हम इंसानों की सबसे बड़ी भूख होती हैं "जिज्ञासा", जी हाँ, मैं यहाँ पेट की भूख की नही बल्कि ज्ञान रूपी भूख की बात कर रहा हूँ। इस ज्ञान रूपी भूख को शांत करने के लिए हम मनुष्य निकल पड़ते हैं एक नये दिशा में।
ट्रैकिंग करना उनसे पूछिये, जो सोलो यात्री इसे अपनी दीवानगी मानते हैं। बस एक ही उद्देश्य होता हैं कि किसी प्रकार से अपनी मंज़िल पर पहुँच जाये।
रास्ते में पड़ने वाले मनोरम दृश्यों में खो जाना वह भी देश- दुनियां से बेखबर मानो स्वर्ग की राह पर चल रहे हों। यदि आप धार्मिक ट्रैकिंग करना चाहते हैं, तो आप मेरे इस लेख आध्यात्मिक और धार्मिक ट्रैकिंग क्या होता हैं, का अवलोकन करें। दोस्तों आज की जानकारी यह कि हिल स्टेशन पर ट्रैकिंग कैसे करें? और उसके लिए तैयारी क्या होनी चाहिए?
आज हम ट्रेक (Trek) के सभी पहलुओं पर पूरी चर्चा करेंगे जैसे कि ट्रेक के समय क्या-क्या पास होना चाहिए?। कौन-कौन ट्रैकिंग कर सकता हैं? इत्यादि पर एक नज़र इस प्रकार से हैं--
ट्रैकिंग क्या है?
भारत में ट्रैकिंग दो प्रकार की होती हैं, पहली ऐसे पहाड़ी पर जो पथरीली रास्तों से हो कर गुजरती हैं, जबकि-दूसरा ऐसे हिल स्टेशनों पर किया जाता हैं, जो बर्फीली होती हैं। हाँ इतना ज़रूर हैं कि इन दोनों प्रकार की ट्रैकिंग एडवेंचर, प्राकृतिक दृश्यों और जुनून से भरे होते हैं।
भारत में ऐसे कई मनभावन और अतिलुभावन ट्रैकिंग- वे हैं हरी भरी वादियों और बर्फीली वादियों से हो कर गुज़रते हैं। सबसे पहले हमें ट्रैकिंग के लिए निम्नलिखित बातों को जानेंगे।
ट्रैकिंग करने के स्थान का चुनाव
भारत में ट्रैकिंग करने की बहुत सारी जगहें हैं, जो देश के कई अलग-अलग हिस्सों और राज्यों में स्थित हैं, जिसमें सामान्य पहाड़िया और कई हिल स्टेशनों पर स्थित बर्फीले पहाड़िया हैं।

हमें सबसे उपयुक्त स्थान का चुनाव करना होगा, जहाँ आसानी से पहुँचा जा सके। रास्ते की पूरी जानकारी होनी चाहिये ताकि कोई भी समस्या न हो।
Trekking करने का सबसे अच्छा समय
ट्रैकिंग करने जा रहे हों, तो समय यानी मौसम की पूरी जानकारी अपने पास होनी चाहिए। यदि सामान्य पहाड़ी हैं तो गर्मी ज्यादा न पड़े इसके लिए अक्टूबर से अप्रैल सबसे अच्छा समय होगा।
जबकि बर्फ़ से ढके पहाड़ी की ट्रैकिंग करने जा रहे हों तो ठंडे समय से बचे और उसके लिए अप्रैल से जून और सितम्बर से अक्टूबर के महीना सबसे अनुकूल रहेगा।
Note- ट्रैकिंग करते समय कभी भी बरसात के मौसम को न चुनें क्योंकि वर्षा के कारण रास्तों में फिसलन हो जाता हैं।
Trekking समय कैसे कपड़े पहने जाते हैं?
