पूरे विश्व में सनातन धर्म और संस्कृति सदियों पुरानी चली आ रही एक परंपरा हैं, जिसका जन्म देश अपना भारत वर्ष हैं। यह परंपरा वैदिक काल से निरंतर जारी हैं।
समय- समय पर इसी परंपरा को आगे करते हुये भारत जैसे आध्यात्मिक देश में कई साधुओं और संतो ने विभिन्न क्षेत्रों में जन्म लिया हैं और मानवता को आगे बढ़ाते हुये अपने कर्मो से मानव जीवन का भला करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिये हैं।
आज के लेख में मैं आपको ऐसे ही एक संत के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिनका मान सभी धर्मों में, सभी दिशाओं में, निरंतर बढ़ता ही गया हैं।
जी, हाँ दोस्तों, मैं सूर्य प्रकाश आपका चहेता सोलो यात्री आज जा पहुँचा हूँ- कैंची धाम और इसे ही श्री नीम करौली बाबा का आश्रम भी कहते हैं।
नीम करोली बाबा आश्रम कहे या कैंची धाम
नाम आपको अटपटा सा जरूर लग रहा होगा कि- "कैंची धाम" लेकिन आपको बता दें कि उत्तराखंड के नैनीताल से मात्र 16 से 17 Km की दूरी पर अल्मोड़ा जाने वाले रास्ते पर भवाली से केवल 7 से 8 Km की दूरी पर स्थित दो सड़के तीव्र मोड़ वाली दिख जाये तो उसी स्थान को "कैंची धाम" या "नीम करोली बाबा धाम" कहा जाता हैं।
नीम करोली बाबा का जीवन
कुछ लोगो का मानना हैं कि बीसवीं सदी के महाराजाधिराज योगीराज नीम करौली बाबा जी का जन्म लगभग 1900 सन में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में जो वर्तमान में फैज़ाबाद अथवा अयोध्या जिला हुआ हैं।
बाबा को श्री हनुमान जी के अवतार माना जाता हैं और ऐसा उनको पूजने वाले भक्त कहते हैं और समाज में इस बात की आस्था भी हैं।
इन्हें चमत्कारी बाबा कहते हैं क्योंकि इन्होंने कई ऐसे चमत्कार किये हैं अपने भक्तों के समक्ष कि इसकी ख्याति दूर- दूर तक इस प्रकार फ़ैली की भारत ही नही विदेशों के भी नामी गिरामी हस्तियों के आराध्य गुरु बन गए जैसे कि विराट कोहली, मार्क जुकरबर्ग इत्यादि इनके आश्रम में आ चुके हैं।
यहाँ आश्रम में श्री हनुमान जी का विशाल मंदिर हैं, जहाँ प्रतिदिन लाखो लोगो के द्वारा दर्शन- पूजन किया जाता हैं। बाबा नीम करोली के कई जगह आश्रम बने हुये हैं जिनमें से ऋषिकेश, वृंदावन, कैंची धाम प्रमुख हैं।
भारत के कई शहरों में बाबा ने 100 से अधिक मन्दिरों का निर्माण कराया हैं, जो सभी अद्धभुत और दर्शनीय हैं।
बाबा को मनाने वाले भक्त बाबा को कम्बल चढ़ाते हैं और अपने नही होने वाले काम को पूरा होने या मनवांछित फल प्राप्ति के लिए गुहार लगते हैं और याचना करते हैं, बाबा सबकी सुनते हैं इसीलिए भक्तों के मध्य बाबा कम्बल वाले बाबा के रूप में भी जाने जाते हैं।
बाबा की समाधि
वैसे तो बाबा की कर्म भूमि कैंची धाम रही हैं लेकिन जीवन के अंतिम दिनों में बाबा वृंदावन चले आये। यही पर अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई और फिर हॉस्पिटल में उनका कुछ दिन इलाज चला।
बाबा के कहने पर इन्हें अस्पताल से श्रीधाम वृंदावन लाया गया और 11 सितम्बर, 1973 को यही आश्रम में अंतिम सांस लिया अर्थात मृत्य को प्राप्त हो गये। इसी वृंदावन के आश्रम में ही इनका समाधि स्थल बना हुआ हैं, जहाँ लाखों की संख्या में भक्त अर्चन पूजन और आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
कैंची धाम कैसे पहुँचे?
अगर बात ट्रेन से पहुँचने की करें तो सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम स्टेशन हैं, जो कैंची धाम से मात्र 43 से 44 Km की दूरी पर स्थित हैं।
सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट पंत नगर एयरपोर्ट हैं, जो बाबा के आश्रम से लगभग 80 Km की दूरी पर स्थित हैं।
सड़क मार्ग की बात करें तो भारत के कोने- कोने से कैंची धाम अच्छे से जुड़ा हुआ हैं जहाँ पर आप बस, टैक्सी, शेयर टैक्सी या निजी साधन के द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।
Note- धाम पर पहुँचने का सबसे सरल और सुविधाजनक हैं कि आप काठगोदाम रेलवे स्टेशन आ करके नैनीताल पहुँच कर या सीधे कैंची धाम जा सकते हैं।
कैंची धाम की प्रमुख नगरों से दूरी
- अल्मोड़ा से- 45 Km
- रानीखेत से- 38 Km
- हरिद्वार से- 265 Km
- मुक्तेश्वर से- 43 Km
- बद्रीनाथ से- 287 Km
- गौरीकुण्ड से- 275 Km
- केदारनाथ से- 293 Km
- ऋषिकेश से- 283 Km
- चोपता से - 221 Km
- दिल्ली से- 325 Km
- लखनऊ से- 401 Km
- अयोध्या से- 530 Km
- वाराणसी से- 710 Km
- शिरडी से- 1395 Km
कैंची धाम जाने का सही समय
कैंची धाम जाने के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से जून तक हैं बाकी तो आप साल भर यहाँ आ सकते हैं। बस बरसात के दिनों में जाना और दर्शन करना अवॉयड कर दीजिए क्योंकि कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं।
कैंची धाम में मेला का आयोजन कब होता है?
