आज घुमक्कड़ी जीवन में काशी आ पहुँचा जहाँ कण-कण में शिव शम्भू विराजते हैं। काशी को काशी विश्वनाथ की नगरी के नाम से भी जानते हैं।
काशी को दुनिया की सबसे प्राचीनतम नगरी का दर्जा प्राप्त हैं। हिन्दू सनातन संस्कृति के अनुसार काशी, भोले नाथ के त्रिशूल पर बसा हैं, तभी तो आम जनमानस की यह विचार धारा हैं कि-
जब सब समाप्त हो जायेगा तो केवल बाबा की नगरी काशी ही बच जायेगा ऐसी मान्यता हैं हमारे संस्कृति और पुराणों के अनुसार।
तो चलिए अपने जीवन में कम से कम एक बार का ट्रिप तो इस महादेव की नगरी का बनता हैं। अगर आपके पास कम से कम तीन दिन की भी छुट्टी हैं, तो इस नगर का दर्शन किया जा सकता हैं।
आपका सोलो यात्री सूर्य प्रकाश के साथ चले काशी के सैर पर। मैं आपको यहाँ घूमने से लेकर रुकने और खाने- पीने सभी पर प्रकाश डालूंगा वह भी हिंदी में।
वाराणसी एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व वाला स्थान हैं क्योंकि गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था और इस घटना को बौद्ध धर्म में "धर्म चक्र परिवर्तन" के नाम से जाना जाता हैं।
वाराणसी में वर्ष भर विदेशी सैलानी नगर घूमने के नाम पर वह भी खास तौर से सारनाथ को घूमने आते हैं।
यह नगर बुद्धिस्ट सर्किट में शामिल हैं, जहाँ पर बौद्ध धर्म को मानने वाले आकर सारनाथ धमेख स्तूप का पूजा या दर्शन भी करते हैं।
वो कहते हैं कि वाराणसी नगर की प्रसिद्धि मात्र तीन के लिए हैं-
- काशी विश्वनाथ मंदिर,
- सारनाथ का धमेख स्तूप,
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
वाराणसी के रूप में भी ख्याति प्राप्त हैं
अगर हम कहे कि काशी का अन्य नाम वाराणसी हैं, तो गलत नही होगा। वाराणसी का पुराना नाम काशी हैं। वाराणसी दो शब्दों का सम्मलित रूप हैं, अर्थात वरुणा + अस्सी यानी इसे विस्तृत अर्थ में लिया जाये तो हम देखेंगे कि ये जो दो शब्द हैं वरुणा = वरुणा नदी, जबकि दूसरा शब्द हैं अस्सी = अस्सी घाट.
यानी हम कह सकते हैं कि वरुणा नदी और अस्सी घाट के मध्य जो बसा हैं, वह वाराणसी हैं।
उत्तर प्रदेश के पतित पावनी गंगा नदी के बाये तट पर बसा वाराणसी यानी काशी एक अति महत्वपूर्ण नगर हैं, जो पुराने समय से धार्मिक, औधोगिक, शैक्षणिक और व्यापारिक नगर हैं।
वर्तमान में यह नगर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित जिला और मण्डल के रूप में विख्यात हैं। यह नगर निगम हैं अतः इसे उत्तर प्रदेश के महानगर का दर्जा प्राप्त हैं।
वाराणसी मंदिरों और घाटों की नगरी हैं
वाराणसी के गली- गली में मन्दिर स्थापित हैं और वह भी अधिकतर महादेव के मन्दिर की प्रमुखता हैं। वैसे यहाँ अनेक देवी- देवताओं के मन्दिर भी बने हैं, जो विश्व प्रसिद्ध हैं।
वही दूसरी तरफ घाटों की बात करें तो सैकड़ो घाट जो पक्के घाट के रूप में सुविख्यात हैं, जो नमो घाट (खिड़कियां घाट) से लेकर सामने घाट (BHU के पास) तक फैले हुए हैं।
हम यहाँ कुछ मन्दिर और घाट का वर्णन कर रहे हैं, जो अतिमहत्वपूर्ण हैं-
काशी विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योर्तिलिंग हैं काशी विश्वनाथ मन्दिर जो अपनी भव्यता के लिए जाना जाता हैं। आज काशी विश्वनाथ मंदिर का नवीनतम जीर्णोद्धार किया जा चुका हैं और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप में प्रसिद्ध हैं।
वर्ष भर यहाँ भक्तों का दर्शन करने के लिए तांता लगा रहता हैं। देश ही नही विदेशों से भी भक्त आकर दर्शन करते हैं।
वाराणसी के गदौलिया क्षेत्र तथा गंगा किनारे दशाश्वमेध घाट के समीप यह मन्दिर अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए हिन्दू सनातनियों के मध्य आस्था का केंद्र हैं।
नवीनतम साक्ष्यों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा 1780 में किया गया था। इस मंदिर में कुछ योगदान राजा रणजीत सिंह का भी है कि इन्होंने ने ही मन्दिर के सुंदरीकरण के लिए हज़ार किलो सोना दान किया था।
