आज हम आपको ऐसे मंदिर का रहस्य बताने जा रहे है,जिसे जानकर आपके आश्चर्य का ठिकाना नही होगा। तो फिर चलिए एक छोटा सा ट्रिप मुंडेश्वरी धाम का।
मुंडेश्वरी देवी मंदिर बिहार प्रान्त के कैमूर (भभुआ) जिले में भगवानपुर और रामगढ़ गांव के पास पंवरा पहाड़ी के शिखर (विंध्य पर्वतमाला की कैमूर पहाड़ी) पर स्थित है।
यह धरातल से लगभग 650 फीट की ऊंचाई पर भव्य मंदिर बना है। टेम्पल के अंदर माता मुंडेश्वरी और महादेव की जागती मूर्ति बनी हुई है।
यहाँ जागता मंदिर से ये अर्थ है कि स्थानीय लोगो कि मान्यता है कि आपकी सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती हैं।
मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही आपको गज़ब की अनुभूति होगी, मन शांत लगेगा। इस मंदिर में प्रवेश करने के चार द्वार है जिसमें से एक बन्द कर दिया गया है।
जब आप मुंडेश्वरी टेम्पल में प्रवेश करेंगे तो माँ की मूर्ति जो कि दीवार पर उकेरी हुई है मिलेगी तथा मंदिर के ठीक बीचो बीच मे पंचमुखी शिव भगवान की मूर्ति/शिवलिंग बनी हुई है जो सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य अपना रंग बदलती रहती है।
आप इस मंदिर की पूरी जानकारी हिंदी में TripGhumo. com पर पढ़ रहे है, तो चलिये आज फिर - एक ट्रिप करे, घूम कर आये।
मंदिर का इतिहास
मंदिर के परिसर में प्राप्त शिलालेख 389 ईसवीं के है, जिससे यह कहा जाता है कि यह मंदिर उत्तरगुप्तकालीन में बना हुआ है।
यहाँ के स्थानीय राजा जिनका नाम उदय सेन था, ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। यह एक अष्टकोणीय वास्तु शैली में तैयार है। यह मंदिर पूर्ण रूप से सनातन धर्म को समर्पित हैं।
इस मंदिर के अंदर शिव और आदि शक्ति माता जी का सम्मलित रूप है। इस मंदिर को बाद में कई आक्रमणकारियों ने समय- समय पर नष्ट कर दिया। आज मंदिर टूटने के कारण ही इसकी छत बाद में पुनः बनाई गई है।
मंदिर के पुरातन अवशेष आज भी वहाँ के परिसर में रखे हुए है, जो अपना इतिहास स्वयं बया कर रहे है। देवी का यह मंदिर लगभग 1900 वर्ष प्राचीन है. और तब से वर्तमान तक निरन्तर पूजा-पाठ होता आ रहा है।
भारत मे पुरातत्व के जन्मदाता कनिंघम ने भी इस मंदिर की भव्यता का उल्लेख अपनी पुस्तक में किया था। इन्होंने इस मंदिर की महिमा का वर्णन किया है।
इस मंदिर को वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (A.S.I.) ने अपने अधीन कर के इसका मरम्मत कार्य करते हुए इस स्थान को भव्य रूप दिया जा रहा है।
ASI और बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने मंदिर का दर्शन करने के लिए और पर्यटन की दृष्टि से इसका विकास किया है और अभी भी बहुत विकास हो रहा हैं।
मंदिर का महत्व
यह मंदिर हिन्दू सनातन धर्म मे विशेष महत्व रखता हैं। आज भी यहाँ विवाह, मुंडन संस्कार या अन्य पूजा अर्चना किया जाता है। नवरात्र के समय यहाँ मेला का आयोजन भी होता है।
दो बात मंदिर को और भी महान और प्रसिद्ध बनाता हैं, जो निम्न है--
- मंदिर के अंदर शिव जी का बना शिवलिंग का रंग दिन में कई बार बदलता रहता हैं।
- पूरे विश्व में यह मंदिर अनोखा और अकेला है क्योंकि यहाँ दिया जाने वाला बलि सात्विक बलि दिया जाता हैं।
सात्विक बलि का अर्थ यह है कि
