जब सुबह मैं सोलो ट्रिप पर चलते हुए योगनगरी ऋषिकेश के रेलवे स्टेशन पर पहुँचा, तो स्टेशन का नज़ारा देख कर मेरी आँखें खुली रह गई।
स्टेशन के भीतर का आन्तरिक सजावट और डिज़ाइन वाकई मंत्र मुग्ध करने वाली हैं। जब हम बाहर निकले तो वहाँ का दृश्य और भी लोकलुभावन था। इतना सुंदर पार्क तो किसी भी स्टेशन का नही देखा था।
अनेक देशी- विदेशी प्रजातियों वाले फूल और पौधों को देख कर मुख से केवल वाह! ऋषिकेश ही निकलता हैं। प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली के साथ खुले आसमान तथा दूर से दिखाई देते पहाड़ो की श्रृंखला हमें मानो कह रहे हो कि-
"ऋषिकेश की पावन भूमि पर आपका स्वागत हैं"
ऋषिकेश की वर्तमान स्थिति
देवभूमि उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में स्थित ऋषिकेश वर्तमान में तहसील हैं। इसे "भारत ही नही विश्व का योगनगरी" या "योग की राजधानी" के नाम से भी पुकारते हैं।
यह हरिद्वार से 26 Km और देहरादून जिला मुख्यालय से मात्र 40 Km की दूरी पर गंगा नदी के किनारे तट पर बसा हुआ प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक हैँ। ऋषिकेश को गढ़वाली हिमालय क्षेत्र और चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार भी कहते हैं।
आप यही से यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम आसानी से और सीधे मार्ग से जा सकते हैं। केदारनाथ मन्दिर तो द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योर्तिलिंग हैं।
हरिद्वार में तो महाकुंभ का भी आयोजन होता हैं, जो प्रत्येक 12 वर्षो पर हर की पौड़ी क्षेत्र में आयोजित किया जाता हैं।
भारत की आस्था और संस्कृति का प्रतीक महाकुंभ कुल चार स्थानों में हरिद्वार के साथ ही प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में भी प्रत्येक 12 वर्षो पर अयोजित किया जाता हैं।
ऋषिकेश एडवेंचर गतिविधियों की भूमि है
ऋषिकेश की धरती हमेशा से ही धार्मिक महत्व के साथ - साथ रोमांचकारी एक्टिविटी और खेलों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
यहाँ आप अनेक एडवेंचर से भरे गतिविधियों को कर के आनन्द की अनुभूति कर सकते हैं। आप ऋषिकेश आ कर के निम्न एडवेंचर कर सकते हैं-
- रिवर राफ्टिंग
- कैंपिंग
- पैराग्लाइडिंग
- बंजी जंपिंग
- पैरासेलिंग
- ट्रैकिंग
- धार्मिक ट्रैकिंग
- हाईकिंग
- कॉटेज में रहने का आनंद
- हैंग ग्लाइडिंग
ऋषिकेश घूमने कब जाये - जाने का सही मौसम
ऋषिकेश को साधुओं, संतो तथा ऋषियों की तपोभूमि कहा जाता हैं। यहाँ वर्ष भर कोई न कोई धार्मिक अनुष्ठान या कार्यक्रम होते रहते हैं तो इसीलिए यहाँ हमेशा सैलानियों, श्रद्धालुओं, देशी या विदेशी पर्यटकों का आना- जाना लगा रहता हैं।
आप ऋषिकेश कभी भी वर्ष में आ सकते हैं। लेकिन जब बारिश का मौसम हो तो ऋषिकेश आने से बचे, यानी जुलाई से सितम्बर तक यहाँ लगभग बारिश का समय रहता हैं।
सबसे अच्छा आने का समय अक्टूबर माह से मई या जून माह तक देशाटन के लिए आने का उपयुक्त मौसम हैँ।
ऋषिकेश कैसे पहुँचे?
