देवभूमि उत्तराखंड की धरती पर मैं कई बार गया हूं चाहे वह सोलो यात्रा रही हो या दोस्तो के साथ, या फिर फैमिली के साथ सबका अनुभव अलग-अलग रहा है।
मैंने उत्तराखंड की कई बार ट्रिप किया हैं, जो कि छोटे और बड़े कई रूप में हैं और उसी में एक टूर था मेरा- "उत्तराखंड के पंच प्रयाग का दर्शन करना"।
यह मेरा ट्रिप चार धाम की यात्रा में से दो धाम की यात्रा का ही भाग था, लेकिन जो सुखद अनुभव मैंने इस यात्रा का किया वह शायद ही किसी और ट्रिप में मुझे मिला।
आज का लेख जो मेरा हैं वह फैमिली ट्रिप का हैं, जी हाँ दोस्तो मैं अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के चार धाम में से दो धाम केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा का प्लान बना लिया और फिर निकल पड़े देवभूमि उत्तराखंड की ओर।
दोस्तों आज का लेख चारधाम यात्रा पर जा तो रहे हैं, परन्तु इस लेख से पहले ही मैंने दो लेख क्रमशः "भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंग" और "बद्रीनाथ धाम जाने का सही समय" तथा "केदारनाथ की यात्रा वृत्तांत" नाम से अलग- अलग विस्तृत लेख दिया हैं जिसका आप अवलोकन करें, आपको सम्पूर्ण जानकारी मिल जायेगी।
अब बात करते हैं आज के लेख उत्तराखंड के पंच प्रयाग की जो उसके दर्शन पर आधारित हैं। मैंने बचपन में किताबों में पढ़ रखा था कि जिस गंगा नदी के तट पर हम बसे हैं वह असल में उत्तराखंड में दो अलग-अलग नदियों का संगम हैं।
मन रोमांच से भर गया कि जिस संगम को बचपन से ही देखने की लालसा थी उसे अगले कुछ घंटों में साक्षात दर्शन करने को मिलने वाला हैं। इस के कारण इस बार का ट्रिप और भी उत्सुकता वाली थी।
अपने परिवार के साथ निश्चित तय दिन को अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुग़लसराय जंक्शन) से हावड़ा से चल कर योगनगरी ऋषिकेश तक जाने वाली दून एक्सप्रेस से यात्रा शुरू कर दी।
अगले दिन तड़के भोर के समय में हमारी ट्रेन ऋषिकेश के रेलवे स्टेशन पर पहुँच गई। स्टेशन से बाहर आकर मैंने सबसे पहले रेलवे स्टेशन के साथ सेल्फी ली और ऐसा करने वाला मैं कोई इकलौता यात्री नही था।
योगनगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन बनाया ही इतना खूबसूरती से हैं कि कोई बिना फ़ोटो क्लिक किये रह ही नही सकता हैं।
होटल में कुछ देर आराम करने के बाद हम निकल पड़े दो धाम की यात्रा मेरा मतलब हैं केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए।
यह यात्रा मैंने अपने परिवार के साथ एक निजी साधन टैक्सी बुक करके किया था। ऋषिकेश से जब हम निकले तो ड्राइवर भैया के दिशा निर्देशन में जो कि हमारे लिए ड्राइवर कम टूर गाइड की तरह हमें सभी पंच प्रयाग के बारे में बताने लगे।
आप जब भी ऋषिकेश से बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर निकलेंगे तो यह पंच प्रयाग एक के बाद एक आने शुरू हो जाएंगे।
ऋषिकेश से बद्रीनाथ धाम की दूरी लगभग 292 से 295 Km की हैं जो कि पंच प्रयाग के दर्शन करते हुऐ 12 घण्टे में पूरी किया था।
आइये अब पंच प्रयाग पर पूरी विस्तृत चर्चा किया जाये-
अलकनंदा नदी एक नज़र
पूरे पंच प्रयाग में कुल पांच स्थान हैं, जहाँ पर दो अलग- अलग नदियों का संगम हैं। हाँ इतना जरूर हैं कि पांचों प्रयाग में अलकनंदा नदी कॉमन हैं, जी हाँ दोस्तो आप सही समझे की सभी नदियों में सबसे बड़ी अलकनंदा नदी हैं।
अलकनंदा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड में ही बद्रीनाथ से आगे ऊँचाई पर स्थित सतोपंथ ग्लेसियर से हैं। थोड़ी ही दूरी पर केशवप्रयाग में आधुनिक सरस्वती नदी के साथ संगम बनाते हुए आगे अलकनंदा नदी के नाम से आगे बढ़ती हैं।
सबसे रोचक तथ्य यह हैं कि अलकनंदा नदी का अस्तित्व उत्तराखंड में ही देवप्रयाग नाम के स्थान पर जब इसमें भागीरथी नदी मिल कर संगम बनाती हैं तो इसका नया नाम गंगा नदी हो जाता हैं तब यही गंगा नदी आगे ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार को जाती हैं।
तभी तो अलकनंदा नदी का अन्य नाम गंगा नदी भी हैं। गंगा नदी के तट पर भारत के कई प्राचीन नगर बसे हुये हैं, जिसका विस्तृत लेख अपने एक दूसरे अन्य लेख "गंगा नदी के किनारे बसे पवित्र और धार्मिक नगर" में किया हैं। अब आगे इसी अलकनंदा नदी से मिलने वाली पांच महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों पर चर्चा पंच प्रयाग के रूप में किया जाता है और पंच प्रयाग किसी मन्दिर दर्शन से कम नही.
