लखनऊ को " नवाबों की नगरी " तो हैदराबाद को " निज़ामो की नगरी " कहते हैं।
आज हम आपको दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण नगर हैदराबाद की सैर कराने जा रहे हैं। ये वही शहर है, जहाँ के निज़ाम ने मदन मोहन मालवीय के दान मांगे जाने पर अपनी जूती को दान में दे दिया था।
आज इस नगर हैदराबाद का पूरा विश्लेषण करेंगे और बतायेंगे कि यहाँ की यात्रा कर आप मुगलकालीन सभ्यता के साथ ही द्रवेणीयन शैली को एक साथ देखेंगे। इसको ही गंगा-जमुनी तहजीब भी कहते है।
हम आपको इस लेख के जरिये हैदराबाद के इतिहास, घूमने वाले स्थान, धार्मिक सभ्यता, खानपान और क्या खरीदारी करें? पर चर्चा करेंगे।
वर्तमान स्थिति
भारत में भाषा(तेलगू) के आधार पर बनने वाला पहला राज्य आन्ध्र प्रदेश था, जिसकी राजधानी हैदराबाद को बनाया गया था।
जबकि 02 जून, 2014 को जब तेलंगाना राज्य का गठन किया गया तो हैदराबाद को तेलंगाना की राजधानी बना दिया गया।
आपको एक जानकारी जरूर देना चाहूंगा कि 2014 से 10 वर्षो के लिये हैदराबाद को संयुक्त रूप से तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश की राजधानी घोषित किया गया था।
आगे चल कर जब अमरावती को आन्ध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में विकसित कर दिया जाये तो स्वतंत्र रूप से हैदराबाद को तेलंगाना की राजधानी रह जायेगी।
हैदराबाद का इतिहास
हैदराबाद को प्राचीन में " भाग्यनगर " के नाम से जानते थे। आज भी यहाँ के मूल रूप से निवास करने वाले व्यक्ति इस नाम का उल्लेख करते है।
इस नगर का उपनाम ' निज़ाम का शहर ' और
'मोतियों का शहर ' के नाम से भी जानते है।
इस नगर की स्थापना 1591 ई0 में कुतुबशाही वंश के निज़ाम मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह
मूसा/मूसी नदी के किनारे की थी। इस नगर को अपनी राजधानी भी बना लिया था।
एक मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि इस शहर को बसा के निज़ाम ने अपनी पत्नी हैदर महल के नाम पर इस नगर का नाम "हैदराबाद" रखा था।
हैदर महल की कहानी
कहा जाता है कि कुतुबशाह ने एक हिन्दू बंजारन युवती भागमती से प्रेम किया और विवाह करने के बाद धर्मान्तरण करके भागमती से नाम बदल कर इस्लामिक नाम हैदर महल कर दिया था।
अपने प्रेम को अमर करने के लिए ही एक नगर बसा कर इस नगर का नामकरण अपनी बेग़म पर कर दिया था, जो अभी का - हैदराबाद हैं।
हैदराबाद और सिकंदराबाद को जुड़वा शहर भी कहते है, जिसके मध्य में हुसैन सागर झील स्थित हैं।
भारत के सर्वाधिक विकसित शहरों में शुमार हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी का अनूठा संगम हैं।
एक बात और भी गौरतलब है कि स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या हो तो इस नगर को याद कर लीजियेगा क्योकि यह दवाई और औषधियों का प्रमुख केंद्र है तथा कई छोटे बड़े अस्पताल यहाँ मिल जाएंगे।
घूमने के रमणीय स्थल-
हुसैन सागर में बुद्ध प्रतिमा
यह हुसैन सागर एक कृत्रिम झील हैं, जिसके मध्य में अंदर की ओर महात्मा गौतम बुद्ध की लगभग 18 से 19 मीटर ऊंची प्रतिमा खड़ी अवस्था में एक छोटे से द्वीप पर स्थित हैं। इसकी अस्थापना 1992 में किया गया हैं।
यह प्रतिमा लगभग Spring Temple Of Budha (153 मीटर ऊंची) वास्तु का दर्शन है, जो चीन के हेनान प्रान्त में स्थित है।
यह माना जाता है कि इस प्रतिमा को बनाने में जिब्राल्टर पत्थर का प्रयोग हुआ हैं। अगर इसके इतिहास को देखा जाये तो-
इस झील का निर्माण 1562 ई0 में इब्राहिम कुतुब शाह ने करवाया था। यह एक मानव निर्मित कृत्रिम झील है।
हुसैन सागर के एक तरफ हैदराबाद तो दूसरी तरफ सिकंदराबाद स्थित है।
चारमीनार
चारमीनार से पहचान हैदराबाद की है। यह नगर का मुख्य आकर्षक केंद्र है, जो शहर के मध्य में स्थित है।
1591 ई0 में अनूठे स्थापत्य वाली इस भव्य इमारत को बनवाने का श्रेय कुली कुतुब शाह को जाता है।
कहा जाता है कि जब कुतुब शाह नवाब का शासन था तो उस समय प्लेग जैसी महामारी फैली हुई थी।
