"सत्यम, शिवम, सुंदरम" के धुन ख्याल जब भी मन में आता हैं, तो बरबस ही होंठ इस भजन को गाते हुए शिव भक्ति में डूब जाते हैं।
इस बोल का शाब्दिक अर्थ यह हैं कि 'सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर है'.
नमस्कार दोस्तों आप सभी को- जय भोलेनाथ। दोस्तो आज का पूरा लेख शिव आराधना और शिव चर्चा पर प्रकाश डालेगा और साथ ही साथ शिव नगरी अर्थात उज्जैन के बारे में पूरी जानकारी देगा।
तो चलिए फ़टाफ़ट आज शिव भक्ति के साथ-साथ महाकाल के नगर उज्जैन भी घूमा जाये। आप यहाँ छोटी सी यात्रा प्लान कर के या तो अकेले अर्थात सोलो ट्रिप या फिर परिवार के साथ घूम सकते हैं।
वो कहते हैं न कि महाकाल की नगरी में जाने पर काल सर्पदोष और अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल जाता हैं।
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योर्तिलिंग हैं। इस नगर में महाकुंभ मेले का भी आयोजन होता हैं।
सर्वप्रथम उज्जैन नगर के इतिहास को देखेंगे, अर्थात कि-
उज्जैन नगर की प्राचीन भव्यता
उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी था, जो कि भारत के यशस्वी सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी था। यहाँ आपको हम यह भी बताते चले कि विक्रमादित्य के दरबार में प्रसिद्ध सन्त कालिदास भी निवास करते थे।
उज्जैन के प्राचीन नामों में अवंति, अवंतिका इत्यादि नाम का भी उल्लेख हमारे धर्म ग्रंथों में मिलता हैं।
यह अमृत शहर हैं अर्थात 12 वर्ष का सिंहस्थ महाकुम्भ मेला भी लगता हैं। 12 ज्योर्तिलिंग में से एक ज्योर्तिलिंग महाकाल मन्दिर भी होने के कारण यहाँ की भव्यता और मान्यता अत्यधिक बढ़ जाती हैं, खासतौर से हिन्दू धर्म में सर्वाधिक।
यहाँ क्षिप्रा नदी पर बने घाट इस नगर की अलग से महत्ता बयां करती हैं। यह वही नगर हैं, जहाँ ऋषि सांदीपनी का आश्रम था।
इन्ही के आश्रम में श्री कृष्ण और उनके बड़े भ्राता श्री बलराम गुरु संदीपनी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करने आये थे।
6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व उज्जैन का प्रतापी राजा चंड प्रधोत था और इसके बाद ही उज्जैन को 16 महाजनपद में सबसे शक्तिशाली जनपद मगध में मिला दिया गया था।
16 महाजनपद में अवंति नाम के जनपद की राजधानी उज्जयिनी हुआ करती थी।
नगर की विशेषता
उज्जैन जो कि भारत के मध्य प्रदेश का प्रमुख और ऐतिहासिक नगर है। यह क्षिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ अति प्राचीन शहर हैं। इसे महाकाल की नगरी भी बोलते हैं।
हिन्दू सनातन धर्म में इस नगर की ज्यादा मान्यता हैं। भारत के दो नगर उज्जैन और काशी (वाराणसी) को साक्षात शिव की नगरी बोला जाता हैं। मेरा मतलब बिल्कुल साफ हैं,
कि स्वयं शिव शम्भू इन दोनों नगरों के कण- कण में विराजते हैं, तभी तो यहाँ की छोटी से छोटी वस्तुओं से लेकर बड़े से बड़े भवन, मन्दिर, घाट शिव की भक्ति में डूबे हुये हैं।
यहाँ आपको दर्शन करने के लिए अनेक मन्दिर और घूमने के लिए अनेक स्थान मिल जायेंगे।
महाकालेश्वर मन्दिर
इस मंदिर की मान्यता द्वादश ज्योतिर्लिंगों (12 ज्योर्तिलिंग) में से एक ज्योर्तिलिंग की हैं, इस मंदिर के महत्ता का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथो में मिलता हैं।
यहाँ आप विधिवत पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान जैसे कि रुद्राभिषेक, कालसर्प दोष निवारण पूजा इत्यादि कर सकते हैं।
कैसे पहुँचे दर्शन करने?
भारत के किसी भी कोने से बस और ट्रेन से आसानी से पहुँचा जा सकता हैं। बस की बात करें तो मध्य प्रदेश के सभी शहरों से यह नगर अच्छे से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं और सरकारी बस हो या प्राइवेट बस सभी से उज्जैन आराम से पहुँचा जा सकता हैं।
कुछ बसों की सुविधा पड़ोसी राज्यों के साथ भी हैं जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान।
टूरिस्ट बस तो देश के कोने- कोने से यहाँ श्रद्धालुओं को ले कर आती हैं।
अब रेल रुट की बात करें तो उज्जैन रेलवे स्टेशन हज़रत निज़ामुद्दीन स्टेशन वाया झांसी, बीना, भोपाल रुट पर स्थित हैं और यहाँ कई ट्रेनों का ठहराव भी हैं। नज़दीक का एयरपोर्ट इंदौर (50 KM) और भोपाल (190 KM) का हैं।
आप अपने बजट प्लान के अनुसार उज्जैन आसानी से पहुँच सकते हैं। आप के पास एक विकल्प अपना स्वयं का साधन भी हो सकता हैं, उज्जैन पहुँचने के लिये।
प्रमुख शहरों से उज्जैन की दूरी
- ग्वालियर से- 480 KM
- जबलपुर से- 505 KM
- नासिक से- 470 KM
- हरिद्वार से- 950 KM
- प्रयागराज से- 805 KM
- वाराणसी से- 890 KM
- शिर्डी से- 460 KM
- महू से- 45 KM
- खंडवा से- 190 KM
उज्जैन का मौसम कैसा रहता हैं?
