धर्मशाला उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन के साथ ही एक धार्मिक स्थल भी हैं, जो अपने खूबसूरत और हरे- भरे स्वच्छ वातावरण के लिए सैलानियों के मध्य खासा पसंद किया जाता हैं।
अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो आपके लिए यह शहर सबसे सही हैं क्योंकि धर्मशाला जिस प्रकार से बसा हुआ हैं वह दूर से सुंदर और शोभनीय हैं।
यहाँ की सैर मैंने सोलो यात्रा के रूप में नही बल्कि फैमिली मेंबर्स के साथ किया था। आपको इस नगर में घूमने के लिए बहुत सारे स्थल मिलेंगे, जो आपके ट्रिप को चार चांद लगा देंगे।
धर्मशाला की वर्तमान स्थिति
धर्मशाला, भारत के हिमांचल प्रदेश में कांगड़ा जिले में स्थित एक प्रमुख नगर हैं। कांगड़ा जिले का मुख्यालय (Headquarter)और हिमांचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी (Winter Capital) भी हैं।
धर्मशाला का ऊपरी नगर मैक्लॉडगंज के नाम से बसा हुआ हैं, जो तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और निर्वासित तिब्बती शरणार्थियों के निवास स्थान के रूप में भी जाना जाता हैं।
धर्मशाला का इतिहास
धर्मशाला या पूरे कांगड़ा के इलाके में अंग्रेजो के आगमन से पहले-पहले कटोच वंश के राजा संसार सिंह का शासन था।
1809- 10 में सिख वंश के राजा रणजीत सिंह और संसार सिंह के मध्य एक सन्धि हुई थी जिसके परिणामस्वरूप कांगड़ा और धर्मशाला पर अंग्रेजी हुकूमत का वर्चस्व हो गया है और आगे चलकर अंग्रेजों ने अपनी छावनी बना ली।
जिस स्थान पर छावनी अंग्रेजों ने स्थापित किया था वही पर पहले से एक हिन्दू धर्मशाला बना हुआ था, जिसके चलते इस का नाम धर्मशाला पड़ गया।
धर्मशाला का शाब्दिक अर्थ
आप यह कह सकते हैं कि धर्मशाला शब्द दो शब्दों से मिल कर बना हैं-
"धर्म" और "शाला" जिसमें 'धर्म' का अर्थ होता हैं- "ईमान या भक्ति या धारण करना" जबकि 'शाला' का अर्थ होता हैं- "विशेष स्थान या रहने का स्थान"
अब यदि आप इन्हें मिला कर पढ़े तो- "एक ऐसा विशेष स्थान जहाँ भक्ति या ईमान का निवास हो"। वैसे शाब्दिक अर्थ के साथ ही साथ "धर्मशाला" को अंग्रेजी/आंग्लभाषा में "Hospice" भी कहते हैं।
प्राचीन समय में यहाँ कई धर्मों को मानने वाले निवास करते हो तभी शायद इसका नाम धर्मशाला पड़ गया था।
धर्मशाला घूमने का सही समय व मौसम
धर्मशाला एक हिल स्टेशन हैं, तो गर्मी के समय यहाँ भीड़भाड़ ज्यादा रहता हैं वैसे वर्ष भर सैलानियों का यहाँ आना जाना लगा रहता हैं।
जून में यहाँ थोड़ा गर्मी पड़ता हैं लेकिन यकीन मानिये आपको घूमने में बहुत मजा आयेगा क्योंकि कितना भी गर्मी पड़े मैदानी इलाकों जैसा गर्मी नही पड़ती हैं।
बरसात के मौसम यानी जुलाई से सितम्बर तक यहाँ आने से बचे क्योंकि बरसात में पहाड़ी इलाकों में फिसलन बढ़ जाती हैं, जिससे घूमने का मजा किरकिरा हो जाता हैं।
सबसे सही और सटीक मौसम धर्मशाला को घूमने का जब भीड़भाड़ भी ज्यादा ख़ास न हो तो वह मौसम अक्टूबर से लेकर मार्च तक बेस्ट मौसम हैं।
Note - यदि आप बर्फबारी के शौकीन हैं, तो धर्मशाला में दिसम्बर से लेकर जनवरी महीना तक या फरवरी के शुरुआती सप्ताह में बर्फ मिलने के चांस रहते हैं।
धर्मशाला का टूर प्लान कितने दिन का बनायें?