तीसरी सबसे बड़ी बात कि ट्रैकिंग करते समय कपड़ो पर विशेष ध्यान दे, क्योंकि यात्रा में परिधान का बहुत महत्व होता है, जनरल पहाड़ी पर चढ़ाई करनी हो तो हल्के सूती वस्त्र अगर टी शर्ट और हाफ पैंट हो तो सबसे अच्छा नही तो कॉटन लोअर और शर्ट होना चाहिए।
जबकि बर्फीली पहाड़ी पर ट्रैकिंग करनी हो तो गर्म कपड़ों में इनर के साथ लेदर जैकेट या गर्म जैकेट होना जरूरी हैं।
ट्रैकिंग में कौन-कौन सी वस्तुओं की जरूरत पड़ती है?
इसके लिए सबसे पहले ले जानी वाली सभी आवश्यक वस्तुओं की एक लिस्ट बना कर रखें, जैसे कि-
- ट्रैकिंग वाले जूते
- धूपी चश्मा (UV Protection Sun Glasses)
- सपोर्ट के लिए एक अच्छी और मजबूत छड़ी
- पानी का बॉटल
- खाने की ऐसी बस्तु जो ready to eat हो, जैसे- नमकीन के पैकेट, ताज़े फल, इत्यादि।
- एक बैग जिसमें सभी वस्तुओं को रखा जा सकें अर्थात पिट्ठू बैग।
- फर्स्ट एड
- महत्वपूर्ण दवाईयों का छोटा थैला।
- खर्च के लिए पर्याप्त नकद
- अन्य कोई सामान जो आपके लिए अत्यंत जरूरी और महत्वपूर्ण हो।
स्वास्थ्य का रखें पूरा ख्याल
अगर अपने शरीर से पूरी तरह फिट हो तभी ट्रैकिंग करें क्योंकि रास्ते में आपको सम्हालने वाला आपका स्वयं शरीर होगा और कोई नहीं।
यदि आप अस्थमा या दिल से सम्बंधित किसी समस्या से गुजर रहे हैं तो ट्रैकिंग आपके लिए बिलकुल भी नहीं है। इस लिए यात्रा शुरू करने से पहले अपना रूटीन चेकअप जरूर करा लें ताकि कोई भी दिक्कत आगे चल कर न आये।
मानसिक रूप से तैयार होना
जाहिर हैं कि रास्ता पथरीला होगा तो मेंटली प्रिपेयर होना ज्यादा जरूरी हैं क्योंकि अधिकतर देखा गया हैं कि कहने और करने में फर्क होता हैं।
आप ट्रैकिंग यदि अकेले कर रहे हैं तो मेंटली फिट होना ज्यादा जरूरी हैं नही तो ग्रुप हैं फिर किस बात की चिंता और फिक्र निकल पड़िये अपने लक्ष्य को पाने के लिये। अगर आपको अल्टोफोबिया (उचाई से डर लगता है) तो आपको ट्रैकिंग नहीं करनी चाहिए।
भारत में ट्रैकिंग करने के महत्वपूर्ण स्थान
भारत में पर्वतीय क्षेत्र हैं जहाँ ट्रैकिंग का अलग ही मजा है, ये स्थान विशेष रूप से trekking लिए उत्तम स्थान है।
कंचनजंघा चोटी
सिक्किम में पड़ने वाली यह चोटी वर्ष भर बर्क की चादर ओढ़े हुए होती हैं। कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान से होते हुये आप अपने मंज़िल को पा सकते हैं।
पूरा रास्ता बर्फ में होता हैं, आप यहाँ गर्मियों में आये मज़ा आयेगा। सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तथा सितम्बर से नवम्बर माह तक बेस्ट हैं।
यहाँ की ट्रैकिंग कुल मिला कर 15 से 20 किलोमीटर की अतिलुभावनी होती हैं जिसे शायद ही कोई मिस करना चाहें।
फूलों की घाटी
