"गंगा तव: दर्शनात मुक्ति"
अर्थात गंगा के दर्शन मात्र से ही मनुष्य का जीवन धन्य हो जाता हैं। ऐसे अमृत बोल हमारे पौराणिक पुस्तकों में लिखा गया हैं।
और सोने पे सुहागा तब होता हैं, जब हम सभी इस मोक्षदायिनी गंगा के तट पर स्थित शहरों के रहने वाले होते हैं।
यह गर्व की अनुभूति तब और ज्यादा होती हैं, जब कोई यह कह कर सम्बोधन करता हैं कि- "देखो! यह गंगा किनारे वाला हैं"
आज आपके साथ का लेखनीय सफ़र बहुत ही मजेदार होने वाला हैं क्योंकि आज आप का ज्ञान तो बढ़ेगा ही बल्कि वहाँ की महत्ता जानने के बाद आप बिना सैर किये हुए या छोटी सी यात्रा किये बिना उन नगरों का, चैन नही लेंगें या फिर ये कहे कि आज का सैर
" गंगा-पर्यटन " पर हैं।
यह लेख भारत के उन सभी छोटे-बड़े शहरों पर हैं, जो कि-
' पतित पावनी गंगा नदी के किनारे बसे हैं '
और इनका धार्मिक महत्व भी जबरदस्त हैं। अर्थात मैंने उन्ही स्थानों पर चर्चा किया हैं, जो केवल धार्मिक दृष्टि से तीर्थ स्थल और उससे सम्बंधित घूमने वाले नगर आते हो।
गंगा नदी का अवतरण हिमालय के गंगोत्री नामक स्थान से हुआ हैं तथा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड होते हुए पश्चिम बंगाल में गंगा सागर नामक स्थान पर सागर से मिल जाती हैं।
कुल मिलाकर 5 राज्यों में गंगा नदी का प्रवाह निरन्तर हो रहा हैं। आइये जानते हैं इन राज्यों में कौन-कौन से नगर हैं, जिनका धार्मिक, ऐतिहासिक समाजिक महत्व हैं गंगा नदी के प्रति जहाँ पर " गंगा-पर्यटन " तेज़ी के साथ विकसित हो रहा हैं।
तो चले फिर एक सोलो ट्रिप या सोलो यात्रा पर या आपका मन हो तो फैमिली और दोस्तों को भी अपने सफर का साथी बना लीजिये, तो शुरू करते हैं-
पहला राज्य- उत्तराखंड में
उत्तराखंड में बहुत से ऐसे नगर हैं जो पवित्र गंगा किनारे बेस हुए हैं और उनके नाम निम्नलिखित है।
गंगोत्री धाम
पर्यटन की दृष्टि से चार धाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) में से एक धाम गंगोत्री हैं। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के अंतर्गत पड़ने वाला छोटा सा शहर या कस्बा हैं।
गंगोत्री उत्तरकाशी से मात्र 100 KM की दूरी पर स्थित है, अर्थात उत्तरकाशी सबसे नजदीक का बड़ा शहर हैं गंगोत्री से।
यह स्थान गंगा नदी का उद्गम माना गया हैं, हालांकि गोमुख ग्लेशियर जहाँ से भागीरथी नदी निकलती हैं गंगोत्री से अभी 18 से 20 KM आगे हैं। गोमुख जाने के लिए आपको या तो पैदल या फिर टट्टू का सहारा लेना पड़ेगा।
यहाँ हिमालय की गोद में बसा ये छोटा सा प्राचीन धार्मिक नगर, प्राकृतिक प्रेमियों को बहुत पसंद आता हैं।
गंगा जी का मंदिर या गंगोत्री मन्दिर यहाँ प्रमुख हैं, जिसका कपाट प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया (परशुराम जयंती) को खुलता हैं और कार्तिक अमावस्या (दीपावली) को बन्द हो जाता हैं।
सरल भाषा में कहे तो मई से नवम्बर तक भक्तों की लाखों संख्या इस पावन धाम पर दर्शन के लिए आती हैं, तभी तो ये तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं।
यदि घूमने के दौरान दर्शन, प्राकृतिक सौंदर्य, हिमालय की पर्वत श्रृंखला ये सभी का संगम देखने के लिए गंगोत्री जरूर जाएं।
कैसे पहुँचे?
