वो कहते हैं न कि भारत देश के कण-कण में ईश्वर विराजमान हैं चाहे वह मैदानी इलाका हो या कोई गुफा हो या फिर हिमालय की लम्बी श्रृंखलाओं वाली पर्वतमाला हो।
हर जगह आपको, अपने ईष्ट देव का दर्शन हो जायेगा बस मन में पाने की श्रद्धा अटूट होनी चाहिए।
आज हम आपके समक्ष ऐसे ही एक मन्दिर का वर्णन करने जा रहे हैं, जो कि हिमालय की गोद में बसे होने के कारण मन्दिर पहुँचने की यात्रा कठिन तो है, लेकिन अद्धभुत और कभी न भुलाने वाली हो जाती हैं।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बद्रीनाथ धाम यात्रा की। मुख्य रूप से यह मन्दिर श्री हरि अर्थात श्री विष्णु भगवान को समर्पित हैं। मन्दिर के गर्भगृह में साक्षात श्री हरि विराजते हैं।
बद्रीनाथ धाम
इस मंदिर को कई नामों से जानते हैं, जैसे कि कोई इस मंदिर को श्री बद्रीनारायण के नाम से पुकारता हैं, तो कोई श्री बद्रीविशाल कहता हैं, परन्तु सर्वाधिक लोकप्रिय नाम श्री बदरीनाथ के नाम से जाना जाता हैं।
यह मन्दिर उत्तराखंड के चार धामों (गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) में से एक धाम हैं, जो श्री विष्णु जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं भारत में।
अगर हम भारत के चार धाम की बात करें, जिसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने किया हैं, तो ये भी विष्णु जी को समर्पित कुल चार धाम या मन्दिर पूरे भारत में अपना अलग महत्व रखते हैं, जो कि निम्न हैं-
- उत्तर में- बद्रीनाथ धाम (उत्तराखंड)
- दक्षिण में- रामेश्वरम धाम (तमिलनाडु)
- पूर्व में- जगन्नाथ पुरी धाम (ओडिशा)
- पश्चिम में- द्वारकाधीश धाम ( गुजरात)
यह सभी विष्णु जी के अलग-अलग रूप में प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिसकी ख्याति दूर- दूर तक यानी देश और विदेश में फैली हुई हैं। भक्त वर्ष भर यहाँ की यात्रा करते रहते हैं दर्शन करने के लिए।
बद्रीनाथ धाम का महत्व
यह मन्दिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ नाम का छोटा तथा प्राचीन नगर हैं, जो अलकनंदा नदी के तट पर बसा हुआ हैं और यही पर यह धाम स्थित हैं।
यही एक गर्म जल का कुण्ड भी हैं जहाँ पर श्रद्धलुओं द्वारा स्नान करके दर्शन करने की मान्यता हैं।
इस महान मन्दिर में विष्णु जी अपने एक रूप बद्रीनारायण अर्थात शालिग्राम की पिंडी के रूप में विराजमान हैं।
पुराणों की मान्यता के अनुसार यह वैकुण्ठधाम हैं, जहाँ श्री हरि विष्णु स्वयं विराजमान हैं। सच्चे मन से भक्त दर्शन करके अपने मनवांछित फल को प्राप्त करते हैं।
यह हिन्दू धर्म का अतिमहत्वपूर्ण तीर्थस्थल में शुमार हैं। यहाँ हिन्दू सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग दर्शन भी करने आते हैं और पूर्वजों का पिण्डदान, श्राद्ध तथा तर्पण इत्यादि कर्मकांड करने भी आते हैं।
पिंडदान के लिए मान्यता यह हैं कि पांडवों ने भी अपने पितरों का पिंडदान यही किया था।
भारत में श्राद्ध या पिंडदान के लिए बिहार का गया नगर (गया का तिलकुट विश्व प्रसिद्ध हैं) की भी मान्यता हैं, जो फल्गु नदी के किनारे बसा हुआ हैं। पितृ विसर्जन के माह में यहाँ अत्यधिक भीड़ लगती हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने का समय
चूंकि यह मन्दिर हिमालय की गढ़वाल रेंज में स्थित हैं, तो वर्ष भर नही खुला रहता हैं। सर्दी के मौसम में यह मन्दिर बर्फ से ढक जाता हैं इसलिए कुछ माह के लिए भक्तों के लिए मन्दिर के कपाट बंद कर दिया जाता हैं।
वर्ष में अप्रैल माह में अक्षय तृतीया (परशुराम जयंती) के पावन अवसर पर पूरे विधि विधान के साथ मन्दिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिया जाता हैं और फिर नवम्बर माह में भैयादूज के बाद कपाट बन्द कर दिया जाता हैं।