यह उत्तराखण्ड राज्य में चमोली जिले में स्थित हैं। यह प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर राष्ट्रीय पार्क हैं, जहाँ पर लाखों की संख्या में अलग- अलग वेराइटी के फूल मिलेंगे।
इस घाटी में ही सिक्खों का धार्मिक स्थल हेमकुंड स्थित हैं, जो जो प्रतिवर्ष सर्दी के मौसम को छोड़ कर बाकी समय गर्मी तथा बरसात के समय खुला रहता हैं।
सबसे अच्छा समय जब बरसात हो रही हो या वर्ष ऋतु के बाद आप जाईये, वहाँ की रंगीन फिज़ाओ में खो न जाये तो कहियेगा।
सबसे मजेदार बात यह हैं कि फूलों की घाटी में किसी भी उम्र के लोग जो अपना ख्याल रख सके ट्रैकिंग कर सकते हैं।
यहाँ ट्रैकिंग करना हर ट्रैकर का अपना सपना होता हैं। लगभग 60 किलोमीटर तक कि ट्रैकिंग विश्व के प्रमुख ट्रैकिंग में शुमार हैं।
इसे 'वैली ऑफ फ्लावर्स' के नाम से भी जानते हैं, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया हैं।
लोनावाला की ट्रैकिंग
महाराष्ट्र में स्थित लोनावल जो कि एक हिल स्टेशन के रूप में विद्यमान हैं, वहाँ पर राजमाची में लगभग 13 से 17 किलोमीटर की ट्रैकिंग की जा सकती हैं।
इस प्रसिद्ध किले पर पहुँचने की ट्रैकिंग दुर्गम और पथरीले रास्ते से हो कर गुज़रते हैं सभी, जो अत्यंत मनोरम हैं। इस किले की स्थापना वीर शिवाजी ने किया था।
यहाँ आप अप्रैल से अक्टूबर तक जाया जा सकता हैं।
कुल्लू घाटी की ट्रैकिंग
हिमांचल प्रदेश राज्य में स्थित यह घाटी प्रमुख रूप से रिवर राफ्टिंग के साथ ही साथ ट्रैकिंग के लिए भी जाना जाता हैं। यहाँ का प्रसिद्ध गांव हम्पटा से शुरू हो कर लाहौल- स्पिति तक कुल 40 किलोमीटर के ट्रेक में कई स्थान प्राकृतिक रूप से ज़बरदस्त हैं।
दूर- दूर तक मैदानी और पथरीली रास्ते के साथ ही देवदार के घने जंगल, जंगली फूलों के सुंगंध में आप डूब जायेंगे। यहाँ आप मई से नवम्बर तक जाया जाता हैं, जो सबसे अच्छा समय हैं।
शिलांग के प्राकृतिक रास्ते
मेघालय में शिलांग के पास जो कि पूरी तरह से सदाबहार मौसम वाला स्थान हैं, जहाँ लोग ट्रैकिंग करते हैं। यह मैदानी के साथ पहाड़ी इलाकों से भरपूर हैं, जहाँ पर ट्रैकिंग की अत्यधिक सम्भावना होती हैं।
वर्षा को छोड़ कर किसी भी मौसम में यहाँ पर ट्रैकिंग किया जा सकते हैं।
ट्रैकिंग के लिए अन्य स्थान
उत्तराखण्ड और हिमांचल प्रदेश में स्थित दर्रों यानी पासेज में ट्रैकिंग के अनेक मनभावन ट्रेक प्लेसेस हैं, जिसमें कुछ गर्मी तो कुछ सर्दी में ट्रेक वाले स्थान है।
महाराष्ट्र में भी महाबलेश्वर, खंडाला इत्यादि भी ट्रैकिंग के अनेक पॉइंट हैं। आज के लेख में बस इतना ही आगे अगले किसी लेख में फिर से आप सभी के जानकारी को हिंदी में बताने का कार्य करेंगे-
तब तक के लिये आप कही पर ट्रैकिंग कर के आइये और अपने अनुभव या एक्सपीरियंस को मेरे साइट पर कमेंट्स कर के साझा करिये।
यात्रा का अनुभव साझा करें