारबाग रेलवे स्टेशन भी कहते हैं।
आप दोनों में किसी भी स्टेशन पर उतरे कोई भी कंफ्यूज़न नही होगा क्योंकि बाहर निकलते ही ऑटो, टैक्सी, सिटी बस, मेट्रो की सुविधायें मिल जाएगी।
बस वापसी में जाते समय अर्थात लखनऊ से विदा लेते समय आपकी ट्रेन किस रेलवे स्टेशन से जाएगी इस बात का ध्यान जरूर दे-
क्योंकि अधिकतर यात्री जाते समय ये नही समझ पाते कि किस स्टेशन से हमे ट्रेन पकड़ना हैं।
तीसरे नम्बर का स्टेशन लखनऊ सिटी ( स्टेशन code-LC) हैं। यहाँ भी यदि आपके ट्रेन का ठहराव हैं, तो उतर सकते हैं।
एयरपोर्ट
यदि आप हवाई सफर से लखनऊ पहुँचना चाहते हैं, तो नज़दीकी एयरपोर्ट अमौसी हवाई अड्डा है जबकि मात्र 90 KM की दूरी पर स्थित चकेरी एयरपोर्ट कानपुर हैं। आप सभी अपने बजट के अनुरूप लखनऊ पहुँचने का विकल्प चुन सकते हैं।
लखनऊ से प्रमुख शहरों की दूरी में अयोध्या से 135 KM की तो फैज़ाबाद से 128 KM की दूरी हैं। अन्य धार्मिक नगरों में नैमिषारण्य से 92 KM,
प्रयागराज से 202 KM और वाराणसी से 320 KM जबकि मथुरा से 400 KM की दूरी हैं।
अन्य शहरों की बात करें तो आगरा से 332 KM,
बिठूर से 90 KM, कालपी से 166 KM और चित्रकूट से 225 KM की दूरी पर हैं।
रुकने के लिए होटल
लखनऊ के चारबाग एरिया में बहुत सारे छोटे- बड़े बजट के हिसाब से होटल मिल जाएगा। यदि अच्छे और महंगे होटल की बात करें तो पूरे शहर में और खास तौर से गोमती नगर में होटल मिलेंगे।
होटल के अलावा धर्मशाला, लॉज, गेस्ट हाउस भी रुकने के लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं। होटल की बुकिंग यदि पहले से ही ऑनलाइन करा कर जाए तो समय की बचत होगी।
खानपान लोकल मार्केट लखनऊ में
"शाम-ए-अवध" पूरे भारत में मशहूर हैं। स्ट्रीट फूड, मुग़लई व्यंजन में नॉन वेज तो लाज़वाब कि क्या पूछना।
आप कबाब, मुग़लई पराठा, चिकन का लुत्फ उठा सकते हैं। यदि आप पूर्ण रूप से शाकाहारी हैं, तो भी चिंता किस बात की यहाँ आपको अच्छे रेस्टोरेंट, ढाबा, प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड का बेहतर विकल्प हैं।
जहाँ उत्तर भारतीय व्यंजन और दक्षिण भारतीय व्यंज के सभी पकवान आप को निराश नही करेंगे।
जब भी आप लखनऊ जाए तो शाम का और रात का समय हजरतगंज, मीना बाजार, गोमतीनगर, चारबाग जरूर घूमें। लखनऊ के असली रूप से रु बरु होंगे और ये मौका हाथ से नही जाने दीजियेगा।
लखनऊ का मशहूर चिकन कुर्ता - कुर्ती
आप खरीदारी में लखनऊ चिकन जो पूरे भारत मे प्रसिद्ध हैं या ये कहे कि लखनऊ की पहचान चिकन कारीगरी हैं। चिकन का कुर्ता पायजामा, लेडीज सूट, शाल इत्यादि खरीद सकते है, जो आपके व्यक्तित्व को चार चांद लगा देगा।
इसके अलावा आप और भी खरीदारी कर सकते हैं, जो लखनऊ के स्पेशल हैं, जिसमें खाने के लिए तिल का बना हुआ गज़क, तिल लड्डू, तिलकुट इत्यादि आपको बहुत ही पसन्द आएगा।
लखनऊ के दर्शनीय स्थलों की सम्पूर्ण जानकारी
भूलभुलैया
इसे बड़ा इमामबाड़ा भी कहते हैं। मुस्लिम धर्म में जब मुहर्रम मनाया जाता हैं, तो उसकी शुरुआत और अंत इमामबाड़ा में ही होता हैं।
यह इमारत लखनऊ की शान हैं। इसकी स्थापना 1784 में नवाब आसफ़ुद्दौला ने करवाया था। इसी इमारत में ही भूलभुलैया भी स्थित हैं। इसमें ही कई गलियारें एक जैसे दिखने वाले एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
NOTE- भूलभुलैया घूमने के लिये लोकल गाइड जरूर लें, नही तो भूलभुलैया में खो सकते हैं।
घण्टाघर
1887 में निर्मित यह घण्टा घर भारत का सबसे ऊंचा घण्टाघर है। इसकी ऊँचाई लगभग 68 मीटर हैं। यह इमारत जार्ज कूपर के सम्मान में बनवाया गया था।
छोटा इमामबाड़ा
मुहम्मद अली शाह के द्वारा बनवाया गया यह इमारत उत्कृष्ट नमूना है, यहाँ पर मुहर्रम के समय खास सजावट की जाती हैं।
बड़ा इमामबाड़ा के तर्ज पर बना हैं। इसीलिये इसे छोटा इमामबाड़ा कहते है।
इस परिसर में मुहम्मद अली शाह के साथ ही उनकी बेटी और दामाद का भी कब्र बना हुआ हैं।
लखनऊ का मशहूर चिड़िया घर (Zoo)
