आज मन रोमांच से से भर उठा क्योंकि जिधर देखो उधर ही फूल ही फूल नजर आ रहे हैं। चारों तरफ का नज़ारा मन को मोह लेने वाला और गज़ब का हैं मानो की स्वर्ग, पृथ्वी पर उतर आया हो।
नमस्कार, मित्रों मैं आपका चहेता सोलो यात्री सूर्य प्रकाश आपको आज ऐसे जगह की सैर कराने ले चल रहा हूँ, जिसे-
"मौसमी फूलों का स्वर्ग कहते हैं धरती पर"।
आप यहाँ मेरी तरह सोलो यात्रा या फैमिली मेंबर्स के साथ या कपल में या फिर दोस्तो के साथ भी आ कर घूम सकते हैं।
आप को एक बात और बताना चाहता हूँ कि इस ट्रिप पर आपको 6 फायदा मिल सकता हैं अर्थात आप घूमने, एडवेंचर और दर्शन के शौकीन हैं, तो यकीन मानिये आप बहुत ही सही ट्रेक पर जा है है।
अरे भाई मेरे कहने का मतलब है कि इस छोटी सी यात्रा को यदि यादगार बनाना चाहते हैं तो यात्रा को थोड़ा बड़ा करना होगा, यानी-
- फूलों की घाटी
- हेमकुण्ड साहिब की धार्मिक ट्रैकिंग
- बद्रीनाथ धाम के दर्शन
- माना गांव (भारत का पहला गांव)
- सतोपंथ की ट्रैकिंग
- चोपता कैंपिंग साइट
यानी एक पंथ 6 काज़ जैसी कहावत चरितार्थ हो जायेगी। मेरी बातों से घूमने वाले या एडवेंचर को कवर करने वाले जान गये होंगे कि आज का लेख हैं "फूलों की घाटी" जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची मे 2005 में शामिल किया गया था, पर लेकर के हैं।
यदि भारत में इसकी बात करें तो यह एक राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक हिस्सा हैं। इसे 1982 में भारतीय राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला हुआ हैं।
यह 2005 के बाद से यानी वर्तमान में स्वतंत्र रूप से भारत का एक नेशनल पार्क हैं।
आज हम आपको इस खूबसूरत जगह के सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे और हाँ, ध्यान रहे कि यदि मेरी जानकारी आपको अच्छी लगे तो हमें कमेंट्स करना मत भूलिएगा।
फूलों की घाटी कहाँ स्थित है?
फूलों की घाटी एक प्राकृतिक रूप से बना एक ऐसा उद्यान हैं, जहाँ पर मानवीय इंफ्रास्ट्रक्चर को कम से कम शामिल किया गया हैं क्योंकि यहाँ का वातावरण अत्यधिक शांत और शुकुन वाला हैं।
यह उद्यान या ये कहे कि फूलों की घाटी भारत के उत्तराखंड राज्य में चमोली जिले के अन्तर्गत आता हैं। यह समूचा क्षेत्र हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र के अंतर्गत आता हैं।
इसकी प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए भारत सरकार ने राष्ट्रीय पार्क का दर्जा दिया जो कि भारत की तीसरी ऊंची चोटी नंदा देवी पर्वत का हिस्सा हैं।
इसलिए इस पार्क को नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का ही हिस्सा मानते हैं। यहाँ पर फूलों के प्रेमी या विशेषज्ञ आते हैं और हाईकिंग और ट्रैकिंग के माध्यम से इसे एक्सप्लोर करते हैं।
फूलों की घाटी का इतिहास
