जब भी आप घूमने का प्लान बनाते है तो दिल मे सबसे पहले हिल स्टेशन का ख्याल आता है और अगर वह हिल स्टेशन प्राकृतिक रूप से, बादलों से घिरी हुईं पर्वत श्रृंखला अगर आप सभी यह मिस न करना चाहते है तो -
चलो फिर सिक्किम की ओर।
आज हम आप सभी के साथ दिलचस्प और अति प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थान पर चर्चा करूँगा और वहाँ की सैर भी कराऊंगा।
जी, हाँ दोस्तो आज मैं गंगटोक की बात कर रहे हैं। यात्रा बहुत ही मन को मोहने वाली होने वाली हैं, तो बस फ़टाफ़ट बैग पैक कर के मेरे साथ एक स्माल ट्रिप पर गंगटोक चलिये।
गंगटोक को स्थानीय लोग " गंतोक " भी कहते हैं। अब आप इसे पहाड़ी भाषा कहे या हिंदी इसमें न ही उलझे तो बेहतर है। आप तो बस मेरे साथ गंगटोक की सैर का आनन्द लीजिये।
गंगटोक सिक्किम की राजधानी है। यह भारत के उत्तर-पूर्व (North-East) में स्थित पर्वतीय राज्य हैं। यहाँ की प्रमुख नदी तीस्ता नदी हैं, जो सिक्किम की जीवन रेखा हैं।
एक बात आप जरूर से ध्यान रखियेगा की भारत में उत्तर-पूर्व में जो सात राज्य (Seven Sister) हैं, इसमें सिक्किम नही आता हैं।
गंगटोक कहाँ पर है (किस जगह स्थित है)?
सिक्किम की राजधानी "गंगटोक" बेहद प्राकृतिक और खूबसूरती से बसा हुआ यह सिक्किम का प्रमुख शहर है, जो एक छोटी नदी- रानीपूल नदी के किनारे स्थित है। यहाँ से हिमालय की कंचनजंघा पर्वत श्रृंखला को देखा जा सकता हैं।
Gangtok किसके लिए प्रसिद्ध है?
यह नगर अपने प्राचीन मंदिर, मठ और प्राकृतिक नज़ारों, पहाड़ों, झील के लिए प्रसिद्ध हैं। आप इस शहर को अगर पैदल घूमेंगे जिसमें खास तौर से महात्मा गांधी मार्केट रोड तो ट्रिप का मज़ा दोगुना हो जायेगा।
आपको यहाँ यह भी बता दे कि MG Market Road गंगटोक का पूरे देश में साफ-सफाई के लिये जाना जाता हैं। आप को बरबस ही शिमला और मसूरी के मॉल रोड की याद दिलायेगा।
सिक्किम राज्य की विशेष बातें
- सिक्किम पूर्णतः जैविक खेती पर निर्भर हैं।
- सिक्किम में प्रदूषण का स्तर न के बराबर हैं।
- सिक्किम में स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जाता हैं जो अन्य राज्यों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ हैं। इसलिए जब तक सिक्किम में रहे तो गंदगी को टाटा बोल दे। कही-कही तो प्लास्टिक के थैले और बोतल भी बैन हैं।
कैसे पहुँचे गंगटोक?
इस आकर्षक और रोमांच से भरपूर नगर में Entry करने के लिए जब भी भारत के किसी स्थान से जाएंगे तो आप को सबसे पहले पश्चिम बंगाल के अति महत्वपूर्ण नगर सिलीगुड़ी आना पड़ेगा।
पहली बात कि यदि आप अपने वाहन या बस से आते है तो सीधे सिलीगुड़ी बस स्टैंड आएंगे। अगर मेरी बात माने तो आप अपने वाहन के जगह बस से आये।
दूसरी बात यह कि यदि आप ट्रेन से आते है तो नज़दीक का रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन हैं। यहाँ पर आकर टेम्पो या टैक्सी से सिलीगुड़ी आइये जो स्टेशन से मात्र 8 से 10 KM है।
हाँ, ये अलग बात है कि यदि आप हवाई जहाज से आते है, तो गंगटोक से सबसे नजदीक का एयरपोर्ट पोकयोंग एयरपोर्ट हैं, जो लगभग 30 KM की दूरी पर स्थित हैं। परन्तु सभी जगह से सीधे उड़ान गंगटोक के लिए नही मिलेंगी और इस कारण आपके बजट पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
