'चोपता' कहे या 'चोपटा' बात तो हम उत्तराखंड के दूर-दूर तक फैले घास के मैदान वाले प्रसिद्ध हिल स्टेशन का कर रहे हैं, जिसे "उत्तराखंड का मिनी स्विट्जरलैंड" कहते हैं।
सदाबहार वनों की हरियाली वाले चादर ओढ़े पूरा क्षेत्र किसी स्वर्ग से कम नही लगता हैं, तो फिर चले इस स्वर्ग का दर्शन और भ्रमण करने।
मेरे सभी प्यारे मित्रो को सोलो यात्री सूर्य प्रकाश का प्यार भरा नमस्कार! आज का पूरा ट्रिप छोटे से लेकिन अतिमहत्वपूर्ण हिल स्टेशन चोपता के लिए, तो चलिए फिर मेरे साथ चोपता घूम कर आये।
चोपता की पहचान 'तुंगनाथ मन्दिर'
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चोपता कस्बे से लगभग 3500 मीटर (3.5 Km की ऊँचाई) की खड़ी चढ़ाई का धार्मिक ट्रैकिंग करके आप तुंगनाथ पर्वत पर पहुँच कर तुंगनाथ महादेव मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।
तुंगनाथ मन्दिर उत्तराखंड के पंच केदार में से एक हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने भोले भंडारी को मनाने के लिए या खुश करने के लिए तुंगनाथ मन्दिर की स्थापना की थी।
इस मंदिर के कुछ ही दूरी पर "रावण शिला" स्थित हैं, इसी मन्दिर का अन्य नाम चंद्रशिला भी हैं। इसकी भी एक अलग कहानी हैं कि-
श्री वाल्मीकि रामायण ग्रंथ के अनुसार जब प्रभु राम को रावण का वध करने का दुःख हुआ क्योंकि रावण एक विद्वान था, इसीलिए महादेव शिव की पूजा अर्चन के लिए इस मंदिर की स्थापना की थी।
पंच केदार में केवल केदारनाथ धाम ही महादेव शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योर्तिलिंग हैं।
तुंगनाथ मन्दिर के कपाट भक्तों के लिए अप्रैल या मई से लेकर नवम्बर तक खुला होता हैं। बाकी समय जबरदस्त बर्फबारी होती रहती हैं। जब भी आप ट्रैकिंग करके मन्दिर तक पहुँचते हैं,
तो अगल- बगल का प्राकृतिक नज़ारा बर्फ की पहाड़ी और बुरांश के पेड़ मनभावन लगते है।
चोपता के घास के मैदान ही 'बुग्याल' हैं
उत्तराखंड के गढ़वाली हिमालय क्षेत्र में बड़े- बड़े घास के मैदान जो मखमली हरी- भरी चादर के रूप में फैली हुई हैं, बुग्याल कहे जाते हैं।
चोपता के घास के मैदान भारत ही नही विश्व में सैलानियों के लिए बहुत ही प्रिय जगहों में शुमार हैं, जहाँ पर पर्यटकों के द्वारा कैंपिंग का लुत्फ़ उठाते हैं।
ये घास के मैदान चारागाह के रूप में भी जाने जाते हैं, जिन्हें लोकल भाषा में धार कहते हैं। यहाँ पर सैलानियों के द्वारा ट्रैकिंग भी किया जाता हैं।
यानी कुल मिलाकर आप चोपता में बुग्यालों पर कैम्प साइट और ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं।
दुगलबिट्टा की पहचान मिनी चोपता के रूप में
विगत कुछ वर्षों में चोपता की भीड़ से बचने और शुकुन वाली ट्रिप का आनंद लेने के लिए चोपता से लगभग 8 Km की दूरी पर चोपता- ऊखीमठ सड़कमार्ग पर स्थित यह एक नया हिल स्टेशन हैं।
जब अत्यधिक बर्फबारी होती हैं, तो चोपता पूरी तरह जब बन्द कर दिया जाता हैं पर्यटकों के लिए तब लोग दुगलबिट्टा में ही सैलानी रुक कर अपना ट्रिप एन्जॉय करते हैं।
दुगलबिट्टा को स्थानीय भाषा में दो पहाड़ो के मध्य के तलहटी वाले स्थान को कहते हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली से भरे हुए हैं, जो बरबस ही सभी का ध्यान अपने ओर आकर्षित कर लेता हैं।
आप यदि अपने लिस्ट में दुगलबिट्टा को शामिल नही किये तो मेरा वादा हैं आपको बाद में पछताना पड़ जायेगा क्योंकि वहाँ जाकर आप अपने फोटो या सेल्फी लिए बिना नही रोक पायेंगे।
"चोपता" या "चोपटा" कैसे पहुँचे?
