इस लेख में हम आपको ले चलेंगे भारत के प्रसिद्द द्वादश ज्योतिर्लिंग के यात्रा पर। इसी के साथ आपको द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूरी जानकारी हिंदी में भी देंगे और बताएँगे कि वो कौन-कौन से 12 द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं और कहाँ-कहाँ पर मौजूद हैं।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।। अर्थात मृत्यु को जीतने वाला मंत्र हैं। इसी मंत्र में भगवान शिव को मृत्यु को जीतने वाला बताया गया हैं। सनातन धर्म में इस मंत्र का बहुत ही महत्व हैं।
कहते हैं कि, सबसे जल्दी अगर कोई देवता प्रसन्न होते हैं, तो वह शिव शम्भू हैं। कोई भी शिव को अपनी भक्ति से तुरन्त मना लेता हैं और शिव जी अपने भक्त को आशीर्वाद भी दे देते हैं। शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव् है, तभी तो शिव जी को आशुतोष भी बोला जाता हैं।
देश हो या विदेश सनातनी अपने शिव को जगह- जगह पूजते है, श्रावणी मास (सावन) हो या फिर महाशिवरात्रि का पावन पर्व, सभी शिव भक्त, अपने देवाधिदेव शिव की अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजन या अर्चन करते हैं।
आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी ज्योर्तिलिंग की यात्रा कर सकते हैं।
आज का मेरा लेख, भारत के उन बारह स्थानों के बारे में बतायेगा, जहाँ शिव जी के बारह महान शिवालय अर्थात द्वादश ज्योतिर्लिंग पर चर्चा करूँगा, तो चलिये मेरे साथ पहले द्वादश ज्योतिर्लिंग के पीछे का इतिहास जानते हैं कि-
क्यों ये बारह स्थान पर ही ज्योर्तिलिंग स्थापित हैं?
शिव पुराण की मान्यता के अनुसार स्वयंभू अर्थात 12 स्थानों पर श्री भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुये थे। बाद में इनके सभी बारह (द्वादश) स्थानों पर भव्य शिवालय की स्थापना की गईं जो भारत देश के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित हैं। यह सभी शिवालय का अपना विभिन्न नाम हैं, जिस पर पूरी चर्चा अभी करेंगे।
विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंग का वर्णन
भारत में कुल 12 द्वादश ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं जहाँ भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना करने लिए विश्व भर से शिव भक्त व हिन्दू सनातन धर्म से सम्बन्ध रखने वाले लोग आते हैं।
केदारनाथ
यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे पुराना और अधिक उचांई पर स्थित मंदिर हैं। यह उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड नामके स्थान के समीप में स्थित हैं।
इस मंदिर की ट्रैकिंग करने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 18 KM की धार्मिक ट्रैकिंग करनी पड़ती हैं।
पूरी घाटी केदारनाथ घाटी के रूप में प्रसिद्ध हैं जो नर और नारायण की तपस्थली भी हैं। यहाँ से चौराबाड़ी हिमनद से मंदाकिनी नदी का उदभव हुआ हैं।
सोमनाथ मंदिर
गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में समुन्द्र के किनारे सोमनाथ मंदिर स्थित हैं। यह प्राचीन काल से ही भव्यता और वैभव के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर में धन- सम्पदा इतना ज्यादा था कि भारत वर्ष में कई आक्रमण केवल इस मंदिर के लिए हुआ था।
यह मंदिर सोम यानी चन्द्रमा देव की पूजा के लिए भोले भंडारी इस स्थान का चुनाव किया था, जहाँ बाद में सोमनाथ मंदिर स्थापित हुआ।
महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन को महाकाल की नगरी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर प्रसिद्ध हैं अकाल मृत्यु से सम्बंधित पूजन अर्चन के लिए। बाबा महाकाल के दरबार से प्रसिद्ध यह मंदिर दक्षिण शिवलिंग के लिए जाना जाता हैं।
यह वही स्थान हैं, जहाँ पर भारत का प्रसिद्ध कुम्भ मेला लगता हैं वैसे भारत के चार पवित्र स्थान क्रमशः प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और कुम्भ हैं।