दूसरा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बागडोगरा हैं, जो गंगटोक से 125 KM की दूरी पर स्थित हैं। यह हवाई अड्डा भारत के लगभग सभी शहरो से जुड़ा हुआ हैं।
बजट को कम करने के लिए आप ट्रेन और बस का सहारा लें और घूमने का लुत्फ उठाये।
जब आप सिलीगुड़ी पहुँच गये तो यहाँ से टैक्सी और बस से गंगटोक जा सकते हैं। यह दूरी लगभग 110 KM की है, जो रोमांच से भरपूर हैं।
पूरे रास्ते में अगल-बगल हरी भरी पर्वतीय घाटियों और तीस्ता नदी की धारा आपका साथ नही छोड़ेंगी जैसे कि आपकी दोस्त हो गई हो, और आपको गंगटोक पहुँचा कर ही दम लेगी।
यह स्थान सोलो ट्रैवलर के लिए भी किसी जन्नत से कम नहीं है, आप चाहे तो यहाँ सोलो travel भी करके पहुंच सकते है। यदि आप सोलो ट्रेवल के बारे में नहीं जानते तो सोलो ट्रेवल कैसे करें, इस लेख को पढ़ कर अपना ज्ञान वर्धन कर सकते हैं।
प्रमुख शहरों से गंगटोक की दूरी (लगभग में)
- दार्जलिंग से गंगटोक - 95 KM
- बागडोगरा से गंगटोक - 123 Kms
- सिलीगुड़ी से- 110 KM
- कोलकाता से- 685 KM
- आसनसोल से- 575 KM
- गुवाहाटी से- 540 KM
- सिलचर से- 850 KM
- डिब्रूगढ़ से- 960 KM
- शिलांग से- 630 KM
- कामख्या से- 530 KM
- मधुबनी से- 415 KM
- दरभंगा से- 440 KM
- कटिहार से- 310 KM
- अररिया से- 252 KM
- किशनगंज से- 220 KM
- पटना से- 568 KM
- रांची से- 720 KM
- धनबाद से- 610 KM
- बोकारो से- 625 KM
- जमशेदपुर से- 730 KM
- वाराणसी से- 810 KM
- गाजीपुर से- 730 KM
- लखनऊ से- 1025 KM
- मसूरी से- 1810 KM
- शिमला से- 1920 KM
- धर्मशाला से- 2050 KM
- नई दिल्ली से- 1552 KM
- हैदराबाद से- 2065 KM
- मुम्बई से- 2405 KM
- नासिक से- 2235 KM
- चेन्नई से- 2295 KM
गंगटोक जाने का सही समय (मौसम)
एक बात मैं आपको हमेशा से कहते आया हूँ कि किसी भी पर्वतीय शहर या हिल स्टेशन पर बरसात के मौसम को छोड़ कर कभी भी जाये।
खास कर के गर्मी के समय में तो घूमने का मज़ा चारगुना हो जाता हैं। लेकिन बर्फबारी देखने के लिए सर्दी का मौसम बेहतर होता है।
घूमने का सही समय (सही महीना)
दिसम्बर से फरवरी (स्नो फॉल के लिये) जबकि- अप्रैल से जून (गर्मी का समय) अनुकूल हैं। कुल मिला कर सितम्बर से जून तक का समय सबसे अच्छा है, गंगटोक घूमने के लिये।
समर वोकेशन में पर्यटकों की काफी भीड़ मिलेगी क्योंकि पूर्वोत्तर भारत के दो नगर पहला गंगटोक और दूसरा दार्जलिंग शिमला एवं कश्मीर से कम नही है। इसलिये भीड़-भाड़ पसन्द नही है, तो गर्मी में जाने से बचे क्योंकि मई और जून भारत मे समर वोकेशन का समय रहता हैं। अतः इन दो महीने को छोड़ कर और वर्षा के माह छोड़ कर जाये।
रुकने के लिए होटल (स्थान)
यह एक हिल स्टेशन हैं तो कई छोटे और बड़े होटल जो आपके बजट के अनुकूल हैं, मिल जायेंगे।
गंगटोक के मेन मार्केट M.G. मार्केट रोड के दोनों तरफ मिल जायेंगे। मेरी राय फिर से यही रहेगी कि आप पहले से ही होटल की बुकिंग ऑनलाइन कर ले खास तौर से तब, जब आप फैमिली ट्रिप पर हो।
गंगटोक में क्या घूमें (स्थान)?