अन्य प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर
वाराणसी में मंदिरों की संख्या अत्यधिक हैं, यहाँ गली- गली छोटे से बड़े मन्दिर बने हुए हैं। आइये वाराणसी के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों पर प्रकाश डाला जाये-
मार्कण्डेय महादेव मंदि
शिव जो को समर्पित हैं, जो वाराणसी के विशेश्वरगंज में स्थित हैं।
काशी कोतवाल मन्दिर
भैरवनाथ जी को समर्पित यह मन्दिर विशेश्वरगंज में बना हुआ हैं, यह काल भैरव का जागता मन्दिर हैं।
संकट मोचन मन्दिर
हनुमान जी को समर्पित हिंदुओं के आस्था का केंद्र हैं, यह मन्दिर लंका से थोड़ा सा पहले साकेत नगर में स्थित हैं।
तुलसी मानस मंदिर
गोस्वामी तुलसीदास जी को समर्पित इस मंदिर में सावन के मास में दर्शन करने का अपना अलग अनुभव हैं। यहाँ झांकी सजाई जाती हैं, जो लाइट या विद्युत के द्वारा चलता हैं।
दुर्गाकुण्ड मन्दिर
माता दुर्गा जी को समर्पित यह मन्दिर बहुत ही प्राचीन हैं। इस मंदिर में नवरात्रि के समय खूब भीड़ लगती हैं।
केदारेश्वर मन्दिर
शिव जी को समर्पित मन्दिर जैसा कि नाम से लग रहा हैं कि यहाँ पर शिव जी का शिवालय हूबहू केदारनाथ धाम के जैसा ही हैं। यह मन्दिर हरिश्चंद्र घाट के पास हैं।
भारत माता मंदिर
भारत माता को समर्पित यह मन्दिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित हैं, यह मन्दिर वाराणसी के सिगरा में स्थित हैं।
श्री अन्नपूर्णा देवी मंदिर
अन्न की देवी को समर्पित यह मन्दिर काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित हैं। यह मन्दिर गदौलिया क्षेत्र में बना हुआ प्राचीन मंदिर हैं।
नया विश्वनाथ मंदिर
BHU में बना शिव जी को समर्पित यह मन्दिर नूतन विश्वनाथ मंदिर के नाम से या BHU वाला मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध हैं, इस मंदिर को बनवाने का श्रेय मशहूर उद्योगपति बिड़ला जी के द्वारा बनवाया गया हैं। यह वाराणसी के लंका में स्थित हैं।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर
शिव जी को समर्पित इस रत्नेश्वर महादेव मंदिर में पूजा पाठ नही होता है, अपने में अद्धभुत यह मन्दिर मोक्षदायिनी घाट अर्थात मणिकर्णिका घाट पर बना हुआ हैं।
वाराणसी के रमणीय घाट
वाराणसी घाटों का शहर हैं। यहाँ गंगा नदी के किनारे सैकड़ो घाट बने हुये हैं, जो खिड़कियां घाट यानी नमो घाट से लेकर गंग घाट, मणिकर्णिका घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, दशाश्वमेध घाट, अहिल्याबाई घाट, राजा हरिश्चन्द्र घाट, अस्सी घाट होते हुए सामने घाट तक घूम सकते हैं।
सभी घाट आपस में जुड़े हुए हैं। आप चाहे तो पैदल भी चल कर मेरा मतलब हैं कि हाईकिंग करते हुए कुछ घाटों को घूम सकते हैं।
आप सभी घाट को पैदल नही भ्रमण कर सकते हैं क्योंकि सबको पैदल चल कर जाने में समय के साथ थकान भी हो जायेगा।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि घाटों की लंबाई लगभग 10 से 15 Km हैं, जो पैदल जाने में कोई फायदे वाली बात नही हैं।
काशी मोक्ष नगरी हैं
काशी अर्थात वाराणसी उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर बसा हुआ हैं, जहाँ पर जीते जी काशी विश्वनाथ के दर्शन करने की मंगल कामना करते हैं,
तो वही दूसरी ओर मृत्यु के बाद यहाँ मणिकर्णिका घाट और राजा हरिश्चन्द्र घाट पर अंतिम संस्कार करवा कर मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं।
वाराणसी में घूमने के स्थान
वाराणसी एक धार्मिक नगर के साथ ही ऐतिहासिक नगरी हैं, यहाँ घूमने के लिए मन्दिर और घाटों के अलावा रामनगर का किला, रानी लक्ष्मीबाई का जन्मस्थली, सारनाथ, BHU, लोकल बाजार, खरीदारी करना के साथ खाने- पीने की बहुत ही अच्छी व्यवस्था हैं।
कैसे पहुँचे?
