भारत में अभी ऐसे बहुत से ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जो आम जन मानस के संज्ञान से परे हैं।
और यदि ऐसे दिव्य स्थान, हिल स्टेशन के रूप में हो तो सोने पे सुहागा सिद्ध हो जाते हैं। जी हाँ, दोस्तों आज कुछ नया मिलने वाला हैं।
हम आपको ऐसे ही एक धार्मिक स्थल से रुबरु कराने जा रहे हैं, जो मंदिर दर्शन के साथ ही बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन के रूप में प्रसिद्ध हैं।
आज हम बात करेंगे जागेश्वर धाम की जो मन्दिर के लिये तो जाना ही जाता हैं बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य और पर्वतीय नगर
(हिल स्टेशन) के लिए भी मशहूर हैं। आज की यह स्माल ट्रिप इस मंदिर के नाम तो चलों फिर देवभूमि उत्तराखंड की ओर।
सर्वप्रथम आप सभी को मैं एक बात बता दु कि आप सभी ने यह सुना होगा कि उत्तराखंड को देवभूमि कहते हैं।
अब सवाल यह है कि देवभूमि कहते क्यों है?
इसका उत्तर, प्रश्न से भी सरल है क्योंकि उत्तराखंड, साधुओं और संतो की तपस्या वाली भूमि है और सबसे आसान भाषा में की यह राज्य देवताओं का निवास स्थान हैं, जिस बात का जिक्र रामायण, शिवपुराण और महाभारत जैसे महाकाव्य में किया गया हैं।
उत्तराखंड की धरती पर चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री भी स्थित है, जो इस राज्य की धार्मिक विरासत में चार चांद लगा देते है।
प्राकृतिक प्रेमी को उत्तराखंड कभी भी निराश नही करता हैं। एक तरफ सुंदर वादियों में मन्दिर के शंख तथा घण्टो की आवाज़ हमारे कानो में मधुर संगीत घोल देता हैं तो राष्ट्रीय वन पार्क बरबस अपने ओर आकर्षित करते हैं।
ऐसे में हम आपको ऐसे मंदिर की सैर कराने चल रहे हैं, जो ज्योर्तिलिंग में तो शामिल नही है परन्तु ज्योर्तिलिंग से कम भी नही हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वयं शिव जी ने तपस्या किया हैं और फिर भोले बाबा की ससुराल भी तो उत्तराखंड में ही हैं। पूरी यात्रा बड़ी ही मजेदार होने वाली है तो फिर आज का दिन अल्मोड़ा के जागेश्वर मन्दिर को अर्पण-
मन्दिर से पहले हम बात अल्मोड़ा की करेंगे क्योंकि जबतक अल्मोड़ा नही जानेंगे, तो जागेश्वर धाम को नही घूम पायेंगे। पौराणिक कथा और स्कन्दपुराण के अनुसार अल्मोड़ा को विष्णु भगवान का निवास स्थान कहते हैं।
एक और कथा के अनुसार माता देवी कौशिका ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दानवों का वध इसी क्षेत्र में किया था। इस नगर का धार्मिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व भी अपना अलग है, जैसे कि अन्य नगरों का होता है। यह नगर उत्तराखंड के प्रसिद्ध नगर क्षेत्र में शुमार हैं।
जागेश्वर मन्दिर धाम परिसर
अल्मोड़ा जिला का मुख्यालय भी अल्मोड़ा शहर हैं, जो कुमाऊँ मंडल के अंतर्गत आने वाला एक बेहद प्राकृतिक दृष्टि से शांत और खूबसूरत नगर हैं।
यह कुमाऊँ हिमालय रेंज के तहत बसा हुआ है। अल्मोड़ा से मात्र 36 KM की दूरी पर स्थित चारो तरफ देवदार के लंबे और घने पेड़ो के मध्य जागेश्वर मन्दिर है, इसे जागेश्वर धामपुर भी कहते हैं।
जागेश्वर मन्दिर समूह में लगभग 125 छोटे और बड़े प्राचीन मंदिरों की श्रृंखला हैं। मन्दिर के चारो तरफ देवदार के ऊंचे-ऊंचे पेड़ हैं।
मेरा आप सभी से अनुरोध है कि कम से कम एक बार ही सही इस मंदिर के दर्शन करने जरूर आये और लोगो को भी इस मंदिर के महिमा को बताये तथा यहाँ आने के लिए प्रेरित करें।
मंदिरों में भगवान शिव को समर्पित, नवदुर्गा, कालिका देवी, मृत्युंजय मन्दिर प्रसिद्ध हैं। समय समय पर अनेक साधु-संतों और ऋषियों ने यहाँ तपस्या किया है।
बहुत कम ही ऐसा देखने को मिलता है कि कोई ऐसा स्थान जो हिल स्टेशन भी है और साथ में पवित्र नगरी अर्थात कई मंदिरों की नगरी हो।
आप जितने भी समय इस मंदिर के परिसर में रहेंगे, आपको सुखद अनुभूति तथा मन सांसारिक मोहमाया से दूर होकर एकांतवाद की तरफ जायेगा।
जागेश्वर धाम कब जाये (मौसम)?
