भारत में ऐसे कई स्थान हैं, जहाँ पर जाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प सड़क मार्ग हैं या हम आपसे यह कहे कि भारत में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहाँ केवल सिर्फ केवल सड़क मार्ग के द्वारा ही पहुँचा जा सकता हैं।
अगर आप कुछ रोड ट्रिप को एन्जॉय करना चाहते हो या फिर आपको घूमने- फिरने के लिए कही जाने का मन करे तो मेरे इस लेख को जरूर एक बार पढ़े "भारत के बेहतरीन रोड ट्रिप- घूमने का नया अंदाज़"
वैसे तो आप सभी हमेशा ही कोई न कोई रोड ट्रिप या सड़क मार्ग से घूमने या दर्शन करने के लिए जाते ही होंगे। उसी में मेरा एक फेवरेट सड़क मार्ग का ट्रिप हैं, जो जीवन भर आपको याद रहेगा और सफ़र भी यादगार बना देगा।
जी हाँ, दोस्तों, आपका सोलो साथी सूर्य प्रकाश आज आपको एक त्रिकोणीय रोड ट्रिप के बारे में बताने जा रहा हूँ, जो सबसे ही सुहाना और बिना भूलने वाली यात्रा बन जाती हैं।
क्योंकि ऐसी यात्रायें जीवन में विरले ही मिलती हैं जिसमें घूमने के साथ ही दर्शन करने कभी सौभाग्य मिलता हैं।
यह एक त्रिकोणीय रोड ट्रिप हैं
इस यादगार सफ़र को त्रिकोणीय रोड ट्रिप इसलिए कहा कि इसमें हम सभी कुल तीन यात्रायें करते हैं और वह भी ब्रेक जर्नी के माध्यम से, जिसमें ऋषिकेश से केदारनाथ धाम, केदारनाथ धाम से बद्रीनाथ धाम, बद्रीनाथ धाम से ऋषिकेश
कुछ लोग अपना बेस पॉइंट यानी आधार बिंदु हरिद्वार या देहरादून को भी बनाते हैं। लेकिन मेरी राय में ऋषिकेश सबसे बेस्ट ऑप्शन हैं।
देवभूमि उत्तराखंड के ये तीनों रेलवे स्टेशन हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश भारत के प्रमुख नगरों से जुड़े हुये हैं।
नज़दीकी एयरपोर्ट की बात करें तो जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून में स्थित हैं। आप रेल, सड़क या हवाई मार्ग में से कोई भी मार्ग अपने बजट के अनुसार सेलेक्ट कर के अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं।
आप अपनी यात्रा उत्तराखंड सरकारी बस, टैक्सी या निजी साधन से शुरू कर सकते हैं। यदि आप सभी स्थानों का अच्छे ढंग से दर्शन करना और घूमना चाहते हैं, तो मेरी राय में टैक्सी बुक करके या निजी साधन के द्वारा ही यात्रा शुरू करें।
आइये मैं आप सभी को चरण बद्ध तरीके से सभी रास्ते का विस्तृत वर्णन करता हूँ-
ऋषिकेश से केदारनाथ धाम की दूरी
ऋषिकेश से केदारनाथ नाथ की दूरी लगभग 227 Km की हैं। इस रोड ट्रिप में आप वास्तव में ऋषिकेश से गौरीकुण्ड (209 Km) की दूरी तय करते हैं।
यह रास्ता ऋषिकेश से देवप्रयाग, श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, गुप्तकाशी, फाटा, सीतापुर, सोनप्रयाग और गौरीकुण्ड (केदारनाथ बेस कैम्प) होते हुये केदारनाथ को जाता हैं।
गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम जाने की दूरी लगभग 18 Km की हैं। अतः देखा जाये तो कुल दूरी लगभग 227 Km की हो जाती हैं।
रास्ते में पड़ने वाले दर्शनीय स्थल
मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि मैंने अपने इस लेख में बेस पॉइंट ऋषिकेश को चुना हूँ, जो गंगा नदी के तट पर बसा हुआ पवित्र और धार्मिक नगर हैं।
यह भारत की योगनगरी भी कही जाती हैं। इसीलिए आप ऋषिकेश के रेलवे स्टेशन पर पूरा नाम "योगनगरी ऋषिकेश" लिखा पायेंगे।
वैसे गंगा नदी के तट पर हरिद्वार भी बसा हैं, जो विभिन्न घाटों और मंदिरों के साथ ही हर की पौड़ी और महा कुंभ जैसे प्रसिद्ध मेले के लिए भी जाना जाता हैं।
Note- उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर भी गंगा नदी, अनेक घाटों और मंदिरों के लिए तथा द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए और सारनाथ के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
