क्या इस कलयुगी संसार में कोई ऐसा स्थान या नगर या फिर कहे कि ऐसा कोई गांव हैं जहाँ के-
- किसी भी घर के मुख्य द्वार पर दरवाजा नही लगा हो। यदि दरवाजा हो तो उसे बन्द करने के लिए कुंडी न लगी हो ताकि ताला न लगा सके।
- किसी भी दरवाजे या खिड़की को बन्द करने की कोई व्यवस्था न हो। जैसे कि कुंडी न लगा हो बन्द करने के लिए।
- किसी दुकान, कार्यालय में शटर या चैनल न लगा हो।
- न कोई थाने की या कचहरी की जरूरत पड़े किसी को।
- लोगों के मध्य कोई भी झगड़ा या कहासुनी न हो।
- पैसे को ले कर पूरी ईमानदारी हो आज के समय में भी।
- न तो कोई चोरी हो या न ही कोई अपराध।
इन सभी सवालों का जवाब हैं-
शनि शिंगणापुर गांव,
जिला-अहमदनगर,
(महाराष्ट्र)
जी हाँ, दोस्तों आज मैं बात कर रहा हूँ, अपने देश भारत के महाराष्ट्र राज्य के अंतर्गत अहमदनगर ज़िले में पड़ने वाले गांव शनि शिंगणापुर की जो की ग्राम पंचायत हैं।
कहते हैं कि स्वयं श्री शनि देव जी इस गांव में विराजते हैं, जो कोई भी गलत काम नही होने देते। हिन्दू सनातन धर्म में शनि देव को न्याय का देवता भी कह कर सम्बोधन किया जाता हैं।
यह भी मान्यता हैं कि यदि श्री शनि देव नाराज़ हो जाये किसी से या इनकी कुदृष्टि किसी पर पड़ जाए तो उस व्यक्ति का सब कुछ बर्बाद हो जाये और
यदि शनि महाराज जी किसी व्यक्ति पर खुश हो जाये तो उसे मालामाल अर्थात उसके लिए वरदान साबित हो जाते हैं।
इसीलिये कोई भी मनुष्य कम से कम शनि देवता को हमेशा प्रसन्न करने के सारे जतन करता हैं, पूजा पाठ करके, सत्य वचन का अनुसरण करके इन्हें हमेशा खुश रखने का प्रयास करता हैं।
वैसे श्री शनि देव जी अपनी कृपा सभी पर बनाये रहते हैं तभी तो सब का और जगत का कल्याण करने वाले देवता माने जाते हैं।
मैं शिर्डी कई बार गया हूँ और शिरडी जाने के बाद शनि शिंगणापुर भी जरूर जाता हु। मैं ही नही अधिकतर भक्त शिरडी गए तो इस पावन धाम पर जरूर जाते हैं।
आज का यह ट्रिप भक्ति भाव से भरा हुआ श्री शनि देव जी मंदिर को समर्पित हैं, तो चलिए फिर मेरे साथ शनि धाम को-
दर्शन करने के साथ ही घूमना भी हो जायेगा और अच्छी जानकारी भी मिलेंगी। मैं आपको यहाँ इस ट्रिप की पूरी जानकारी हिंदी में देने जा रहा हूँ।
शिंगणापुर गांव
यहाँ शनि देव का विश्व प्रसिद्ध जागता (जागृत) मन्दिर हैं, चूंकि इस गांव की पहचान ही इस मंदिर से है, इसीलिए इस गांव का नामकरण भी "शनि शिंगणापुर" कर दिया गया भक्तों के द्वारा।
यहाँ दर्शन के लिए सर्वसिद्धि और मनोकामना को पूरा करने वाला यह मंदिर आश्चर्य और चमत्कार से पूर्ण हैं क्योंकि इस मंदिर से कोई भी खाली हाथ नही लौटा हैं, बस जरूरत हैं सच्ची लगन और श्रद्धा की।
श्री शनि देव जी का मंदिर (धाम)
आपने कोई भी मन्दिर देखा होगा तो मुख्य मूर्ति किसी भी भव्य कमरे नुमा मन्दिर जिसके ऊपर बड़े-बड़े गुम्बद होते है, में स्थापित होता हैं।
जबकि यह मंदिर, अन्य मन्दिर की भव्यता के विपरीत खुले आसमान के नीचे जहाँ न तो कोई गुम्बद और न ही कोई भव्य कमरा में स्थापित हैं, बल्कि मात्र एक चबूतरे पर स्वयं शनि देव महाराज विधमान हैं।
मुख्य मूर्ति की आभा