केवल धर्मशाला को एक्सप्लोर करना हो तो 3 रात 4 दिन का टूर प्लान पर्याप्त हैं, लेकिन उसके आसपास की कुछ जगहों को भी घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको 5 रात 6 दिन का ट्रिप प्लान करना होगा।
आप धर्मशाला के साथ ही साथ निम्नलिखित स्थानों पर भी जा सकते हैं।
- कांगड़ा मन्दिर (17 Km)
- ज्वाला देवी मंदिर (51 Km)
- पालमपुर टी स्टेट/ टी गार्डेन (32 Km)
- चामुण्डा देवी मंदिर (16 Km)
- चिंतपूर्णी मन्दिर (90 Km)
कुल मिलाकर धर्मशाला एक प्रकार से हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों के संस्कृति का अद्धभुत संगम हैं।
धर्मशाला का मौसम
धर्मशाला की जलवायु सदाबहार वाली हैं, मेरे कहने का आशय यह हैं कि जून और जुलाई में गर्मी पड़ती हैं। गर्मी के समय यहाँ का तापमान 25°C से 35°C तक रहता हैं।
आपको बता दे कि इस समय यानी गर्मी के महीने में गर्मी के चलते पहाड़ी इलाकों को घूमने की दृष्टि से बहुत ही सुरक्षित माना जाता हैं।
सर्दी के समय में तापमान 10°C से 20°C तक का हो जाता हैं और कभी- कभी 10°C से कम भी जिसके चलते घूमने में थोड़ी सी समस्या हो सकती हैं।
बाकी आप धर्मशाला वर्ष भर जाइये, घूम कर आइये बाकी आप धर्मशाला में खूब एन्जॉय करेंगे इसकी फुल गारंटी हैं।
धर्मशाला घूमने का बजट - खर्च
बात बजट की कर ले तो आप एक बात समझ लीजिए कि कोई भी स्थान होता हैं वहाँ पर जाने और वहाँ से वापस आने का खर्च हम छोड़ कर ट्रिप का बजट बना कर बताते हैं क्योंकि यह खर्च पूरी तरह से सैलानियों के ऊपर रहता हैं कि वह किसी घूमने वाली जगहों पर कैसे पहुँचता हैं?
उसके जाने का माध्यम अपने शहर से अलग- अलग तरीके का हो सकता हैं। कोई ट्रेन या बस या फ्लाइट या निजी साधन से जाने की सोचता हैं।
अगर हम दो व्यक्तियों की बात करें धर्मशाला को घूमने की और 3 रात 4 दिन का प्लान करें तो होटल का खर्च- 1500 से 2000 रुपये, खाने-पीने, नाश्ता का खर्च- 1000 से 1500 रुपये, घूमने में टैक्सी या ऑटो का खर्च- 1000 से 1500 रुपये लग सकता है।
यानी टोटल खर्च 3500 से 5000 रुपये हो सकते हैं। इस खर्च को बराबर-बराबर दो भागों में बांट दे, तो प्रतिव्यक्ति 1750 से 2500 रुपये एक दिन का खर्च आयेगा।
3 रात और 4 दिन का खर्च प्रतिव्यक्ति- 5250 से 7500 रुपये तक का बजट होगा।
आप चाहे तो होस्टल या डॉरमेट्री का प्रयोग करके तथा कम खाने-पीने पर खर्च करके प्रतिव्यक्ति 5000 रुपये में भी आसानी से घूम सकते हैं।
यदि आपका धर्मशाला में ज्यादा दिन रुकने का प्लान हैं, तो आपको होस्टल, होम-स्टे और पेइंग गेस्ट की सुविधा पूरे शहर में जगह- जगह मिल जायेगी जो होटल की अपेक्षा ज्यादा सस्ता और किफ़ायती होगा।
धर्मशाला कैसे पहुँचे
