मंदाकनी नदी के किनारे बसे अतिप्राचीन नगर चित्रकूट को संतो की भूमि कहते है। इसकी महत्ता इतनी पुरानी हैं कि इस नगर का उल्लेख बाल्मीकि की रचित पुस्तक "रामायण" में मिलता हैं। वही दूसरी ओर सन्त गोस्वामी तुलसीदास की कर्म भूमि कही जाने वाली धरती हैं- चित्रकूट धाम।
पौराणिक मान्यताओं और रामायण के अनुसार प्रभु राम जी के 14 वर्ष के वनवास में पहला पड़ाव चित्रकूट था।
जहाँ पर श्री राम, श्री लक्ष्मण, माता सीता (जानकी) ने वनवास के 14 वर्षों में से 11 वर्ष इसी ऐतिहासिक नगर में बिताये थे।
एक पंक्ति तो आपने बचपन में जरूर सुनी होगी कि-
"चित्रकूट की घाट पे हुई संतो की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसत, तिलक लेत रघुवीर"
आज हम इसी पंक्ति को चरितार्थ करने और आपको उस यादगार पल को महशुस कराने के लिये निकल पड़े है चित्रकूट धाम की एक छोटी सी यात्रा पर।
भौगोलिक संदर्भ चित्रकूट का
क्या आप ने कभी सोचा है? कि कोई ऐसा जिला या शहर हैं जिसका क्षेत्रफल दो राज्यों में हैं, तो उसमें एक नाम आता है चित्रकूट का
जी हाँ, दोस्तों यह चित्रकूट उत्तर प्रदेश राज्य में जिला हैं (मुख्यालय-चित्रकूट) जबकि मध्यप्रदेश में सतना जिला के अंतर्गत एक कस्बा अर्थात चित्रकूट का कुछ हिस्सा सतना जिला में भी आता हैं।
कुल मिलाकर अगर आसान शब्दों में कहे तो मंदाकिनी नदी के एक तरफ उत्तर प्रदेश जबकि दूसरी तरफ मध्यप्रदेश हैं।
अगर आप का कंफ्यूज़न दूर न हुआ हो तो ऐसे समझिये कि जब चित्रकूट धाम बोला जाये तो उत्तर प्रदेश का जिला जबकि चित्रकूट बोला जाये तो मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक कस्बा (नगरपंचायत) हैं।
इस रोमांचक स्थान का दीदार करने का आपको बेसब्री से इंतज़ार हैं,
तो आज का ट्रिप चित्रकूट के नाम तो चलिये फिर हमारे साथ चित्रकूट घूम कर आये। मैं तो चित्रकूट की सोलो यात्रा पर हूँ,
लेकिन आप अपने दोस्तों, मित्रों के साथ परिवार को ले कर यहाँ घूम सकते हैं और अगर कोई न मिले तो बन जाइये मेरे जैसा एक सोलो ट्रेवलर।
चित्रकूट धाम कैसे पहुँचे?