प्राचीन काल की मान्य कथाओं में यह बताया गया हैं कि जब रामायण के युद्व में लक्ष्मण जी मूर्छित हुए थे तो हनुमान जी ने यही पर आकर संजीवनी बूटी की खोज की थी।
तब से यह स्थान विभिन्न प्रकार के फूलों की प्रजातियों और औषधियों के लिए जाना जाता हैं। आधुनिक काल में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने अपने साथी के साथ 1931 में इस घाटी की खोज की थी।
इसे कालांतर में पिंडर घाटी भी कह कर पुकारा जाता रहा यानी विभिन्न नामों और पहचान से गुज़रते हुए आज के वर्तमान में इसे केवल या अधिकतर फूलों की घाटी के नाम से ही जाना जाता हैं।
फूलों की घाटी जाने का सही समय
यह स्थान पूरे वर्ष भर नही खुला रहता हैं बल्कि इसको घूमने का सही समय जुलाई, अगस्त और सिंतबर ही हैं। वैसे यह राष्ट्रीय उद्यान प्रत्येक वर्ष 1 जून से शुरू हो कर 31 अक्टूबर तक खुला रहता हैं।
लेकिन वर्षा होने के कारण जुलाई, अगस्त और सिंतबर तक में सर्वाधिक फूल खिले हुए रहते हैं। ब्रह्मकमल की बात करे तो 15 अगस्त से 15 सिंतबर तक या ये कहे कि पूरा सितम्बर तक देखने को मिल जाएगा।
प्रमुख स्थानों से गोविंद घाट की दूरी
बद्रीनाथ धाम से- 25 Km
जोशीमठ से- 15 Km
पीपलकोठी से- 48 Km
चोपता से- 145 Km
देवप्रयाग से- 190 Km
केदारनाथ से- 213 Km
गौरीकुंड से- 195 Km
हरिद्वार से- 290 Km
ऋषिकेश से- 263 Km
देहरादून से- 297 Km
नैनीताल से- 280 Km
अल्मोड़ा से- 250 Km
लखनऊ से- 648 Km
वाराणसी से- 950 Km
फूलों की घाटी जाने के लिए किसी भी पर्यटक को कम से कम गोविंदघाट आना होगा, जो चमोली जिले में बद्रीनाथ धाम मुख्य मार्ग से सटा हुआ हैं।
गोविंदघाट से फूलों की घाटी तक आपको 18 से 20 Km की ट्रैकिंग करनी होगी जिसमें गोविंदघाट से पुलना तक तो आप 4 Km की दूरी लोकल टैक्सी या दो पहिया वाहन से तय कर सकते हैं।
फूलों की घाटी कैसे पहुँचे?
यहाँ का भ्रमण करने के लिए सबसे पहले आपको अपने स्थान से बस, ट्रेन या फ्लाइट या फिर अपने निजी साधन के द्वारा सबसे निकटम स्थान हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून पहुँचना होगा।
यहाँ पर पहुँचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून हैं। आप देहरादून के एयरपोर्ट जॉली ग्रांट पर भी फ्लाइट के माध्यम से आ सकते हैं।
यहाँ से आप सरकारी बस या टैक्सी को बुक करके आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं। मैं आपको बेस पॉइंट हरिद्वार को मान कर बताने जा रहा हूँ जबकि आप ऊपर में वर्णित तीनो में से किसी भी स्थान को चुन सकते हैं।
हरिद्वार से आपको सर्वप्रथम ऋषिकेश, रूद्रप्रयाग होते हुए बदरीनाथ धाम हाईवे पर चमोली जिले में गोविंदघाट पहुँचना होगा जिसकी दूरी हरिद्वार से लगभग 275 से 280 Km के आसपास होगी।
