जब भी हिन्दू सनातन संस्कृति, परंपरा या वचन की बात होती हैं, तो "रघुवंशी" वंश का नाम हमेशा ही सर्वोपरि होता हैं।
रघुवंशी, वंश में ही प्रभु श्री राम ने जन्म लिया और जीवन भर रघुकुल रीति का पालन किया। अयोध्या नगरी प्रभु राम की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों ही रही हैं।
आज का लेख धार्मिक और प्राचीन नगर अयोध्या के बारे में हैं, जिसका उल्लेख हमारे पवित्र ग्रंथों और पुराणों में हैं।
अयोध्या भारत के सप्तपुरियों में से एक पुरी हैं
भारत देश जो कि धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता हैं, तो हिन्दू सनातन संस्कृति, वेद और पुराणों में मोक्ष प्राप्ति के सप्त पुरी (सात पुरी) वर्णन मिलता हैं।
यह सात पुरी निम्न हैं-
इन्ही सप्तपुरियों में एक पुरी अपनी अयोध्या नगरी हैं। यहाँ पर भी वाराणसी की तरह मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग आते हैं।
अयोध्या का इतिहास
अयोध्या, भारत के अतिप्राचीन नगरों में एक धार्मिक नगर हैं, जिसकी स्थापना ऋषि "मनु" ने किया था। यह नगर "कोसल जनपद" की राजधानी के रूप में विख्यात थी।
अयोध्या सरयू नदी के किनारे स्थित पवित्र नगर हैं। उत्तर प्रदेश के तीन धार्मिक स्थल भारत के सप्त पुरियों में से हैं, अर्थात-
- वाराणसी (गंगा नदी के तट पर बसा नगर)
- मथुरा (यमुना नदी के किनारे बसा नगर)
- अयोध्या (सरयू नदी के तट पर बसा नगर)
अयोध्या में रघुकुल वंश का शासन था और इसी वंश के राजा थे दशरथ और प्रभु श्रीराम। अयोध्या का शाब्दिक अर्थ- "जिसे युद्ध के द्वारा प्राप्त न किया जा सके"।
अयोध्या की वर्तमान स्थिति
अयोध्या, पहले फैज़ाबाद जिले में स्थित था। फैज़ाबाद उत्तर प्रदेश का मण्डल भी था। आज वर्तमान मंि जिले का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया गया हैं। अयोध्या जिले का मुख्यालय भी स्वयं अयोध्या हैं।
वर्तमान में अयोध्या में श्री रामजन्म भूमि तीर्थ स्थल के रूप में घोषित हो चुका हैं, जिससे कि यहाँ पर अनेक प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार, सरयू नदी के तट पर पक्के घाट का सुंदरीकरण, रेलवे स्टेशन को सुविधाओं से परिपूर्ण और एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट को विकसित किया जा रहा हैं।
अयोध्या कब जाये?
वैसे तो अयोध्या आप कभी- भी जा सकते हैं, परन्तु गर्मी में यहाँ जाना उचित नही हैं क्योंकि गर्मी ज्यादा पड़ती हैं। आप सब मानसून से लेकर सर्दी के मौसम तक यानी अगस्त से मार्च तक आप जा सकते हैं।
दशहरा, दीपावली, देव- दीपावली, रामनवमी जैसे प्रसिद्ध त्योहार और मेले के समय अत्यधिक भीड़भाड़ रहता हैं, तो शांत प्रिय दर्शन करना चाहते हो तो उपरोक्त तिथियों पर जाने से बचे।
अयोध्या कैसे पहुँचे?