हम अपनी यात्रा शुरू करते हैं ऋषिकेश से तो मात्र 70 Km की दूरी पर ही उत्तराखंड के पंच प्रयाग में से पहला प्रयाग देवप्रयाग पड़ता हैं, जो अलकनंदा नदी और भागीरथी नदी का संगम हैं और यही से दोनों नदियों की संयुक्त धारा "गंगा नदी" कहलाती हैं।
यहाँ का दर्शन करने के बाद जब आप आगे बढ़ेंगे तो लगभग 36 Km की दूरी पर श्रीनगर कस्बा हैं और यही से मात्र 14 Km की दूरी पर स्थित रूद्रप्रयाग जिले के कलियांसौड़ नामक स्थान पर माता के शक्तिपीठों में से एक पीठ "माँ धारी देवी मन्दिर" हैं।
मन्दिर का दर्शन करने के बाद जब आप 20 Km की दूरी तय करते हैं, तो पंचप्रयाग में से दूसरा प्रयाग, रूद्रप्रयाग पड़ता हैं, जहाँ पर अलकनंदा नदी में मंदाकिनी नदी मिलती हैं। इस पावन भूमि और संगम का दर्शन करते हुए जब आगे चलते हैं तो,
गुप्तकाशी आयेगा और फिर फाटा होते हुये सीतापुर और फिर सोनप्रयाग आप पहुँच जायेंगे। जो भक्त केदारनाथ धाम का दर्शन हैलीकॉप्टर से करना चाहते हैं तो उनके लिए गुप्तकाशी और फाटा में हैली सुविधा बना हुआ हैं।
चूंकि हमलोगों की यात्रा टैक्सी या निजी साधन से हो रही हैं तो सोनप्रयाग नामक स्थान पर बने हुए पार्किंग स्थल पर अपनी टैक्सी को पार्क करना पड़ेगा।
यहाँ से जो लोकल टैक्सी की अलग से सुविधा हैं, उससे मात्र 30 रुपया प्रति सवारी या व्यक्ति खर्च करके गौरीकुण्ड बेस कैंप पहुँच सकते हैं।
यही पर गौरीकुण्ड में पवित्र गर्मकुण्ड का दर्शन करके या स्नान करके और गौरीकुण्ड मन्दिर या गौरीमाता मन्दिर (माता पार्वती जी का मंदिर) में दर्शन करके केवल-
18 Km की शेष दूरी को पैदल ट्रैकिंग या धार्मिक ट्रैकिंग के माध्यम से या फिर पिट्ठू, पालकी के द्वारा केदारघाटी होते हुए जंगमचट्टी, रामबाड़ा और लिनचोली के रास्ते केदारनाथ मंदिर पहुँच सकते हैं।
केदारनाथ मंदिर भी भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योर्तिलिंग हैं, जहाँ की यात्रा अमरनाथ यात्रा जैसी कठिन और जोखिम भरी हैं।
तभी तो भक्त दर्शन करने के बाद अपने को सौभाग्यशाली भक्तों या श्रद्धालुओं में गिनता हैं।
रास्ते में रुकने और खाने-पीने के विकल्प
ऋषिकेश से केदारनाथ की इस यात्रा में आपको श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, गुप्तकाशी, फाटा, सीतापुर, सोनप्रयाग और गौरीकुण्ड के साथ केदारनाथ मंदिर के पास रुकने के लिए अनेक धर्मशाला, होटल, लॉज, होम-स्टे, जैसी सुविधाएं आपके बजट के अनुरूप मिल जायेगी।
बाकी जगह- जगह आपको राजमार्ग पर मोटल के साथ प्रत्येक स्थान पर नाश्ता, लंच, डिनर यानी भोजन के लिए सस्ते से महंगे रेस्टोरेंट, ढाबा, होटल मिलते रहेंगे।
किसी- किसी स्थान पर आपको खाने के लिए लंगर की भी व्यवस्था देखने को मिल जाएगी लेकिन लंगर हमेशा चलता रहे यह जरूरी नही हैं।
केदारनाथ धाम से बद्रीनाथ धाम की दूरी
केदारनाथ धाम से बद्रीनाथ धाम के मध्य की दूरी 202 Km बाया चोपता जबकि 242 Km बाया रूद्रप्रयाग से हैं। अब ये आपके टूर प्लान और टैक्सी ड्राइवर के सहूलियत पर तथा वर्तमान में रोड की ट्रैफिक पर निर्भर करेगा।
बस इतना ध्यान देने वाली बात हैं कि जब आप केदारनाथ धाम से बाया चोपता जायेंगे तो आपको रास्ते में चोपता हिल स्टेशन और तुंगनाथ मन्दिर मिलेगा।
यदि आपका प्लान इनको भी कवर करने का हैं, तो बेस्ट हैं यह रोड बस यह रोड कही-कही सकरी हैं अर्थात सिंगल रोड हैं।
वही दूसरी ओर यदि बाया रूद्रप्रयाग जाने का प्लान हैं तो फिर आपको रास्ते में चोपता और तुंगनाथ मन्दिर का विकल्प नही मिलेगा, लेकिन रोड चौड़ी अर्थात यह राजमार्ग की श्रेणी का मार्ग हैं।