इस नगर का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन चित्रकूट धाम कर्वी (करवी) हैं।
यह भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशन जैसे वाराणसी, प्रयागराज(इलाहाबाद), सतना, मानिकपुर, महोबा, कानपुर, हज़रत निज़ामुद्दीन स्टेशन तथा अन्य नगर से सीधे जुड़ा हुआ है।
कर्वी स्टेशन उतर के चित्रकूट धाम के लिए ऑटो, टैक्सी, बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दूरी लगभग 10 KM हैं।
अगर सड़क मार्ग की बात करें तो यह नगर उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के लगभग सभी हिस्से से जुड़ा हुआ हैं, जहाँ पर सरकारी बसें और प्राइवेट बसें दोनों की अच्छी सुविधा हैं।
जो भी बस उत्तर प्रदेश से आयेगी वह चित्रकूट बस स्टैंड पर आप को उतार देगी जहाँ से ऑटो, टैक्सी से लगभग 6 से 7 KM की यात्रा तय करके चित्रकूट धाम पहुँच सकते हैं।
नज़दीक के एयरपोर्ट की बात करें तो 125 KM की दूरी पर प्रयागराज एयरपोर्ट हैं, तो दूसरा नज़दीक 185 KM पर स्थित खजुराहों इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं।
प्रमुख शहरों से चित्रकूट धाम की दूरी (लगभग में)
- सतना से- 95 KM
- मानिकपुर से- 30 KM
- रीवा से- 111 KM
- जबलपुर से- 292 KM
- खजुराहों से- 160 KM
- ग्वालियर से- 392 KM
- भोपाल से- 510 KM
- मैहर से- 124 KM
- प्रयागराज से- 122 KM
- वाराणसी से- 243 KM
- गाजीपुर से- 335 KM
- कानपुर से- 203 KM
- आगरा से- 455 KM
- मथुरा से- 515 KM
- अयोध्या से- 266 KM
- महोबा से- 125 KM
- लखनऊ से- 225 KM
- नई दिल्ली से- 650 KM
- झांसी से- 285 KM
- रायपुर से- 582 KM
- पटना से- 481 KM
- कौशाम्बी से- 70 KM
- नासिक से- 1111 KM
- हरिद्वार से- 834 KM
- इंदौर से- 698 KM
- उज्जैन से- 695 KM
- रांची से- 655 KM
चित्रकूट कब जाये?
पूरा क्षेत्र पहाड़ी हैं, तो जाहिर सी बात है कि गर्मी पड़ती है। वर्षा ऋतु में मौसम सुहाना और कई बरसाती झरने भी मन को मोहने वाले मिलेंगे।
यहाँ जाने का सही समय सितम्बर से मार्च हैं, लेकिन बरसात में जायेंगे तो सावधानी के साथ क्योंकि वर्षा के कारण पहाड़ी में छोटी- छोटी बरसाती नदियों में बाढ़ की स्थिति बनी रहती है।
क्या घूमें? या दर्शनीय स्थल

यह एक ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक नगरी हैं। अतः यहाँ घूमने के साथ-साथ कई मंदिर हैं जिनका दर्शन भी कर सकते हैं। यहाँ आपको घूमने लायक जगह मिलेगी-
1. कामदगिरि
हिन्दू मान्यता में इस पवित्र पर्वत का धार्मिक महत्व अत्यधिक हैं। श्रद्धालु जब भी दर्शन करने आते हैं, तो इस कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर के अपनी मनोकामना के पूरा होने की कामना करते हैं।
जंगलों से घिरा हुआ यह पर्वत का परिक्रमा करने में लगभग 4.5 KM या 5 KM की की दूरी तय की जाती हैं।
यहाँ पथ पर अनेक मन्दिर बना हुआ हैं, जिसमें "कामतनाथ मन्दिर" और "भरत मिलाप मन्दिर" प्रमुख हैं एवं इनका महत्व ज्यादा हैं।
परिक्रमा करने के दौरान बंदरो से सावधान रहिये, वैसे ये बन्दर नुकसान नही पँहुचाते है।
2. रामघाट
मन्दाकिनी नदी के तट पर रामघाट हैं। यही पर प्रभु श्री राम जी वनवास के दौरान प्रत्येक दिन स्नान किया करते थे लक्ष्मण जी के साथ।
यही घाट पर तुलसीदास जी का भव्य प्रतिमा हैं। कहते है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रघुवीर जी का तिलक किये थे।
आप जब भी इस घाट पर जाएंगे वहाँ भजन कीर्तन रामचरितमानस का पाठ, साधु-संतों के प्रवचन आपके मन को मन्त्रमुग्ध कर देगा।