गंगोत्री का सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश हैं। लेकिन बड़े रेलवे स्टेशन की बात करें तो हरिद्वार हैं, जो भारत के लगभग सभी स्थानों से जुड़ा हुआ हैं।
गंगोत्री हरिद्वार से लगभग 295 KM तो ऋषिकेश से लगभग 270 KM पर स्थित हैं। इन दोनों नगरों से बस, टैक्सी या निजी साधन के द्वारा गंगोत्री पहुँचा जा सकता हैं। बुलेट से जाने का मार्ग भी यहाँ पर हैं।
अगर नजदीकी एयरपोर्ट की बात करें तो देहरादून का जॉली ग्रांटएयरपोर्ट हैं।
उत्तरकाशी
जब आप ऋषिकेश से उत्तर की तरफ लगभग 170 KM की दूरी तय करेंगे, तो उत्तरकाशी शहर आएगा। यह एक धार्मिक नगरी के साथ ही हिल स्टेशन भी हैं।
यह शहर भागीरथी नदी के तट पर स्थित प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण अत्यंत शांत, सुंदर और स्वच्छ नगर हैं।
यहाँ अनेक देवी-देवता और ऋषियों का मंदिर बना हुआ हैं। इन मंदिरों में प्रमुख रूप से विश्वनाथ मंदिर प्रसिद्ध हैं।
कैसे पहुँचे उत्तरकाशी?
आप भारत के किसी भी कोने से सड़क और रेल मार्ग के द्वारा हरिद्वार पहुँच कर टैक्सी, बस इत्यादि से 195 KM (लगभग) की दूरी तय करके उत्तरकाशी पहुँच सकते हैं।
देवप्रयाग
यहाँ भागीरथी और अलकनंदा दोनों नदियों का संगम हैं और इन नदियों की संयुक्त धारा गंगा नदी के नाम से जानी जाती हैं।
हिन्दू धर्म मे यह बहुत ही पवित्र और तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण यह नगर सभी सैलानियों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा हैं।
देवप्रयाग इसी संगम पर ही स्थित हैं, जो टिहरी जिले के अंतर्गत आता हैं। यहाँ का रघुनाथ मन्दिर प्रसिद्ध हैं। पंच प्रयागों में सबसे श्रेष्ठ प्रयाग है और तभी नामकरण देवप्रयाग हुआ।
देवप्रयाग कैसे पहुँचे?
हरिद्वार से लगभग 100 KM जबकि ऋषिकेश से लगभग 75 KM की दूरी पर स्थित हैं। देवप्रयाग पहुँचने के लिए कम से कम हरिद्वार या ऋषिकेश पहुँचना ही पड़ेगा।
ऋषिकेश
गंगा नदी के तट पर बसा हुआ यह धार्मिक स्थान देहरादून जिले के अंतर्गत आता हैं। बहुत लोगो को यह पता रहता हैं कि ऋषिकेश, हरिद्वार जिले में हैं, जो कि गलत हैं।
यह छोटा कस्बा हरिद्वार से नज़दीक मात्र 26 KM जबकि देहरादून से थोड़ा दूर लगभग 45 KM हैं, परन्तु जिला तब भी देहरादून हैं।
यहाँ राम झूला, लक्ष्मण झूला, रिवर राफ्टिंग, गीता भवन, शान्तिकुंज (गायत्री परिवार) इत्यादि दर्शन और घूमने लायक जगह हैं।
कैसे पहुँचे?
नज़दीकी रेलवे स्टेशन स्वयं ऋषिकेश हैं, जो हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग पर स्थित हैं। यदि आप हरिद्वार पहुँच जाते हैं तो बस, ट्रेन, टैक्सी इत्यादि के द्वारा मात्र 26 KM की दूरी तय करके इस सुंदर, प्राकृतिक और तीर्थ स्थल पर आसानी से पहुँच सकते हैं।
हरिद्वार
गंगा नदी हरिद्वार से ही मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती हैं। यह उत्तराखंड का देहरादून के बाद सबसे बड़ा शहर हैं। यहाँ हर की पौड़ी पर गंगा में स्नान कर सकते हैं, नीलकंठ महादेव, गंगा माता , भारत माता, मनसा देवी, चंडी देवी का दर्शन तथा और भी घूमने लायक स्थानों पर जा सकते हैं।
यह कुम्भ नगरी भी हैं, अर्थात 12 वर्ष का कुम्भ और 6 वर्ष वाला अर्द्धकुंभ भी लगता हैं। कुल मिला कर यह मंदिरों की नगरी हैं, जहाँ दर्शन करने का अपना अलग ही आनन्द हैं।
कैसे पहुँचे?
