अगर मैं आपसे यह पुछू कि भारत में होली का त्योंहार कितने प्रकार से मनाते हैं? तो शायद आप का जवाब रहें कि हमने तो सिर्फ दो ही तरीके से सुना हैं। एक तो पानी वाले रंग से और दूसरा तरीका अबीर- गुलाल से जबकि कुछ लोग तो यह कहेंगे कि रंग और गुलाल से।
लेकिन मैं आज आपको बताऊंगा की भारत में होली जैसे प्रसिद्ध त्योंहार को कई तरीके से मनाते हैं, जैसे कि रंग, अबीर- गुलाल, फूल, अंगारा की होली, लड्डू या बरसाना (ब्रज) की लट्ठमार होली या फिर पत्थरों से भी होली का पर्व बड़े ही चाव या धूमधाम से मनाया जाता हैं।
जी हाँ, दोस्तों आज आपका सोलो साथी घुमक्कड़ी जीवन में पूरे भारत में विभिन्न प्रकार से होली पर्व के मनाये जाने पर पूरी चर्चा करने वाले हैं, तो आज आप पूरे लेख में मेरे साथ भारत भ्रमण पर चलें और मैं आपको बताऊंगा की होली का पर्व कितने तरह से आपके देश भारत में मनाया जाता हैं।
भारत त्योहारों और मेलों का अनोखा देश हैं, जहाँ के कण- कण में यहाँ की संस्कृति और संस्कार बसता हैं और यहाँ पर त्योंहार को मनाने के साथ ही विभिन्न प्रकार के लज़ीज व्यंजनों का भी लुत्फ़ उठाया जाता हैं। तो चलिये आज का लेख होली की विविधताओं के नाम।
लट्ठमार होली
ब्रज क्षेत्र के मथुरा का बरसाना लट्ठमार होली के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं, तो इसी से सटे हुये राजस्थान के भरतपुर जिले के कामां में तथा जिला करौली के प्रसिद्ध मंदिर कैला देवी मंदिर में भी लट्ठमार होली का आयोजन होता हैं।
हम केवल बरसाना के लट्ठमार होली के बारे में ही जानते हैं, जबकि राजस्थान में भी इस तरह से होली का त्योंहार मनाया जाता हैं।
फूलों की होली
भारत में कई जगह फूलों की भी होली खेली जाती हैं, जैसे कि गुजरात के द्वारका में, ब्रज क्षेत्र के मथुरा में द्वारकाधीश मन्दिर में भी फूलों की होली खेली जाती हैं।
इस तरह के होली में रंग और गुलाल के जगह फूलों के पंखुड़ियों को अलग- अलग करके उसे एक दूसरों पर फेंक कर के होली का त्योंहार मानते हैं।
रंग और गुलाल की होली
जब बात होली की हो रही हो तो बिना रंग और गुलाल की बात न हो तो यह त्योंहार अधूरा हैं। जितने भी रूप में होली मनाई जाती हो, उसमें रंग और गुलाल कॉमन हैं।
फिर भी इस प्रकार से होली पूरे भारत में एक साथ एक दिन मनाई जाती हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश से बिहार और अधिकतर उत्तर भारत में यह रंगों और गुलालों का पर्व हैं, जब कि दक्षिण भारत से मध्य भारत और उत्तर- पूर्वी क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से इसे मनाते हैं।
वैसे तो यह एकदिवसीय त्योंहार में शामिल हैं फिर भी कई स्थानों पर इसे एक से दो दिनों तक मानते हैं। अगर आप मथुरा, वाराणसी, पटना, अयोध्या, दिल्ली, भोपाल जैसे शहरों में जाएंगे तो होली किसे कहते हैं समझ जायेंगे।
इलाहाबाद यानी प्रयागराज शहर में होली का पर्व दो दिन मनाया जाता हैं। कुल मिलाकर होली का आनंद इन्ही इलाकों में खूब देखने को मिल जायेगा।
अंगारों की होली
शायद ही आपको यकीन हो कि ऐसे भी होली का त्योंहार मनाया जाता हैं, जिसमें रंग के जगह जलते हुये अंगारों को प्रयोग में लाया जाता हैं।
ऐसी होली राजस्थान के उदयपुर जिले के एक गांव "बलीचा" में ऐसी होली मनाई जाती हैं, यह गांव आदिवासी समुदाय वाला गांव हैं, जहाँ पर आदिवासी समाज होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह ऐसी होली खेलते हैं, जिसमें-
जलते हुए अंगारों पर दौड़ते हुये प्रदर्शन करके अपनी वीरता और साहस का परिचय देते हैं। आज भी होली के पावन अवसर पर अंगारों पर चल कर तथा नाच गाना के साथ इस तरह से होली को मनाते हैं।
पत्थरों वाली होली
इसे ही पत्थरमार होली भी कहते हैं। राजस्थान राज्य के बाड़मेर और जैसलमेर में छोटे- छोटे पत्थरों से एक दूसरे पर मारते हुये होली का पर्व मनाते हैं।
होली के दिन कई टोली बनाकर संगीत और ढोल नगाड़ों के साथ एक जगह इकट्ठा हो कर एक दूसरे पर पत्थर फेंकना शुरू कर देते हैं, जिससे कि अगला व्यक्ति बचने के लिये ढाल रूपी पगड़ी पहनकर या भागकर बचाव करते हैं और इस कला का भरपूर आनन्द लेते हैं।
मारने के लिए जो पत्थर लेते हैं, वे कंकड़ होते हैं छोटे- छोटे आकर के ताकि उससे किसी को चोंट न लगे।
उपलों के राख की होली
राजस्थान के ही डूंगरपुर इलाकों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाने वाला गोबर से बने उपले जिसे कंडा भी कहते हैं को जला कर उसका राख बना कर उसे एक दूसरे के ऊपर डाल कर होली का त्योंहार मनाते हैं।
लड्डुओं की होली
इसे लड्डूमार होली भी कहते हैं। मथुरा के वृंदावन और श्री राधारानी के बरसाना में जहाँ एक ओर लट्ठमार होली होती हैं, तो दूसरी ओर बांकेबिहारी मन्दिर में फूलों की होली के साथ ही साथ लड्डू होली भी खेली जाती हैं।
इस प्रकार के होली खेलने में रंगों और गुलालों की जगह लोग एक दूसरे को लड्डुओं से मारते हुए यानी एक दूसरे पर लड्डुओं को फेंकते हुये अनोखा होली खेलते हैं।
इस प्रकार रंगोत्सव वाले इस होली पर्व को भारत के अनेक स्थानों पर अलग- अलग रूपों में होली को मनाया जाता हैं। अधिकतर ऐसे अनोखी होली उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र और राजस्थान के कई हिस्सों में देखने को मिलता हैं।
यात्रा का अनुभव साझा करें