चोपता पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से बेहतर रोड से जुड़ा है। ऋषिकेश से नेशनल हाईवे संख्या 58 की सहायता से रूद्रप्रयाग पहुँच कर ऊखीमठ जाना होगा फिर वहाँ से निजी साधन या शेयर टैक्सी से चोपता आसानी से पहुँचा जा सकता हैं।
चोपता पहुँचने के लिए अगर ट्रेन का विकल्प चुनते हैं तो सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन का नाम "योग नगरी ऋषिकेश" हैं या फिर आप "हरिद्वार" रेलवे स्टेशन पर भी उतर सकते हैं।
मैं हरिद्वार का विकल्प भी इसलिए बता रहा हूँ कि हो सकता हैं कि आपकी ट्रेन योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर न जाये तो कम से कम हरिद्वार तो हर हालत में रुकेगी।
हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख नगरों से ट्रेन से सीधे जुड़ा हुआ हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश गंगा के तट पर बसे महत्वपूर्ण और धार्मिक स्थल में शुमार हैं।
हरिद्वार तो बारह वर्षीय महाकुंभ का भी आयोजक स्थल हैं, जहाँ विश्व का सबसे बड़ा मेला कुंभ लगता हैं। आपको यह भी बता दे कि भारत का यह महाकुंभ मेला को त्योहार का दर्जा प्राप्त हैं।
आप हरिद्वार या ऋषिकेश जब ट्रेन से पहुँच जाते हैं, तो यही से चोपता की यात्रा शुरू कर सकते हैं। उत्तराखंड राजकीय परिवहन निगम सेवा की सरकारी बस भी चोपता जाती हैं।
इसके साथ ही साथ आप निजी साधन या टैक्सी बुक कर के या फिर शेयर टैक्सी से भी आसानी से पहुँच सकते हैं।
प्रमुख स्थानों से चोपता की दूरी
- हरिद्वार से- 182 Km
- देहरादून से- 200 Km
- ऋषिकेश से- 162 Km
- रुद्रप्रयाग से- 25 Km
- ऊखीमठ से- 40 Km
- लखनऊ से- 900 Km
- वाराणसी से- 1210 Km
- दिल्ली से- 399 Km
- पटना से- 1398 Km
- उज्जैन से- 1172 Km
- नाशिक से- 1625 Km
अगर नज़दीकी एयरपोर्ट की बात करे तो देहरादून स्थित जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पहुँच कर लगभग 180 Km की दूरी पर स्थित चोपता जाया जा सकता हैं।
सबसे बेहतरीन मौसम चोपता जाने का
जब बात हिल स्टेशन की कर रहे हो तब सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर तक का बेस्ट है। बरसात के समय पहाड़ी जगहों पर जाने से परहेज़ करें।
यानी मेरे कहने का अर्थ हैं कि अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर तक का तापमान हमारे घूमने और घुमक्कड़ी के लिए अनुकूल हैं।
यदि बर्फबारी के शौकीन हो, तो दिसम्बर से फरबरी माह में चोपता जाये। अधिकतर तापमान 2 से 20 या 21 डिग्री तक होता हैं।
कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य
चोपता से मात्र 8 Km की दूरी पर स्थित उत्तराखंड का प्रमुख अभ्यारण्य हैं, हाँ इतना जरूर कहेंगे कि यह वन्य जीव बिहार बहुत छोटा हैं।
यहाँ दुर्लभ प्रजाति के कई वन्य जीव- जंतु खासतौर से कस्तूरी मृग के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ गौर करने वाली एक बात यह भी हैं कि कस्तूरी मृग उत्तराखंड का राष्ट्रीय पशु भी घोषित हैं।
चोपता में कैम्प साइट की भरमार हैं
अगर चोपता घूमने जाए तो घास के मैदान में रुकने के जो कैम्प बने हो, उसमें रुकने का अनुभव यादगार होता हैं।
चोपता में जगह- जगह पर कैम्पिंग साइट उपलब्ध हैं, आप अपने मनपसंद और बजट के अनुरूप बुक कर सकते हैं। कैम्प की बुकिंग ऑनलाइन नही होती हैं, बल्कि वही साइट पर जाकर बुकिंग करना होता हैं।
अब बजट की बात कर ले, तो ऑफ सीजन में 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक जबकि पिक सीजन में 1000 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक के कैम्प उपलब्ध होते हैं।
Note- आप यदि चोपता से केदारनाथ धाम की या फिर बद्रीनाथ धाम की यात्रा करना चाहे तो धार्मिक यात्रा कर सकते हैं।
वैसे तो केदारनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग हैं, यहाँ आप धार्मिक ट्रैकिंग कर सकते हैं।
इसके साथ ही साथ केदारनाथ पंच केदार में भी शामिल हैं तथा उत्तराखंड के चार धाम (गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) में भी महत्वपूर्ण धाम हैं केदारनाथ और बद्रीनाथ जो चोपता से जाया जा सकता हैं।
रुकने के कई विकल्प हैं
चोपता में रुकने के लिए कई बड़े और छोटे होटल बजट वाले मिल जाएंगे। चूंकि यह एक पॉपुलर हिल स्टेशन हैं, जहाँ देश से ही नही बल्कि विदेश से भी सैलानी आते हैं, जो
सुविधा के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार हैं इसी को ध्यान में रख कर हर वर्ग के बजट वाले होटल, गेस्ट हाउस, लॉज, होम-स्टे इत्यादि के अच्छे विकल्प चोपता में मौजूद हैं।
चोपता में खाने के विकल्प निराले हैं
किसी भी हिल स्टेशन या घूमने वाले जगहों पर खाने- पीने के कई एक से बढ़कर एक विकल्प मौजूद रहते हैं।
यहाँ आपको रेस्टोरेंट, ढाबा, मोटल या फ़ूड स्ट्रीट के अच्छे ऑप्शन उपलब्ध हैं, जहाँ पर उत्तर और दक्षिण भारतीय व्यंजन के साथ फ़ास्ट फ़ूड और पंजाबी डिस की बात ही निराली हैं।
चोपता के लोकल फ़ूड में "मडवे की रोटी" और "भांग की चटनी" का स्वाद लेने दूर- दूर से आते हैं।
हिल स्टेशनों की एक बात सबसे निराली हैं कि आप प्राकृतिक दृश्यों का या सौंदर्य का नज़ारा लेते हुए अपना ब्रेकफास्ट, लंच या डिनर करते हैं, जो अपने आप में न भुलाने वाले पल होते हैं।
तब आप सभी कब चोपता जा रहे हैं? मैं तो यही कहूँगा कि अगला ट्रिप चोपता के नाम करियेगा और अपना वहाँ का अनुभव हमसे शेयर जरूर करियेगा।
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