यह नगर भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं। आप हरिद्वार आसानी से पहुँच सकते हैं।
दूसरा राज्य- उत्तर प्रदेश में
हमारा उत्तर प्रदेश भी अपने आप में एक इतिहास रखता है और उत्तर प्रदेश में भी बहुत से ऐसे शहर हैं जो गंगा नदी के किनारे बेस हुए हैं और उनके नाम इस प्रकार से हैं.
प्रयागराज (इलाहाबाद)
यह नगर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का संगम है। यह भी महाकुम्भ, कुम्भ मेला, अर्द्धकुंभ, माघी मेला का नगर हैं।
यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों में लेटे हुये हनुमान जी, अक्षयवट, अकबर का किला, सिविल लाइन हनुमान जी, आनंद भवन, खुसरोबाग, संग्रहालय, शिवकुटी आश्रम इत्यादि के लिए प्रसिद्ध हैं।
हिन्दू धर्म मे इस नगर का वर्णन एक तीर्थ के रूप में जाना जाता हैं।
कैसे पहुँचे?
भारत से लगभग सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन, बस के माध्यम से जुड़ा हुआ हैं, वैसे यह हावड़ा- नई दिल्ली रेल मार्ग पर पड़ने वाला प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं।
वाराणसी
वरुणा नदी और अस्सी घाट के मध्य बसें नगर को ही वाराणसी बोला गया हैं। यह शिव की नगरी है, जो गंगा के बाएं तट पर बसा हैं।
इसका प्राचीन नाम काशी हैं। कहते हैं कि जिंदा रहते भोले भंडारी बाबा विश्वनाथ के दर्शन और मरने के बाद अगर मणिकर्णिका घाट या हरीशचंद्र घाट मिल जाये तो मुक्ति मिल जाती हैं।
अर्थात जीवन और मरण का अद्भुत संगम हैं काशी। यहाँ आप बाबा विश्वनाथ मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर BHU, मानस मन्दिर, दुर्गाकुंड मन्दिर, संकटमोचन मन्दिर, मार्कण्डेय मन्दिर, सारनाथ, रामनगर का किला संग्रहालय, वाराणसी के घाट इत्यादि सभी दर्शन और घूमने वाले स्थान हैं।
यह शहर मंदिरों और घाटों का प्राचीन नगर हैं, जहाँ के गली-गली में साक्षात शिव विराजते हैं।
कैसे पहुँचे वाराणसी ?
वाराणसी का मुख्य रेलवे स्टेशन वाराणसी कैंट के नाम से प्रसिद्ध हैं, जो भारत के लगभग प्रमुख सभी जगह से जुड़ा हुआ हैं। सड़क मार्ग से भी यहाँ पहुँचने की सुविधा अच्छी हैं।
निकटम एयरपोर्ट स्वयं लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं, जो वाराणसी शहर से मात्र 20 से 22 KM की दूरी पर बाबतपुर नामक स्थान पर स्थित हैं।
NOTE- वाराणसी में गंगा उत्तर वाहिनी हो जाती हैं, जिससे कि गंगा में स्नान और अन्य धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता हैं।
ज़मानिया
गंगा के उत्तर वाहिनी तट पर बसा हुआ यह कस्बा गाज़ीपुर जिला के अंतर्गत आता हैं। इस नगर का प्राचीन नाम जमदग्नि क्षेत्र और मदन बनारस था।
यहाँ भी अनेक पक्के और कच्चे घाट बने हैं, जहाँ किसी भी तीज और त्योहारों में स्नान का महत्व हैं। खास तौर पर उत्तर वाहिनी होने के कारण यहाँ बने चुने हुए घाट पर मृत्यु की अंतिम यात्रा समाप्त होती हैं, मोक्ष प्राप्ति के लिए यहाँ भी लोग आते हैं।
स्थानीय क्षेत्र में वाराणसी के बाद दूसरा स्थान मानते हैं अंतिम यात्रा के लिए।
यहाँ पर जमदग्नि ऋषि का मंदिर, परशुराम मन्दिर प्रसिद्ध हैं। 20 KM की दूरी पर कामख्या धाम, जबकि 5 KM की दूरी पर सम्राट अशोक के द्वारा बनवाया हुआ लाट जो अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (A.S.I.) के अधीन हैं, घूमने को अच्छा स्थान हैं।
ज़मानिया में गंगा नदी पर बने पक्के पुल को पार करते ही नागा बाबा, मौनी बाबा, कण्व ऋषि, गंगाराम दास बाबा, का प्रसिद्ध आश्रम हैं।
कैसे पहुँचे?