ऋषिकेश पहुँचना बहुत आसान हैं क्योंकि ऋषिकेश का अपना खुद का रेलवे स्टेशन हैं, जहाँ पर भारत के कई हिस्सों से सीधे ट्रेन की सुविधा हैं।
रेलवे स्टेशन से मात्र 3 से 4 Km की दूरी पर ही ऋषिकेश शहर आ जाता हैं अर्थात रामझूला टेम्पो और टैक्सी स्टैंड।
दूसरे विकल्प में नज़दीकी हवाई अड्डा देहरादून का हैं- जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, जो ऋषिकेश से मात्र 25 Km की दूरी पर स्थित हैं।
अब बात करते हैं तीसरे और सबसे ज्यादा प्रयोग में होने वाले विकल्प की यानी सड़क मार्ग से भी आप आसानी से ऋषिकेश पहुँच सकते हैं, जो भारत के प्रमुख नगरों को सीधे ऋषिकेश से जोड़ता हैं।
भारत के प्रमुख नगरों से ऋषिकेश की दूरी
- मोहनचट्टी से- 25 Km
- देवप्रयाग से- 73 Km
- माना गांव से- 295 Km
- गौरीकुण्ड से- 215 Km
- अल्मोड़ा से- 321 Km
- दिल्ली से- 262 Km
- लखनऊ से- 530 Km
- प्रयागराज से- 730 Km
- वाराणसी से- 850 Km
- चित्रकूट से- 864 Km
- उज्जैन से- 1010 Km
ऋषिकेश को योगनगरी क्यों कहा जाता हैं?
ऋषिकेश में अनेक स्थान ऐसे हैं, जो योग की शिक्षा देते हैं, जिसमें योग विद्यालय से लेकर और भी प्रमुख छोटे से बड़े संस्थान हैं, जैसे- ऋषिकेश योग संस्थान, योग प्रशिक्षण केंद्र, हिमालयन योगा असोसिएशन इत्यादि प्रमुख हैं।
विभिन्न योग संस्थानों के अलावा ऋषिकेश में कई आश्रम ऐसे हैं, जो पर्यटकों या विद्यार्थियों को निःशुल्क योग की शिक्षा देते हैं, जैसे रामझूला के समीप शिवानंद आश्रम या परमार्थ निकेतन में योग से सम्बंधित कई कार्यक्रम हमेशा चलाये जाते हैं।
ऋषिकेश में घूमने के प्रसिद्ध पर्यटक व धार्मिक स्थल
ऋषिकेश में घूमने के कई स्थान हैं। यही से उत्तराखंड की चारधाम यात्रा (छोटा चारधाम) की शुरुआत होती हैं, तो दूसरी तरफ ऋषिकेश से ही उत्तराखंड के पंचप्रयाग के दर्शन की भी शुरुआत होती हैं।
यदि कुल मिला कर देंखेंगे तो, ऋषिकेश को चारधाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ) तथा पंचप्रयाग (देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, विष्णुप्रयाग) का प्रवेश द्वार कहा जाता हैं।
स्थानीय स्तर पर तथा 20 Km के दायरे में आपको कई रोचक तथ्य वाले स्थान और धार्मिक स्थल मिलेंगे, जैसे-
नीलकंठ महादेव
ऋषिकेश से मात्र 25 Km की दूरी पर पहाड़ी पर नीलकंठ महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित हैं। जहाँ पर शेयर टैक्सी, निजी साधन, से पहुँचा जा सकता हैं।
कुछ श्रद्धालु सावन मास में पैदल यात्रा करते हैं इस 25 Km की जिसे आम बोलचाल में ट्रैकिंग कहते हैं या फिर मेरी भाषा में यह धार्मिक ट्रैकिंग कहलाती हैं।
इस मंदिर का अपना अलग इतिहास हैं। आप को समुंद्र मंथन वाली कहानी तो पता ही होगी कि इस मंथन में हलाहल विष भी निकला था, जिसे किसी ने भी लेने से मना कर दिया था।