अयोध्या सड़क मार्ग से बहुत ही आसानी से पहुँचा जा सकता हैं। यह भारत के लगभग प्रमुख स्थानों से सीधे जुड़ा हुआ हैं।
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल एक्सप्रेस अयोध्या से सीधे जुड़ा हुआ हैं।
अगर बात करें ट्रेन सुविधा की तो अयोध्या नगर का अपना रेलवे स्टेशन अयोध्या (AY) के नाम से हैं, यहाँ पर प्रमुख ट्रेनों का ठहराव भी हैं।
अयोध्या से मात्र 8 Km की दूरी पर स्थित अयोध्या कैंट (AYC) (पुराना नाम फैज़ाबाद) नामक रेलवे स्टेशन पर भारत के प्रमुख शहरों से सीधे ट्रेन की सुविधा हैं।
अयोध्या या अयोध्या कैंट दोनों रेलवे स्टेशन हावड़ा- गया- पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन- वाराणसी- लखनऊ- नई दिल्ली पर स्थित हैं।
अब बात एयरपोर्ट की करें अयोध्या से मात्र 135 Km की दूरी पर स्थित अमौसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट लखनऊ हैं, जहाँ से देश हो या विदेश सभी जगहों से सीधे उड़ान मिलती हैं।
प्रमुख शहरों से अयोध्या की दूरी
लखनऊ से- 135 Km
वाराणसी से- 220 Km
हरिद्वार से- 645 Km
ऋषिकेश से- 670 Km
बद्रीनाथ से- 820 Km
केदारनाथ से- 1100 Km
सासाराम से- 355 Km
गया से- 450 Km
ज़मानिया से- 277 Km
गाज़ीपुर से- 265 Km
खजुराहो से- 382 Km
मैनपाट से- 585 Km
उज्जैन से- 895 Km
नासिक से- 1350 Km
शिर्डी से- 1335 Km
शनि शिंगणापुर से- 1420 Km
हैदराबाद से- 1310 Km
अयोध्या में होटल या रुकने की व्यवस्था
आज अयोध्या पूरी तरह से बदल चुका हैं। यहाँ पर रुकने के लिए श्रद्धालुओं को या पर्यटकों को बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं।
यहाँ पर होटल, धर्मशाला, लॉज, होम- स्टे इत्यादि कई तरह की व्यवस्था मिल जायेगी। होटल आपके बजट में फिट बैठने वाले या महंगे दोनों प्रकार के यहाँ मिल जायेगा।
कई धर्मशाला यहाँ निःशुल्क ठहरने की व्यवस्था करता हैं क्योंकि ये सभी किसी न किसी ट्रस्ट से संचालित होते हैं।
कुछ धर्मशाला में रुकने का शुल्क मामूली होता हैं, जो केवल धर्मशाला को साफ़ सुथरा रखने के लिए चार्ज किया जाता हैं।
होम- स्टे की सुविधा भी अब खूब मिल जायेगी जहाँ घर जैसे माहौल में रुक सकते हैं। आज कल पेइंग गेस्ट (PG) की भी सुविधा अत्यधिक उपलब्ध हो चुका हैं, जहाँ पर घर जैसा रहना और खाना एक निर्धारित शुल्क दे कर प्राप्त कर सकते हैं।
अयोध्या में खाने-पीने की व्यवस्था
आज के समय में अयोध्या तीर्थ स्थल घोषित हो चुका हैं, तो सिर्फ सात्विक भोजन ही मिलेगा। आपको यहाँ पर आपके बजट के अनुकूल हैं क्योंकि अयोध्या में सस्ते से सस्ता और महंगा विकल्प मौजूद हैं नाश्ते और खाने का।
यहाँ जगह-जगह पर रेस्टोरेंट, ढाबा, फैमिली रेस्टोरेंट और भोजनालय (होटल) मिल जायेंगे, जहाँ पर आप अपनी सहूलियत और सुविधा के अनुसार ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
कई मंदिर या धर्मशाला में या ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से लंगर की व्यवस्था होती हैं, जहाँ से आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
अयोध्या में दर्शनीय स्थल
अयोध्या प्रभु राम जी की नगरी हैं, यहाँ पर सभी मन्दिर का सम्बन्ध श्री राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी से हैं।