धर्मशाला का अपना कोई भी रेलवे स्टेशन नही है, तो धर्मशाला जाने के लिए सबसे निकटम रेलवे स्टेशन पठानकोट हैं, जो भारत के प्रमुख नगरों से सीधे ट्रेन सेवा से जुड़ा हुआ हैं।
पठानकोट से मात्र 85 Km की दूरी पर धर्मशाला शहर हैं। इस दूरी को आप बस, प्राइवेट टैक्सी तथा निजी साधन से लगभग 3 घण्टे में तय कर सकते हैं।
बस या टैक्सी की सुविधा पठानकोट रेलवे स्टेशन के बाहर निकलते ही मिल जायेगी।
धर्मशाला से नजदीक एयरपोर्ट की बात करें तो मात्र 13 से 15 Km की दूरी पर कांगड़ा एयरपोर्ट हैं, जिसे गग्गल हवाई अड्डा (Gaggal Airport) भी कहते हैं से केवल 30 मिनट में टैक्सी से धर्मशाला पहुँचा जा सकता हैं।
एक बात का जरूर ध्यान दे कि कांगड़ा एयरपोर्ट एक छोटा हवाई अड्डा हैं। अतः यहाँ से प्रतिदिन और सभी जगहों से फ्लाइट उपलब्ध नहीं हैं, यानी कुछ प्रमुख नगरों से उड़ाने मिलेंगी।
यदि बात सड़क मार्ग की करें तो भारत के सभी जगहों से सीधे संपर्क हैं धर्मशाला का और कुछ नगरों से जैसे दिल्ली, शिमला, मनाली या लगभग 200 से 300 Km के क्षेत्रों से सीधे बस सेवा नियमित रूप से चलती रहती हैं।
Note - सबसे सरल और सस्ता तथा सुविधा युक्त तरीका हैं धर्मशाला पहुँचने के लिए आप, अपने नगर से पठानकोट रेलवे स्टेशन पर आइये और फिर यहाँ से सरकारी बस स्टैंड से बस के माध्यम से धर्मशाला पहुँच जाइये।
धर्मशाला की प्रमुख नगरों से दूरी
धर्मशाला हिमांचल प्रदेश के प्रमुख नगरों में शामिल हैं, यह शहर राज्य की शीतकालीन राजधानी के साथ ही साथ उत्तर भारत का प्रमुख हिल स्टेशन भी हैं। यहाँ दूर दूर से लोग घूमने आते हैं।
धर्मशाला की प्रमुख नगरों से दूरी-
- कांगड़ा से- 17 Km
- पालमपुर से- 34 Km
- शिमला से- 230 Km
- डलहौजी से- 118 Km
- लद्दाख से- 665 Km
- पठानकोट से- 85 Km
- चंडीगढ़ से- 233 Km
- दिल्ली से- 475 Km
- हरिद्वार से- 449 Km
- नैनीताल से- 673 Km
- अल्मोड़ा से- 739 Km
- चोपता से- 629 Km
- लखनऊ से- 1023 Km
- वाराणसी से- 1335 Km
- दार्जिलिंग से- 2011 Km
- गंगटोक से- 2080Km
धर्मशाला में रुकने और खाने की व्यवस्था
धर्मशाला में रुकने की कोई दिक्कत नही हैं। यहाँ आपको धर्मशाला, होटल, होम-स्टे, लॉज और पेइंग गेस्ट की अच्छी सुविधा मिलेगी।
यहाँ पर होटल इत्यादि के दाम और जगहों के अपेक्षा थोड़ा ज्यादा है, लेकिन औसतन ठीक दामों में रूम उपलब्ध हो जाएगा।
रही बात खाने- पीने की तो यहाँ हज़ारों की संख्या में रेस्टोरेंट, लाइन होटल, ढाबा और स्ट्रीट फूड के विकल्प मौजूद हैं बस देरी है आपके धर्मशाला पहुंच कर खाने की हैं।
स्ट्रीट फूड की तो बात ही निराली हैं, यहाँ प्रमुख रूप से व्यंजनों में मोमोज, छोला भटूरा, छोला कुलचा, गाजर का हलवा, स्वीट कॉर्न और टिक्की चाट स्पेशल रूप से मिलता हैं।
धर्मशाला में ख़रीदारी क्या करें?