दोनों रोड आगे आकर गोपेश्वर नामक शहर में मिल जाती हैं। गोपेश्वर, चमोली जिले का मुख्यालय हैं।
दोनों रूट के बारे में मैं आपको विधिवत बता देता हूँ कि-
(A) यदि आप पहला विकल्प लेते हैं यानी 202 Km वाला रास्ता तो आप गौरीकुण्ड से गुप्तकाशी से U टर्न लेते हुये चोपता ( कैंपिंग साइट के लिए तथा तुंगनाथ मन्दिर के लिए प्रसिद्ध हैं) के रास्ते गोपेश्वर से आगे बढ़ते हुए पिपलकोठी और जोशीमठ होते हुये गोविंदघाट (हेमकुण्ड और फूलों की घाटी का बेस कैंप) होते हुये बद्रीनाथ धाम पहुँच सकते हैं।
(B) यदि आप दूसरा विकल्प का चुनाव करते हैं बद्रीनाथ धाम जाने के लिये तो यह रास्ता 242 Km की हो जायेगी जिसमें आप गौरीकुण्ड से गुप्तकाशी और यहाँ सीधे राजमार्ग से रूद्रप्रयाग आने के बाद कर्णप्रयाग होते हुये नंदप्रयाग, गोपेश्वर, पिपलकोठी, जोशीमठ और विष्णुप्रयाग होते हुये बदरीनाथ धाम पहुँच सकते हैं।
Note- केदारनाथ धाम से 18 Km की दूरी पर गौरीकुण्ड और यहाँ से लगभग 36 Km पर स्थित गुप्तकाशी आना पड़ेगा तब यही से दोनों रास्ते का विकल्प मिलेगा की आप या तो U टर्न लेकर चोपता होते हुए बद्रीनाथ धाम पहुँचे या फिर गुप्तकाशी से सीधे राजमार्ग से रूद्रप्रयाग होते हुये बद्रीनाथ धाम पहुँचे।
दोनों रूट से आने पर आप गोपेश्वर नामक शहर से जरूर आयेंगे अर्थात यह दोनों रास्ते गोपेश्वर में मिलकर एक हो जाते हैं, जो बद्रीनाथ धाम तक जाते हैं।
बद्रीनाथ धाम से ही मात्र 3 से 4 Km की दूरी पर ही भारत का सीमांत गांव अर्थात भारत का अंतिम गांव माना या माणा गांव पड़ेगा जिसे आप घूमना न भूले क्योंकि स्पेशली आप माना गांव घूमने आये यह संभव शायद ही हो इसलिए मेरी राय में अपने यात्रा प्लान में इसे जरूर शामिल करें यहाँ के लिए कुल 4 से 5 घण्टे में आप के लिए पर्याप्त होंगे।
रास्ते में खाने-पीने के और रुकने के स्थान
केदारनाथ से बद्रीनाथ धाम की यात्रा आप दोनों में से किसी भी रूट से करते हैं, तो रास्ते में पड़ने वाले रूद्रप्रयाग, चोपता, गोपेश्वर, चमोली, पिपलकोठी, जोशीमठ या बद्रीनाथ में कही भी रुक सकते हैं।
सभी जगहों पर रुकने के कई विकल्प हैं जैसे कि धर्मशाला, होटल, लॉज, मोटल और होम- स्टे इत्यादि।
खाने- पीने के लिए जगह- जगह रेस्टोरेंट, ढाबा या स्ट्रीट फ़ूड के कई ऑप्शन मिल जाएगा तो उत्तराखंड में आपको खाने- पीने की कोई समस्या नही होने वाली हैं।
बद्रीनाथ धाम से ऋषिकेश की दूरी
बद्रीनाथ धाम से ऋषिकेश के मध्य की दूरी लगभग 292 Km से 295 Km की हैं। आप बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने के बाद और
माना गांव भी घूमने के बाद जब ऋषिकेश के लिए वापसी करेंगे तो सीधे राजमार्ग की सहायता से ऋषिकेश पहुँच जायेंगे।
आप पुनः गोविंदघाट, जोशीमठ, पिपलकोठी, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग के रास्ते ही ऋषिकेश की वापसी करेंगे।
हो सकता हैं कि बद्रीनाथ धाम से आने पर रास्ते में ही कही अंधेरा होने के कारण रुकना पड़े तो आपको कई विकल्प मौजूद हैं विभिन्न जगहों पर रुकने का तो,
आप वहाँ रुक सकते हैं या फिर रास्ते में कही भी बने छोटे- छोटे होटल कम रेस्टोरेंट में जिसे आप मोटल कहते हैं, तो वहाँ भी रुक सकते हैं।
आशा करता हूँ कि आप मेरे लेख से बोर नही होते हैं क्योंकि मैं आपको हर छोटी से बड़ी जानकारी देता हूँ ताकि आप को यात्रा के दौरान कोई भी दिक्कत का सामना नही करना पड़े।
आज की जानकारी आपको कैसी लगी यह मुझे कमेंट्स करके जरूर बताइयेगा।
धन्यवाद।
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