वाराणसी उत्तर प्रदेश का ही नही भारत का प्रसिद्ध नगरों में से एक नगर हैं, जो सड़क मार्ग से सभी नगरों से जुड़ा हुआ हैं।
यहाँ आने के लिए प्राइवेट बस के साथ राजकीय परिवहन के बसों को अच्छी सुविधा हैं। निजी साधन से भी काशी पहुँचा जा सकता हैं।
अगर रेलवे स्टेशन की बात करें तो वाराणसी में कई रेलवे स्टेशन हैं जैसे- काशी, वाराणसी सिटी, वाराणसी कैंट, बनारस जिसमें प्रमुख रेलवे स्टेशन वाराणसी कैंट हैं, जो भारत के प्रमुख नगरों से सीधा जुड़ा हुआ हैं।
कैंट रेलवे स्टेशन से कई नगरों के लिए ट्रेन की शुरुआत होती हैं, जिससे आपको यहाँ पहुँचने में कोई दिक्कत नही होगी।
वाराणसी का अपना इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं, जो वाराणसी से मात्र 20 Km की दूरी पर स्थित बाबतपुर में लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता हैं।
इस एयरपोर्ट से घरेलू और विदेशी उड़ानों का संचालन सीधे होता हैं। बस पहुंचने की देरी है वाराणसी की आप किस साधन से यहाँ पहुँचते हैं, जो कि आपके टूर प्लान और बजट पर निर्भर करेगा।
किस मौसम में जाये?
वाराणसी तो वैसे आप वर्ष में कभी भी जाये, परन्तु यह शहर एक मैदानी इलाकों वाला हैं, जिससे कारण गर्मी के मौसम में न जाये तो बेहतर होगा।
गर्मी में तो लू भी चलता हैं, इससे आप घूम नही पायेंगे। घूमने का वास्तविक आनंद ठंडी के मौसम में हैं।
आप अगर मेरी राय माने तो घूमने या दर्शन के लिए सबसे सही समय अक्टूबर से मार्च तक का हैं। बेफिक्र होकर वाराणसी का दर्शन करें।
वाराणसी को घूमने के लिए कम से कम 3 दिन का समय चाहिए जबकि 5 दिन का समय हो तो वाराणसी को अच्छे से घूमा जा सकता हैं।
वाराणसी को घूमने का ट्रिप प्लान
वाराणसी को यदि अच्छे से घूमना हो तो कम से कम 5 दिन का समय चाहिए जिसे पर्यटन की दृष्टि से 4 Night और 5 Days का प्लान कहेंगे। वैसे आप इस धार्मिक और ऐतिहासिक नगर को 3 दिन में भी घूम सकते हैं।
आपका टूर प्लान कुछ इस तरह से बना सकते हैं-
पहला दिन
गंगा नदी में स्नान तथा काशी विश्वनाथ का दर्शन और नौका विहार के साथ शाम में दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती। गदौलिया में काशी चाट भंडार के साथ ही वाराणसी का फेमस ठंडाई का मज़ा लेना न भूले।
दूसरा दिन
अन्य प्रसिद्ध मंदिर जैसे मार्कण्डेय महादेव, काशी कोतवाल, संकट मोचन मन्दिर, मानस मन्दिर, दुर्गाकुण्ड स्थित दुर्गा माता मंदिर के साथ BHU में स्थित नया काशी विश्वनाथ मंदिर।
तीसरा दिन
वाराणसी के सभी घाट जो खिड़कियां घाट (नमो घाट), मणिकर्णिका घाट, रत्नेश्वर महादेव मंदिर, राजेन्द्र घाट, हरिश्चन्द्र घाट, अस्सी घाट के साथ गदौलिया का बाजार।
चौथा दिन
सारनाथ स्थित मन्दिर, धमेख स्तूप, संग्रहालय के साथ लोकल बाजार का भ्रमण और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में स्थित भारत माता मंदिर।