धर्मशाला में आये और कुछ खरीदारी न करें ऐसा कैसे हो सकता हैं। आप यहाँ से पहाड़ी हिमांचली टोपी, हस्तशिल्प वस्तुएं, हेंडीक्राफ्ट के सजावटी समान, चद्दर बिछाने वाले, गर्म ऊनी कपड़े इत्यादि।
तिब्बती मार्केट से वस्त्र और गर्म कपड़े, सजावट के समान इत्यादि को मोल भाव करके आसानी से खरीद सकते हैं। मेरी राय में प्रत्येक व्यक्ति को जो घूमने गया हैं को कुछ न कुछ खरीदना चाहिए ताकि उस शहर के लोगो की जीवकोपार्जन चलता रहे।
धर्मशाला में घूमने की 10 प्रसिद्ध जगहें
अगर धर्मशाला का नगर विन्यास देखा जाये तो यह हिल स्टेशन कुल तीन भागों में बंटा हुआ हैं-
- लोअर धर्मशाला
- मिडिल धर्मशाला
- अपर धर्मशाला
एक भाग में लोअर और मिडिल को मिला कर धर्मशाला बनता हैं, जहाँ पर सैनिक छावनी से लेकर क्रिकेट स्टेडियम तथा कुछ प्रमुख घूमने के स्थान मिलेंगे।
दूसरे भाग में केवल अपर धर्मशाला आता हैं, जिसे मैक्लॉडगंज कहते हैं। जब भी आप धर्मशाला के निचले हिस्से से ऊपर वाले भाग में आते हैं तो मौसम के साथ ही साथ संस्कृति भी बदल जायेगी।
यानी मौसम एकाएक ठंडा और तिब्बतियों के निवास से तथा उनके रहन-सहन से यह भारतीय क्षेत्र छोटा तिब्बत जैसा दिखने लगता हैं।
धर्मशाला में घूमने की प्रमुख जगहें
वॉर मेमोरियल
इसे युद्ध स्मारक कहते हैं, जो धर्मशाला के निचले हिस्से में शुरुवाती स्थान पर स्थित हैं अतः इसे धर्मशाला का प्रवेश द्वार भी कहा जाता हैं।
अपने देश के लिए जान देने वाले वीर सिपाहियों की याद में बने इस पार्क में लम्बे- लम्बे देवदार के पेड़ नजर आते हैं, जो मन को मोह लेते हैं।
आप एक बार इस पार्क में आइये आपकी सारी थकान मिट जायेगी जैसा कि मैंने पहले ही बता दिया है कि यदि आप फोटो के शौक़ीन हैं तो बस आपकी हसरत धर्मशाला में पूरी होने वाली और इसकी शुरुवात युद्ध स्मारक से करते है।
कला संग्रहालय
धर्मशाला बस स्टैंड के पास स्थित यह संग्रहालय हिन्दू, बौद्ध और तिब्बती संस्कृति का संगम हैं। इस संग्रहालय में आपको दुर्लभ सिक्के, चित्रकला, मूर्तियां, प्राचीन मिट्टी के बर्तन और कई ऐतिहासिक वस्तुयें देखने को मिलेंगी।
नामग्याल मठ
धर्मशाला के मैक्लॉडगंज में यह एक बौद्ध मठ हैं जो सैलानियों के आस्था और आकर्षण का केंद्र हैं। यदि आप धर्मशाला घूमने जा रहे हो और नामग्याल नही देखा तो क्या देखा।
सबसे बड़ी बात की यह मठ धर्मशाला के सबसे बड़े बौद्ध परिसर त्सुगलाखंग बौद्ध परिसर का एक भाग हैं।
एक तरफ से दिखने वाली ऊँची-ऊँची पहाड़िया और उसके साथ लगी हरियाली बहुत कुछ बयां करती हैं।
दलाई लामा निवास स्थान
धर्मशाला के मैक्लॉडगंज में यह निवास स्थान पर्यटकों के मध्य त्सुगलाखंग बौद्ध परिसर के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
इसी मन्दिर परिसर में ही दलाई लामा जो कि एक तिब्बती धर्मगुरु है, निवास करते हैं अपने कुछ शिष्यों के साथ।
इस बौद्ध मंदिर के केंद्र में भगवान बुद्ध की विशालकाय बैठे अवस्था में मूर्ति हैं, जो बरबस ही आपका ध्यान अपने ओर खींच लेगी।
विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट स्टेडियम