नवाब वाजिद अली शाह नाम से प्रसिद्ध चिड़िया घर लखनऊ नगर की शान हैं। यह उत्तर प्रदेश का बड़ा और प्राचीन चिड़ियाघर हैं।
छतर मंजिला
यह दो मंजिला बना एक ऐतिहासिक इमारत हैं, जिसे नवाब हैदर ने बनवाया था। इस के शीर्ष पर छतरी नुमा संरचना हैं, इसीलिए इसे छतर मंजिला कहते है।
NOTE- वर्तमान में इस इमारत में केंद्रीय औषधि अनुसंधान केंद्र का मुख्य ऑफिस स्थित हैं।
काकोरी शहीद स्मारक
यह लखनऊ ज़िले (मुख्यालय से 25 KM की दूरी पर) में एक ऐतिहासिक स्थान हैं और एक छोटा रेलवे स्टेशन भी है। 1925 में हुए प्रसिद्ध ककोरी कांड अर्थात भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा किया गया रेल डकैती हैं। जो भी क्रांतिकारी शहीद हुए थे उनके स्मृति में यहाँ एक स्मारक बना हुआ हैं।
रूमी दरवाजा
बड़ा इमामबाड़ा की तरह ही रूमी दरवाजा की स्थापना 1782- 83 के आस पास उस समय हुआ जब भारत में जबरदस्त आकाल पड़ा हुआ था।
कुछ लोगो का यह भी कहना है कि अकाल में रोजी-रोटी के लिए इस इमारत को बनवाया गया ताकि लोगो का पेट भर सकें। यह लगभग 18 से 19 मीटर ऊंची गुम्बदनुमा रचना हैं, जो तुर्क पद्धति पर अधारित हैं।
अम्बेडकर मेमोरियल पार्क
यह पार्क तो पूरे प्रदेश की जान हैं। यह भारत के संविधान निर्माता और भारत रत्न डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर को समर्पित दर्शन योग्य उद्यान हैं।
यहाँ उनके जीवनी से तथा उनके संघर्ष को दर्शाने वाले मेमोरी का संकलन हैं। रात्रि में लाइटिंग की व्यवस्था इस पार्क में चार चांद लगा देता हैं।
लखनऊ के ट्रिप में इस स्थान को जरूर से शामिल करें क्योंकि इसकी भव्यता देखने बनती हैं। यह पर्यटकों के लिए 14 अप्रैल, 2008 को खोला गया था।
जनेश्वर मिश्र पार्क
यह पार्क राजनीति के पुरोधा श्री जनेश्वर मिश्र की याद में लखनऊ का दिल कहा जाने वाला गोमती नगर में स्थापित अत्यंत ही भव्य और सुंदर पार्क हैं।
आम जनता के लिए यह पार्क 5 अगस्त, 2014 को खोला गया था। इसी पार्क के परिसर में एक मानव निर्मित झील का भी निर्माण किया गया हैं।
यह झील,पार्क की शोभा को बढ़ा देता हैं। रात्रि की लाइटिंग देखने लायक हैं।
रेजीडेंसी
यह लखनऊ के ऐतिहासिक धरोहरों में ख़ास स्थान रखता हैं। नवाबी परम्परा का अच्छा उदाहरण हैं। यह पुरातत्व विभाग के अधीन आने वाला कई इमारतों का समूह हैं। 17 वी सदी में बना सर्वोच्च स्मारक हैं।
लखनऊ के आस-पास के घूमने वाले स्थान
अयोध्या
श्री राम जी की जन्मभूमि यह नगर लखनऊ से मात्र 135 KM की दूरी (फैज़ाबाद जिला में स्थित) पर सरयू नदी के तट पर स्थित अति प्राचीन नगरों में से एक नगर है।
यह हिन्दू धर्म में तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस नगर में हनुमानगढ़ी, गोकुल भवन, जन्मभूमि क्षेत्र इत्यादि प्रसिद्ध स्थान हैं, जहाँ आप दर्शन के साथ घूम सकते हैं। यहाँ दशहरा और दीपावली बड़ी धूम धाम से मनाई जाती हैं।
बिठूर
यह लखनऊ से लगभग 90 KM की दूरी पर स्थित कानपुर जिले में एक तीर्थ स्थल और धार्मिक नगरी हैं।
यह नगर पवित्र नदी गंगा के किनारे बसा हुआ प्राचीन नगर हैं। शहर के बीचों बीच स्थित कुंड में धार्मिक पर्व पर स्नान करने की परम्परा हैं।
यह वाल्मीकि ऋषि की तपोभूमि हैं। यहाँ दर्शन करने के लिए सीता माता मंदिर, वाल्मीकि मन्दिर और नाना साहब स्मारक स्थल प्रसिद्ध हैं।
नैमिषारण्य
लखनऊ से लगभग 92 KM की दूरी पर सीतापुर जिले में स्थित एक प्राचीन नगर और तीर्थ स्थल है, जो गोमती नदी के किनारे बसा हुआ हैं। हिन्दू धर्म की प्रसिद्ध पूजा श्री सत्यनारायण भगवान कथा में इसी नैमिषारण्य की चर्चा किया गया हैं।
अनेक देव तुल्य ऋषियों की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह नगर श्री विष्णु जी के नगर के नाम से भी जाना जाता हैं। मान्यता हैं कि यहाँ गोमती में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाया जाता हैं।
आज का सफ़र बस यही तक था, आगे किसी और ऐतिहासिक नगर की सैर कराने ले चलेंगे तब तक के लिए, धन्यवाद
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