अधिकतर सभी मंदिरों में सम्बंधित देवी और देवता की मूर्तियां स्थापित होती हैं। परन्तु इस मन्दिर के परिसर में कोई मूर्ति नही हैं, अपितु एक शिलाखण्ड यानी काला रंग में पत्थर लगभग ऊंचाई 6 फुट की हैं और पौने दो फुट की चौड़ाई हैं।
यहाँ गौर करने वाली ये बात हैं कि शनि देव जी के इसी शिलाखण्ड को मूर्ति और इसी मूर्ति से भव्य मंदिर का दर्जा दिया गया हैं और सभी वर्गों के मध्य आस्था का केंद्र हैं।
यह मूर्ति सभी मौसम में चाहे गर्मी, वर्षा या सर्दी हो खुले आसमान में बिना किसी भी छत्र या गुम्बद के, सभी के भक्ति और पूजा-अर्चन को स्वीकार करते रहते हैं।
यह एक जागता मन्दिर हैं
ये चमत्कार ही तो हैं कि इस प्रकार का अनोखा गांव भारत मे ही हो सकता हैं विश्व भर में। जहाँ कोई रुपया-पैसे का झंझट नही, सभी जगह जैसे घर, मकान, दुकान, मन्दिर, कार्यालय सब खुला हुआ बिना दरवाजा और खिड़की के या बिना कुण्डी और सिटकनी के।
न कोई चोरी और न ही कोई अपराध इस कलयुग में इससे बड़ा चमत्कार क्या चाहिए किसी को।
हो सकता है कि आप में से बहुत लोगो को इसका यकीन न हो तो कम से कम एक बार वहाँ जा कर इस अनोखे से गांव और मन्दिर का दर्शन कर लीजिये।
मन्दिर का प्रसाद
यहाँ मन्दिर का मुख्य प्रसाद शनि शिंगणापुर ट्रस्ट के काउंटर से निश्चित शुल्क अदा कर के नारियल की बर्फी, पेड़ा जो मुख्य प्रसाद है लिया जा सकता हैं।
मन्दिर में पूजन-अर्चन की विधि
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहाँ की पूजन व्यवस्था, जो किसी भी मन्दिर में नही मिलती हैं। यहाँ दर्शन करने के कुछ नियम हैं और इसमें समय-समय पर बदलाव भी होता रहता हैं। आइये अब जानते हैं पुराने और नये नियम क्या हैं
पुराना नियम
- यह कि मन्दिर के अंदर केवल पुरुष ही जायेंगे (लड़का, वृद्ध पुरुष, किशोर)।
- महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित था और यदि बाद में जाएंगी भी तो मूर्ति को स्पर्श नही करेंगी। अर्थात दर्शन दूर से ही करना होता हैं।
- जो भी दर्शन करने वाला पुरुष वर्ग हैं, वह अपना सम्पूर्ण वस्त्र उतार कर स्नान कर के भींगे रूप में ही वही स्थानीय दुकान में मिलने वाला केशरिया या पीला रंग का गमछा या वस्त्र धारण कर के ही मन्दिर में प्रवेश करेगा।
- चढ़ावा में तेल (सरसो या तिल का तेल) जो शनि देव जी का प्रिय वस्तु हैं और उसके साथ ही नारियल, फूल, माला, इत्यादि जो कि सम्पूर्ण पूजा की थाली होती है वही दुकान से खरीद कर मूर्ति पर चढ़ा दिया जाता है, कुछ भी साथ नही लाते हैं।
- प्रसाद आप काउंटर से निर्धारित शुल्क जमा कर के खरीद सकते हैं। दान आप निश्चित स्थान पर बने पात्र में डाले या ट्रस्ट के कार्यालय में जमा कर के पावती रशीद प्राप्त कर ले।
नया नियम
कुछ वर्षों से दर्शन, पूजन के नियमों में कुछ बदलाव किया गया हैं, जो निम्न हैं-
- अब दर्शन के लिए पुरूष और महिला सभी मन्दिर के अंदर जा सकते हैं।
- अब पुरुष वर्ग को स्नान करके भींगे रूप में केशरिया या पीला वस्त्र धारण करके मन्दिर में जाने की जरूरत नही हैं। अब ये नियम केवल श्रावण मास में केवल 1 माह के लिए लागू होता हैं।
- कोई भी हो चाहे पुरुष या स्त्री अब मूर्ति को स्पर्श नही करना है यानी दूर से ही दर्शन करते हुए हाथ जोड़ना है।