Note- जब मन्दिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब विधि विधान के साथ मन्दिर के पुजारी बदरीनारायण को लगभग 46 Km की दूरी पर स्थित जोशीमठ में ज्योर्तिमठ में स्थापित कर देते हैं।
यह प्रक्रिया प्रतिवर्ष होता हैं कि सर्दी के मौसम में श्री बद्रीनाथ जोशीमठ में जबकि कपाट खुलने पर बद्रीनाथ धाम के मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों को दर्शन देने के लिए विराजमान हो जाते हैं।
केदारनाथ से बद्रीनाथ धाम की दूरी
सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ चारधाम में केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए होती हैं। यहाँ हम आपको बताते चले कि दर्शनार्थियों में अपना ट्रिप प्लान दो धाम के नाम पर भी बनाते हैं।
सबसे पहले केदारनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग का दर्शन करके फिर बद्रीनाथ धाम का दर्शन करने आते हैं।
बद्रीनाथ धाम केदारनाथ से लगभग 245 से 250 Km की दूरी पर स्थित हैं। सरकार चार धाम की यात्रा के लिए सड़क मार्ग और कर्णप्रयाग तक रेलवे चलाने की व्यवस्था कर रही हैं।
सड़क मार्ग के लिए All Weather Road यानी सभी मौसम में चलने वाले सड़क का निर्माण करा रही हैं।
Note- केदारनाथ मंदिर पहाड़ पर हैं जहाँ आपको धार्मिक ट्रैकिंग करनी होगी जिसकी शुरुआत गौरी कुंड से 16 से 18 Km की होती हैं, जबकि बद्रीनाथ धाम पहाड़ पर नही बल्कि समतल भूमि पर स्थित हैं, जहाँ आपको कोई भी ट्रैकिंग नही करनी होगी।
जाने का सही मौसम
बद्रीनाथ धाम जाने का सही समय अप्रैल माह से लेकर नवम्बर तक है, अर्थात पट के खुलने से लेकर बन्द होने तक का समय आपके पास हैं।
यदि आप शुरुआत में यानी अप्रैल से जून तक जाते हैं, तो आपको यहाँ ज़बरदस्त भीड़ मिलेगी क्योंकि भारत में इस समय गर्मी की छुट्टियां (summer vacation) शुरू हो जाती हैं, जिसके चलते पूरे भारत से लोग परिवार के साथ या सोलो यात्रा या फिर दोस्तों के साथ ग्रुप बना कर आते हैं।
जुलाई से अगस्त यहाँ बरसात का मौसम शुरू हो जाता हैं, तब पहाड़ी इलाकों में आना अवॉयड करना चाहिए।
सबसे अच्छा मौसम की बात करे और शुकुन से दर्शन करना चाहते हैं, तो सितम्बर से नवम्बर तक यहाँ आकर दर्शन भी कर सकते है और घूम भी सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम कैसे पहुँचे?
बद्रीनाथ धाम जाने के लिए सबसे अच्छी व्यवस्था सड़क मार्ग हैं, जो उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश और समस्त भारत के साथ सीधे जुड़ा हुआ हैं।
हरिद्वार या ऋषिकेश या देहरादून से आप रुद्रप्रयाग होते हुए चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम पहुँच सकते हैं।
नज़दीकी रेलवे स्टेशन की बात करें तो हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून हैं, जहाँ पर ट्रेन से आकर फिर निजी साधन या उत्तराखंड परिवहन की सरकारी बस के द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।
सबसे नज़दीक का एयरपोर्ट देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट हैं, जो बद्रीनाथ मन्दिर से लगभग 306 Km की दूरी पर स्थित है। यहाँ से भी आपको निजी साधन के द्वारा बद्रीनाथ पहुँच सकते हैं।
Note- जब आप हरिद्वार या ऋषिकेश से अपनी यात्रा प्रारम्भ करेंगे, तो बद्रीनाथ धाम के जाने के लिए सड़क मार्ग में देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, गोपेश्वर, चोपता, कर्णप्रयाग, पीपलकोठी, जोशीमठ, गोविंदघाट जैसे खूबसूरत शहर या रमणीय स्थान मिलेंगे,