इसी बीमारी के खत्म होने की खुशी में तथा यादगार बनाने के लिये ही चारमीनार का निर्माण कराया था।
सलारजंग संग्रहालय
यह देश के पुरातन संग्रहालय में से एक है, जो कई दुर्लभ वस्तुओं तथा पुस्तकों के लिए प्रसिद्ध है।
यह इमारत हैदराबाद में चारमीनार और मक्का मस्जिद के निकट है। इसकी स्थिति वास्तव में दार-उल-शिफा में है। आप अपने ट्रिप में इस इमारत को जरूर शामिल करें।
पुरानी चूड़ी बाजार
चारमीनार से लगे हुए चूड़ी बाजार का अपना अलग ही इतिहास है। कहा जाता है कि निज़ाम घराने की महिलाएं यहाँ चूड़ी और सौंदर्य प्रसाधन के समान खरीदने आती थी।
इसे लाड बाजार के नाम से भी जाना जाता है।आज इस बाजार में चूड़ियों की अनगिनत वेराइटी मिलती है। एक शाम इस बाजार के लिए जरूर निकाले।
मेरी माने तो जब चारमीनार घूमने जाए तो तभी इस बाजार को घूम ले, मेरा वादा है आपसे कि बिना खरीदे आप यहाँ से नही जाएंगे। मोल भाव का जरूर ख्याल रखे।
रामोजी फ़िल्म सेन्टर
इस फ़िल्म सेंटर को पूरे विश्व मे सबसे बड़ा सेंटर है। यह हैदराबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर विजयनगर मार्ग पर स्थित है।
आज यह सेंटर पर्यटन और मनोरंजन का मुख्य केंद्र है। इसकी स्थापना 1996 ई0 में हुआ है।
नेहरू प्राणी चिड़ियाघर
इस चिड़ियाघर में शेर, लोमड़ी, चिता, भालू, हाथी और न जाने कई जंगली जानवरों को एक साथ देखा जा सकता है।
इस चिड़ियाघर की एक अच्छी विशेषता यह है कि आप अपने निजी साधन य वाहन से भी घूम सकते है।
बिड़ला मन्दिर
यह हिन्दू तथा सनातन धर्म के अनुसार बनी भव्य मंदिर है। यह मंदिर सफेद संगमरमर की बनी है, जो रात्रि में आकर्षण का केंद्र है।
मन्दिर एक पहाड़ पर स्थित है, जहाँ से पूरे शहर की फिजा और रौनक देखने लायक बनती है।
पुरानी हवेली
यह पारंपरिक रूप से हैदराबादी निज़ामो की आधिकारिक निवास स्थान है, जो आज वर्तमान में संग्रहालय के रूप से विख्यात है, यहाँ भी आप घूम कर नवाबी सभ्यता को बहुत ही नज़दीक से देख सकते है और महशुस भी कर सकते है।
मक्का मस्जिद
चारमीनार के समीप ही मक्का मस्जिद स्थित हैं, जो पत्थर की बनी हुई विशाल इमारत है।
गोलकुण्डा किला
हैदराबाद नगर से लगभग 15 KM की दूरी पर स्थित एक दुर्ग है। इसका निर्माण 17 वीं शताब्दी में वारंगल के राजा ने कराया था।
आगे चल कर मुग़ल काल मे औरंगजेब ने इस पर लगभग 1687 ई0 में अपना कब्जा कर लिया था।
यह किला एक समय कुतुबशाही वंश के अधीन था, जो खूबसूरत इमारतों, नवाबी शानो शौक़त के लिए भी जाना जाता था। आज यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु है।
यहाँ घूमने के दृष्टि से गोलकुंडा की खान जो कोहिनूर हीरे के लिये विश्व प्रसिद्ध है(हैदराबाद से मात्र 25 KM की दूरी पर स्थित)।
बिड़ला तारामंडल, बाला जी मन्दिर, कमल सरोवर, संघी टेम्पल, कुतुबशाही मकबरा, सरस्वती मन्दिर, स्नो वर्ल्ड इत्यादि भी घूमने की दृष्टि से प्रसिद्ध है।
हैदराबादी विश्व प्रसिद्ध खानपान और व्यंजन
हैदराबाद की संस्कृति सभी धर्मों का सम्मलित आईना है। सबसे ज्यादा हिन्दू और मुस्लिम संस्कृति का संगम यहाँ देखने को मिलता है।
जब बात घूमने और रुकने की हो ज़ाहिर है कि खानपान का ज़िक्र न हो तो यात्रा पूरी नही हो सकती।
चूंकि हैदराबाद एक नवाबी और निज़ामी सभ्यता का सूचक है, तो यहाँ के व्यंजन भी उसी प्रकार से होगा। यहाँ पर अनेक प्रकार के वेज और नॉन वेज व्यंजन प्रसिद्ध है, जिसमें-
1. हैदराबाद बिरयानी
जैसा कि नाम से पता चल गया आपको कि बिरयानी हैदराबाद के नाम से लज़ीज़ व्यंजनों में शुमार है। यह वेज और नॉन वेज दोनों प्रकार से बनाया जाता है।
यह हैदराबाद की पहचान है।
2. पुल्ला रेड्डी मिठाई
यह शुद्ध देशी घी से बनने वाली मिठाई है, जो इस नगर की शान है।
3. बिस्कुट बेकरी वाले
पूरे शहर में जगह-जगह बेकरी वाले बिस्कुट जो सीधे मुह में घुल जाए। यह नगर की जान है।
अन्य प्रसिद्ध व्यंजनों में खुबानी मीठा, फेनी इत्यादि भी प्रमुख है।
क्या खरीदारी करें?