- तेल (सरसो या तिल का तेल) के साथ जो भी पूजा सामग्री ले जाया जाएगा वह सब मूर्ति से दूर ही नियत स्थान पर चढ़ाना होगा। यहाँ तक कि तेल भी मूर्ति पर नही चढ़ा सकते कोई भी भक्त। अब तेल भी एक बड़े से बर्तन में डाल देना हैं, जो मशीन से मूर्ति पर चढ़ जायेगा।
- घर ले जाने के लिए प्रसाद काउंटर से खरीदना होगा और साथ ही आप कोई दान करना चाहते है, तो वह ट्रस्ट के कार्यालय में जमा करके रशीद प्राप्त कर सकते है या दानपात्र में डाल सकते हैं।
इस मन्दिर में जो भी पुरोहित होते है, वे काले वस्त्र धारण किये होते है, जो कि काला वस्त्र भी शनि देव को पसंद हैं।
सच्ची श्रद्धा तो मन्दिर में पहुँचने और दर्शन कर लेने से मिलता हैं। इसलिये मन में शनि भगवान का नाम लेते हुये दर्शन करें, आप के सभी कष्ट और भव-बाधा दूर हो जायेगा।
वैसे भी शनि देव को त्वरित फल देने वाला और न्याय करने वाला देवता कहा जाता है, जिस पर प्रसन्न हो गए तो उसे सुख समृद्धि से भर देते है और जिस पर रुष्ट हो गए उसे कंगाल बना देते हैं, इसे ही श्री शनिदेव महाराज का चक्र कहते हैं।
मंदिर में आरती का समय
प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे और शाम को 5:00 बजे आरती होती हैं। प्रातः 4 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक मन्दिर खुला रहता हैं।
शनिवार को विशेष महत्व
शनि देव जी का दिन शनिवार होता हैं। प्रत्येक शनिवार को देश-विदेश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ आज के महत्व को देखते हुए दर्शन और पूजा-पाठ के लिए आती हैं।
वैसे तो पूरे वर्ष भर लाखो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते रहते है, परन्तु दिन यदि शनिवार हो तो दर्शन, पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता हैं।
शनि शिंगणापुर मंदिर कैसे पहुँचे?
यह नगर/गांव सड़क मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ है। और यदि आप शिर्डी या नासिक दर्शन करने आये हैं, तो या कम से कम महाराष्ट्र में किसी भी स्थान से सीधे जुड़ा हुआ हैं। आप टैक्सी, निजी साधन, सरकारी बस से बेहतर तरीके से पहुँच सकते हैं।
यह मंदिर स्थान धाम रेल मार्ग से सीधे नही जुड़ा है। इस नगर का अपना कोई रेलवे स्टेशन नही है। आप यदि ट्रेन से आते है, तो या अहमदनगर (39 KM) उतरना पड़ेगा या फिर शिर्डी के रेलवे स्टेशन (70 KM) पर। फिर वहाँ से टैक्सी, बस, शेयर टैक्सी इत्यादि से पहुँचा जा सकता हैं।
अहमदनगर और साईं नगर शिर्डी रेलवे स्टेशन मनमाड-पुणे रेल मार्ग पर स्थित है। सबसे नजदीक का एयरपोर्ट पुणे इंटरनेशनल एयरपोर्ट (155 KM) है।
प्रमुख शहरों से शनि शिंगणापुर की दूरी
- हैदराबाद से- 568 KM
- औरंगाबाद से- 82 KM
- अहमदनगर से- 40 KM
- शिर्डी से- 72 KM
- पुणे से- 166 KM
- नाशिक से- 148 KM
- मनमाड से- 144 KM
- मुम्बई से- 292 KM
- भुसावल से- 241 KM
- जलगांव से- 265 KM
- चेन्नई से- 1205 KM
- नई दिल्ली से- 1330 KM
- कोलकाता से- 1680 KM
- पटना से- 1525 KM
- वाराणसी से- 1282 KM
- गाजीपुर से- 1375 KM
- प्रयागराज से- 1188 KM
- लखनऊ से- 1279 KM
- उज्जैन से- 545 KM
- हरिद्वार से- 1515 KM
- इंदौर से- 486 KM
किस मौसम में जाये दर्शन करने?