इनके अलावा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के परिवार के सभी सदस्यों जैसे कि दशरथ जी, भरत जी और शत्रुघ्न जी का भी मन्दिर बना हुआ हैं।
यहाँ दर्शनीय स्थलों में प्रमुख रूप से आप घूम सकते हैं या दर्शन कर सकते हैं-
राम की पौड़ी
अयोध्या सरयू नदी के किनारे स्थित प्राचीन नगर हैं। यहाँ पर नदी के किनारे पक्के घाट बने हुये हैं। अगर आप थोड़ा सा अपने मस्तिष्क पर जोर डाले तो आपको याद आ जायेगा कि-
वाराणसी में घाट (गंगा नदी के किनारे बसे पवित्र और धार्मिक नगर) जो एक दूसरे से जुड़े हुये हैं बनाये गये हैं ठीक उसी प्रकार से अयोध्या में भी सभी घाट एक दूसरे से जुड़े हुये हैं।
यहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं के द्वारा पवित्र सरयू नदी में डुबकी लगाकर कर मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं।
राम की पौड़ी में प्रतिदिन संध्या आरती का भी आयोजन किया जाता हैं। अगर आप अयोध्या दर्शन करने आ रहे हैं, तो अपनी छोटी यात्रा की शुरुआत राम की पौड़ी से ही करें।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर
अयोध्या नगर के मध्य में स्थित यह मन्दिर प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। यह वही स्थान हैं जहाँ पर चारों भाइयों का अर्थात श्री राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्नजी का जन्म हुआ हैं।
अतः चारों भाइयों के बालरूप का दर्शन इस मंदिर में होते हैं। यहाँ पर वर्ष भर लाखों श्रद्धालुओं का चाहे देशी भक्त हो या विदेशी सैलानियों की भीड़ लगी रहती हैं।
हनुमान गढ़ी
रामजन्मभूमि से कुछ ही दूरी पर स्थित रामभक्त हनुमान जी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस मंदिर मंह प्रवेश करने के लिए आपको सबसे पहले कुछ सीढ़ियों का प्रयोग करके मंदिर परिसर में जाना होगा।
असल में प्राचीन समय में इस मंदिर की स्थापना एक टीले पर किया गया था। हिन्दू सनातन मान्यताओं के अनुसार यही से हनुमान जी अपने आराध्य देव प्रभु श्रीराम जन्मभूमि की रक्षा किया करते थे।
प्रभु रामजी का यह आशीर्वाद था कि जबतक कोई भक्त अयोध्या आयेगा तो सबसे पहले मेरे परम् भक्त हनुमान जी का दर्शन करेगा तब जा कर मेरा दर्शन करेगा तो फल पुण्य प्राप्त होगा।
मन्दिर के गर्भगृह में श्री हनुमान जी की मूर्ति बनी हुई हैं, जहाँ पर भक्तों की अधिक भीड़ देखने को मिलती हैं।
अयोध्या का मणि पर्वत
अयोध्या से मात्र 5 से 6 Km की दूरी पर यह एक 65 से 70 फुट की ऊंचाई वाला एक टीलानुमा पर्वत हैं। पुरानी मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी जब संजीवनी बूटी का पहाड़ ले कर श्रीलंका जा रहे थे तब यहाँ उस पहाड़ का कुछ हिस्सा गिर गया था।
यह स्थान बौद्ध धर्म के लिए भी पवित्र माना जाता हैं क्योंकि यही पास में एक बौद्ध विहार की स्थापना की गई थी और उसी में जब महात्मा बुद्ध जी जब महापरिनिर्वाण प्राप्त किये थे तब उनके दांत को इसी विहार में सुरक्षित रखे गए हैं।
इस प्रकार यह स्थान आज हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों का पवित्र स्थल घोषित हैं। जहाँ पर हजारों श्रद्धालु दर्शन करने और घूमने के लिए आते है। जब आप अयोध्या जाये तो यहाँ का विजिट जरूर करें।
कनक भवन