तब भोले बाबा ने स्वयं इस विष का पान कर लिये जिससे कि भोलेनाथ का शरीर नीला पड़ गया तब से श्री शिव जी नीलकंठ महादेव कहलाये।
मन्दिर के पास ही एक प्राकृतिक झरना हैं, जहाँ पर बहुत से भक्तगण स्नान करके मन्दिर में दर्शन करने जाते हैं।
मोहनचट्टी गांव
ऋषिकेश से लगभग 23 से 25 Km की दूरी पर स्थित मोहनचट्टी गांव हैं, जहाँ पर देशी और विदेशी पर्यटक जा कर बंजी जंपिंग जैसे रोमांचकारी खेल गतिविधि को करते हैं।
अगर आप एडवेंचर खेल के मुरीद हैं, तो यह जगह आपके फायदे वाली हैं। आप यहाँ जरूर विजिट करें।
मुनि की रेती
यह स्थान ऋषिकेश नगर का मुख्य केंद्र हैं, जो गंगा नदी के किनारे स्थित हैं। इसी क्षेत्र के अंतर्गत कई आश्रम जैसे स्वर्गाश्रम, परमार्थ निकेतन, गीता भवन, शिवानंद आश्रम या अन्य योग साधना केंद्र स्थित हैं।
यहाँ कुछ घाट तो अभी भी कच्चे घाट के रूप में हैं, जिसके पास लोग योग और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए साधना करते हैं।
खुले आसमान और गंगा नदी की सफेद रेत पर जब सूर्य की किरण पड़ती हैं, तो मानो पूरा क्षेत्र स्वर्णिम हो जाता हैं।
कुछ लोग यहाँ स्नान करते हुए तो कुछ लोग रिवर राफ्टिंग का आनंद लेते हुये मिल जायेंगे। यहाँ रोजगार के लिए बहुत से लोग स्ट्रीट फूड के छोटे- छोटे स्टॉल या दुकान लगाये हुये मिल जायेंगे।
आप इन दुकानों पर लोकल फ़ूड को एन्जॉय कर सकते हैं।
राम झूला पुल
राम झूला, ऋषिकेश में "मुनि की रेती" क्षेत्र में गंगा नदी पर झूलता हुआ पुल हैं। यह एक लोहे का पुल हैं, जो एक तरफ शिवानंद आश्रम को दूसरी तरफ स्वर्गाश्रम से जोड़ता है।
यह दिखने में हूबहू लक्ष्मण झूला की तरह है। राम झूला रूपी पुल की लंबाई लगभग 225 से 230 मीटर का हैं।
रात्रि के समय में इस पुल के रस्से पर लगाये गए लाइटें जब जलती हैं, तो दूर से ही इसकी छटा देखने लायक बनती हैं।
इस झूला रूपी ब्रिज पर से केवल पैदल यात्रा किया जाता हैं और दो पहिये वाहन तक चलने की इजाजत हैं।
जानकी झूला पुल
राम झूला, लक्ष्मण झूला की तर्ज पर तथा राम झूला का भीड़ कम करने के उद्देश्य से लगभग 340 मीटर लंबा यह पुल मुनि की रेती में एक तरफ में पूर्णानंद की दूसरी तरफ में स्वर्गाश्रम के वेद निकेतन को जोड़ता हैं।
राम झूला से लगभग 1.5 Km की दूरी पर स्थित इस आधुनिक ब्रिज का निर्माण मोटर वाहन को ध्यान में रख कर किया गया हैं।
जिस प्रकार से हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे और धारा पर कई प्लेटफार्म जैसे घाट बने हैं, तो दूसरी ओर कई ब्रिज का निर्माण किया गया हैं।
ठीक उसी तरह से ऋषिकेश में भी वर्तमान में कुल तीन झूलता हुआ पुल बना हुआ हैं।
लक्ष्मण झूला पुल
