अपने भारत में विविध प्रकार के मंदिर, मठ या अनेक धर्मिक स्थलों की स्थापना हुई हैं। सभी के अपने अलग- अलग इतिहास और कहानियां हैं।
ऐसे में, आज आपको एक ऐसे माता जी के मन्दिर के बारे में बताने जा रहा हूँ, जो हिन्दू सनातनियों और भक्तों के मध्य में अत्यधिक प्रसिद्ध हैं और इस मंदिर को "माँ धारी देवी धाम मन्दिर" के नाम से जानते हैं।
मैं आज देवभूमि उत्तराखंड में जब चारधाम में से दो धाम, केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर था, तो रास्ते में केदारनाथ धाम जाते हुये मुझे हज़ारों भक्तों की भीड़ माता जी के जयकारा लगाते हुये लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करते हुऐ दिखाई दिये।
आश्चर्यजनक भीड़ को देख कर अपने ड्राइवर से पूछ बैठा कि यह कैसा मन्दिर हैं? जहाँ पर श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ हैं।
तब ड्राइवर से मिली जानकारी पर मन में माता के दर्शन करने की लालसा जाग उठी और हम लोग भी दर्शन करने के लिये लाइन में लग गये और इतनी दूर से आने के बाद यदि दर्शन नही करते तो मेरी समझ से हमलोग की यह यात्रा अधूरी रह जाती।
यह मन्दिर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के मध्य ही प्रसिद्ध शक्तिपीठ में से एक पीठ के रूप में स्थापित हैं। यहाँ प्रत्येक वर्ष नवरात्र के दिनों में बहुत ज्यादा भीड़ देखने को मिलती हैं।
इस शक्तिपीठ को "माँ धारी देवी मंदिर" के नाम से जानते हैं। यह मन्दिर कई चमत्कार से परिपूर्ण हैं। आगे हम सभी इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
एक चमत्कारी माता जी का मन्दिर यह भी हैं
माँ मुंडेश्वरी धाम, भभुआ (बिहार), यह मन्दिर भी चमत्कारी मंदिरों में से एक प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहाँ आपको निम्न चमत्कार देखने को मिल जायेंगे-
- मंदिर के अंदर मुख्य गर्भगृह में शिव जी का एक शिवलिंग स्थापित हैं, जिसका रंग दिन चारो प्रहर में कई बार बदलता रहता हैं।
- पूरे दुनिया में यह मंदिर अनोखा है क्योंकि यहाँ सात्विक बलि दिया जाता हैं।
अब आप कहेंगे कि सात्विक बलि किसे कहते हैं? तो माँ मुंडेश्वरी धाम की पूरी जानकारी के लिए मेरे इस लेख - "माँ मुंडेश्वरी धाम दर्शनीय स्थल एवं ऐतिहासिक धरोहर" को जरूर पढ़ें।
Note- एक अनोखा मन्दिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हैं। जब आप गंगा किनारे बसे पवित्र और धार्मिक नगर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के समीप एक मन्दिर "रत्नेश्वर महादेव" हैं। यहाँ पूजा नही होता और न ही कोई धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन। विस्तृत जानकारी के लिए यह लेख पढ़ें - "रत्नेश्वर महादेव मंदिर मणिकर्णिका घाट जहाँ कभी भी पूजा-पाठ नही होता हैं"।
हम बात कर रहे थे माता धारी देवी के मन्दिर कि तो सर्वप्रथम हम आपको इस मंदिर तक पहुँचने का मार्ग बतायेंगे।
मन्दिर तक कैसे पहुँचे?
मन्दिर तक पहुँचने के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन योगनगरी ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून हैं। यह तीनों रेलवे स्टेशन भारत के मुख्य नगरों से ट्रेन के द्वारा जुड़े हुये हैं।
आप यहाँ तीनो में से किसी भी रेलवे स्टेशन पर उतर कर अपनी मंदिर जाने की यात्रा को शुरू कर सकते हैं।
अगर बात करे नज़दीकी एयरपोर्ट की तो देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट हैं, जहाँ से माँ धारी देवी का मन्दिर लगभग 135 Km की दूरी पर स्थित हैं।
यदि सड़क मार्ग की बात करें तो भारत के सभी स्थानों से जुड़ा हुआ हैं। जब भी हम देहरादून, ऋषिकेश या हरिद्वार पहुँचते हैं, तो सरकारी बस या टैक्सी या फिर निजी साधन के द्वारा इस मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता हैं।
अन्य प्रमुख स्थानों से मन्दिर की दूरी
देहरादून से- 160 Km
हरिद्वार से- 143 Km
ऋषिकेश से- 120 Km
देवप्रयाग से- 48 Km
श्रीनगर से- 14 Km
रुद्रप्रयाग से- 20 Km
चोपता से- 42 Km
केदारनाथ धाम से- 111 Km
बद्रीनाथ धाम से- 170 Km
माना (माणा) गांव से- 174 Km