पूरा शहर ही आकर्षण का केंद्र है। सुंदर वादियों में आप खो जायेंगे और ट्रिप यादगार बनेगी की फिर से गंगटोक का प्लान बना लेंगे।
आप लोकल तो पैदल ही घूमेंगे तो ही पूरा एन्जॉय कर सकेंगे और हां अपने साथ छाता जरूर रखें क्योंकि यहाँ रह-रह कर बारिश होती रहती हैं। शहर से कंचनजंघा की पर्वतमाला आपका स्वागत करती हुई दिखेगी जैसे कि मानो आपसे कह रही हो कि, "अतिथि देवों भवः"।
यहाँ आपको लोकल तथा 50 KM की दायरे में घूमने के लिए कम से कम 2 दिन का समय चाहिए अर्थात पर्यटन की भाषा मे बोले तो 3 Days and 2 Nights इस दौरान आप साइट सीन में निम्नलिखित स्थानों को घूम सकते हैं।
नाथूला दर्रा
यह भारत और चीन के अधिकृत तिब्बत के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। यह कभी सिल्क रूट का हिस्सा था। यह गंगटोक से मात्र 40 KM की दूरी पर स्थित हैं।
वर्तमान में यहाँ भारतीय सेना की छावनी हैं। सुरक्षा दृष्टि को ध्यान में रखते हुए आप को यहाँ पर जाने के लिए पास बनवाना पड़ता है।
एक बात का ध्यान जरूर दे कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जाना मना हैं तो इस बात को जरूर समझ लें। यहाँ पहुँचने के लिए टैक्सी बुक कर के जा सकते हैं।
यहाँ से हिमालय की सुंदर वादियों का दीदार किया जा सकता हैं। इस पॉइंट को मिस न करें, नही तो बाद में केवल मलाल रह जायेगा और यात्रा भी अधूरी हो जायेगी।
बाबा हरभजन सिंह मन्दिर
नाथूला दर्रा से थोड़ी दूर पहले ही रास्ते में यह जागता मन्दिर स्थित हैं। कहा जाता है कि आज भी बाबा हरभजन सिंह जो भारतीय सेना में सैनिक थे, मरणोपरांत भी यहाँ सरहद पर रक्षा करते हैं।
लोसांग उत्सव
यह सिक्किम का प्रमुख त्योहार और रंगारंग कार्यक्रम वाला मेला या त्योहार है, जो सिक्किम में नये साल के आने की खुशी में मनाया जाता हैं।
रुमटेक मोनेस्ट्री
यह गंगटोक से मात्र 25 KM की दूरी पर स्थित बौद्ध धर्म को समर्पित पवित्र मठ हैं। यह मठ नायाब वास्तु और भव्यता के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। आप यहाँ जा कर बौद्ध संस्कृति को नजदीक से महशूस कर सकते हैं और देख सकते हैं।
ताशी व्यू पॉइंट
गंगटोक से मात्र 6 से 8 KM की दूरी पर स्थित यह स्थान खासा पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करता हैं। इस पॉइंट से आप कंचनजंघा की चमकती बर्फ से ढकी हुई चोटी और पर्वत माला का नज़ारा देखते बनता हैं।
फ्लावर पार्क (गार्डन)
गंगटोक से केवल 2 KM की दूरी पर शहर में एक उद्यान हैं। यहाँ देशी-विदेशी तथा पर्वतीय दुर्लभ प्रजातियों के पौधों और फूल के हज़ारो किस्म है। यहाँ बच्चे और सभी उम्र के सैलानी खूब आनन्द लेते है, फ़ोटो भी खिंचवाते हैं। इसे मिस मत करियेगा अर्थात अपने ट्रिप में जरूर शामिल करें।
हनुमान टोंक और गणेश टोंक
यह दोनों मन्दिर गंगटोक शहर में ही थोड़ी सी ऊँचाई पर स्थित हैं। यह मंदिर क्रमशः हनुमान जी तथा गणेश जी का अद्धभुत मन्दिर है। इन दोनों मन्दिरों से पूरे गंगटोक शहर के नज़ारों का लुफ्त उठाया जा सकता हैं।
Ropeway
शहर की खूबसूरती निहारने के लिए रोप वे से एक छोटी यात्रा की जाती हैं, जो एक पॉइंट से शहर के ऊपर से दूसरे पॉइंट पर ले जाता हैं और फिर रोप वे से बिना उतरे पुनः वापस आया जाता हैं।
तितली पार्क
भारत का पहला तितली पार्क यह अपने में अनोखा हैं। कम से कम 500 से भी अधिक तितलियों की प्रजातियों को रखा गया हैं।
यह स्थान बच्चों को बहुत ही पसंद आयेगा क्योंकि आपने हर तरह के पार्क या चिड़ियाघर देखे होंगे परन्तु यह पार्क अपने आप में अनोखा हैं।
MG मार्ग (मार्केट रोड)
MG मार्ग गंगटोक का सबसे सुंदर और सुसज्जित बाजार है। यहाँ रोड के दोनों तरफ आपको शॉपिंग मॉल, स्टोर्स, रेस्टॉरेन्ट होटल बने हुए हैं।