लगभग 1455 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और पहाड़ी क्षेत्र में बनाया गया धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम को विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित स्टेडियम का गौरव प्राप्त है।
यहाँ पर बैठ कर मैच का आनंद लेना किसी पर्यटन से कम नही हैं। जब कोई मैच नही हो रहा होता हैं यो घूमने वाले सैलानी मात्र 20 रुपये का प्रवेश शुल्क अदा करके टिकट के द्वारा स्टेडियम को कुछ समय में घूम सकते हैं।
स्टेडियम के अंदर ठंडी हवा के झोंके से मन में रोमांच भर देता हैं। सैलानियों में मैच के प्रति जज़्बा आ जाता हैं कि मानो इसी समय किसी मैच को अपनी आँखों से देख रहे हो।
डल झील
लोअर धर्मशाला से मात्र 12 Km की दूरी पर स्थित यह एक छोटी सी परंतु बेहद आकर्षक झील हैं जिसके चारों तरफ देवदार के ऊँचे- ऊँचे वृक्ष मदमस्त हो कर झूमते रहते हैं।
सच मानो तो किसी स्वप्न से कम नही हैं। सैलानियों के द्वारा यहाँ पर ट्रैकिंग किया जाता हैं। कुछ पर्यटकों के द्वारा यहाँ हाईकिंग किया जाता हैं क्योंकि झील के चारो तरफ वाकिंग करना किसी एडवेंचर से कम नही हैं।
भाग्सू जलप्रपात
मैक्लॉडगंज से मात्र 1.5 से 2 Km की दूरी पर स्थित यह प्राकृतिक झरना हरियाली और प्रकृति का अनूठा संगम हैं।
यदि कोई धर्मशाला की सैर पर जाये और भाग्सू वाटरफॉल न जाये तो धर्मशाला का ट्रिप अधूरा होता हैं।
आप इस वाटरफॉल पर जरूर जाये वादा है कि आपको निराश नही होगें।
सेंट जॉन चर्च
1852 में स्थापित यह चर्च बैपिस्ट को समर्पित हैं। यह धर्मशाला का सबसे शांत जगहों में से एक हैं। इस वाइल्डरनेस चर्च के कंपाउंड में विविध किस्म के पेड़- पौधे लगे हुए हैं।
इस चर्च में अत्यधिक देवदार के भी पेड़ मिल जायेंगे, जो आपको एक जंगल का एहसास दिलाते हैं।
यह चर्च जब लोअर धर्मशाला से मैक्लॉडगंज की तरफ जायेंगे तो रास्ते में यह पड़ेगा। इस चर्च की स्थापत्य कला नव- गाथिक शैली हैं जिससे कि सैलानियों के मध्य काफ़ी लोकप्रिय हैं।
भागसु नाग नाथ महादेव मंदिर
भगवान शिव को समर्पित यह मन्दिर मैक्लॉडगंज से केवल 2 से 3 Km की दूरी पर स्थित हैं, जो मुख्यतः गोरखा समुदाय के लिए पवित्र माना जाता हैं।
इस मंदिर के परिसर में एक पवित्र कुंड या तालाब हैं,जिसमें डुबकी लगा कर लोग शिव जी का दर्शन करते हैं।
इसी मन्दिर के पास ही भाग्सू जलप्रपात भी हैं जहाँ पर सैलानी मन्दिर पर धार्मिक ट्रैकिंग करने के बाद हाईकिंग करते हुये कुछ पल वाटरफॉल के पास बिता सकते हैं।
ग्यूतो मठ
धर्मशाला के अच्छे विजिट जगहों में एक यह मठ हैं, जो सैलानियों के मध्य खासतौर से पसंद किया जाता हैं।
जब तिब्बतियों ने शरणार्थियों के रूप में धर्मशाला में अपना निवास स्थान बनाया था। यह तिब्बती संस्कृति और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
इस मठ के अंदर भगवान बुद्ध की एक आकर्षित मूर्ति हैं जिसपर सोने की परत चढ़ाई गई हैं, जिसके चलते इसकी भव्यता और देखने लायक बनती हैं।
यह मठ एक तरफ तांत्रिक साधना, आध्यात्मिक ज्ञान और तिब्बती शिक्षा के लिए जाना जाता हैं।
आज का लेख आपको कैसा लगा? आप हमें कमेंट्स करके जरूर बताइयेगा। आगे किसी और हिल स्टेशन के बारे में चर्चा करूंगा।
धन्यवाद।
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