आप कभी भी शनि शिंगणापुर दर्शन करने जा सकते हैं। बस अगर मई और जून को छोड़ दे तो अच्छा रहेगा क्योंकि गर्मी चरम पर रहती हैं। बाकी सब समय आप बिल्कुल जाइये, शनि देव की कृपा आप पर बनी रहेगी।
हाँ, एक बात याद रखे कि यदि आप भीड़-भाड़ नही पसन्द करते हैं, तो- शनिवार, कोई भी त्योहार, अमावस्या का दिन, नया वर्ष यानी 1 जनवरी इत्यादि को मत जाइए बाकी तो बिंदास हो कर दर्शन के साथ ही पूजन कर सकते हैं।
ठहरने का स्थान
आप या तो शनि शिंगणापुर में होटल, धर्मशाला में रुक सकते है, परन्तु यहाँ होटल या धर्मशाला की संख्या ज्यादा नही है।
इसके लिए निकट के धार्मिक शहर शिर्डी में रुक सकते हैं, जहाँ होटल हज़ारों की संख्या में हैं और यह आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं। आप अपने बजट के अनुसार और सुविधा के अनुरूप यहाँ होटल बुक कर सकते हैं।
शनि शिंगणापुर के आस-पास दर्शनीय स्थल
शिर्डी/शिरडी
आप यहाँ से मात्र 70 KM की दूरी पर स्थित विश्व प्रसिद्ध साईं बाबा की नगरी साईं नगर शिर्डी है। आप यहाँ दर्शन करने जरूर जाये।
नासिक/नाशिक
मात्र 148 KM की दूरी पर नाशिक शहर का इतिहास प्रभु राम के समय से हैं। यहाँ पर द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक त्रयम्बकेश्वर स्थित हैं। अगर इधर आकर दर्शन न कर पाये तो मलाल जरूर रहेगा।
अहमदनगर किला
यह फोर्ट मात्र 39 KM की दूरी पर स्थित 15 वी शताब्दी का बना हुआ किला हैं। इसका निर्माण सल्तनत काल में मलिक अहमद ने करवाया था। आगे चल कर चांदबीबी और औरंगजेब के अधीन रहा था ये किला।
आज वर्तमान में यह किला भारतीय सेना के अधीन हैं। आम जन मानस को घूमने के लिए यह किला रोज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता हैं।
औरंगाबाद
यह स्थान लगभग 85 KM की दूरी पर हैं। यहाँ आप अजंता और एलोरा की विश्व प्रसिद्ध गुफाओं को घूम सकते हैं। साथ ही साथ बीबी का मकबरा (औरंगजेब की पत्नी का- दिलरास बनो बेगम का मकबरा) भी घूम सकते हैं।
इस इमारत को दूसरा ताजमहल भी कहते हैं। मेरी राय में इस मंदिर के ट्रिप पर आये तो क्या करें?
एक पंथ दो काज अर्थात शनि शिंगणापुर दर्शन करने का प्लान बना रहे है और बजट भी छोटा रखना हैं यानी कम समय में दर्शन के लिए आप शिर्डी का ट्रिप बनाइये और वहाँ से आसानी से शनि शिंगणापुर भी दर्शन करने जा सकते है।
यदि बजट अच्छा खासा ले कर चल रहे हैं और सबसे बड़ी बात कि समय भी हो तो नाशिक, औरंगाबाद भी घूम सकते हैं।
आशा करता हूं कि आज आप मेरे साथ मन्दिर दर्शन करने के लिए अच्छी जानकारी प्राप्त किये हैं।
तो यहाँ का ट्रिप कब बना रहे हैं?। हमें कमेंट कर के जरूर बताइयेगा और यदि किसी नियम में पुनः कोई बदलाव हुआ हो, तो हमे जरूर कमेंट करियेगा। आगे फिर हम किसी नये ट्रिप पर आपको ले चलेंगे तब तक के लिये आप सभी का आभार।
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