आप अल्मोड़ा कभी भी जा सकते है। अगर औसतन मौसम की बात करे तो तापमान 15 डिग्री तक का रहता है। सबसे ठंडा महीना जनवरी तो सबसे गर्म जून का रहता है।
घूमने के लिहाज से सबसे अच्छा मौसम मार्च और अप्रैल हैं। अगर बर्फ प्रेमी हैं तो दिसम्बर से फरवरी के समय अल्मोड़ा आइये पूरा शहर और जागेश्वर धाम बर्फ रूपी चादर से ढका हुआ रहता है।
मेरी माने तो मार्च से मई तक एन्जॉय और घूमने के साथ ही दर्शन भी कर सकते है।
जोगेश्वर मन्दिर कैसे पहुँचे ट्रैकिंग करके?
जब भी हम कोई यात्रा बनाते है या यात्रा फिक्स करते है, कि कही घूम कर आया जाये-तो सबसे पहले वहाँ पहुँचने का लिंक ढूंढते हैं।
आपको हम यह बता दे कि अल्मोड़ा नगर दिल्ली, लखनऊ, देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी, काठगोदाम, नैनीताल और पन्त नगर उधमपुर से सड़क मार्ग के द्वारा सीधे जुड़ा है। दूरी के बारे में आगे अभी आपको बता देंगे कि कौन सा नगर अल्मोड़ा से कितनी दूर स्थित हैं।
फिलहाल आप यह जरूर जाने की अल्मोड़ा से सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो नैनीताल जिले में स्थित हैं। काठगोदाम रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख नगरों से सीधे रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है।
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पन्तनगर (उधमसिंह नगर) है जो लगभग 120 KM अल्मोड़ा से दूर हैं।
प्रमुख नगरों से अल्मोड़ा की दूरी-
- नैनीताल से- 66 KM
- काठगोदाम से- 85 KM,
- रूद्रपुर से- 120 KM
- मुक्तेश्वर से- 55 KM
- हल्द्वानी से- 90 KM
- पंतनगर से- 120 KM,
- देहरादून से- 350 KM
- रानीखेत से- 50 KM
- हरिद्वार से- 298 KM
- रुड़की से- 330 KM
- ऋषिकेश से- 320 KM
- मसूरी से- 380 KM
- लखनऊ से- 433 KM
कुल मिला कर आपको जब भी जोगेश्वर धाम मन्दिर जाना होगा तो सबसे पहले अल्मोड़ा ही आना होगा, फिर वहाँ से लगभग 36 KM की दूरी पर, नगर से बाहर निकलते ही जोगेश्वर मन्दिर आयेगा।
हाँ आपको कुछ दूर तक पैदल ट्रैकिंग भी करना पद सकता है यह पूरी तरह मौसम के मिजाज पर निर्भर करता है क्योंकि बरसात के मौसम में सड़के व रास्ते हल्का फिसलन भरे हो जाते हैं।
अल्मोड़ा में कहाँ रुके (स्थान)?
मैंने आपको पहले ही बता दिया है कि अल्मोड़ा एक पहाड़ी शहर है और हिल स्टेशन के रूप में प्रसिद्ध होने के कारण यहाँ अनेक धर्मशाला, लॉज, होटल, कॉटेज, फैमिली रिसॉर्ट उपलब्ध है।
यह सभी बजट के महंगे और सस्ते होटल जो लगभग 800 से 4000 तक में मिल जायेंगे।
उत्तराखंड सरकार की तरफ से गेस्ट हाउस की भी सुविधा मिल जायेगी, जो सस्ते दर पर रुकने का एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं।
खान-पान पर एक नज़र
खाने-पीने के मामलों में पूरे उत्तराखंड का कोई जवाब नही हैं। यहाँ लोकल डिश से ले कर उत्तर भारतीय व्यंजन, दक्षिण भारतीय व्यंजन और चाइनीज फ़ूड आसानी से लगभग सभी रेस्टॉरेंट और होटल ढाबा में मिल जायेगा।
हाँ, ये ज़रूर है कि कही भी खाने के लिए स्थानीय स्तर पर लोगो से फीडबैक ले लीजिये ताकि किसी भी चीज़ की दिक्कत न हो खास तौर पर जब फैमिली के साथ ट्रिप पर हो तो ज्यादा ध्यान देने वाली बात होती है।
और एक सबसे बड़ी बात की कही भी लंच या डिनर करने से पहले रेट जरूर जान ले नही तो आपके बजट पर प्रभाव पड़ सकता हैं।
क्या खरीदें?