प्रभु राम जी के अनुज भ्राता श्री लक्ष्मण जी के नाम पर इस पुल का नामकरण किया गया हैं। इस पुल के एक तरफ श्री लक्ष्मण जी का मन्दिर तो पुल के एक तरफ श्री राम जी का मन्दिर बना हुआ हैं।
यह पुल हूबहू राम झूला की तरह लोहे का बना हुआ हैं। लक्ष्मण झूला, राम झूला से प्राचीन हैं।
यह झूला, राम झूला से लगभग 2.0 Km की दूरी पर, हरिद्वार की तरफ बढ़ने पर बना हुआ हैं। यह भी रात में लाइट जलने पर सुंदर दिखता हैं।
अधिकतर लोग राम झूला से गंगा नदी के किनारे पैदल चलते हुये अरे मेरे कहने का मतलब हैं कि हाईकिंग करते हुये 1.5 से 2 Km की पैदल यात्रा करके लक्ष्मण झूला तक जाते हैं।
या यही क्रिया लक्ष्मण झूला से चल कर राम झूला तक पहुँचते हैं। रास्ते में गीता भवन, परमार्थ निकेतन, ट्रेडिशनल शॉप, स्ट्रीट फूड को एन्जॉय करते हुये आनंदित होते हैं।
त्रिवेणी घाट
ऋषिकेश से मात्र 3 से 4 Km की दूरी पर स्थित हैं त्रिवेणी घाट जिसे गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम भी कहते हैं।
यह ऋषिकेश के प्राचीन स्थानों में से एक स्थान हैं, जी विशाल क्षेत्र में फैला हुआ हैं। यहाँ भक्तों की हमेशा यानी वर्ष भर भीड़ बनी रहती हैं।
तीनों नदियों का संगम होने के कारण यह स्थान पवित्र और त्रिवेणी घाट के नाम से जाना जाता हैं। यहाँ कई मन्दिर जैसे भरत मन्दिर, रघुनाथ मन्दिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर बने हुए हैं।
यहाँ श्रद्धालुओं के द्वारा स्नान करके धार्मिक अनुष्ठान या पूजा- पाठ इत्यादि किया जाता हैं। यहाँ पर प्रतिदिन संध्या काल में होने वाली माता गंगा जी की आरती तो विश्व प्रसिद्ध हैं।
त्र्यम्बकं मन्दिर
यह मन्दिर ऋषिकेश का शान हैं। यह भोलेनाथ शिव जी को समर्पित हैं और इस मंदिर का अन्य नाम "त्रयम्बकेश्वर मन्दिर" भी हैं।
यह मन्दिर लक्ष्मण झूला के समीप ही गंगा नदी के तट पर बना अद्धभुत श्रेणी का मन्दिर हैं, जिसके सबसे ऊपरी मंजिले पर जा कर पूरे ऋषिकेश की अलौकिक छंटा को निहार सकते हैं।
यह मन्दिर कुल 13 मंज़िल में बना हुआ हैं। इस मंदिर का वास्तु दूर से ही देखने लायक हैं। ऋषिकेश आने वाले भक्तगण या सैलानी इस मन्दिर की आकर्षण और लोकप्रियता के चलते विजिट करने जरूर आते हैं।
गीता प्रेस आश्रम
ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में रामझूला के निकट ही गंगा के किनारे गीता भवन आश्रम स्थापित हैं। यहाँ पर भक्तों को रुकने और सत्संग इत्यादि के लिए 1000 से भी ज्यादा कमरे बने हुए हैं।
श्रद्धालुओं के द्वारा गंगा में स्नान करना और आश्रम में जा कर पूजा पाठ करना या ध्यान लगाना प्रतिदिन एक महत्त्वपूर्ण कार्य माना जाता हैं।
गीता भवन से लगा हुआ गीता प्रेस का ही कपड़े की दुकान और धार्मिक पुस्तकों की दुकान बहुत ही प्रसिद्ध हैं।