जब कोई भी मंदिर में बलि देने के लिए जीव को लाता हैं, तो मंदिर के प्रधान पुरोहित उस जीव पर अक्षत (चावल के दाने) माता जी के मूर्ति से स्पर्श कर के मंत्रोच्चारण के साथ जीव पर फेंकते है और जीव तुरन्त अचेत अवस्था में या मूर्छित हो जाता है।
कुछ समय के बाद ही पुनः मंदिर के पुरोहित जी के द्वारा अक्षत को माता जी के मूर्ति से स्पर्श करा कर मंत्रोच्चारण करते हुए जीव पर फेकते ही पुनः वह जीव उठ खड़ा हो जाता है।
जैसे कि मानो कुछ हुआ ही नही हो, इसी परम्परा को सात्विक बलि कहा जाता है। बाद में उस जीव को आज़ाद छोड़ दिया जाता हैं।
धाम पहुंचने के लिए साधन
सड़क मार्ग
यह धाम N.H.2 से लगभग 30 KM दूर मोहनिया-भभुआ-मुंडेश्वरी धाम मार्ग पर स्थित हैं। बिहार सरकार रोडवेज की बस (BSRTC), प्राइवेट बस, टैक्सी, टेम्पो इत्यादि साधन मंदिर जाने के लिए मोहनिया बाजार, भभुआ से मिल जाएगा।
कुल मिला कर मंदिर पहुँचने के लिए आपको साधन मिलेगा, जिससे मंदिर के नीचे स्टैंड तक आप पहुँच कर सीढ़ी से मंदिर जा सकते है।
यदि अपने निजी साधन से जाते है तो पहाड़ी के ऊपर मंदिर तक भी साधन से जाया जा सकता है।
विभिन्न स्थान से मंदिर की दूरी
- लखनऊ से 325 KM
- वाराणसी से 105 KM
- मुगलसराय से 85 KM
- चंदौली से 75 KM
- ग़ाज़ीपुर से 92 KM
- ज़मानिया से 70 KM
- मोहनिया बाजार से 30 KM
- भभुआ से 16 KM
- सासाराम से 80 KM
- आरा से 130 KM
- गया से 190 KM
- पटना से 205 KM ,की दूरी पर यह मंदिर स्थित है
रेल मार्ग
निकटम रेलवे स्टेशन भभुआ रोड है, जो मंदिर से लगभग 30 KM की दूरी पर हैं, जहाँ पर प्रमुख ट्रेनो का ठहराव हैं। निकटम बड़ा रेलवे स्टेशन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय) हैं।
मंदिर से 85 KM की दूरी पर है मुगलसराय रेलवे स्टेशन, यहाँ सभी ट्रेनो का ठहराव है। यहाँ से टैक्सी बुक कर के मंदिर पहुँचा जा सकता है।
वायु मार्ग
वाराणसी का बाबतपुर हवाई अड्डा 125 KM
गया हवाई अड्डा 210 KM
पटना हवाई अड्डा 205 KM
अनुकूल मौसम
वैसे मंदिर पूरे वर्ष भर में कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन मंदिर पहाड़ पर स्थित होने के कारण गर्मी में मंदिर में भीड़ कम रहती है,सबसे अनुकूल मौसम यहाँ आने का सितम्बर माह से मार्च माह तक रहता है।
खानपान
नाश्ता और लंच के लिए आपको मंदिर यानी पहाड़ के नीचे कई होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट मिल जाएगा, जहाँ पर आप लोकल फ़ूड के साथ-साथ सभी प्रकार के भारतीय व्यंजन का लुत्फ़ उठा सकते है।
खरीदारी क्या करें?
मैंने आपको यह बताया है कि यह क्षेत्र पहाड़ी है, यहाँ काले पत्थर से बना सील बट्टा, खल बट्टा या पत्थर से बने रसोई से सम्बंधित कई प्रकार के समान जो दैनिक जीवन मे प्रयोग किये जाते है मिल जाएगा।
हाँ ये बात जरूर ध्यान में रखे कि खरीदारी करते समय मोल भाव आप अपने स्तर पर जरूर करें।
आज आप माँ मुंडेश्वरी धाम की पूरी जानकारी हिंदी में TripGhumo.com पर पढ़ रहे है।
आशा करता हु कि आपको मेरे द्वारा दी गई सारी जानकारी अच्छी लगी है, तो कम से कम एक बार इस मंदिर में दर्शन करने जरूर आये, घूम कर आपको कैसा लगा?, हमे कमेंट करना न भूले, तो फिर चलिये।
एक ट्रिप करें, घूम कर आये
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