प्रयाग का अर्थ
अगर देखा जाये तो प्रयाग का अर्थ संगम अर्थात दो नदियों के मिलन वाले स्थान से हैं, जिसे सरल भाषा में संगम कहते हैं।
इन संगम के दर्शन कर लेने मात्र से ही मन्दिर के दर्शन करने बराबर पुण्य की प्राप्ति होती हैं। इसे हिन्दू सनातनी परम्परा में तीर्थ का दर्जा प्राप्त हैं।
Note- उत्तराखंड के पंचप्रयाग में मुख्य नदी की भूमिका में अलकनंदा नदी हैं, जिसमें जगह-जगह पर पांच अलग-अलग नदियां आकर मिलती हैं और संगम बनाती हैं।
तो आइये एक-एक करके सभी प्रयागों की चर्चा किया जाये-
देवप्रयाग
जब हम सभी ऋषिकेश से बद्रीनाथ धाम के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं, तो ऋषिकेश से मात्र 70 से 73 Km की दूरी पर पहला प्रयाग, देवप्रयाग आता हैं। इस प्रयाग का महत्व सभी उत्तराखंड के प्रयागों में सर्वाधिक हैं।
देवप्रयाग में अलकनंदा नदी का अस्तित्व समाप्त हो जाता हैं और अलकनंदा नदी में भागीरथी नदी नदी मिलकर दोनों की संयुक्त धारा "गंगा नदी" कहलाती हैं।
देवप्रयाग, उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित एक धार्मिक नगर या कस्बा हैं। यहाँ का रघुनाथ मन्दिर विश्व प्रसिद्ध हैं। हिन्दू धर्म मे इस नगर को तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता हैं।
यही से केवल गंगा नदी आगे चल कर ऋषिकेश और हरिद्वार होते हुये उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती हैं।
गंगा नदी के किनारे ही ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे धार्मिक नगर बसे हुये हैं। हरिद्वार में महाकुंभ का भी आयोजन प्रत्येक 12 वर्षो पर होता हैं।
देवप्रयाग नामक स्थान पर नदी किनारे अनेक मन्दिर बने हुये हैं, जिसका दर्शन करके और संगम का पवित्र जल अपने शरीर पर छिड़कते हुये, हम अपने अगले पड़ाव की ओर चल पड़े।
रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल मंडल का एक जिला हैं, जिसका मुख्यालय भी रुद्रप्रयाग नगर हैं, जो कि सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं। यह नगर नगर पालिका परिषद क्षेत्र हैं।
देवप्रयाग से रुद्रप्रयाग की दूरी केवल 65 से 70 Km की हैं, जहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता हैं।
यहाँ पर अलकनंदा नदी में मंदाकिनी नदी आकर मिलती हैं और संगम बनाती हैं। संगम पर दोनों नदियों का अच्छा दृश्य देखने को मिलता हैं।
भोले शंकर के एक नाम रुद्र के नाम पर इस धार्मिक स्थल का नामकरण हुआ हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योर्तिलिंग केदारनाथ की दूरी इस छोटे से नगर से मात्र 86 से 90 Km की हैं।
Note- यदि आप देवप्रयाग से रुद्रप्रयाग जा रहे हैं, तो रास्ते में ही श्रीनगर से 14 Km की दूरी पर मुख्य मार्ग से लगे हुये कलियांसौड़ नामक गांव में (जिला-रूद्रप्रयाग) माँ धारी देवी नाम का मन्दिर हैं, जो शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हैं, तो यहाँ पर दर्शन जरूर करें।
कर्णप्रयाग
रुद्रप्रयाग से मात्र 35 Km की दूरी पर स्थित कर्णप्रयाग, चमोली जिले का एक कस्बा हैं। यहाँ पर अलकनंदा नदी में पिण्डर नदी आकर मिलती हैं।
पुराणों में पिण्डर नदी को कर्णगंगा नदी के नाम से जानते हैं, तभी तो इस प्रयाग का नाम कर्णप्रयाग हुआ हैं।
संगम पर अनेक मंदिरों का निर्माण हैं, जिसमें उमा मन्दिर और कर्ण मन्दिर प्रमुख हैं। आप यहाँ आकर एक बार जरूर दर्शन करें, मन को शांति मिलेगी।
नंदप्रयाग
कर्णप्रयाग से मात्र 22 Km की दूरी पर स्थित हैं नंदप्रयाग, जो चमोली जिले का एक छोटा सा कस्बा हैं।