इसके अलावा आयुर्वेदिक दवा के लिए भी यह के कई दुकान जाने जाते हैं।
परमार्थ निकेतन
ऋषिकेश में गंगा नदी के किनारे तथा राम झूला के समीप यह बड़े आश्रमों में शुमार हैं। इसकी स्थापना 1942 के आस पास सुकदेवानंद महाराज ने किया था।
यह आश्रम हरियाली से भरपूर तथा कई मंदिरों को मिलाकर बना हुआ हैं। आश्रम में सैकड़ो कमरे बने हुए हैं, जिसका प्रयोग ध्यान, साधना, सत्संग, पूजा- पाठ और भक्तों के लिए निवास के रूप में किया जाता हैं।
आश्रम के सामने भी कई मन्दिर बने हुए हैं। एक बड़ी सी शंकर जी की मूर्ति गंगा नदी में बना हुआ हैं, जहाँ पर लोग जा कर सेल्फी या फोटो क्लिक करवाते हैं।
माँ गंगा जी की आरती सुबह और शाम की प्रसिद्ध हैं। शाम में आरती के समय हज़ारों भक्त घाट के समीप बने सीढ़ियों पर बैठ कर आरती में शामिल होते हैं।
प्रसिद्ध बीटल्स आश्रम
ऋषिकेश से मात्र 5 से 6 Km की दूरी पर स्थित इस आश्रम को या तो आप सभी बीटल्स आश्रम कहे या फिर महर्षि महेश योगी आश्रम कहे या फिर चौरासी कुटिया,
कुल मिलाकर सर्वाधिक लोकप्रियता बीटल्स बैंड के इस स्थान पर आकर कुछ दिन फुर्सत के बिताने के कारण मिला।
जब बीटल्स बैंड ग्रुप अपने सफलता की उड़ान भर चुका था, तो भीड़भाड़ से दूर ऋषिकेश के इस आश्रम में योग, ध्यान, साधना या मेडिटेशन के लिए आकर कुछ दिन बिताये थे।
यह जगह आपके भी योग, साधना के लिए बेहद उपयुक्त हैं। बस शांति तलाशनी हो तो फटाफट इस आश्रम को आ जाइये।
अन्य दर्शनीय स्थल
ऋषिकेश में ऐसे कई महत्वपूर्ण स्थान हैं, जैसे कि भरत मन्दिर ( त्रिवेणी घाट के समीप पुराना ऋषिकेश क्षेत्र), एम्स (AIIMS), कैलाश निकेतन मंदिर, वशिष्ठ गुफा ( ऋषिकेश से लगभग 23 Km की दूरी पर स्थित प्राचीन गुफा), योग संस्थान या पुराना बाजार, जैसे पवित्र स्थानों के भी दर्शन कर सकते हैं।
ऋषिकेश में आश्रम और धर्मशाला की भरमार हैं
ऋषिकेश को भी हरिद्वार, वाराणसी जैसे धार्मिक नगर की तरह माना जाता हैं। यहाँ पर भी मन्दिर, घाट और धर्मशाला के साथ ही साथ सैकड़ो छोटे से लेकर बड़े तक कई आश्रम की स्थापना हुई हैं।
इन आश्रमों में प्रमुख रूप से स्वर्गाश्रम (बाबा कमली आश्रम), शिवानंद आश्रम, गीता भवन आश्रम, परमार्थ निकेतन आश्रम जैसे बहुतायत आश्रम मिल जायेंगे।
इन आश्रमों में आपको ठहरने, भोजन, सत्संग, ध्यान और योगा जैसे क्रिया कलाप आसानी से उपलब्ध होंगे वह भी अत्यंत कम शुल्क में।
कुछ आश्रमों में तो रहना, खाना जैसी जरूरी सुविधाएं भी फ्री में यानी निःशुल्क होती हैं।
ऐसा इसलिए कि जितने भी धर्मशाला या आश्रम चलते हैं, सब ट्रस्ट के द्वारा शासित होते हैं।
अतः अधिकतर जगहों पर अधिक से अधिक सुविधा फ्री में रहती हैं और यदि शुल्क लेना भी हो तो बस मामूली ताकि रख रखाव बेहतर ढंग से किया जा सके।
ऋषिकेश में कहाँ रुकें?