पांचवा दिन
रामनगर का किला के साथ वहाँ का लोकल फ़ूड जैसे लस्सी या रबड़ी का स्वाद जो कभी नही भूलेगा। साथ में लंका का बाजार।
Note- जब भी वाराणसी जाये तो नगर में स्थित रानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली को जरूर विजिट करें।
यदि आप प्राकृतिक सौंदर्य प्रेमी, तो वाराणसी से मात्र 65 से 70 Km की दूरी पर चंदौली जिले में राजदरी देवदरी वाटरफॉल घूमना एक अच्छा विकल्प हैं।
वाराणसी में रुकने के ठिकाने
काशी भारत की धार्मिक नगरी के साथ ही साथ सारनाथ के कारण अंतर्राष्ट्रीय महत्व का नगर भी हैं। यहाँ पर रुकने के कई साधन हैं जैसे कि होटल, मोटल, धर्मशाला, लॉज, गेस्ट हाउस और होम-स्टे इत्यादि।
इसी कारण यहाँ ठहरने की कोई दिक्कत नही हैं। एक से बढ़ कर एक अच्छे और महंगे होटल यहाँ बने हुए हैं। और यदि आपका बजट कम हैं तो भी चिंता की कोई बात नहीं, सस्ते होटलों और धर्मशालाओं की भरमार हैं।
वाराणसी स्पेशल खाना-पीना
वाराणसी में स्पेशल खाने को बहुत सारी व्यवस्था हैं। यदि हम सुबह की बात करें तो वाराणसी के हर गली और मुहल्ले में नाश्ता की दुकान मिल जायेगी जो-
पूड़ी- सब्जी, कचौड़ी- काला चना की छोला के साथ और जलेबी के लिए प्रसिद्ध हैं। कही- कही सुबह में लस्सी से भी नाश्ता करते हैं।
लंच और डिनर के लिए वाराणसी में रेस्टोरेंट, ढाबा, लाइन होटल और फ़ूड स्ट्रीट मिलेंगे, जो सस्ते और महंगे दोनों ऑप्शन के रूप में मिल मिलेंगे।
वाराणसी में दक्षिण भारतीय घूमने और दर्शन करने आते हैं तो यहाँ दक्षिण भारतीय व्यंजन वाले रेस्तरां की भरमार हैं।
कुल मिलाकर वाराणसी में दक्षिण और उत्तर की सभ्यताओं का संगम हैं, अतः यहाँ सभी प्रकार के व्यंजन यानी खाने- पीने की व्यवस्था हैं।
नॉन वेज और वेज सभी प्रकार के रेस्टोरेंट और होटल मिलेंगे तो यहाँ शुद्ध वैष्णव भोजनालय भी मिलेगा।
खरीदारी क्या करें?
आप वाराणसी में हो तो खरीदारी बनता हैं क्योंकि यहाँ कुछ अलग मिलता हैं, जैसे कि बनारसी साड़ी जो प्योर रेशम पर सोने या चांदी के तारो से डिज़ाइन किया हुआ मिलता हैं।
इसके अलावा लकड़ी के बने खिलौने बच्चों को खूब पसंद आते हैं। इसके अलावा चौड़े किनारों की धोती भी कमाल की होती हैं।
आप जब भी वाराणसी में खरीदारी करें तो अपने स्तर पर मोल भाव जरूर कर ले नही तो आपको यही सब समान महंगा भी मिल सकता हैं।
इसके लिए आप लोकल टूर गाइड या जहाँ आप रुके हो वहाँ से पूछताछ कर के या फिर बाजार में किसी छोटे दुकानदार से पूछ कर खरीदारी करें तो बेहतर होगा।
आशा करता हूँ की आज की जानकारी आप सभी को पसंद आयी होगी, तो हमें कमेंट्स करके जरूर बताइयेगा की आप लोग कब वाराणसी जा रहे हैं।
Kumari Snigdha
मैं लोगो से अनुरोध करूँगी की वो एक बार वाराणसी जरूर आए। यहां जितनी भी जानकारी ब्लॉग के जरिए दि जा रही है वो बहुत ही महत्वपूर्ण है और लाभदायक है।