यहाँ पर अलकनंदा नदी में नंदाकिनी नदी मिलकर संगम बनाती हैं। संगम पर प्रमुख मंदिरों में चंडिका मन्दिर, शिव मंदिर और गोपाल मंदिर में हिन्दू सनातनी वर्ष भर दर्शन करने को आते हैं।
आपको यहाँ हम यह भी बताते चले कि जो भी श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम की पवित्र यात्रा करने वाले होते हैं, उनका प्रारम्भिक पड़ाव भी यही हैं क्योंकि नंदप्रयाग से बद्रीनाथ की दूरी 99 से 100 Km तक ही रह जाती हैं।
विष्णुप्रयाग
नंदप्रयाग से केवल 68 Km की दूरी पर स्थित विष्णुप्रयाग चमोली का एक खूबसूरत सा छोटा नगर हैं।
विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी में धौलीगंगा नदी आकर मिलती हैं और संगम बनाती हैं। यहाँ पर भी आपको मन्दिर बने हुए हैं, जहाँ श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते रहते हैं।
इस नगर से बद्रीनाथ धाम मात्र 38 से 40 Km ही हैं, तो इस नगर का महत्व और भी बढ़ जाता हैं।
पंच प्रयाग के अलावा एक और प्रसिद्ध प्रयाग हैं- h
सोनप्रयाग
उत्तराखंड के प्रमुख पंचप्रयाग के बाद एक और प्रयाग का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक हैं, जिसको हम सभी "सोनप्रयाग" के नाम से जानते हैं।
सोनप्रयाग, उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित एक छोटा सा गांव हैं। यह स्थान रूद्रप्रयाग से लगभग 75 Km की दूरी पर हैं।
रुद्रप्रयाग से केदारनाथ की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए सोनप्रयाग बेस पॉइन्ट हैं। यहाँ से गौरीकुंड की दूरी मात्र 4 Km की हैं।
जब भी हम सभी केदारनाथ धाम की यात्रा पर आते हैं, तो हमे अपने साधन या बस या निजी साधन यही सोनप्रयाग पर ही छोड़ना पड़ता हैं।
सोनप्रयाग से छोटे साधन के द्वारा निश्चित किराया देकर ही गौरीकुंड जाना पड़ता हैं और यहाँ गर्मकुण्ड में स्नान कर के श्रद्धालु केदारनाथ की 16 से 18 Km की लम्बी तथा कठिन और खड़ी चढ़ाई धार्मिक ट्रैकिंग करते हुए जाना पड़ता हैं।
आशा करते हैं कि आज की जानकारी आपको बेहद पसंद आयी होगी, तो आप कब पंचप्रयाग की यात्रा पर जा रहे हैं? हमें कमेंट्स करके जरूर बताइयेगा।
आपके कमेंट्स से हमें बल मिलता हैं ताकि आपको और भी घूमने और दर्शन करने के स्थलों के बारे में जानकारी दे सके।
Note- (a) अगर आप ऋषिकेश से बद्रीनाथ धाम की यात्रा (289 Km) पर जा रहे हैं, तो आपको सभी पंचप्रयाग रास्ते में मिलते जाएंगे जिसका दर्शन करते हुए आप अपनी बद्रीनाथ धाम की यात्रा को पूर्ण कर सकते हैं तथा एक यात्रा से आप पंचप्रयाग, बद्रीनाथ धाम और भारत का अन्तिम गांव माणा (माना) की यात्रा पूरी कर सकते हैं।
दूसरी ओर यदि आप ऋषिकेश से केदारनाथ धाम की यात्रा (229 Km) पर जा रहे हो तो रास्ते में सोनप्रयाग मिलेगा जहाँ से गौरीकुंड जा कर केदारनाथ की ट्रैकिंग कर सकते हैं।
जब आप वापसी में केदारनाथ से गौरीकुण्ड और उससे आगे बढ़ने पर गुप्तकाशी से U टर्न ले कर बद्रीनाथ धाम के लिए जाएंगे तो आपको चोपता भी रास्ते में मिलेगा यानी एक ही यात्रा में आप सोनप्रयाग, गौरीकुंड मन्दिर, केदारनाथ मंदिर, चोपता हिल स्टेशन और कैंपिंग साइट, का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं।
कुल मिलाकर यह ट्रिप बहुत ही रोमांचकारी और मजेदार हो जाती हैं। अब आपकी बारी हैं, हमें कमेंट्स कर के बताये कि आप कब पंचप्रयाग के दर्शन को जा रहे हैं और यदि आप जा चुके हैं, तो कैसा लगा हैं?
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