वाराणसी जिसे उत्तर प्रदेश का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी कहते हैं, जो अपने सुबह- ऐ- बनारस जैसी तहजीब के लिए जाना जाता हैं ठीक जैसे लखनऊ को शाम- ऐ- अवध के रूप में जानते हैं।
वाराणसी जो गंगा नदी के किनारे बसा हुआ धार्मिक स्थल हैं तो दूसरी ओर वाराणसी को मोक्ष धाम के रूप में भी जाना जाता हैं।
जब बात वाराणसी की कर रहे हो तो एक बार आप इस मंदिर में जाकर दर्शन करियेगा। मैंने एक अलग से इस मन्दिर के ऊपर लेख, लिखा हूँ-
"रत्नेश्वर महादेव मंदिर मणिकर्णिका घाट जहाँ कभी भी पूजा-पाठ नही होता है, "मेरे इस लेख के जरिये आपका ज्ञान भी बढ़ेगा और इसे साक्षात देखने की भी जिज्ञासा पूरा होगा।
वाराणसी में घूमने को आप जब भी आये तो नगर में स्थित रानी लक्ष्मीबाई के जन्म स्थली को जरूर घूमे और उस पवित्र स्थान के दर्शन करें, जहाँ वीरांगना लक्ष्मीबाई ने जन्म लिया है और वो स्थान हैं- भदैनी में।
वाराणसी से मात्र 65 से 70 Km की दूरी पर स्थित चंदौली जिले में पड़ने वाले राजदरी-देवदरी वाटरफॉल को भी घूमने जरूर जाये। आपको अच्छा लगेगा।
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मन्दिर का दर्शन तो आप ने कर लिया हैं लेकिन जो भक्त अपनी द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर निकले होते हैं, तो गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर के दर्शन को भी जाते हैं। वाराणसी से सोमनाथ मंदिर की दूरी लगभग 1690 Km की हैं।
अगर आपके पास तीन दिन का अतिरिक्त समय हैं या फिर आप वाराणसी के आसपास भी घूमना चाहते हैं, तो उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य में मध्य प्रदेश के "खजुराहो" (दूरी- 393 Km) जबकि छत्तीसगढ़ का शिमला "मैनपाट" (दूरी- 354 Km) को भी घूम सकते हैं।
वाराणसी से मात्र 243 Km की दूरी पर स्थित चित्रकूट को भी घूमा जा सकता हैं।
"चित्रकूट संतो की भूमि" के नाम से भी जाना जाता हैं। चित्रकूट को गोस्वामी तुलसीदास जी का कर्मभूमि कहा जाता हैं।
वाराणसी से मात्र 70 से 75 Km की दूरी पर स्थित गाज़ीपुर जिला, जिसे आज भी पुराने लोग "लहुरी काशी" बोल कर सम्बोधित करते हैं। यहाँ पर आपको अनेक साधु संतों की कर्मभूमि और तपस्थली मिलेगी।
वाराणसी के नज़दीक हिल स्टेशन
यदि आपके पास 3 से 4 दिन का समय हैं, बजट की कोई समस्या नही हैं, तो वाराणसी से मात्र 350 से 360 Km की दूरी पर स्थित आप या तो अपनी मोटर कार से या फिर टैक्सी बुक करके पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में मैनपाट चले जाइये।
छत्तीसगढ़ के एक मात्र हिल स्टेशन मैनपाट घूम कर आइये। यह हिल स्टेशन सरगुजा जिले का एक छोटा सा गांव हैं। इस मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहते हैं, क्योंकि सर्दी के समय यहाँ पर भी बर्फ पड़ती हैं यानी स्नो फॉल होता हैं।
वाराणसी से सासाराम केवल 80 Km की दूरी पर स्थित हैं, जहाँ अपको दर्शन और घूमने के लिए ताराचण्डी मन्दिर, पायलट बाबा का आश्रम, शेरशाह सूरी का मकबरा (हिस्टोरिकल) हैं।
इसके अलावा यदि आप माता के दर्शन के साथ वाटरफॉल यानी झरना (जलप्रपात) का भी लुत्फ़ उठाना चाहते हो तो आप "माँ तुतला भवानी वाटरफॉल और इको पार्क", सासाराम (रोहतास) बिहार मन्नत पूरी करने जरूर जाये।