उज्जैन आप वर्ष के किसी भी महीने में जा सकते हैं। गर्मी में जाने से बचे क्योंकि गर्मी में आप घूमने का आंनद नही ले पायेंगे।
कुल मिला कर देखा जाये तो सितम्बर से मार्च तक का समय सबसे अनुकूल हैं यहाँ आने के लिये।
सावन के पवित्र महीने में (श्रावण मास) में तथा महाशिवरात्रि के दिन यहाँ भीड़ थोड़ा अन्य दिनों के तुलना में बढ़ जाती हैं, तो अगर भीड़ ना पसंद हो तो इस समय मत जाये।
उज्जैन में रुकने का ठिकाना
उज्जैन में आपको छोटे से बड़े होटल, धर्मशाला, लॉज मिल जायेंगे, जहाँ आप अपने बजट के अनुरूप रुक सकते हैं।
एक बार फिर मैं यही कहूंगा कि अगर किसी परेशानी से बचना चाहते हैं, तो जाने से पहले ऑनलाइन होटल की बुकिंग कर लें ताकि आप का कीमती समय होटल को खोजने में नही बल्कि घूमने के काम आये।
उज्जैन का महाकुम्भ मेला
उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ आकर क्षिप्रा नदी में स्नान कर के महाकाल मंदिर में दर्शन कर के आप अपनी आगे की यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं।
चूंकि यह मेला 12 वर्षो पर आता हैं, तो इसकी महत्ता और भी अधिक रहती है। मेला के पवित्र क्षेत्र में रुकने की भी सुविधा होती है टेंट के माध्यम से। आप पूरा मेला भ्रमण कर सकते हैं, आवश्यकता की वस्तुएं खरीद सकते हैं बस मोल भाव करना न भूलें।
उज्जैन में अन्य दर्शनीय स्थल घूमने के
गणेश मंदिर
इसी मन्दिर को श्री बड़े गणेश जी का मंदिर भी कहते हैं। यहाँ रक्षाबंधन पर बहने अपने भाई को राखी बांधने से पहले, मन्दिर में आ कर गणेश जी का पूजन अर्चन करने के बाद गणेश जी को राखी बांधती हैं,
तथा अपने भाई के दीर्घायु की कामना करते हुये वापसी में घर जा कर या मन्दिर में ही भाई को राखी बांधती हैं।
यह मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर के समीप ही स्थित हैं, उज्जैन जाये तो इस मंदिर में दर्शन जरूर करें।
क्षिप्रा नदी घाट
यहाँ नदी के की किनारे पक्की सीढ़ियों के घाट बने हुए हैं, जहाँ जाकर आप पवित्र स्नान कर सकते हैं।
अनेक तीज और त्योहार पर यहाँ स्नान करने की परम्परा प्राचीन समय से चली आ रही हैं।
काल भैरव मन्दिर
उज्जैन नगर में स्थित अति प्राचीन मंदिरों में शुमार बाबा भैरव का मंदिर सभी के आस्था का प्रमुख केंद्र हैं।
मन्दिर के परिसर में भैरव बाबा का भव्य प्रतिमा बना हुआ हैं। मुख्य रूप से कापालिक सम्प्रदाय से सम्बन्धित यह स्थल काफी लोकप्रिय हैं।
श्री गोपाल मंदिर
उज्जैन शहर के लगभग बीचो बीच में स्थित भव्य मंदिर को सिंधिया राजघराने ने बनवाया हैं। इस मंदिर में मुख्य रूप से गोपाल जी अर्थात श्री कृष्ण की मूर्ति विराजमान हैं।
यहाँ पर भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ मिलती है दर्शन और पूजन के लिये।
वेधशाला
उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के दाहिने तट की तरफ जयपुर के राजा जय सिंह ने 1733 ईस्वी में इसका निर्माण कराया था। यह जंतर- मंतर उज्जैन के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
आशा करता हूं कि आप लोगो को मेरे साथ उज्जैन घूम कर अच्छा लगा होगा, मैं आपके कमेंट्स का बेसब्री से इंतजार करूँगा कि कब आप लोग उज्जैन दर्शन करने और घूमने का प्लान बना रहे हैं।
Snigdha
Jo Bhakt hai shiv ji ke vo ek baar yahan jaroor jaey.
Bahut h shukhad anubhav raha hai mera.