यह दूरी आप 8 से 9 घण्टे में तय कर लेंगे। आप चाहे तो जोशीमठ या पीपलकोठी पर भी रात्रि विश्राम कर सकते हैं।
आपको बता दे कि यह हरिद्वार से गोविंदघाट की यात्रा में आपको उत्तराखंड की चार धाम यात्रा का अंतिम पड़ाव यही बद्रीनाथ धाम के दर्शन हो सकते हैं और साथ ही साथ आपको धारी देवी मंदिर शक्तिपीठ के दर्शन और उत्तराखंड के पंचप्रयाग के भी दर्शन हो जाएंगे।
गोविंदघाट पर आपको अपने निजी साधन या बस जिसका भी प्रयोग करके पहुँचे हैं, को छोड़ना पड़ेगा।
गोविंदघाट से केवल 4 Km की दूरी पर पुलना विलेज हैं यहाँ पर वहाँ की लोकल चलने वाली टैक्सी से ही पुलना तक आना होगा।
यदि आप दो पहिया वाहन से जा रहे है तो पुलना विलेज तक जा कर वही पार्किंग में वाहन खड़ा करना होगा।
पुलना विलेज से आप को पैदल या खच्चर की सहायता से 10 Km की दूरी को लगभग 5 से 6 घण्टे में पूरी कर लेंगे क्योंकि आधा रास्ता ठीक- ठाक तो वही आधा रास्ता खड़ी चढ़ाई हैं।
रास्ते में आपको खाने- पीने की छोटी छोटी दुकानें रेस्टॉरेंट, ढाबा मिल जायेगा आप सबका आनन्द लेते हुए आगे बढ़ते चले जाइये।
रास्ते में स्ट्रीट फूड का भी ऑप्शन जरूर मिलेगा यहाँ पर कई अलग प्रकार के व्यंजन और फल मिलेगा जिसका टेस्ट जरूर लीजिएगा।
आपका पुलना गांव से अगला पड़ाव घांघरिया विलेज होगा जिसे गोविंदधाम भी कहते हैं। यहाँ पर आपको रुकने के लिए 700 से 2000 के मध्य बजट वाले धर्मशाला, होटल, लॉज, होम-स्टे जैसी सुविधाएं मिल जाएगी।
यहाँ पर एक गुरुद्वारा भी हैं, जहाँ पर रुकने के लिए डोरमेट्री और कमरे मिल जाएंगे और साथ ही साथ भोजन करने के लिए सुबह तथा शाम में लंगर का भी आयोजन किया जाता हैं।
आप यदि बाहर खाना चाहे तो एक से बढ़कर एक रेस्टॉरेंट, होटल, ढाबा इत्यादि मिल जायेंगे। हाँ इतना जरूर हैं कि आप ऊंचाई पर स्थित किसी छोटे से गांव में तो खान- पान महंगा मिलेगा वह भी आपके यहाँ से या हरिद्वार के मुकाबले कम से कम दो से तीन गुना तक हो सकता है।
आप कही से भी आइये हर हाल में पुलना से ऐसे चलिये ताकि घांघरिया विलेज शाम 5 से 6 बजे तक पहुँच जाये। रात्रि विश्राम के बाद सुबह इस गोविंदधाम से मात्र 1 Km ऊपर की ओर चढ़ाई करने के बाद दो रास्ता दिखाई देगा-
- जिसमें पहला रास्ता जो मुड़ा हुआ है वह फूलों की घाटी जाएगा जो वहाँ से केवल 4 से 5 Km की दूरी पर हैं। आपको यहाँ बता दे कि यह रास्ता सिंगल ट्रेक वाला रास्ता है यानी कही कही सकरा रास्ता हैं।
- दूसरा सीधा रास्ता हैं हेमकुण्ड साहिब को जाता हैं, जो लगभग 8 से 9 Km की दूरी का है।
यह रास्ता थोड़ा खड़ी चढ़ाई वाला है, जहाँ पर आप पैदल या पिट्ठू की सहायता से जा सकते है।
फूलों की घाटी की सैर
आज का लेख हमारा फूलों की घाटी को लेकर के हैं। अपने किसी दूसरे लेख में हेमकुण्ड साहिब पर चर्चा करेंगे।
