मित्रो, tripghumo. com का सफर अभी रुकने वाला नही हैं। हम हरेक बार आपको नये जगह की सैर कराते है, आपने यह जरूर महशुस किया होगा कि जब भी आप मेरे साइट पर आते हैं, तो कुछ न कुछ सीखने को और साथ ही साथ घूमने को भी मिलता है।
आज हम घूमने की श्रृंखला में एक बार फिर सासाराम (रोहतास) की सैर करने वाले है, रोचक और रोमांच से भरपूर आज की यात्रा शुरू करते है। आपको यदि आज की जानकारी अच्छी लगे तो कमेंट करना न भूले, तो चलिए फिर एक बार ट्रिप करें, घूम कर आये
माँ तुतला भवानी मंदिर
माँ तुतला भवानी का मंदिर बिहार प्रान्त के रोहतास जिले (मुख्यालय- सासाराम) में तिलौथू ब्लॉक में कैमूर की पहाड़ी पर स्थित है।
यह धाम सासाराम (मुख्यालय) से लगभग 30 KM की दूरी पर स्थित है। वहीं दूसरी ओर भभुआ स्थित माँ मुंडेश्वरी देवी से लगभग 86 किलोमीटर दूरी पड़ती है।
वर्तमान में बिहार सरकार ने इस देवी स्थान को इको पार्क के साथ ही इस क्षेत्र को कैमूर जीव अभयारण्य के रूप में विकसित किया है।
यहाँ ध्यान देने योग्य यह बात की रस्सी का बना हुआ पुल है, जो बिहार में अनोखे पुल के नाम मे दर्ज है। इसी पर से हो कर ही मंदिर का रास्ता है, जो किसी एडवेंचर से कम नही है।

तुतलेश्वरी धाम से लगा हुआ एक सुन्दर प्राकृतिक झरना (Water Fall) हैं, जो बरसात के समय मे और भी रमणीय बन जाता है। हाँलाकि वर्षा ज्यादा होने पर बरसाती नदी का पानी बढ़ जाता है।
तुतला भवानी मंदिर से सटा हुआ झरना होने के कारण यहाँ की प्राकृतिक छंटा में चार चांद लगा देते है।
तुतला भवानी का इतिहास
माँ तुतलेश्वरी भवानी की प्रतिमा अति प्राचीन है। मन की मुराद पूरी करने या मनवांछित फल प्राप्ति के लिये यह मंदिर प्रसिद्ध है।
चाहे शारदीय नवरात्र हो या फिर वासंतिक नवरात्र हो धाम की महिमा ज्यादा रहती है, क्योंकि भारत मे नवरात्र के नौ दिन माता का आहवान किया जाता है। पूरे नवरात्रि मेले का आयोजन भी होता है।
शुभ कार्य की शुरुआत हो या शुभ कार्य हो गया हो तो स्थानीय लोग माता के दर्शन करने जरूर आते है।
यहाँ तुतला माँ की खण्डित और नई दो प्रकार की प्रतिमा है। यह मूर्ति गढ़वाल कला का उत्कृष्ट नमूना है। तुतला माता के आठ हाथ होने के कारण, इन्हें अष्टभुजी भवानी भी कहते है।
मंदिर की प्राचीनता यहाँ से प्राप्त शिलालेख से ही पता चलता है कि बहुत पहले राजा प्रताप धवल ने दोनों मूर्ति में से एक की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।
मंदिर की मान्यता
स्थानीय लोगो की तुतला भवानी धाम के प्रति ऐसी आस्था है और इन लोगो का कहना है कि जब कभी भी कोई मंदिर में अशुद्ध विचार से आता है, तो उसे भ्रामरी देवी(भवँरा) का प्रकोप झेलना पड़ता है।
ऐसी घटना कई लोगो के साथ घटित भी हो चुकी है। अतः आस पास के ग्रामीण क्षेत्र में इस धाम का और भी महत्व बढ़ जाता है।
तुतलेश्वरी धाम को बिहार के साथ-साथ उत्तर भारत या कहे तो सम्पूर्ण भारत में इसकी महत्ता का प्रसार किया जा रहा है। सड़क से लेकर सभी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है।
तुतला भवानी कैसे पहुँचे?
स्वर्णिम चतुर्भुज अर्थात NH-2 से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर सासाराम तिलौथू पथ पर कैमूर की पहाड़ी में बसा हुआ स्थान है।
धाम के निकट जाते ही आप को मंदिर का एक बोर्ड लगा हुआ गेट मिलेगा और यही से 1.5 KM की कच्चे रास्ते से होते हुए रस्सी पुल पर पहुँचा जा सकता है।
पुल से होते हुये तथा कुछ सीढ़ियों से होते हुए तुतला माता के दरबार मे पहुंचा जा सकता है।

नई दिल्ली गया हावड़ा रूट पर ही मंदिर से निकटम रेलवे स्टेशन सासाराम (30 KM) और डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन (25 KM) है।
इन दोनों स्टेशन पर महत्वपूर्ण ट्रेन का ठहराव है। यहाँ से ऑटो या टैक्सी कर के पहुँच सकते है। आप मेरी माने तो अपने निजी साधन से आएंगे तो ज्यादा एन्जॉय भी करेंगे और समय की भी बचत होगी।
यदि सड़क मार्ग की बात करे तो औसतन रास्ता सही है जब आप NH-2 से तिलौथू पथ पर आएंगे।
पूरे रास्ते में आप को जगह-जगह खाने पीने के लिये ढाबा, फैमिली रेस्टोरेंट, होटल और मोटेल मिलेंगे। कुल मिला कर आप आज फुल एन्जॉय करेंगे।
इन प्रमुख स्थानों से तुतला धाम की दूरी
- सासाराम से- 30 KM
- डेहरी ऑन सोन से- 25 KM
- गया से- 135 KM
- पटना से-160 KM
- भभुआ से- 85 KM
- मोहनिया बाजार से- 70 KM
- मुगलसराय से- 130 KM
- वाराणसी से-145 KM
- लखनऊ से- 470 KM
- प्रयागराज (इलाहाबाद) से- 270 KM
- चंदौली से- 110 KM
- ज़मानिया से- 115 KM
- गाज़ीपुर से- 140 KM
अगर नज़दीक हवाई अड्डे की बात करे तो वाराणसी और गया का एयरपोर्ट है।
तुतला भवानी धाम पर पहुँचने का समय
माँ तुतला भवानी मंदिर जाने के लिए मौसम कोई मायने नही रखता हैं, बस ये जरूर ध्यान दे कि गर्मी और बरसात में जाने से बचें।
आप नवरात्रि के समय, सावन के पवित्र माह में और सर्दी के समय यानी अक्टूबर से अप्रैल तक जाया जा सकता है।
कुल मिला कर यदि आप तुतला भवानी के दर्शन और पूजन के साथ ही घूमना भी चाहे, तो अकेले या ग्रुप या फिर फैमिली के साथ यहाँ जा सकते है।
नाश्ते और भोजन के लिए ज्यादा नही सोचना है। आप चाहे तो घर से भी बना कर एक पिकनिक प्लान कर सकते है या बाहर भोजन का विकल्प रख कर अपने स्वाद को बदल सकते है।
आज का सफर फिलहाल यही तक था। आगे फिर किसी और रोमांचक यात्रा से रूबरू करवाऊंगा, तब तक के लिए धन्यवाद।
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