सच- सच बताइयेगा कि फूलों की घाटी यानी वैली ऑफ फ्लावर्स का नाम आते ही आप कहा के बारे में सोचने लगे? पक्का आप "वैली ऑफ फ्लावर्स उत्तराखंड" पहुँच गए होंगे यानी "फूलों की घाटी उत्तराखंड"
लेकिन आज आपको एक अलग फूलों की घाटी की सैर कराने आपका सोलो यात्री पश्चिम बंगाल की धरती पर ले चल रहा हैं, जहाँ के खूबसूरत नजारों को देखने के बाद खुशी से कह देंगे कि क्या फूलों का जबरदस्त नजारा हैं।
फूलों की घाटी कहाँ स्थित हैं?
यह खूबसूरत फूलों की घाटी पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के अंतर्गत क्षीराई नामक उत्तरी क्षेत्र में बसा हुआ हैं।
इस घाटी के नजदीक का कस्बा पासकुड़ा हैं। यदि वास्तव में देखा जाये तो यह पर्यटन स्थल डोकंडा नामक घाटी में स्थित हैं और इसी नाम से जुड़ा हुआ यहाँ एक गांव भी बसा हैं।
इस घाटी से लगा हुआ कंग्साबती नदी का तराई क्षेत्र है, जिसके चलते फूलों को सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता नही पड़ती हैं। पूरे क्षेत्र की आर्थिक विकास इसी फूलों की घाटी पर ही निर्भर करता है।
हज़ारों फूलों की प्रजाति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रजाति गेंदे के फूल की हैं इसकी कई प्रजाति को एक साथ एक ही जगह पर देखना अपने आओ में ही रोचक हैं।
फूलों की घाटी घूमने का सही समय
इस घाटी में घूमने का सही समय जाड़े का हैं यानी यहाँ पर आप अक्टूबर से फरवरी तक में आसानी से घुमा जा सकता हैं क्योंकि इसी समय सर्दी के विविध प्रकार के फूलों को देखने का मौका मिलेगा।
यदि दिसंबर से जनवरी के महीने में इस जगह की यात्रा पर जा रहे हैं, तो फिर क्या पूछना इसकी खूबसूरती देखने लायक होती हैं।
कैसे पहुँचे इस फूलों की घाटी में?
इस फूलों की घाटी में पहुँचने का सबसे अच्छा विकल्प सड़क मार्ग हैं, जो कोलकाता से खड़गपुर राजमार्ग पर स्थित हैं। यह क्षेत्र कोलकाता से मात्र 85 से 90 Km की दूरी पर ही बसा हुआ हैं।
यहाँ पहुँचने का सबसे अच्छा विकल्प हैं सड़क मार्ग नही तो नजदीकी रेलवे स्टेशन पंसकुरा और खीराई रेलवे स्टेशन हैं चूंकि यह स्टेशन छोटा हैं जहाँ पर लोकल ट्रेन और कुछ सेलेक्टेड ट्रेन रुकती हैं।
यह दोनों रेलवे स्टेशन हावड़ा खड़गपुर रेल लाइन पर पड़ता हैं, जहाँ आप उतर कर के टेम्पो और रिक्शा से पहुँच सकते हैं।
अगर बात करें कि आप हवाई यात्रा से पहुंचना चाहते हैं तो नजदीकी एयरपोर्ट कोलकाता हैं जो इस गांव से लगभग 90 से 95 Km की दूरी पर स्थित हैं।
प्रमुख स्थानों से खीराई - क्षीराई की दूरी
- पांसकुडां (पंसकुरा) से- 6 Km
- कोलकाता से- 87 Km
- हावड़ा से- 80 Km
- खड़गपुर से- 56 Km
- दार्जिलिंग से- 720 Km
- गंगटोक से- 775 Km
- पतरातू वैली से- 375 Km
- वाराणसी से- 739 Km
पर्यटन स्थल में शामिल हैं।
