बाबा परशुराम मंदिर
स्थान--
हरपुर गांव, NH 24, ज़मानिया कस्बा जिला- ग़ाज़ीपुर ( उत्तर प्रदेश )
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित ग़ाज़ीपुर जिला के ज़मानिया कस्बा अंतर्गत हरपुर गांव में स्थित अति प्राचीन मंदिर है- बाबा परशुराम जी का मंदिर।
भगवान् परशुराम जी का इतिहास
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ग़ाज़ीपुर में राजा गाधि का शासन था ( ग़ाज़ीपुर का पुराना नाम गाधिपुर था )। सप्तऋषियों में गणना होने वाले ऋचीक ऋषि के पुत्र जमदग्नि ऋषि थे इन्ही के पांच पुत्रो में एक पुत्र थे परशुराम, इनके माता का नाम रेणुका था।
परशुराम भगवान् जी का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। इनके जन्मदिन को अक्षय तृतीया के रूप में मनाते है, आम जन मानस में परशुराम जयंती के नाम से भी प्रसिद्ध है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया को सोने की खरीदारी करते है और साथ ही कोई भी शुभ कार्य इस दिन बिना कोई मुहूर्त और लग्न के किया जाता है जैसे कि शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन,नई वस्तुओं को खरीदना इत्यादि है। ऋषि जमदग्नि का आश्रम भी यही ज़मानिया कस्बा के गंगा तट पर बलुआ घाट नामक स्थान पर स्थित है।
बलुआ घाट या हम कहे कि ज़मानिया कस्बा या पूरा जमदग्नि क्षेत्र ही उत्तर वाहिनी गंगा नदी के तट पर स्थित है। हिन्दू मान्यता में गंगा के उत्तर वाहिनी तट पर होना अपने आप मे बहुत गरिमा और आस्था का केंद्र बन जाता हैं। यह नगर या पूरा जमदग्नि क्षेत्र ही अति प्राचीनतम नगरी के रूप में सुविख्यात है।
हम बात कर रहे थे कि परशुराम मंदिर की तो यह मंदिर स्थानीय ज़मानिया कस्बा के हरपुर नामक ग्राम में राष्ट्रीय राजमार्ग 24 के किनारे स्थित है। परशुराम जी को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार विष्णु के दस अवतार में से छठवाँ अवतार मानते है।
ये शिव भक्त थे और इनके पास शिव जी द्वारा दिया हुआ दिव्य धनुष था, जिस धनुष को मिथला नरेश राजा जनक को भेंट स्वरूप दे दिया था, उसी धनुष को सीता स्वयंवर में श्री राम जी के द्वारा तोड़ा गया था,जिससे क्रुद्ध हो कर परशुराम जी गुस्से में अपने परशु को उठा लिए और लक्ष्मण परशुराम संवाद प्रसिद्ध है।
परशुराम माता पिता भक्त थे। इनके प्रमुख शिष्य भीष्म, गुरु द्रोण, कर्ण थे। इस मंदिर के परिसर में आप को अत्यंत शुकुन मिलेगा।
यहाँ स्थानीय लोगो का यह मानना है, कि बाबा परशुराम और उत्तरवाहिनी गंगा का तट होने से इस क्षेत्र के लोग कभी भी खाली पेट यानी भूखे पेट नही सो सकते। अर्थात कितना भी विकट परिस्थितियों का सामना करना क्यो न पड़े यहाँ के लोग खुश मिज़ाज होते है और जीवन सुखमय व्यतीत करते है।
इस मंदिर की महिमा चीर काल से अत्यधिक सुविख्यात रहा हैं। स्थानीय लोगो की इस मंदिर में अत्यधिक मान्यता है। कोई भी कार्य जो शुभ होता है उसकी शुरुआत इस मंदिर में पूजन अर्चन करने के माथा टेक कर अपने कार्य की शुरुआत करते है। अब आप समझ सकते हैं कि यह आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है।
परशुराम मंदिर कैसे पहुँचे
सड़क मार्ग से यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर हरपुर गांव में स्थित है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ग़ाज़ीपुर वाया ज़मानिया कस्बा सैयदराजा ( चंदौली ) को जोड़ता है। परशुराम मंदिर तक पहुचने के लिए अनेक साधन उपलब्ध है। आप टैम्पू, निजी साधन या बस के द्वारा इस महान मंदिर के परिसर में पहुँच सकते हैं।
अगर रेलवे स्टेशन की बात करे तो सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन ज़मानिया रेलवे स्टेशन (station code - ZNA ) है और यह स्टेशन प्रमुख नगरों से जुड़ा हैं। यहाँ अनेक प्रमुख ट्रेन का ठहराव भी है। दूसरे स्थान पर दिलदारनगर जंक्शन और ग़ाज़ीपुर सिटी है।
नजदीक का हवाई अड्डा बाबतपुर हवाई अड्डा वाराणसी है जो ज़मानिया के हरपुर से 80 KM की दूरी पर है। यहाँ रुकने के लिए धर्मशाला और खानपान के लिए रेस्टोरेंट ज़मानिया कस्बा में मिल जाएगा।
इस अद्धभुत और अति प्राचीन मंदिर के दर्शन के लिए जरुर पधारे। इस मंदिर के बगल में ही हनुमान जी और शिव जी का मंदिर है। कुछ दूरी पर तकरीबन 18 KM पर माता कामख्या धाम भी स्थित है जो प्रसिद्ध मंदिर है।
ज़मानिया कस्बा से 2 KM की दूरी पर लाठियां गांव में सम्राट अशोक महान के द्वारा बनवाया गया एक लाट भी है जो आज वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है, यह भी प्रमुख दर्शनीय स्थल में शुमार है।
कम से कम एक बार इस क्षेत्र में परशुराम जी मंदिर को देखने और दर्शन के लिए जरूर आइये।
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