भारत देश जो एक धार्मिक स्थलों के लिये विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ गंगा नदी का प्रवाह तंत्र हैं इसलिए गंगा नदी के किनारे बसे धर्मिक नगरों में गिने जाते हैं। इसके अलावा भी भारत में बहने वाली अनेक नदियों को पवित्र माना जाता हैं और साथ ही साथ उनसे जुड़े हुये स्थानों को भी उतना ही पवित्र माना जाता हैं।
ऐसे में भारत के चार धाम, उत्तराखंड के चार धाम, उत्तराखंड के पंच प्रयाग, महाकुंभ के चार स्थल, पंच केदार, माता के 51 और 108 शक्तिपीठ, द्वादश ज्योतिर्लिंग और सप्तपुरी (सात पुरी) प्रमुख हैं।
इस प्रकार कई स्थल भारत में मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। अगर थोड़े देर के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की बात करें, तो जीवन का आखरी सत्य हैं, जो सबके लिए निश्चित हैं, तो वह हैं- मृत्यु और उसे हिन्दू सनातन संस्कृति में मोक्ष प्राप्ति से तुलना किया गया हैं।
आज के लेख में मैं आपको उपरोक्त में दिये गये सभी स्थानों के बारे में एक संक्षिप्त विवरण देने जा रहा हूँ-
महाकुंभ के चार धार्मिक स्थल
महाकुंभ उसी स्थान पर लगता हैं, जहाँ समुन्द्र मंथन के दौरान निकले अमृत की बूंदे गिरी थी। यहाँ आपको यह भी बता दे कि ऐसे पवित्र स्थानों की कुल संख्या 4 हैं और इनका धार्मिक महत्व भी अपना अलग- अलग हैं।
वैसे भी कुंभ मेला को विश्व का सबसे बड़ा मेला लगने का गौरव प्राप्त हैं। विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल हैं। आइये आपको हम विस्तृत पूर्वक इनका वर्णन करते हैं-
प्रयागराज
इस नगरी का प्राचीन नाम प्रयाग था, जिसका कालान्तर में मुग़ल शासक अकबर ने नाम बदल कर इलाहाबाद कर दिया था।
वर्तमान में इसका नामकरण प्रयागराज के रूप में हो चुका हैं। यह नगर उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम पर बसा हुआ होने के कारण हिन्दू सनातनी परंपरा में अतिमहत्वपूर्ण स्थान रखता हैं।
यहाँ पर अर्द्धकुंभ 6 वर्ष पर और 12 वर्षों पर महाकुंभ का आयोजन होता हैं। आप वैसे तो वर्ष भर आ कर प्रयागराज को घूम सकते हैं।
लेकिन मेरी राय में अक्टूबर से लेकर मार्च तक का समय सबसे अनुकूल होता हैं घूमने के लिए क्योंकि चारो तरफ से नदी का तट होने से बहुत गर्मी लगती है।
हरिद्वार
यह उत्तराखंड राज्य के बड़े शहरों में शामिल हरिद्वार गंगा किनारे बसे पवित्र और धार्मिक नगरों में एक नगर हैं।
यही पास में स्थित कनखल को शिव जी यानी भोले भंडारी का ससुराल भी हैं। हरिद्वार में दूर-दूर से लोग पुण्य की डुबकी यानी गंगा स्नान के लिए आते हैं।
कुम्भ का आयोजन यहाँ पर भी 6 वर्ष वाला और 12 वर्ष वाला महाकुंभ का आयोजन होता हैं। आप वर्ष भर कभी भी जा कर गंगा में डुबकी लगा सकते है।
उज्जैन
मध्य प्रदेश राज्य में उज्जैन अतिप्राचीन नगरों में से एक हैं, जो क्षिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ हैं। यहाँ पर भी महाकुंभ का आयोजन किया जाता है जो कि प्रत्येक 12 वर्षों पर लगाया जाता हैं।
यहाँ पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर मंदिर स्थित हैं। यहाँ उज्जैन बाबा की नगरी में कालसर्प दोष मुक्ति से लेकर अकाल मृत्यु की पूजा तक सभी की व्यवस्था है।
नासिक
नासिक गोदावरी नदी के तट पर स्थित महाराष्ट्र राज्य का एक अति महत्वपूर्ण और प्राचीन नगर हैं। यहाँ पर महाकुंभ मेला का आयोजन होता हैं, जो प्रत्येक 12 वर्षों पर आयोजित होता हैं।