जगह-जगह सेल्फी पॉइंट आपको बिना फ़ोटो लिये आगे नही जाने देंगे। रात्रि के समय जब पूरा बाजार लाइट से जगमगा जाता हैं, तो विदेशी छवि का बोध होने लगता हैं।
नामग्याल तिब्बती अध्ययन संस्थान
मात्र गंगटोक से 3 KM की दूरी पर देवराली नामक स्थान पर तिब्बती भाषा और संस्कृति का अनोखा संगम है। नामग्याल तिब्बती अध्ययन संस्थान अति प्राचीन पुस्तकों का संग्रहालय हैं। यह तिब्बती भाषा और संस्कृति पर शोध के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
चांगू झील (Tsomgo Lake)
चंग्गू सांगमो झील भी कहते है। यह मात्र 20 KM पर स्थित सुंदर झील है, जो नील रंग की दूर से ही दिखाई देता हैं जैसे लगता हो कि नीला आसमान ही धरती पर उतर आया हो।
चंगु झील अधिकतर चारो तरफ बर्फ से ढकी सफेद चादरों के समान परत होती है। सर्दी के मौसम में तो चांगू झील पूरी तरह से जम जाती हैं। यहाँ एका-एक ठंड लगने लगती है गर्मी के मौसम में, तो ऊनी कपड़ों के साथ जाये।
अगर न हो, तो मौके पर ऊनी कपड़े की चिंता मत करिये पास के गांव के बाजार में ऊनी कपड़े, जैकेट सब किराये पर मिल जाते हैं।
यहाँ आपको यार्क भी देखने को मिल जायेगा, बच्चों से थोड़ा दूरी बना कर रखे यार्क से क्योंकि नुकसान भले नही पहुँचाये परन्तु सावधानी अपने जगह जरूरी है।
बांझकरी झरना (Waterfall)
गंगटोक से केवल 8 से 10 KM की दूरी पर स्थित यह झरना अत्यंत मनमोहन लगती हैं। इस झरने की ऊँचाई लगभग 45 फ़ीट की हैं।
झरने पर पहुँचने के लिए सीढ़िया बनी हुई है जो और भी इस झरने में चार चांद लगा देती हैं।
सेवन सिस्टर वाटरफॉल्स
जैसा कि नाम में सात हैं तो यहाँ कुल सात झरनों का समूह है, जो सभी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र हैं। यह स्थान गंगटोक से मात्र 30 KM की दूरी पर स्थित हैं।
एनचे मोनेस्ट्री
यह मठ बौद्ध धर्म का पवित्र पूजा स्थल है, जो प्राचीन मठो में शुमार है। यहाँ से कंचनजंघा की खूबसूरती देखने लायक बनती हैं तथा पूरा शहर भी देखा जा सकता हैं।
गंगटोक में खान-पान
यहाँ आपको उत्तर और दक्षिण भारतीय व्यंजन, उत्तर भारत के लोकल व्यंजन, पहाड़ी डिश, तिब्बती भोजन और नाश्ता के अच्छे रेस्तरां जो फैमिली के अनुरूप मिल जायेंगे।
अधिकतर खान-पान के व्यवस्थित रेस्टूरेंट जो आपके बजट में हैं M.G. रोड पर मिलेंगे। स्ट्रीट फूड का चलन यहाँ पर हर जगह मिलेगा जहाँ पर मैगी, मोमोज़ इत्यादि का लुफ्त उठा सकते है।
क्या ख़रीदे?
चूंकि यह पूरा क्षेत्र चाय के बागान के लिये प्रसिद्ध हैं, क्योंकि कुछ ही दूरी पर दार्जलिंग है, जो चाय की उन्नत किस्मों के लिये पूरे विश्व में जाना जाता हैं।
इसके अलावा बांस के बने हुये वस्तु आपको मिलेंगी, मोल भाव आप अपने हिसाब से कर सकते हैं क्योंकि हिल स्टेशन होने के कारण महंगाई यहाँ मिलेगी।
अन्य वस्तु जो सजावट से सम्बंधित हैं ड्रेस जैसे ऊनी कपड़े, कम्बल, जैकेट, स्वेटर इत्यादि की भी खरीदारी कर सकते हैं।
आप सभी को गंगटोक का कम से कम एक बार जरूर प्लान बनाना चाहिये, मेरा यकीन करें आप निराश नही होंगे। आप पूरी ट्रिप एन्जॉय करेंगे।
एक बात का ध्यान दीजियेगा कि यह ट्रिप केवल गंगटोक और उसके आस-पास के क्षेत्र (50 KM)
तक में घूमने का प्लान हैं, इसलिये मैने 2 से 3 दिन का ट्रिप कहा हैं।
यदि पूरा सिक्किम घूमने का प्लान हो तो उसके लिये आपको कम से कम 7 दिन यानी एक हफ्ता का टूर प्लान करना होगा।
यदि गंगटोक घूमने के बाद 2 से 3 दिन का समय हो तो आप गंगटोक से 95 KM की दूरी पर स्थित पश्चिम बंगाल के एक मात्र हिल स्टेशन दार्जलिंग की भी सैर कर सकते हैं।
यहाँ भी घूमने जरूर जाये -
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