त्रयंबकेश्वर मन्दिर
महाराष्ट्र के नाशिक शहर में गोदावरी नदी के तट पर जहाँ कुम्भ मेले का भी आयोजन होता हैं, वहाँ पर यह त्रयम्बकेश्वर महादेव का मन्दिर स्थित हैं।
यहाँ पर काला राम मंदिर, पंचवटी, नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख हैं। नासिक के पास ही लगभग 80 से 90 KM की दूरी पर शिर्डी स्थित हैं, जो साईं बाबा के मन्दिर के लिए प्रसिद्ध हैं।
मल्लिकार्जुन मन्दिर
आँध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित महादेव का अतिप्राचीन मन्दिर हैं। इस मंदिर में पूजा करने या मन्दिर में अंदर आने मात्र से ही सारे पाप कट जाते हैं।
ओमकारेश्वर मन्दिर
मध्य प्रदेश के खंडवा के निकट नर्मदा नदी के किनारे स्थित शिव को समर्पित यह मंदिर अत्यंत प्राचीन हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जिसका प्राचीन नाम काशी हैं, में यह मंदिर प्राचीनतम में से एक हैं। सभी ज्योर्तिलिंगों में केवल मात्र बाबा विश्वनाथ का मन्दिर हैं विश्व प्रसिद्ध पतित पावनी गंगा नदी के किनारे स्थित हैं।
यह मंदिर उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित हैं अतः यहाँ की महत्ता और भी बढ़ जाती हैं।
काशी को विश्व का सबसे प्राचीन नगर माना जाता हैं, जो भोले शिव के त्रिशूल पर स्थित हैं तभी तो प्रलय आने के बाद भी काशी नष्ट नही होगा ऐसी मान्यता हैं। आज वर्तमान में काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हो चुका हैं।
घृष्णेश्वर मंदिर
यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित महत्वपूर्ण ज्योर्तिलिंगों में एक ज्योर्तिलिंग हैं। औरंगाबाद में ही प्रसिद्ध अजंता और एलोरा की गुफाएं हैं।
औरंगाबाद से लगभग 80 KM की दूरी पर अहमदनगर जिले में प्रसिद्ध शनि देव का मन्दिर यानी शनि शिंगणापुर स्थित हैं।
रामेश्वरम मंदिर
तमिलनाडु राज्य के एकदम दक्षिण में स्थित यह मंदिर हैं। यही से श्री राम जी ने शिव के पार्थिव शिवलिंग की स्थापना करके पूजा- अर्चन के बाद ही लंका पर जाने के लिए सेतु समुंद्रम की नींव रखी थी।
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता हैं कि प्रभु राम शिव की पूजा करते हैं, जबकि भोले बाबा अर्थात शिव जी राम जी की पूजा करते हैं।
नागेश्वर मन्दिर
गुजरात प्रान्त के द्वारका से लगभग 30 KM दूरी पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग का महात्म्य बहुत पुराना हैं। द्वारका तो आप सभी जानते हैं, प्रभु कृष्ण की राजधानी हैं।
बाबा बैजनाथ मन्दिर
यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर शहर के बीचों- बीच में स्थित हैं। कहते हैं कि रावण जो शिव भक्त था, ने भोले को अपने तप से प्रसन्न करके उनकी स्थापना लंका में करना चाहता था,
लेकिन वह ऐसा कर नही पाया लेकिन शिव जी ने अपने भक्त पर प्रसन्न हो कर यहाँ के मन्दिर को रावणेश्वर भी कह कर सम्बोधन किये थे।
भीमाशंकर मन्दिर
महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 90 से 100 KM की दूरी पर स्थित हैं। महाराष्ट्र भारत का एक मात्र ऐसा राज्य हैं, जहाँ तीन- तीन ज्योर्तिलिंग की स्थापना हैं।
Note- भारत के सभी ज्योर्तिलिंगों पर जाने के लिए साधन की अच्छी कनेक्टिविटी हैं। सभी तीर्थस्थलों पर रुकने के लिए होटल, धर्मशाला, लॉज इत्यादि बने हुए हैं।
खाने- पीने के लिए रेस्टोरेंट और ढाबा की भी व्यवस्था मिल जाएगी।
इन द्वादश ज्योर्तिलिंगों में केवल केदारनाथ मंदिर ही ऊँचाई पर स्थित हैं, जहाँ पहुँचने के लिए आपको धार्मिक ट्रैकिंग करना पड़ता हैं और मन्दिर अक्षय तृतीया (परशुराम जयंती) से लेकर भैया दूज तक खुला रहता हैं।
बाकी समय ठंडी के समय में मन्दिर के कपाट बंद रहता हैं तब बाबा केदारनाथ को ऊखीमठ में स्थापित किया जाता हैं।
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