यहाँ का कालाराम मन्दिर, पंचवटी स्थान जहाँ से सीता माता का अपहरण हुआ था और द्वादश ज्योतिर्लिंग में का एक ज्योर्तिलिंग त्रयंबकेश्वर महादेव मंदिर स्थित हैं।
नासिक शहर से रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 10 Km की हैं और इस स्टेशन का नाम "नासिक रोड" हैं। यह रेलवे स्टेशन इटारसी- भुसावल- कल्याण- मुम्बई मुख्य मार्ग पर स्थित हैं।
उत्तराखंड के चारधाम
इसे छोटा चारधाम भी कहा जाता हैं। इसमें केवल उत्तराखंड के ही चारधाम को लिया जाता हैं। इस प्रकार इसमें शामिल हैं-
- यमुनोत्री धाम (उत्तरकाशी)
- गंगोत्री धाम (उत्तरकाशी)
- केदारनाथ धाम (रुद्रप्रयाग)
- बद्रीनाथ धाम (चमोली)
इस पर विस्तृत लेख "उत्तराखंड की चारधाम की यात्रा कब शुरू होती है" दिया हुआ हैं। आप इसका अध्ययन कर सकते हैं।
यहाँ बद्रीनाथ धाम के विशेष महत्व है कि यही पर श्राद्ध कर्म भी किये जाते हैं। हिन्दू सनातन में पितृ विसर्जन और श्राद्ध कर्म को मोक्ष प्राप्ति का साधन बताया गया हैं।
नोट- यदि आप उत्तराखंड के चार धाम यात्रा पर है तो दो विशेष स्थान और हैं, जहाँ पर आप दर्शन कर सकते हैं जबकि एक स्थान को घूम सकते हैं-
- केदारनाथ और बद्रीनाथ जाते समय देवप्रयाग और रुद्रप्रयाग के मध्य श्रीनगर नामक नगर के समीप माता धारी देवी मंदिर स्थित हैं, जो कि अद्धभुत और चमत्कारी मंदिरों में शामिल हैं।
- बद्रीनाथ से मात्र 3 से 4 Km की दूरी पर स्थित है भारत का प्रथम गांव- माना गांव हैं जिसे वहाँ के स्थानीय लोग माणा गांव कह कर बुलाते हैं। यहाँ पर आप व्यास गुफा और गणेश गुफा के दर्शन कर सकते हैं।
यही से सतोपंथ ताल की ट्रैकिंग भी शुरू होती हैं।
भारत के चार धाम
यदि आपको भारत के चारधाम की यात्रा करनी हो या वहाँ पर दर्शन पूजन करके मोक्ष प्राप्ति करनी हो तो आप निम्नलिखित स्थानों पर जा कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं और यह पवित्र स्थान-
- उत्तर में बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
- दक्षिण में रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- पूर्व में जगन्नाथपुरी (ओडिशा)
- पश्चिम में द्वारका (गुजरात)
यह सभी तीर्थ स्थल घोषित हैं, जहाँ पर श्रद्धालुओं का जाना सौभाग्य की बात होती हैं।
उत्तराखंड के पंचप्रयाग
यह पंचप्रयाग नदियों का संगम हैं, जो कि सभी प्रयागों में एक नदी अलकनंदा नदी कॉमन हैं, जिसमें शुरू से लेकर अंत तक में 5 विभिन्न नदियां आकर मिलती हैं।
देवप्रयाग
अलकनंदा नदी में भागीरथी नदी का संगम है और इसी युगल धारा को गंगा नदी कहते हैं। एझ नदी को भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व की सबसे पवित्र नदी कहते हैं।
भारत में गंगा नदी के किनारे बसे हुए अनेक पवित्र धार्मिक नगर हैं, जिनका अपना- अपना इतिहास हैं। यह धार्मिक स्थल टिहरी गढ़वाल जिले में पड़ता हैं।
रुद्रप्रयाग
रूद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी में मंदाकिनी नदी आकर मिल जाती हैं, जहाँ कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर स्थापित हैं। यह रूद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं।
कर्णप्रयाग
कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी में पिंडर नदी का मिलान हुआ हैं, यह चमोली जिले में स्थित है।
नंदप्रयाग
इस प्रयाग पर अलकनंदा नदी में नंदाकिनी नदी का संगम हुआ हैं। यह चमोली जिले में आता हैं।
विष्णुप्रयाग