हनुमान गढ़ी से कुछ दूरी पर स्थित कनक भवन जो कि प्रभु राम- सीता जी का मन्दिर हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मूर्ति पर मुकुट स्वर्ण अर्थात सोने का मुकुट और अनेक स्वर्ण युक्त आभूषणों से सजी हुई मूर्तियां पूरी तरह से जीवंत लगती हैं, मानो की अभी बोल उठेंगे।
सोने के मुकुट और आभूषणों के चलते इस मंदिर को कनक भवन कहते हैं। इस मंदिर को 1890- 91 ईo में स्थापित किया गया था।
गोकुल भवन
अयोध्या भी अनेक साधु और संतों की भूमि रही हैं, जहाँ पर कई ऋषियों ने तप किया हैं या फिर अपनी कर्म भूमि बनाया हैं।
इन्ही संतो में से एक संत हैं परमपूज्य श्री राम मंगलदास जी महाराज जिनका आश्रम हैं अयोध्या में गोकुल भवन के नाम से।
आपको यह भी बताते चले कि बाबा राम मंगलदास जी के शिष्यों में से एक शिष्य हैं, जिनका नाम हैं श्री गंगा रामदास बाबा हैं और इनका आश्रम गाज़ीपुर जिले में बयेपुर- देवकली में गांगी नदी के तट पर बना हुआ हैं।
इस आश्रम के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिये मेरे इस लेख "मानव धर्म प्रसार आश्रम गाज़ीपुर" को एक बार अवश्य पढ़े।
श्री कालेराम मंदिर
यहाँ एक प्राचीन मान्यता हैं कि अयोध्या आकर यदि कालेराम मंदिर का दर्शन नही किया तो आपकी अयोध्या की यात्रा अधूरी मानी जायेगी।
यह मंदिर सरयू नदी के तट पर राम की पौड़ी के पास ही नयाघाट पर बना प्राचीन मंदिर हैं, जिसे हज़ारों वर्ष पूर्व हिन्दू राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था।
Note- अयोध्या की तरह ही महाराष्ट्र के नासिक में भी पंचवटी के पास श्री कालेराम मंदिर हैं, जो विश्व प्रसिद्ध हैं। कालाराम मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी जी की मूर्ति काले पत्थर की बनी हुई हैं।
अयोध्या में पैराग्लाइडिंग
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या के मनमोहक दृश्य को आसमान से देखने के लिए पैराग्लाइडिंग की शुरुआत की है। आप यहाँ पैराग्लाइडिंग का आनंद प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय राज्य मार्ग के समीप बालू घाट पर पहुंच सकते है, जिसका समय प्रातः 6:00 AM से 10:00 AM और शाम 4:00 PM से 6:00 PM है।
अयोध्या में पर्व और त्योहार
अयोध्या प्राचीन मंदिरों के साथ ही साथ हिन्दू सनातन धर्म के प्रमुख पर्व और त्योहारों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध हैं।
यहाँ पर रामनवमी, कार्तिक मेला, श्रीराम विवाहोत्सव, दीपावली, दशहरा, रामलीला, श्रावण मेला, होली और अन्य त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं।
अयोध्या में लता मंगेशकर चौक
प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में स्वर कोकिला लता मंगेशकर के सम्मान में एक चौक का नाम "लता मंगेशकर चौक" का अनावरण किया गया हैं। जब भी आप अयोध्या विजिट पर जाये तो इस चौक पर जाकर जरूर घूमे और सेल्फी क्लिक करें।
मेरा यकीन मानिए वहाँ फ़ोटो खिंचवाना किसी अद्धभुत क्षण से कम नही हैं।
आज का लेख आपको कैसा लगा? हमें कमेंट्स कर के जरूर बताइयेगा। आगे फिर किसी अन्य लेख को हिंदी में जानकारी बढ़ाने के उद्देश्य से प्रस्तुत करूंगा, तब तक के लिये
धन्यवाद!
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