आज का ट्रिप भारत के दूसरे सबसे बड़े सूर्य मंदिर के लिए हैं, जहाँ दर्शन करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
सही सुना आपने भारत का दूसरा बड़ा सूर्य मंदिर हैं, तो आपको यहाँ पर यह भी बताते चलें कि भारत का पहला यानी सबसे बड़ा सूर्य मंदिर ओडिसा राज्य में स्थित "कोणार्क सूर्य मंदिर" हैं, जिसे "Black Pagoda" के नाम से भी जानते हैं।
आपका देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत हैं, जी हाँ, दोस्तो मैं आपका सोलो यात्री आज आपको इस प्राचीन मंदिर के छोटे से बड़े सभी पहलुओं पर चर्चा करते हुए आपको यहाँ कब जाना चाहिए से लेकर आपका बजट प्लान क्या होना चाहिए पर बात करेंगे।
कटारमल सूर्य मंदिर
यह मंदिर उत्तर भारत के राज्य उत्तराखंड के जिला अल्मोड़ा में स्थित हैं। अगर अल्मोड़ा शहर से इस मंदिर की दूरी की बात करें तो लगभग 18 से 20 Km की दूरी हैं, जो निजी साधन, टूव्हीलर, टैक्सी और बस के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
सूर्य मंदिर का इतिहास
लगभग 7 वीं शताब्दी से 9 वीं शताब्दी के मध्य अल्मोड़ा पर कत्यूरी वंश का शासन था और इसी वंश के प्रसिद्ध राजा कटारमल ने इस विशाल और अद्भुत मंदिर का निर्माण करवाया था।
आपको यह भी बताते चले कि अल्मोड़ा में जागेश्वर धाम शिव मंदिर का निर्माण भी इसी कत्यूरी वंश के शासकों द्वारा ही कराया गया था।
कटारमल सूर्य मंदिर का चमत्कार
यह मंदिर छोटे-बड़े कुल 45 मंदिरों का समूह हैं। इसकी खूबसूरती का वर्णन मंदिर के विशाल शिखर और नक्काशीदार बने इमारतों से किया जा सकता हैं।
इस मंदिर की सबसे ख़ास बात इसकी वास्तु शैली अर्थात यह इस प्रकार से बनाया गया हैं कि पूरे वर्ष भर में केवल दो बार ही सूर्य की किरणें इस मुख्य मंदिर यानी सूर्य मंदिर के गर्भगृह में पड़ती हैं।
एक बार सूर्य की किरण 22 अक्टूबर को जब सूर्य देवता उत्तरायण से दक्षिणायन होते हैं तब पड़ती हैं तो वही दूसरी बार 22 फरवरी को जब सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं तब किरण मन्दिर के गर्भगृह में स्थित मुख्य प्रतिमा पर पड़ती हैं।
इस अलौकिक संयोग और चमत्कारी घटना को देखने के लिए हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ मन्दिर परिसर में उमड़ती हैं।
मंदिर दर्शन करने कब जाये - सही समय
वैसे तो मन्दिर पूरे वर्ष खुला रहता हैं और लाखो की संख्या में श्रद्धालुओं के द्वारा दर्शन किया जाता हैं।
लेकिन सर्वाधिक भीड़ गर्मी के समय यानी अप्रैल माह से लेकर जून माह तक होती हैं क्योंकि जुलाई और अगस्त में यहाँ बरसात का मौसम शुरू हो जाता हैं जिसके चलते हिल स्टेशनों पर फिसलन और कई प्राकृतिक घटनाएं होने की आशंका जताई जाती हैं।
सितंबर से नवंबर तक भी सैलानियों के द्वारा अल्मोड़ा को विजिट किया जाता हैं, तो जो भी अल्मोड़ा आयेगा तो बिना इस दिव्य मन्दिर के दर्शन किये बिना तो नही जाता हैं।
कटारमल सूर्य मंदिर कैसे पहुँचे?
आपको इस मंदिर पर जाने के लिए अल्मोड़ा आना होगा। अल्मोड़ा आप निजी साधन, टैक्सी या बस के द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।
अल्मोड़ा से यह मन्दिर मात्र 18 से 20 Km की दूरी पर स्थित हैं। आपको यह बताते चले कि अल्मोड़ा का अपना कोई न तो रेलवे स्टेशन हैं और न तो अपना एयरपोर्ट हैं।
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन हैं, जहाँ से अल्मोड़ा लगभग 90 Km की दूरी पर स्थित हैं। इस स्टेशन पर उतर कर प्राइवेट टैक्सी बुक कर के या बस से अल्मोड़ा जाया जा सकता हैं।
इसी स्टेशन से ही सैलानी उतर कर नैनीताल हिल स्टेशन घूमने और नीम करोली बाबा के दर्शन करने जाते हैं।
यदि एयरपोर्ट की बात करें तो अल्मोड़ा से लगभग 120 Km की दूरी पर स्थित पंतनगर हवाई अड्डा हैं, जो बहुत बड़ा नही हैं। यहाँ से Domestic Flight ही उड़ान भरती हैं।
रुकने की व्यवस्था क्या है
इस मंदिर से सबसे नजदीक अल्मोड़ा हैं और याब एक हिल स्टेशन हैं तो आपको यही पर रुकने के लिए धर्मशाला, होटल, होम-स्टे, डॉरमेट्री जैसी सुविधा मिल जाएगी।
आप अपने बजट के अनुसार कोई भी विकल्प चुन कर रुक सकते हैं। होटल आपको 700 से लेकर 5000 तक या उससे ऊपर के टैरिफ वाले मिल जायेंगे।
अल्मोड़ा का बजट प्लान क्या होगा?
अल्मोड़ा एक छोटा हिल स्टेशनों में शामिल हैं। चूंकि यहाँ सीधे पहुँचने की व्यवस्था नही हैं तब भी प्रति व्यक्ति आपको 5000 से 7000 में बहुत आसानी से अल्मोड़ा को घूम सकते हैं।
आपको यहाँ का टूर प्लान 2 Nights & 3 Days का बनना चाहिए जो सबसे अच्छा होगा यहाँ के मन्दिर को घूमने और लोकल साइट्स घूमने के लिए। बहुत सारे पॉइंट्स तो आप पैदल हाईकिंग करके तो कुछ ट्रैकिंग करके भी आसानी से विजिट कर सकते हैं।
कटारमल में खाने-पीने की व्यवस्था
आपको पूरे अल्मोड़ा में या मन्दिर के रास्ते पर ढाबा, रेस्टोरेंट, लाइन होटल मिल जायेंगे। पहाड़ी इलाकों के कारण खाने- पीने की वस्तुएं महँगी मिलेंगी। स्ट्रीट फूड आप एन्जॉय कर सकते हैं, जो सस्ता विकल्प हो सकता हैं।
आप पहाड़ी क्षेत्रों में जाये तो कम से कम स्ट्रीट फूड जरूर टेस्ट करिये क्योंकि इसी के कारण लोकल लोगो की आजीविका चलती हैं। स्ट्रीट फूड में आपको फ्रूट जूस और फ्रूट सलाद, मैगी, भुट्टा इत्यादि अत्यधिक देखने को मिलेगा।
तब आप कब जा रहे है कटारमल मन्दिर के दर्शन करने? और यदि आप पहले यहाँ का ट्रिप प्लान कर चुके हैं तो अपना अनुभव मेरे साथ जरूर शेयर करिये अपने कमेंट्स भेज कर।
धन्यवाद।
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