आप हैरान हो जायेंगे यह सुनकर की उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में काशी अर्थात वाराणसी में विश्व का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) बना हैं, जिसे आप स्वर्वेद महामंदिर के नाम से जानते हैं।
इस मंदिर में किसी भी देवी-देवता की पूजा नही होती हैं बल्कि योग साधना पर ध्यान केंद्रित किया जाता हैं।
आज हम आपको वाराणसी में ही स्थित इस अनोखे मंदिर के दर्शन कराने ले चल रहे हैं, जो अद्धभुत और अद्वितीय वास्तु शैली में बना हुआ हैं।
स्वर्वेद मंदिर 7 मंजिला बना हुआ एक ध्यान साधना केंद्र हैं
आपको जानकर आश्चर्य लगेगा कि इस मेडिटेशन सेंटर में एक साथ लगभग 20000 लोग ध्यान लगा सकते हैं। इस मंदिर के केंद्र में श्री सदाफल देव महाराज की एक भव्य प्रतिमा लगी हुई हैं।
सदाफल देव महाराज जो कि एक संत हैं और उनकी लिखी हुई पुस्तक ग्रंथ स्वर्वेद के श्लोक या दोहों को मंदिर के दीवारों पर उत्कीर्ण किया गया हैं।
पूरा मंदिर गुलाबी पत्थर से नक्काशीदार बनाया गया हैं जो थोड़ी दूर हो कर के देखने पर कमल की पंखुड़ियों के समान दिखाई देती हैं।
आपको एक बार पुनः हम बता दे कि इस मंदिर में पूजा अर्चना न होकर केवल ध्यान साधना किया जाता हैं और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति की जाती हैं।
यहाँ आपको यह भी बताते चले कि इस मंदिर को बनाने में श्री सदाफल देव महाराज आश्रम की भूमिका हैं। इस मंदिर की नींव 2004 में रखी गई थी।
इसकी विशालतम और भव्यता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब यह मंदिर बन कर तैयार हुआ है तो इसका उद्धघाटन स्वंय वर्तमान भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया था।
स्वर्वेद मंदिर कहाँ स्थित हैं?
यह स्वर्वेद महामंदिर वाराणसी जिले में उमरहां गांव, Mudli में स्थित हैं, जो वाराणसी-गाज़ीपुर मार्ग से सटा हुआ स्थापित हैं। अगर दूरी की बात करें तो वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से लगभग 20 Km की दूरी पर यह मन्दिर स्थित हैं।

लगभग 10 Km की दूरी पर वाराणसी-गाज़ीपुर मार्ग का प्रसिद्ध आशापुर चौराहा हैं, जहाँ से सारनाथ के लिए और तिलमापुर गांव में रंगीन दास पोखरा के पास स्थित प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर भी स्थित हैं।
कई सैलानी और श्रद्धालुओं के द्वारा उस क्षेत्र में जाने पर माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर और स्वर्वेद महामंदिर दोनों जगहों के दर्शन करके आते हैं।
यदि आपके पास समय होता हैं तो सारनाथ बौद्ध स्थल और सारंगनाथ महादेव के भी दर्शन करके आते हैं।
स्वर्वेद महामंदिर धाम कैसे पहुँचे?
आपको मंदिर पर जाने के लिए वाराणसी पहुँचना होगा जो आप अपने बजट के अनुसार यानी ट्रेन, बस, हवाई जहाज के माध्यम से जा सकते हैं।
यदि आप ट्रेन से वाराणसी जाते हैं तो आप वाराणसी कैंट, वाराणसी सिटी, बनारस, काशी और सारनाथ जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशन पर अपनी ट्रेन की सुविधा के अनुसार उतर सकते हैं।
यदि आप हवाई जहाज से सफर करने वाले हैं तो आप बाबतपुर एयरपोर्ट पर उतरेंगे। रोडवेज बस की सुविधा ले रहे है तो वाराणसी कैंट पर स्थित बस स्टैंड पर उतरेंगे।
यदि आप गाज़ीपुर की तरफ से आ रहे है तो बस से बहुत आसानी से मन्दिर के पास ही उतर सकते हैं।
अब आप जब वाराणसी आ चुके हैं तो आपको टैक्सी बुक करके या फिर टैम्पो की मदद से पांडेयपुर या आशापुर आना होगा या फिर वहाँ से लोकल टैक्सी या टैम्पो की मदद से मन्दिर जा सकते हैं।
एक विकल्प यह भी हैं कि वाराणसी आकर आप एक टैक्सी या टैम्पो बुक करके भी मन्दिर का दर्शन कर सकते हैं।
आप अपने शहर से अपने निजी साधन या टैक्सी को बुक करके अपनी यात्रा को अत्यधिक सुगम बना सकते हैं।
मन्दिर का समय
यह मन्दिर ध्यान साधना केंद्र सप्ताह के सातों दिन सुबह 8:00 बजे से रात्रि 7:00 बजे तक खुलता हैं। आप अपने सुविधा के अनुसार यहाँ आकर ध्यान और योग में मन केंद्रित कर सकते हैं।
मन्दिर के पास रुकने की व्यवस्था
मन्दिर के पास या मुख्य मार्ग पर या आशापुर या सारनाथ नही तो वाराणसी में अनेक धर्मशाला, होटल, मोटल, लॉज और होम- स्टे बने हुए हैं, जहाँ पर आप अपने बजट और सुविधा के अनुसार रुक सकते हैं।
खाने-पीने की क्या व्यवस्था हैं?
मन्दिर परिसर के अंदर ही बड़े-बड़े भोजनालय और कैंटीन बने हुए हैं, जहाँ पर सभी श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के प्रसाद या भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
समय-समय पर लंगर की व्यवस्था होती रहती हैं, जबकि भण्डारा का आयोजन प्रतिदिन होता रहता हैं।
आप वाराणसी आये हुए हैं तो ध्यान दीजियेगा की आपको खाने-पीने की कोई भी परेशानी नही होने वाली हैं क्योंकि इस क्षेत्र में सारनाथ जैसी विश्व विख्यात धरोहर स्थित हैं तो आपको तमाम तरह के रेस्टोरेंट, ढाबा, लाइन होटल और जगह जगह पर स्ट्रीट फूड की सुविधा मिल जायेगी जहाँ पर आप अपना ब्रेकफ़ास्ट, लंच, डिनर सब कर सकते हैं।
आशा करता हूँ कि आपको आज की जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी तो आप हमें कमेंट्स करना मत भूलियेगा।
धन्यवाद।
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