आज कल लगभग सभी चीज़े हर जगह मिल जाती हैं, परन्तु अपने घूमने को यादगार बनाने के लिए आप चूड़ी बाज़ार से चूड़ी, कंगन इत्यादि खरीद सकते है।
निज़ामी सभ्यता के शो पीस जो आप अपने घरों में सजा सकते है, ऐसी वस्तु भी खरीद सकते है।
शहर का मौसम
यहाँ मौसम सामान्यतः सुहावना रहता है। यह बात जरूर है कि मई और जून की गर्मी आपको थोड़ा सतायेगी तो इस दोनों माह को छोड़ कर आप टूर प्लान कर सकते है।
कुल मिला कर यहाँ का मौसम सदाबहार है, रह रह कर बारिश होती है, जो मौसम को और सुहाना बना देता है। इस प्रकार घूमने का मज़ा दुगना हो जाता है।
हैदराबाद कैसे पहुँचे?
अगर आप उत्तर भारत से हैदराबाद जाना चाहते है, तो आपको नज़दीकी रेलवे स्टेशन सिकंदराबाद पहुँचना होगा। यह प्रमुख रेलवे स्टेशन है।
जबकि यदि आप दक्षिण भारत से हैदराबाद जाना चाहते है तो नज़दीकी रेलवे स्टेशन हैदराबाद है।
इन दोनों रेलवे स्टेशनो पर महत्वपूर्ण ट्रेनो का ठहराव है। ये दोनों स्थान भारत के सभी प्रमुख स्टेशनो से ट्रेन रूट से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
यदि आप सड़क मार्ग से पहुँचना चाहते है तो सीधे हैदराबाद जा सकते है। प्रमुख शहरों से हैदराबाद की दूरी लगभग है.
- नई दिल्ली से -1590 KM
- कोलकाता से - 1700 KM
- वाराणसी से - 1250 KM
- लखनऊ से - 1350 KM
- प्रयागराज से - 1150 KM
- ज़मानिया(गाज़ीपुर) से - 1305 KM
- भोपाल से - 850 KM
- इंदौर से - 950 KM
- ग्वालियर से - 1210 KM
- जयपुर से - 1450 KM
- अमरावती से - 300 KM
- सिकंदराबाद से - 9 KM
- गुंटूर से - 310 KM
- विजयवाड़ा से - 280 KM
- धरमवरम से - 400 KM
- तिरुपति से - 560 KM
- विशाखापत्तनम से- 630 KM
- मुम्बई से - 715 KM
- चैन्नई से - 630 KM
- कुर्नूल से - 220 KM
से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
वायु मार्ग
नज़दीक का हवाई अड्डा स्वयं हैदराबाद का है, जिसका नाम Rajiv Gandhi International Airport है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहाँ से घरेलू और विदेशी उड़ानों की सुविधा उपलब्ध है। यह एयरपोर्ट भारत का पहला ग्रीन इको एयरपोर्ट है।
हैदराबाद शहर पर्यटन के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी मशहूर है। कुल मिला कर आप अपने जीवन मे कम से कम एक बार जरूर इस नगर को घूमने का प्लान बनाये।
आप यहाँ अकेले, फैमिली ट्रिप, दोस्तो के साथ ग्रुप ट्रिप कर सकते है।
यहाँ भी घूम कर आए:
Snigdha
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