ऋषिकेश में रुकने की तो कोई समस्या ही नही हैं। आप होटल, धर्मशाला, लॉज, होम-स्टे, डॉरमेट्री, पेइंग गेस्ट जैसे कई विकल्प मौजूद हैं।
ऋषिकेश से केदारनाथ हाईवे पर तपोवन नामक स्थान पर और ऋषिकेश नगर से कुछ दूर पहले आपको होटल मिलेंगे, जिसकी बुकिंग ऑनलाइन या ऑफलाइन कर सकते हैं।
रामझूला के पास कई आश्रम जैसे कि स्वर्गाश्रम, गीता भवन, परमार्थ निकेतन और शिवानन्द आश्रम जैसे कई बड़े और छोटे आश्रम अपने यहाँ निःशुल्क या मामूली चार्ज पर रहने और भोजन नाश्ते की सुविधा देते हैं।
धर्मशाला की संख्या भी यहाँ पर बहुत हैं इसलिए मैंने आपको पहले ही बता दिया था कि ऋषिकेश में रुकने की कोई समस्या नही होगी।
आप यहाँ वर्ष में कभी भी आइये और एक दिन से लेकर हफ़्ते या महीने भर रहिये कोई दिक्कत नही हैं।
ऋषिकेश में खाने-पीने की व्यवस्था
अब बात करलें नाश्ते, लंच और डिनर की तो यहाँ पर हर जगह रेस्टोरेंट, ढाबा, स्ट्रीट फूड, मोटल जैसे कई ऑप्शन मिलेंगे जिसका प्रयोग आप अपने बजट और सुविधा को ध्यान में रख कर कर सकते हैं।
हाँ यहाँ आपको खाने- पीने की सभी चींजे शुद्ध रूप से शाकाहारी मिलेगी। रामझूला के समीप गली में "चोटीवाला रेस्टोरेंट" पूरे ऋषिकेश में प्रसिद्ध हैं।
आप ऋषिकेश आये हो और चोटीवाला भोजनालय में खाये नही तो सब व्यर्थ। रामझूला के पास गंगा नदी के किनारे- किनारे लक्ष्मणझूला तक स्ट्रीट फूड के अनेक स्टॉल या छोटे दुकान मिल जायेंगे, जिसे ट्राय करने से अच्छा अनुभव मिलेगा।
ऋषिकेश में कुछ आश्रम या मन्दिर में "लंगर" या भण्डारे का आयोजन भी मिलेगा जहाँ पर आप भोजन निःशुल्क ग्रहण कर सकते हैं।
ऋषिकेश में खरीदारी क्या करें?
ऋषिकेश में आप हस्तशिल्प वाले सजावट के समान, रुद्राक्ष की माला, देवी- देवताओं की मूर्तियां और चित्र, अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा, ज्ञान वर्धन गीता प्रेस की पुस्तकें, धार्मिक अनुष्ठान या धार्मिक पुस्तकें इत्यादि वस्तुओं की यहाँ पर जगह- जगह पर दुकानें हैं।
रामझूला से लक्ष्मणझूला तक कई दुकानें बनी हुई हैं, जहाँ से आप सभी चीजों की खरीदारी कर सकते हैं। आपको हैण्डलूम, खादी भण्डार इत्यादि की कई दुकानें मिल जायेंगे,
जहाँ से आप साड़ी, कुर्ता, धोती चौड़े बॉर्डर वाली या कुशन इत्यादि सामान खरीद सकते हैं।
हाँ, इतना जरूर हैं कि आपको दुकानों पर अपने स्तर से मोलभाव जरूर करना चाहिए ताकि आप अपने पसंद की वस्तुएं ले सके।
आशा करता हूँ कि आप सभी लोगों को आज की जानकारी जरूर पसंद आयी होगी, तो हमें कमेंट्स करना नही भूलियेगा।
धन्यवाद।
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