जब आप फूलों की घाटी की ट्रैकिंग के लिए निकलेंगे, तो सबसे पहले घांघरिया गांव से ऊपर 1 Km की दूरी पर जहाँ रास्ता दो भागों में बंटा हैं।
ठीक उसी डिवाइडर पर उत्तराखण्ड वन विभाग का एक काउंटर बना हुआ हैं, जहाँ पर 150 रुपये का पर्ची लेना होगा आधार कार्ड को दिखा कर के इसे प्रवेश शुल्क भी बोला जाता हैं।
आप फूलों की घाटी को एक्सप्लोर केवल हाईकिंग और ट्रैकिंग के माध्यम से ही कर सकते हैं। यहाँ खच्चर, पालकी इत्यादि ले जाना मना हैं।
आप यहाँ घूमते रहिए और विभिन्न प्रकार के हज़ारों अलग अलग दुर्लभ प्रजाति के फूल और जड़ी बूटियों वाले पौधे मिल जाएंगे।
आप यहाँ फ़ोटो क्लिक कर सकते हैं। झरना और पहाड़ देखने को मिल जाएगा जो भी एडवेंचर और प्राकृतिक प्रेमी हैं, उनके लिए यह स्वर्ग के समान हैं।
फूलों की प्रजातियां
विभिन्न प्रकार के अल्पाइन फूल, जड़ी और वनस्पति पौधों के लिए जाना जाने वाला यह पार्क लगभग 85 से 90 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हैं।
नवंबर से मई तक यहाँ जबरदस्त बर्फबारी होती रहती हैं और जैसे ही मौसम साफ होता हैं तो ये सभी फूल खिलना शुरू कर देते हैं।
यहाँ पर सबसे दुर्लभ में नीला पोस्ता का फूल (Blue Himalayi Poppy), ब्रह्मकमल, बहुमंजिला फूल, गुलाबी ओस फूल, लेबिलिया, जर्मेनियम, मार्स, गेंदा की कई प्रजातियां, कंपनुला, मोरिना, बीस्टोरीटा, थर्मोपुपिस इत्यादि जैसे सैकड़ो या हज़ारों प्रजातियों के फूल देखने को मिल जायेंगे।
दूर से रंग बिरंगे चादर ओढ़े हुए रंगीन बर्फ के समान देखने का मजा बिना जाए वहाँ पर नही मिल सकता हैं।
Note- ध्यान रहे कोई भी फूल को टच करके या थोड़ कर न देखे और न ही छूने की कोशिश करें क्योंकि अधिकांश फूल और पौधे जंगली होने के कारण ज़हरीले होते हैं।
फूलों की घाटी को एक्सप्लोर करने के लिए कई टूर पैकेज ऑनलाइन या ऑफलाइन मिल जाएंगे आप उसे बुक करके भी अपनी यात्रा को पूरा कर सकते हैं।
फूलों की घाटी के सैर पर जाने की तैयारी क्या होगी?
आप यहाँ पर अकेले, ग्रुप में, फैमिली मेंबर्स या दोस्तों के साथ आसानी से आ सकते हैं या एक और विकल्प है कि कई ट्रेकर्स अपना पैकेज बना कर उसमें फूलों की घाटी और हेमकुण्ड साहिब का प्लान बना कर आपको अपने गाइड के साथ यह ट्रैक पूरा करवाते हैं।
आप इस यात्रा के दौरान कुछ विशेष व्यवस्था के साथ ही जाए तो बेहतर होगा,जैसे कि आपको अपने यात्रा के दौरान मुख्य रूप से रखना ही होगा-
रेनकोट, टार्च, वुलेन कपड़े और जैकेट,टोपी और मफलर, छाता, इनर और मोजे, आधार कार्ड या अन्य कोई परिचय पत्र, कैश जरूर से रखे, छ्ड़ी, छोटा पिट्ठू बैग, दस्ताना, मास्क (यदि जरूरी हो तब), एक छोटा पानी का बोटल, चश्मा (जरूरी हो तब), जरूरी मेडिसिन इत्यादि तो आपको रखना ही होगा बाकी पर्सनल समान कपड़े सेविंग किट भी जरूर ले जाये।
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