अल्मोड़ा से- 209 Km
लखनऊ से- 640 Km
वाराणसी (काशी) से- 960 Km
Note- मन्दिर में लोकल श्रद्धालुओं की भीड़ तो हमेशा रहती ही हैं, जबकि चार धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं में अधिकतर जो केदारनाथ मंदिर या बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर जाते हैं, तो बिना मन्दिर में दर्शन किये हुये आगे की यात्रा नही शुरू करते हैं।
माँ धारी देवी मंदिर का महत्व
इस मंदिर का इतिहास द्वापरयुग का हैं। वर्तमान में यह मन्दिर ऋषिकेश से माना (भारत का अंतिम गांव माना या माणा) तक जाने वाली मार्ग NH - 7 (पुराना NH 58) पर श्रीनगर से रुद्रप्रयाग के मध्य ही श्रीनगर से मात्र 14 Km की दूरी पर कलियांसौड़ नामक गांव में (जिला- रूद्रप्रयाग) मुख्य रोड के समीप लगभग 400 से 500 मीटर नीचे की तरफ उतर कर अलकनंदा नदी में भव्य रूप से बने मन्दिर की संरचना वाले भवन में स्थापित हैं।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की देवी माता धारी देवी स्वयं चारधाम और उत्तराखंड की रक्षा करती हैं। 2013 में एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बनाने के अनुक्रम में इस मंदिर को तत्कालीन स्थान से हटा कर कही और स्थापित करने का कार्य किया गया था।
तभी कुछ घण्टो के भीतर ही उत्तराखंड में 2013 की भारी तबाही हुई थी। लोगो ने इस त्रासदी का कारण मन्दिर के साथ हुए बदलाव या स्थान परिवर्तन को बताया।
तब जाकर पुनः विधि विधान के साथ माता की पूजा और अर्चना कर के पुराने वाले जगह पर ही स्थापित कर दिया। तब से अभी तक वही पर पूजन और धार्मिक अनुष्ठान किया जाता हैं।
माँ धारी देवी मन्दिर में होने वाला चमत्कार
- माँ धारी देवी माता को बन्द मन्दिर में न रख कर जहाँ पर विराजमान हैं उसके ऊपर की छत नही होती हैं अर्थात मेरे कहने का तात्पर्य यह हैं कि माता खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं।
- माँ धारी देवी का केवल आधा शरीर ही इस मंदिर में विद्यमान हैं, जबकि शेष आधा भाग रूद्रप्रयाग जिले में स्थित "कालीमठ" में स्थापित हैं।
- जब आप मन्दिर में माता धारी देवी की मूर्ति को देखेंगे तो यह पायेंगे कि दिन भर में यह मूर्ति अपना रूप- रंग बदलती हैं अर्थात दिन भर में माता जी की मूर्ति तीन अलग-अलग रूपों में दिखाई देती हैं
सुबह में माता जी- 'कन्या' के रूप में, दोपहर में माता जी- 'युवती' के रूप में, शाम में माता जी- 'वृद्ध' के रूप में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं।
धारी देवी मन्दिर का समय और प्रसाद
धारी देवी मन्दिर में वर्ष भर कभी भी आ सकते हैं लेकिन चारधाम की यात्रा के समय कुछ ज्यादा ही भीड़ देखने को मिल जायेगा। प्रत्येक वर्ष में अप्रैल माह से लेकर नवंबर माह तक तो अत्यधिक भीड़ होता हैं।
धारी देवी मन्दिर प्रतिदिन सुबह लगभग 6:00 बजे से लेकर रात्रि 8:00 बजे तक खुला रहता हैं। माता जी के दरबार में रोज़ ज़बरदस्त भीड़ होती हैं, लेकिन शारदीय नवरात्रि और बसंत के नवरात्रि में अधिक भक्त आते हैं पूजा करने और अपनी मनौती को मांगने।
यहाँ प्रसाद में नारियल, लाचीदाना, चुन्नी, कर्पूर, धूपबत्ती, दीपक के साथ ही श्रृंगार के वस्तुओं ( जैसे- सिंदूर, बिंदी, कंघी, काजल इत्यादि) को भी चढ़ाया जाता हैं।
धारी देवी मन्दिर के पास रुकने और खाने-पीने का स्थान
मन्दिर परिसर के पास तो वैसे कोई धर्मशाला या होटल नही हैं, लेकिन मन्दिर से कुछ दूरी पर या तो श्रीनगर या फिर रूद्रप्रयाग में आपको रुकने के लिए कई सस्ते धर्मशाला, होटल, लॉज, मोटल, होम-स्टे बजट के अनुरूप मिल जायेंगे।
वही दूसरी तरफ आपके ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर के लिये अनेक रेस्टोरेंट, ढाबा, फैमिली रेस्टोरेंट जैसे ऑप्शन मिल जायेंगे। उत्तराखंड में खाने- पीने की चीजें न ज्यादा महंगी हैं और न ही ज्यादा सस्ती हैं।
आज की जानकारी आपको कैसी लगी, हमे कमेंट्स कर के जरूर बताइयेगा। आगे किसी और नये इन्फॉर्मेशन वाले लेख के साथ मुलाकात होगी तब तक के लिए - जय माता दी
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