अगर आप मनोवांछित फल की चाह रखते हैं, तो एक बार कल्याणेश्वर महादेव मंदिर जरूर आइये। आप को याद दिला दे कि यह मन्दिर जागता मंदिरों में शुमार हैं।
शीघ्रात शीघ्र किसी पर प्रसन्न हो जाने वाले श्री आशुतोष को समर्पित यह मन्दिर इस कलयुग में सर्वकामना सिद्धि वाला शिवालय हैं। न यकीन हो तो इतिहास पलटकर देखिए तो आप पायेंगे आज जिस मन्दिर का वर्णन करने जा रहे हैं।
यह मन्दिर अपने भव्यता, वैभवता, प्राचीनता और ऐतिहासिक हैं, क्योंकि इस मंदिर की स्थापना राजा जनक ने किया था और यहाँ तपस्या कर के भोले भंडारी को प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था।
वर्तमान में बिहार सरकार ने इसे बिहार में पर्यटन स्थल घोषित किया हैं क्योंकि इस मंदिर का संबंध रामायण काल से हैं।
तुलसीदास ने भी अपनी पुस्तक रामचरितमानस में इस मंदिर का वर्णन करते हुए इस मंदिर को मिथला क्षेत्र का द्वार कहा हैं और यह बताया हैं कि जनक राजा अपने आराध्य देव शिव जी की तपस्या करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया था।
राजा जनक की तपस्या से खुश हो कर शिव शम्भू स्वयं प्रकट हुये और सबके कल्याण के लिए आशीर्वाद दिया तभी महादेव इस गांव में कल्याणेश्वर महादेव के नाम से स्थापित हुये।
मंदिर परिसर में अनेक देवी देवताओं के मन्दिर बने हुए हैं, ख़ास तौर पर शिव परिवार का विशेष महत्व हैं। यहाँ हम आपको बताते चले कि बाबा भोलेनाथ के परिवार में पार्वती माता, गणेशजी और कार्तिकेय जी का मन्दिर हैं।
आज आपका सोलो साथी भक्ति में डूबे एक अद्धभुत और अद्वितीय मन्दिर के बारे में पूरा विस्तृत चर्चा करने जा रहा हूँ, यदि आज का लेख आपको पसंद आये तो हमें कमेंट्स करना न भूले।
कल्याणेश्वर महादेव मंदिर कहाँ स्थित हैं?
भारत में बिहार प्रान्त के उत्तरी क्षेत्र को (भारत- नेपाल सीमा से सटा क्षेत्र) मिथला क्षेत्र कहते हैं। यही पर मधुबनी जिला के अंतर्गत हरलाखी प्रखंड (ब्लॉक) में कलना गांव में यह मन्दिर स्थित हैं।
अगर भौगोलिक दृष्टि पर थोड़ा और ध्यान दे तो यह मन्दिर कल्याणेश्वर महादेव जो भोले शंकर को समर्पित हैं दो ब्लॉक बासोपट्टी प्रखंड और हरलाखी प्रखंड के मध्य स्थित हैं।
कल्याणेश्वर महादेव का इतिहास
इस मंदिर की स्थापना राजा जनक ने त्रेतायुग में किया था। इस मंदिर को देवताओं के वास्तुकार श्री विश्वकर्मा जी ने स्वयं बनाया था।
राजा जनक मिथला के राजा थे, इसलिए इनको मिथिलेश भी कहते हैं और राजा जनक के राज्य की राजधानी जनकपुर था।
प्राचीन कथा के अनुसार महादेव का मन्दिर बनवाने के बाद प्रतिदिन राजा जनक, जनकपुर से मिथला क्षेत्र में स्थित इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते थे। चूंकि यह मन्दिर त्रेतायुग में बना हैं, तो इसका सीधा संबंध रामायण से हैं।
कल्याणेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुँचे?
इस मंदिर पर जाने के लिए सड़क मार्ग की अच्छी व्यवस्था हैं जो मधुबनी जिला मुख्यालय से सीधे जुड़ा हुआ हैं। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी मात्र 30 Km हैं।
अगर रेलवे स्टेशन की बात करें तो नज़दीकी रेलवे स्टेशन मधुबनी और जयनगर हैं। जयनगर छोटा सा कस्बा हैं, जो मधुबनी जिले का सब डिवीजन हैं।
मधुबनी या जयनगर भारत के प्रमुख नगरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ हैं। हालांकि बड़े रेलवे स्टेशन की बात करें तो दरभंगा रेलवे स्टेशन भी मात्र 40 से 50 Km की दूरी पर स्थित हैं।
नज़दीक में एयरपोर्ट दरभंगा हैं लेकिन यहाँ से अभी सभी जगहों से सीधे उड़ान उपलब्ध नही हैं। इसलिए दूसरा नज़दीकी एयरपोर्ट पटना का हैं, जहाँ से इस मंदिर की दूरी लगभग 200 Km की हैं।
मधुबनी से प्रमुख नगरों की दूरी
- जयनगर से- 30 Km
- दरभंगा से- 40 Km
- पटना से- 175 Km
- मुजफ्फरपुर से- 95 Km
- सोनपुर से- 160 Km
- सासाराम से- 315 Km
- गया से- 277 Km
- गाजीपुर से- 318 Km
- वाराणसी से- 399 Km
- उज्जैन से- 1385 Km
- नासिक से- 1835 Km
- खजुराहो से- 790 Km
दर्शन करने कब जाये?
आप इस मंदिर में पूरे वर्ष में कभी भी जा सकते हैं, लेकिन भीड़ से बचना चाहे तो सावन का पवित्र माह और महाशिवरात्रि का दिन छोड़ कर जाये।
सावन भर यहाँ अत्यधिक भीड़ देखने को मिलती हैं। श्रावण मास भर यहाँ मेले जैसी स्थिति बनी रहती हैं। प्रसाद और नाश्ते, भोजन की कई दुकानें मिल जाएगी।
सावन मास में लोकल और दूर- दराज़ से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। कई श्रद्धालुओं के द्वारा जयनगर में स्थित कमला नदी का पवित्र जल लेकर कावंरियों के द्वारा 20 Km की दूरी तय करके बाबा कल्याणेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया जाता हैं।
अगर शिव जी के विशिष्ट दिनों को छोड़ दे तो भक्त आसानी से दर्शन कर सकते हैं।
रुकने की क्या व्यवस्था हैं?
मंदिर परिसर के पास तो कोई ख़ास व्यवस्था नही हैं रुकने की लेकिन मधुबनी शहर में धर्मशाला, होटल और लॉज मिल जायेंगे जहाँ पर आप रुक सकते हैं।
यहाँ पर होटल आपके बजट में हैं इसलिए रुकने की कोई दिक्कत नही हैं। खाने- पीने के लिए मधुबनी में रेस्टोरेंट और ढाबा आसानी से मिल जायेगा।
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