यह पर्यटक स्थल कोलकाता से मात्र कुछ ही दूरी पर हैं इसलिए यहाँ लोकल सैलानियों की भीड़ ज्यादा रहती हैं क्योंकि छोटी यात्रा या एक दिन का ट्रिप बना कर यहाँ घुमा जा सकता हैं।
आप दिन भर खिली खिली धूपों में फूलों के साथ भौंरे बनकर इनके साथ कदम से कदम मिला कर चलते रहेंगे और थकने के बजाय और दिन के मुकाबले अत्यधिक तरो ताज़ा महशुश करेंगे।
यह अभी सभी के नजरो में ज्यादा नही आया हैं लेकिन इसकी खूबसूरती देख कर आप पहाड़ी पर खिले फूलों वाली सुखद अनुभव करेंगे लेकिन आप को यही एक बात बताते चले कि यहाँ पर कोई भी दूर दूर तक पहाड़ नही हैं।
यहाँ पर खिलने वाले फूलों की श्रृंखला में अधिकतर जाड़े में खिलने वाले फूल हैं जिसमें सर्वाधिक गेंदे की प्रजाति हैं और इसके साथ ही साथ डहेलिया, गुलदाउदी, लिली, गुलाब के साथ सूर्यमुखी के फूलों की भरमार हैं।
यह सभी प्रजाति सर्दियों के मौसम के राजा कहे जाते हैं। आप हाईकिंग करते हुये इन फूलों के खेतों में दिन भर घूम सकते हैं।
अगर यह क्षेत्र पहाड़ी होता तो यकीन मानिये आपको उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब की ट्रैकिंग और फूलों की घाटी यानी राष्ट्रीय उद्यान की भी याद दिला देता।
रुकने और खाने-पीने की व्यवस्था
यह एक गांव में बसा हुआ फूलों की घाटी या खेत हैं और अभी लोगो की भीड़ से दूर हैं, तो यहाँ पर रुकने की कोई भी व्यवस्था फिलहाल नही हैं।
आप आसानी से कोलकाता से एक दिन का ट्रिप बना कर यहाँ घूम कर वापसी कर सकते हैं लेकिन आप यदि एक रात का स्टे चाहते हैं तो पास के कस्बा पासकुड़ा में कुछ छोटे बजट वाले होटल मिल जायेंगे जहाँ पर आप एक रात रुक कर अगले दिन सूर्योदय के बाद फूलों के खेत को निहार सकते हैं।
खाने पीने की बहुत अच्छी व्यवस्था नही हैं लेकिन आप ढाबा और छोटे रेस्टोरेंट की सेवा ले सकते हैं। इसके साथ ही आप लोकल फ़ूड यानी स्ट्रीट फूड को जो अधिकतर बंगाली व्यंजन हैं को एन्जॉय कर सकते हैं।
फूलों की घाटी से फूलों का व्यवसाय
आपको मैंने पहले ही बता दिया हैं कि यहाँ की आर्थिक स्थिति फूलों पर निर्भर हैं इसलिए यहाँ के किसान फूलों की खेती करते हैं और इन फूलों का बिजनेस आस पास के इलाकों में जैसे कोलकाता, हावड़ा, खड़कपुर के साथ बिहार, झारखण्ड, ओड़िसा, हैदराबाद, वाराणसी तक फूल भेजे जाते हैं।
यानी उत्तर पूर्व भारत में फूलों का मुख्य बाजार कोलकाता हैं, जहाँ पर बने फूलों के मार्किट में इस क्षेत्र के फूल भेजे जाते हैं फिर यही से सभी जगहों पर फूलों के व्यापारियों के द्वारा फूलों का क्रय-विक्रय किया जाता हैं।
आज का लेख आपको कैसा लगा? हमें कमेंट्स कर के जरूर बताइयेगा और हाँ आप कब जा रहे हैं इस जगह की सैर पर तो अपनी स्टोरी अनुभव के साथ हमसे साझा करना मत भूलियेगा।
धन्यवाद।
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