जिसको देखना अपने आप में एक अनोखा रोमांच हैं, जो शायद ही किसी ट्रिप में जल्दी आपको मिले।
प्रमुख स्थानों से बद्रीनाथ धाम की दूरी
- जोशीमठ से- 46 Km
- पिपलकोठी से- 75 Km
- चोपता से- 176 Km
- गोपेश्वर से- 100 Km
- केदारनाथ से- 245 Km
- रूद्रप्रयाग से- 155 Km
- देहरादून से- 330 Km
- ऋषिकेश से- 292 Km
- हरिद्वार से- 316 Km
- दिल्ली से- 555 Km
- लखनऊ से- 670 Km
- वाराणसी से- 1005 Km
- द्वारकाधीश से- 1875 Km
- नासिक से- 1760 Km
हेलीकॉप्टर हेली सेवा की सुविधा
बद्रीनाथ धाम जाने के लिए हेलीकॉप्टर की भी अच्छी सुविधा हैं, जो की विभिन्न स्थानों से शुरू की जाती हैं। यह प्राइवेट हेली सेवा हैं,
जो कि मौसम पर आधारित हैं अर्थात अगर मौसम सही हैं तो यह सेवा आपको मिलेगी और इसके लिए बुकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से की जा सकती हैं।
मेरी राय हैं कि इस सुविधा का लाभ आप ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से लेंगे तो बेहतर होगा और इसके लिए चारधाम की बुकिंग साइट जो कि-
GMVN की ऑथोराइज़्ड साइट-
https://heliservices.uk.gov.in/ से बुकिंग कर सकते हैं। किराया जानने के लिए साइट को विजिट कर सकते हैं।
रुकने की व्यवस्था
बद्रीनाथ धाम में रुकने के लिए वैसे तो प्राइवेट होटल, धर्मशाला, लॉज इत्यादि की भरमार हैं, यहाँ होटल बजट से थोड़ा महंगा पड़ सकता हैं, जो पूरी तरह से सीजन पर डिपेंड करता हैं,
परन्तु सबसे सस्ता तरीका गढ़वाल मंडल विकास निगम (gmvn) की साइट पर जा कर रुकने के लिए रूम या डॉरमेट्री को बुक कर सकते हैं।
यहाँ भी मेरी यही राय हैं कि ऑनलाइन बुकिंग करा कर आये तो सबसे अच्छा रहेगा।
खाने-पीने की सुविधा
खाने-पीने के लिए यहाँ कई रेस्टोरेंट, ढाबा बने हैं जहाँ पर नाश्ता, लंच से लेकर डिनर की अच्छी सुविधा हैं। यहाँ पर खाने के लिए थोड़ा अधिक चार्ज देना पड़ सकता हैं।
आप यहाँ पर अपने बजट के अनुरूप शुद्ध शाकाहारी भोजन कर सकते हैं। उत्तर भारतीय व्यंजन के साथ ही दक्षिण भारतीय व्यंजन का पूरा लुत्फ़ उठा सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम के नज़दीक घूमने वाले स्थान
आप बद्रीनाथ धाम यात्रा के दौरान चोपता और वहाँ पर तुंगनाथ मन्दिर (176 Km), गोविंदघाट (25 Km) से हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी तथा सबसे नजदीक मन्दिर से मात्र 3 से 4 Km की दूरी पर स्थित माना गांव या माणा गांव जो कि भारत का आखरी गांव हैं को भी घूम सकते हैं।
Tripghumo परिवार का सुझाव
सबसे अच्छा और सस्ता तरीका बद्रीनाथ धाम जाने के लिये, जो कि मेरा व्यक्तिगत अनुभव है यानी मैंने स्वयं यहाँ का सोलो यात्रा किया हैं।
हाँ, मेरी माने तो आप यहाँ पर 15 सितम्बर से 15 नवम्बर तक में जाने का प्लान करें क्योंकि इस समय यहाँ ज्यादा भीड़ नही रहती हैं।
वैसे बद्री-विशाल मन्दिर दर्शन के लिए जाने का कई माध्यम हैं, लेकिन मेरी राय में यात्रा को सस्ता और सुगम बनाने के लिए सर्वप्रथम आप हरिद्वार या ऋषिकेश पहुँच कर उत्तराखंड परिवहन की सरकारी बस से आप पिपलकोठी आ जाइये और वहाँ पर नाईट- स्टे कर लीजिए यहाँ पर आपके बजट में आने वाले कई होटल मिलेंगे और सस्ता खाने की भी व्यवस्था हैं।
अगले दिन सुबह आप तैयार होकर पुनः बस से या निजी साधन के द्वारा बद्रीनाथ धाम पहुँच कर दर्शन करके उसी दिन सीधे बस से वापस ऋषिकेश या हरिद्वार आ सकते हैं।
आशा करता हूँ कि आज की जानकारी आपके बद्रीनाथ धाम ट्रिप के लिये पर्याप्त हैं, तो आप अपनी यात्रा पर तीर्थ करने कब जा रहे हैं? कमेंट कर के जरूर बताइएगा।
यात्रा का अनुभव साझा करें