इस प्रयाग पर अलकनंदा नदी में धौलीगंगा नदी का मिलान हैं और यह भी चमोली जिले के अंतर्गत आता हैं।
पंच केदार का वर्णन
हिमालय की गोद में और उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में बसा हुआ और भगवान शिव को समर्पित पंच केदार का स्थान द्वादश ज्योतिर्लिंग से भी ऊपर हैं।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इन सभी पंच केदार मन्दिर का निर्माण पांडवों और उनके आने वाले वंश ने करवाया था। मूलतः हिन्दू सनातन धर्म के शैव सम्प्रदाय को समर्पित यह 5 मन्दिर है।
पंच केदार, भारत के उत्तराखंड में स्थित 5 अतिमहत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं, जहाँ कहा जाता हैं कि स्वयं महादेव विराजते हैं।
ये पंच केदार निम्न रूप में जाने जाते हैं-
तुंगनाथ मन्दिर
यह रुद्रप्रयाग जिले में चोपता हिल स्टेशन के पास स्थित हैं। तुंगनाथ मन्दिर विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर हैं, जो समुन्द्र तल से लगभग 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित हैं।
केदारनाथ मंदिर
यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में गौरीकुंड के पास है और यही से श्री केदारनाथ मंदिर की धार्मिक ट्रैकिंग शुरू होती हैं। समुन्द्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई 3585 मीटर हैं।
रुद्रनाथ मंदिर
यह चमोली जिले में स्थित गोपेश्वर के नजदीक एक पवित्र स्थल जो पंचकेदार का हिस्सा हैं। इसकी ऊंचाई समुन्द्र तल से मात्र 2285 मीटर के आसपास हैं।
यहाँ पर महादेव के नीलकण्ठ के रूप की पूजा होती है। मन्दिर के पास ट्रैकिंग करके पहुँचा जा सकता हैं।
मध्यमहेश्वर मंदिर
उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में उखीमठ के पास उनियाना गांव से मात्र 3 Km की ट्रेक पर स्थित हैं। यह मन्दिर समुन्द्र तल से लगभग 3290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं।
यहाँ पर हाईकिंग की सुविधा उपलब्ध हैं। आवास के लिए कैंपिंग किया जा सकता है। आसपास में नीलकंठ पहाड़ियों का अवलोकन करके मन मंत्र मुग्ध हो जाता हैं।
कल्पेश्वर मंदिर
यह पंचकेदार में अंतिम केदार के रूप में पूजा होता है यहाँ पर महादेव शिव के जटाओं की पूजा की जाती हैं। यह समुन्द्र तल से लगभग 2135 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित हैं।
यह पंच केदार में एक मात्र ऐसा केदार हैं, जो पूरे वर्ष भर खुला रहता हैं। यह चमोली जिले के हेलंग से मात्र 30 से 32 Km की दूरी पर स्थित हैं।
नोट- भारत मे मोक्ष प्राप्ति के अन्य स्थानों में नीचे वर्णित पवित्र और धार्मिक स्थल हैं, जहाँ पर पहुँचने मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती हैं। इनका विवरण इस प्रकार से हैं-
- भारत की सप्त पुरी दर्शन जिसमें- अयोध्या, मथुरा, वाराणसी, हरिद्वार, उज्जैन, कांचीपुरम और द्वारिकाधाम हैं। इनकी कुल संख्या 7 हैं।
- भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन जिसपर विस्तृत चर्चा कर चुका हूँ। यह सभी स्थान शिव को समर्पित हैं। यह कुल 12 की संख्या में हैं, जो पूरे भारत वर्ष में 12 अलग- अलग स्थानों पर समर्पित हैं।
- भारत मे माता के मुख्य रूप से 51 शक्तिपीठ और कुल 108 शक्तिपीठों के दर्शन करने मात्र को भी मोक्ष प्राप्त करने के साधन के रूप में माना जाता हैं।
आशा करता हूँ कि आज का लेख आपको जरूर पसंद आया होगा तो हमें कमेंट्स करके जरूर बताइयेगा।
धन्यवाद।
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