मेला आयोजन स्थल - सोनपुर, जिला वैशाली, बिहार । अन्य नाम - हरिहर क्षेत्र का मेला या हरिहर मेला के नाम से भी सुविख्यात हैं।
अपना बचपन याद करिये कि जब घर के पास मेला लगता था तो खिलौना रूपी गाय, बैल, हाथी और घोड़ा खरीदने जाते थे, चाट - पकौड़ी का लुत्फ़ उठाने जाते थे।
क्या हकीकत में सचमुच के हाथी घोड़े मेला में मिलते है?, जी हाँ जरूर भारत के बिहार प्रान्त में वैशाली जिले के अंतर्गत ( वैशाली जिला का मुख्यालय हाजीपुर है ) सोनपुर नामक छोटे से शहर में अर्थात हरिहर क्षेत्र नामक स्थान पर गंगा और गंडक नदी के संगम क्षेत्र में एशिया का या ये कहे कि विश्व का सबसे बड़ा पशु / मवेशी मेला लगता है।
आज ये पशु मेला राष्ट्रीय ही नही बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। लगभग 1 माह तक चलने वाले इस मेले में सोनचिरैया, तोता से लेकर हाथी, घोड़ा तक मिलता है।
खाने- पीने से लेकर जरूरत के सभी सामान यहाँ आपको मिल जाएगा। पूरे देश से मशहूर एक से बढ़ कर एक जरूरत की वस्तुओं का स्टाल मिल जायेगा, इसलिए यह घरेलू और देश-विदेश के सैलानियों का प्रमुख केंद्र बन गया है।
हरिहर क्षेत्र हैं
गंगा और गंडक के संगम क्षेत्र को ही हरिहर क्षेत्र के नाम से भी जानते है। यह प्राचीन काल से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में गिना जाता है। इस क्षेत्र को साधु-संतों ने काशी और प्रयाग से भी श्रेष्ठ धार्मिक स्थल माना हैं। विष्णु और शिव का सम्लित रूप या एक नाम हरिहर भी है, यहाँ विश्व प्रसिद्ध हरिहर मंदिर भी है ।
संगम में स्नान करके मंदिर में दर्शन मात्र कर लेने से पाप कट जाते हैं।यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर बहुत बड़ा मेला का आयोजन होता है, इस मेले को ही सोनपुर का या हरिहर क्षेत्र का पशु मेला कहते हैं।
मेले के आयोजन का समय
हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के समय ( नवम्बर और दिसम्बर माह ) में लगभग 1 माह तक इस मेले का आयोजन होता हैं।
इस मेले में विदेशी पर्यटक भी आते है जैसे कि जापान, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इत्यादि । इसलिए इस मेले का सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व ज्यादा है।
मेला कैसे जाये
सोनपुर रेलवे स्टेशन एक छोटा रेलवे स्टेशन है, जो नई दिल्ली वाया वाराणसी, ग़ाज़ीपुर, बलिया छपरा, हाजीपुर बरौनी गुवाहाटी रेल ट्रैक पर स्थित है। सोनपुर पहुँचने के लिए अनेक ट्रैन भारत के अधिकतर छोटे बड़े रेलवे स्टेशन से सीधे जुड़ा हुआ है, अर्थात-
- हाजीपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 4 KM
- छपरा रेलवे स्टेशन से लगभग 50 KM
- पटना रेलवे स्टेशन से लगभग 30 KM
- नज़दीक का हवाई अड्डा पटना का एयरपोर्ट है जो लगभग 40 KM पर स्थित है।
- सोनपुर सड़क मार्ग से भी अधिकतर सभी स्थानों से जुड़ा हुआ हैं।
कहाँ ठहरें (रुके)
आप पटना में रुक सकते जहाँ कई छोटे, बड़े बजट के होटल मौजूद है। आप चाहे तो हाजीपुर में भी रुक सकते है, परन्तु जब आप मेला घूमने जा रहे है तो मेला प्रशासन की तरफ से मेला क्षेत्र में कई प्रकार के टेंट सुविधा जो बजट के अनुसार तथा होटल जैसे सुविधा वाले स्विस कॉटेज मौजूद होते है, जिसमे देशी और विदेशी सैलानी रुक कर मेले का वास्तविक आनंद उठा सकते है।
क्या खरीदे
आप दैनिक वस्तुएं, जरी और कालीन, लकड़ी के समान, बर्तन, अन्य के साथ-साथ गाय, बैल, बकरी, तोता, चिड़िया, ऊंट, घोड़ा, हाथी या अन्य महत्वपूर्ण मवेशी की खरीदारी कर सकते है।
क्या खाएं और क्या घूमें?
स्थानीय व्यंजन जैसे बाटी चोखा, रेवड़ी, अनरसा के साथ ही दक्षिण भारतीय व्यंजन, उत्तर भारत के व्यजंन के साथ-साथ और भी खाने पीने की वस्तुएं मिलती है, जिसका स्वाद आप लेकर इसका आनंद उठा सकते है।
आप नौटंकी, रामलीला, नौका विहार, खेल, रंगमंच, भोजपुरी गायन, विरहा, नाटक जैसे रंगारंग कार्यक्रमों का लुफ्त उठा सकते है।
यहाँ आपको रात्रि में अनेक रंगारंग कार्यक्रम जो लाइट और म्यूजिक पर आधारित होते है उसका तो कहना ही क्या, विश्वास करिये आपको निराश नही करेगा।
आप अपने जीवन मे कम से कम एक बार जरूर इस मेले में आकर इस विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मेले का गवाह बनिये आप दुबारा जरूर आएंगे।
यह गलतफहमी अपने मन से निकाल दे कि यह पशु मेला है तो क्या करेंगे जा कर क्योकि नाम से तो यह लगता है कि यहाँ केवल पशु या मवेशी ही बिकते है, जरूरी नही की आप पशु खरीदने ही जाए, आप ऐसे भी मेला घूमने जा सकते है।
अगर बजट कम हो या समय कम हो और अच्छा अनुभव चाहते है तो एक स्माल ट्रिप बना कर अकेले या परिवार के साथ आ कर घूम सकते है, निश्चिंत रहिये कुछ न कुछ सीखने और देखने को मिलेगा।
जय भारत, जय बिहार, जय हरिहर क्षेत्र
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