आपको इस मंदिर और झरना के पास रस्सी वाले पुल की सहायता से जाना होता हैं। इसके अलावा आप छोटी सी ट्रैकिंग या हाईकिंग करके भी आसानी से मन्दिर और झरने के पास पहुँच सकते हैं।
स्ट्रीट फूड में सासाराम का प्रसिद्ध अनरसा हैं। क्या आपने इसे चखा हैं? या मैं कहूँ कि यह कैसे बनता हैं?, तो इन सभी जानकारी को मेरे लेख "अनरसा को ही चावल का बिस्कुट भी कहते हैं" को विस्तृत पढ़े।
वाराणसी से भभुआ की दूरी मात्र 100 से 105 Km की हैं। यही पास में पवरा पहाड़ी पर स्थित माता मुंडेश्वरी मन्दिर धाम हैं, जो अपने सिद्धियों और सात्विक बलि के लिए प्रसिद्ध हैं।
वाराणसी से प्रमुख नगरों, ऐतिहासिक और धार्मिक शहरों की दूरी
लखनऊ- 314 Km
आगरा - 645 Km
खजुराहो- 397 Km
गया- 250 Km
हैदराबाद- 1235 Km
गंगटोक- 835 Km
हरिद्वार- 850 Km
ऋषिकेश- 865 Km
केदारनाथ धाम- 1272 Km
गौरीकुण्ड- 1257 Km
बद्रीनाथ धाम- 1009 Km
माना गांव- 1013 Km
उज्जैन- 973 Km
नासिक- 1355 Km
द्वारका- 1840 Km
जयपुर- 884 Km
वाराणसी, भोले शंकर की नगरी हैं, जहाँ कण- कण में स्वयं शिव विराजते हैं, तो वाराणसी या काशी भारत के सभी शिव स्थान से सीधे जुड़ा हुआ हैं।
वाराणसी उत्तर भारत में वह भी उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित अतिमहत्वपूर्ण और धार्मिक स्थल हैं।
वाराणसी व्यापारिक दृष्टि से भी अपना पहचान बनाये हुए हैं। यहाँ प्रमुख रेलवे स्टेशन में बनारस, काशी, बाबतपुर, वाराणसी सिटी और सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन में वाराणसी कैंट नामक स्टेशन हैं।
वाराणसी का अपना इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं, जो 22 Km की दूरी पर बाबतपुर में हैं और इसके साथ ही वाराणसी कैंट के पास ही सरकारी रोडवेज बस स्टैंड भी स्थित हैं।
वाराणसी ही नही दूर- दूर से लोग ट्रेन, बस और फ्लाइट पकड़ने के लिए वाराणसी आते हैं।
इस प्रकार से वाराणसी देशी- विदेशी पर्यटकों तथा सैलानियों का एक पसंदीदा स्थान हैं। इसके साथ ही व्यापारियों के लिए बिजनेस हब हैं।
साधु, संतों के साथ धर्म में आस्था रखने वालों के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन और दुर्गाकुंड स्थित माता का मन्दिर प्रमुख हैं। वही दूसरे तरफ वाराणसी से 6 से 8 Km की दूरी पर सारनाथ नामक बौद्ध धर्म का स्थान हैं।
सारनाथ में सम्राट अशोक के द्वारा बनवाया गया धमेख स्तूप स्थित हैं, जहाँ प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शन करने आते हैं।
वाराणसी में कुछ एडवेंचर स्पोर्ट्स एक्टिविटी का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं जैसे कि हॉट एयर बैलून, नौका विहार, सेलिंग, टेंट सिटी में कॉटेज इत्यादि।
काशी के घाटों पर हाईकिंग का लुत्फ़ उठाने के साथ ही सावन महीने में कावड़ यात्रा जिसे आप धार्मिक ट्रैकिंग भी कह सकते हैं का भी संचालन होता रहता हैं।
पर्यटन के नाम पर वाराणसी सर्वाधिक लोकप्रिय स्थल हैं यहाँ पर होटल, धर्मशाला, लॉज,होम- स्टे इत्यादि की सुविधा ज़बरदस्त उपलब्ध हैं।
वाराणसी में रेस्टोरेंट, ढाबा के साथ ही स्ट्रीट फूड की अच्छी सुविधा हैं। काशी में ज्यादा दिन रहने वाले पेइंग गेस्ट जैसी सुविधाओं का भी मजा ले सकते हैं।
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