इस आश्रम में या कैंची धाम में हनुमानजी के मन्दिर की स्थापना 15 जून 1962 से 1964 तक हुई हैं इसीलिए प्रत्येक वर्ष 15 जून को यहाँ एक मेले का आयोजन किया जाता हैं।
यह मेला किसी त्योहार से कम नही हैं क्योंकि इस मेले को लेकर इस आश्रम में आस्था रखने वालों के बीच बहुत ही गहरा विश्वास हैं। लाखो की संख्या में भक्त देश ही नही विदेश से भी यहाँ दो दिवसीय (2 Days) चलने वाले मेले का समापन भक्तों को प्रसाद देकर किया जाता हैं।
लोगों के मध्य इस बात का पूरा विश्वास हैं कि सच्ची श्रद्धा और लगन से मांगी गई मन्नत बाबा के दरबार में जरूर पूरी होती हैं।
कैंची धाम में रुकने और भोजन की व्यवस्था
वैसे तो आप कैंची धाम स्थित आश्रम की तरफ से बने धर्मशाला में रुक सकते हैं और आश्रम में ही बने भोजनालय में भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
धाम पर समय- समय पर "लंगर" का भी आयोजन होता रहता हैं। आप लंगर में भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
अब दूसरा विकल्प की आप नैनीताल घूमने आए हो और कैंची धाम जाने का प्लान किये तो आपको एक दिन एक्स्ट्रा आश्रम के नाम पर निकालना होगा।
आप नैनीताल में या अल्मोड़ा रोड पर भवाली के आस-पास होटल, लॉज, होम-स्टे में रुक सकते हैं। रास्ते में कई रेस्टोरेंट, लाइन होटल, ढाबा पर अपना नाश्ता, लंच, डिनर कर सकते हैं।
आप पूरे रास्ते में कई जगहों पर स्ट्रीट फूड का एन्जॉय उठा सकते हैं। आपको स्ट्रीट फूड में भुट्टा, गन्ने का रस, उबला भुट्टा यानी स्वीट कॉर्न, शीतल पेय पदार्थों में शिकंजी और जूस इत्यादि का मजा लेते हुए पुरे ट्रीप को एन्जॉय कर सकते हैं।
कैंची धाम जाने का बजट क्या होगा
कैंची धाम के धार्मिक स्थल के दर्शन के लिए खर्च होने वाले बजट को हम कुल दो प्रकार से देखेंगे। पहला कि केवल कैंची धाम या बाबा नीम करोली आश्रम ही जाना हो दर्शन के लिए तो आपको अपने किसी भी साधन से नैनीताल पहुँच कर वहाँ बस से या निजी साधन से जाना होगा।
इसके लिये मैंने नैनीताल पहुँचने के लिए सबसे सरल और कम खर्च के लिए नई दिल्ली या लखनऊ के रेलवे स्टेशन को आधार केंद्र मान कर आपका बजट निम्नलिखित प्रकार से बनेगा।
- ट्रेन के स्लीपर कोच का किराया (आना & जाना)- 400 से 500 रुपये
- होटल पर खर्च- 800 से 1000 रुपये
- लोकल परिवहन का खर्च (आना & जाना)- 100 से 200 रुपये
- खाने- पीने पर खर्च- 500 से 700 रुपये
कुल खर्च- 1800 से 2400 रुपये तक का खर्च वह भी एक व्यक्ति का 1 रात और 2 दिन का टूर प्लान हैं दर्शन करने का।
दूसरा तरीका हैं कि बहुत से लोग नैनीताल आते हैं, हिल स्टेशन को घूमने के लिए तो अपने ट्रिप में एक दिन कैंची धाम के लिए समय निकाल कर दर्शन के लिए जाते हैं।
इसके लिए नैनीताल के बजट में यानी 5000 से 7000 के बजट में 1000 रुपया और जोड़ ले तो 6000 से 8000 के बजट में आपका घूमने के साथ ही साथ इस धाम के दर्शन भी हो जायेंगे।
नोट- समूचा भारत अनेक सिद्ध पुरुषों या साधु संतों या ऋषियों से भरा पड़ा हैं, उसमें से कभी आपका वाराणसी घूमने का टूर प्लान बना तो वाराणसी के बगल में ग़ाज़ीपुर जिले के अंतर्गत एक सिद्ध पुरूष का आश्रम स्थित हैं।
इनके बारे में डिटेल से जानने के लिए इस लेख-
"मानव धर्म प्रसार आश्रम
प्रवर्तक - करुणा मूर्ति सद्गुरु परमहंस
श्री गंगा राम दास जी महाराज "महाराज जी " को एक बार जरूर पढ़ें।
यदि आप शिर्डी के साईं बाबा के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो मेरे लेख-
"शिरडी(शिर्डी)- श्री साईंनगर के साईं बाबा" को एक बार जरूर पढ़ें।
आशा करता हूँ कि आपको आज का लेख जरूर पसंद आया होगा। यदि आप कैंची धाम गये हैं तो हमें कमेंट्स करके अपना अनुभव हमसे जरूर साझा करियेगा।
धन्यवाद।
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