ज़मानिया एक छोटा रेलवे स्टेशन हैं, जो हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर बक्सर और मुग़लसराय (पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन) रेलवे स्टेशन के लगभग बीच मे स्थित हैं। ज़मानिया रेलवे स्टेशन पर भी प्रमुख ट्रेन का ठहराव हैं। सड़क मार्ग की बात करें तो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 24 (गाज़ीपुर से सैयदराजा) के कस्बे से हो कर गुजरती हैं।
नज़दीक का एयरपोर्ट वाराणसी एयरपोर्ट हैं, जो लगभग 75 KM की दूरी पर स्थित हैं।
NOTE- गंगा नदी उत्तर प्रदेश में बिजनौर जिला से प्रवेश करके बलिया जिले से निकल कर बिहार में प्रवेश करती हैं।
उत्तर प्रदेश में अलीगढ, बिठूर (कानपुर), कानपुर, गाज़ीपुर, बलिया भी गंगा नदी के किनारे स्थित महत्वपूर्ण नगर हैं, जो धार्मिक के साथ ही औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान हैं।
तीसरा राज्य- बिहार में
बक्सर
गंगा नदी के किनारे स्थित इस नगर का वर्णन रामायण में भी मिलता हैं। जब गुरुकुल के दौरान विश्वामित्र ऋषि ने प्रभु श्री राम जी और लक्ष्मण जी को अपने साथ आश्रम में शिक्षा प्रदान की थीं। यही पर ताड़का नामक असुर का वध किया हैं।
आधुनिक भारत में बक्सर का युद्ध और चौसा का युद्ध भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध हुआ था, तो वह भूमि यही है।
पटना
यह बिहार की राजधानी हैं और गंगा नदी के तट पर बसा हुआ अति प्राचीन नगर हैं।
इस नगर का नामकरण पटन देवी के नाम पर पड़ा हैं। जबकि कुछ इतिहासकार का मानना है कि शेरशाह सूरी ने नाम दिया था पटना क्योंकि-
पटना के अतिप्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। और इसको हर्यक वंश के राजा उदयिन (आजातशत्रु का पुत्र) ने बसाया था।
यहाँ पर आप तारामण्डल, गोलघर, कुम्हरार की सभ्यता, महावीर मन्दिर, पटन देवी मंदिर, संजय गांधी चिड़ियाघर, बुद्धा पार्क, गांधी मैदान, पटना साहिब गुरुद्वारा, संग्रहालय इत्यादि घूमने और दर्शन के स्थान हैं।
कैसे पहुँचे?
यह सड़क मार्ग और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। भारत के प्रमुख नगरों से रेल सेवा से जुड़ा है।
रेलवे स्टेशन पटना जंक्शन के साथ ही राजेंद्र नगर टर्मिनल, पाटलिपुत्र जंक्शन, दानापुर जंक्शन भी बड़े रेलवे स्टेशन हैं।
नजदीक का एयरपोर्ट स्वयं का पटना एयरपोर्ट हैं।
सिमरिया घाट (बेगूसराय)
बेगूसराय का सिमरिया घाट भी उत्तर वाहिनी गंगा के तट का प्रसिद्ध स्थान हैं। यहाँ पर पवित्र स्नान करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। तट पर अनेक मन्दिर और आश्रम बने हैं।
अंतिम संस्कार के लिए यह सिमरिया घाट भी बिहार का सबसे पवित्र स्थान में से एक हैं।
कैसे पहुँचे बेगूसराय?
नजदीक का रेलवे स्टेशन हाथीदह जंक्शन नामक रेलवे स्टेशन हैं, जो हावड़ा-नई दिल्ली रेल खण्ड पर स्थित हैं। यहाँ से मात्र 25 KM की दूरी पर मोकामा जंक्शन नाम का बड़ा रेलवे स्टेशन हैं। यहाँ भी उतर कर टेम्पो, बस, टैक्सी से सिमरिया घाट पहुँच सकते हैं।
यह स्थान सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ हैं।
सुल्तानगंज
भागलपुर जिले के अंतर्गत आने वाला यह छोटा सा नगर अतिप्राचीन हैं। यह शहर भी उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर बसा हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता हैं।
यहाँ बाबा भोले नाथ की प्राचीन मंदिर अजगबीनाथ मन्दिर और बौद्ध स्तूप के अवशेष हैं।
सावन में यहाँ स्नान करने की मान्यता हैं, वैसे वर्ष भर स्नानार्थियों की भीड़ रहती हैं, परन्तु-
सावन में शिव भक्त जिन्हें काँवरिया कहते है, यही पर गंगा नदी में स्नान करके गंगा जल ले कर 101 KM की दूरी पैदल चल कर देवघर जिसे बाबाधाम या बाबा वैधनाथ धाम जो कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योर्तिलिंग हैं, आकर अपने साथ लाये हुए गंगा जल को चढ़ाते हैं।
देवघर में शिव जी की विश्व प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहाँ वर्ष भर भीड़ रहता हैं। खास तौर से सावन में लाखों भक्त दर्शन को आते हैं।
कैसे पहुँचे?