3. हनुमान धारा
यह नगर के समीप पहाड़ पर हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं, पहाड़ी पर चढ़ने के लिए पक्की सीढ़ियां बनी हुई हैं।
इस चढ़ाई वाले रास्ते में लंगूर अधिक संख्या में मिल जायेंगे, ये दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को कोई भी नुकसान नही पँहुचाते हैं, इसलिये आपको इनसे डरने की जरूरत नही है।
पहाड़ के शिखर यानी मन्दिर पर पहुँच कर पूरे चित्रकूट नगर का नज़ारा दिखाई देता हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब लंका दहन करके हनुमान जी वापस आये थे तो उनके विश्राम के लिये स्वयं श्री राम जी ने यह जगह बनाई थी। यहाँ प्राकृतिक झरने भी है अतः इसका नामकरण हनुमान धारा पड़ा था।
4. माता अनसुइया आश्रम
स्फटिक शिला से लगभग 5 KM की दूरी पर स्थित सुंदर हरे भरे जंगल से घिरा हुआ यह आश्रम सभी का मन मोह लेता है।
यहाँ पर अत्रि मुनि, दुर्वासा मुनि और माता अनसुइया का मंदिर है, जिसमें इन सभी की मूर्ति विराजमान हैं।
5. जानकी माता कुण्ड
रामघाट से लगभग 1.5 KM की दूरी पर मन्दाकिनी नदी के किनारे यह जानकी कुण्ड स्थित है।
कहा जाता है कि यही पर माता जानकी अर्थात जनक की पुत्री सीता जी स्नान करती थीं।
6. गुप्त गोदावरी
यह मुख्य नगर से मात्र 16 KM की दूरी पर एक गुफा है जहाँ अंदर श्री राम जी श्री लक्ष्मण जी के साथ बैठ कर विचार विमर्श किया करते थे।
इसी गुफा में एक पवित्र कुण्ड है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता हैं।
यहाँ आप जरूर जाये क्योंकि अंदर जाने के बस गज़ब की शांत वाली अनुभूति होती है और पूरा वातावरण प्राकृतिक रूप से बना हैं, जो बरबस ही सबका ध्यान आकर्षित कर देता हैं।
7. स्फटिक शिला
जानकी कुंड से कुछ दूरी पर ही तथा माता अनसुइया आश्रम से मात्र 3 KM की दूरी पर यह स्थान हैं, जहाँ श्री राम जी माता सीता के साथ बैठ कर प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते थे।
यही पर माता सीता जी के चरणों के निशान अंकित हैं।
8. भरत कूप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यही पर भरत जी ने प्रभु राम जी के राज्याभिषेक के लिए पवित्र नदियों का जल एकत्र कर के एक जगह कूप में भर दिये थे, जिससे इस कूप का निर्माण हुआ था।
परन्तु श्री राम ने जब वनवास से वापस जाने को मना कर दिये तो उनकी चरण पादुका यानी खड़ाऊ को अपने साथ वापस ले जा कर अयोध्या के सिंघासन पर रख कर और स्वयं सेवक बन कर अयोध्या नगर की सेवा तब तक किये जबतक की राम जी वनवास से वापस नही आ गये।
चित्रकूट की यह यात्रा आपको 2 दिन और 1 रात में पूरी हो जायेगी अर्थात कुल मिलाकर 2 दिन में आप चित्रकूट धाम के सभी स्थानों को घूम कर और दर्शन कर के वापस आ सकते हैं।
यहाँ रुकने के लिए आपके बजट के अनुरूप होटल, धर्मशाला, लॉज आसानी से मिल जायेंगे।
रामनवमी के समय यहाँ भीड़ आपको मिलेगी क्योंकि वासंतिक नवरात्र के अंतिम दिन रामनवमी मनाई जाती हैं।
इसी लिए 9 दिन यहाँ उत्सव जैसा माहौल होता है। अगर भीड़ न पसन्द हो तो इस समय में चित्रकूट न जाये।
नाश्ता, भोजन या अन्य खानपान के लिए जगह जगह पर भोजनालय, रेस्टोरेंट और ढाबा मिल जायेगा।
यह ऐसा स्थान हैं, जहाँ आप अपने पूरे परिवार के साथ जा सकते हैं, तो आप हमें कमेंट्स लिख कर जरूर बताइयेगा की आपने यहाँ की यात्रा कब कर रहे हैं? या कब यात्रा की? और आप को यहाँ आकर कैसा लगा?
मिलते फिर जल्दी ही फिर किसी अगले जगह की सैर कराने के लिये।
जय श्री राम।
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