जब भी पहाड़ी इलाको में घूमने जाये तो आपको लोकल शॉप पर गर्म कपड़े, ऊनी वस्त्र, दस्ताना, टोपी, शाल इत्यादि सस्ते और उचित मूल्य पर मिल जायेंगे। कीमतों का मोलभाव आप खुद एक बार जरूर कर लें क्योंकि हिल स्टेशन होने पर जरूर ही समान महंगे मिलेंगे।
जब आप घूमने का प्लान बना लिये और अल्मोड़ा पहुँच गये तो क्या केवल जोगेश्वर धाम ही दर्शन कर के वापस आ जाएंगे? नही न?
तो फिर अल्मोड़ा की भी सैर करेंगे क्योंकि जब भी हम फुर्सत में रहते है तो ही मस्ती और एन्जॉय के लिए टूर या यात्रा प्लान करते हैं। चूंकि भागमभाग और भागदौड़ की ज़िंदगी से थोड़े समय शुकुन के लिए निकल कर हम बेफ़िक्र हो कर घूमते हैं।
हाँ, ये जरूर हैं कि हम अपने बजट का ख्याल रख कर ही प्लान बनाते हैं।
तो आइये हम आपको अल्मोड़ा के कुछ स्थल की भी चर्चा कर दे ताकि आप जब भी जाये तो अपने ट्रिप में इसे भी शामिल कर लें और उसी प्रकार से अपनी यात्रा को सेट कर लें. तो चलिए जान लीजिये उन स्थानों के नाम...
रानीखेत
यह स्थान अल्मोड़ा से मात्र 40 से 45 KM की दूरी पर हैं। यह एक छावनी बेस भी हैं।
यहाँ सेब के बागान, गोल्फ के मैदान, झीलें, सरना गार्डन रोड, चीड़ और देवदार के सदाबहार वनों की श्रृंखला देखने लायक है।
यहाँ दो प्रसिद्ध मंदिर जिसमें पहला झूला देवी मंदिर और दूसरा बिनसर मन्दिर यही पर स्थित है, स्थानीय लोगो में इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था हैं।
यह नगर अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत ही आता हैं।
प्रमुख मन्दिर
यहाँ अल्मोड़ा के आस-पास ही नन्दा देवी, कसार देवी मंदिर, कटारमल सूर्य मंदिर, गोलू देवता मन्दिर, चितई मन्दिर, कालीमठ आदि अल्मोड़ा शहर से 10 KM से 20 KM के अंदर ही हैं।
राजकीय संग्रहालय
अल्मोड़ा नगर में राजकीय संग्रहालय और कला संस्कृति से सम्बंधित और भारतीय इतिहास से सम्बंधित अच्छे कलेक्शन मिलेंगे, जो कला प्रेमियों को अपने ओर बरबस खींच लेता हैं।
मोहनजोशी पार्क
यहाँ पर एक कृत्रिम रूप से 'V' आकार का एक झील या ताल हैं, जहाँ सैलानी आकर सेल्फी के साथ प्राकृतिक सुंदरता का सुखद अनुभव करते हैं।
खगमरा किला
अल्मोड़ा शहर के पूरब में कत्यूरी राजाओं के द्वारा इस किले का निर्माण कराया गया था। यह नवीं से दसवीं दशक के मध्य बना देखने लायक हैं।
कुल मिला कर मैं आपसे एक बात व्यक्तिगत रूप से कहना चाहूंगा कि हिल स्टेशन पर आप अपनी छुट्टियां बिताने जाना चाहते हैं, तो हमेशा ऐसे जगह पर जाने की यात्रा प्लान करनी चाहिए जहां ज्यादा भीड़-भाड़ नही हो-
और ऐसे में उत्तराखंड का यह अल्मोड़ा जिला सबसे बेहतर विकल्प हैं, तो कम से कम एक बार तो जाना बनता हैं और एक बार जब हो कर यहां से आइये तो अपने ट्रिप को मुझसे शेयर जरूर करिये, अपना अनुभव बताइए, हमें कमेन्ट जरूर करिये।
एक बार सिर्फ एक बार नीचे में बताये गए इन दो स्थनों को भी घूम कर आए, फिर तो मजा आ जायेगा:-
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