सुल्तानगंज एक छोटा लेकिन महत्त्वपूर्ण रेलवे स्टेशन हैं, जो भागलपुर-पटना-नई दिल्ली रेल खण्ड पर स्थित हैं।
सड़क मार्ग की भी सुविधा अच्छी हैं, पूरे बिहार, बंगाल और झारखंड से जुड़ा हुआ हैं।
NOTE- बिहार में और भी अनेक शहर जैसे- बख्तियारपुर, बाढ़, मोकामा,भागलपुर, मुंगेर भी गंगा के किनारे स्थित बड़े नगर हैं, जिनका महत्व औद्योगिक क्षेत्र में ज्यादा हैं।
चौथा राज्य- झारखंड में
झारखंड राज्य में भी कुछ शहर हैं जो माँ गंगा नदी के किनारे बेस हुए हैं और यहाँ के मछुवारे इसी गंगा नदी पर निर्भर करते हैं।
साहिबगंज
झारखंड राज्य का एक मात्र शहर हैं, जो गंगा तट पर स्थित हैं। यहाँ राज महल की प्रसिद्ध पहाड़िया हैं और उस पर कई प्राकृतिक झरने बने हुए हैं, जो सैलानियों को अपने तरफ आकर्षित करते हैं।
कैसे पहुँचे?
यह नगर रेलवे स्टेशन और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं।
पांचवा राज्य- पश्चिम बंगाल में
गंगासागर
वो कहते हैं न कि " सारा तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार " जी हाँ, दोस्तो यह वही स्थान हैं, जहाँ गंगा नदी सागर यानी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं।
संगम वाले स्थान पर प्रसिद्ध तीर्थ नगरी हैं सनातन धर्म का। यहाँ पर कपिल मुनि का मन्दिर और आश्रम है वर्ष भर स्नान के लिये लोग देश-विदेश से कोने-कोने से पहुँचते हैं।
मकर सक्रांति के समय लगभग 1 माह का प्रसिद्ध मेला लगता हैं। हिन्दू धर्म में कम से कम एक बार जरूर लोग स्नान और दर्शन की ख्वाहिश रखते हैं।
कैसे पहुँचे?
यहाँ जाने के लिये आप को सबसे पहले हावड़ा या सियालदह रेलवे स्टेशन आना पड़ेगा फिर वहाँ से लोकल ट्रेन से नामखाना या काकद्वीप जैसे छोटे स्टेशन पर पहुँच कर पुनः आपको फेरी यानी जल मार्ग के द्वारा गंगासागर पहुँच सकते हैं।
गंगा नदी में पर्यटन
प्रयागराज से हल्दिया (west Bangal) तक लगभग 1650 KM का भारत का प्रथम और सबसे पुराना जल मार्ग (NW-1) हैं, जो-
प्रयागराज-वाराणसी-ज़मानिया-गाज़ीपुर-बलिया-छपरा-बक्सर-पटना-बाढ़-मोकामा-भागलपुर-
मुंगेर-फरक्का-हल्दिया तक कि दूरी को तय करता हैं।
परिवहन और पर्यटन की दृष्टि से इसे और भी मजबूत और सुंदरीकरण किया जा रहा हैं।
भविष्य में गंगा-दर्शन के साथ ही पवित्र नगरों के दर्शन के लिये कई योजनाएं तैयार की जा रही हैं क्योंकि जल्द ही इस प्राचीन जल मार्ग पर जहाज चलाने की योजना हैं ताकि सैलानी जल मार्ग से भी अपनी यात्रा को यादगार बना सकें।
आज का सफर बस यही तक का हैं, आज की यात्रा कैसी लगी?
आप हमें कमेंट कर के जरूर बताइयेगा।
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