श्री सोमनाथ मंदिर भारत देश के पश्चिमी तट पर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के अंतर्गत गिर ज़िले में स्थित भव्य और पुरातन मन्दिर हैं।
यह मंदिर भारत में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे पुराना और अत्यधिक महत्ता वाला मन्दिर हैं।
हिन्दू धर्म में इसकी मान्यता इतना ज्यादा हैं कि इस मंदिर का वर्णन ऋग्वेद में मिलता हैं। पुरानी मान्यताओं के अनुसार कहा जाता हैं कि स्वयं चन्द्रदेव् ने इस मन्दिर का निर्माण कराया था।
आज आपका घुमक्कड़ी करने वाला सोलो यात्री सूर्य प्रकाश आपको इस भव्य मंदिर सोमनाथ का दर्शन कराने ले चल रहा हैं, मेरा वादा हैं कि इस मंदिर के प्रांगण में पहुँचते ही आप अपनी सारी थकान और भव बाधा भूल कर शिव शम्भू के भक्ति में खो जायेंगे।
धार्मिक मान्यता मन्दिर की
यह मंदिर कुल तीन मुख्य भागो में विभक्त हैं, जिसके अंतर्गत गर्भगृह, सभामण्डप और नृत्यमण्डप हैं।
भारत के आज़ादी के समय सरदार पटेल जी ने इसका पुनः जीर्णोद्धार कराया था क्योंकि यह मंदिर कई विंध्वस को झेलता हुआ अटल था।
हिन्दू धर्म में सनातनियों में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त मन्दिर हैं, जिसका वर्णन शिव पुराण में मिलता हैं।
सभी वैदिक अनुष्ठान इस मंदिर के परिसर में किये जाते हैं। यही पर श्रीकृष्ण जी ने अपना शरीर त्याग किया था इसीलिये इस स्थान की महत्ता और भी बढ़ जाती हैं।
मन्दिर की ऐतिहासिक महत्व
यह वही मन्दिर हैं, जिसे मुस्लिम शासक और लुटेरे ने कई बार खंडित किया था। वर्ष 1001 से वर्ष 1025 के मध्य महमूद गजनवी ने सत्रह बार से भी अधिक आक्रमण कर के लूटा था।
इतनी त्रासदी झेलने के वावजूद भी यह मंदिर अपनी पहचान और भव्यता नही खोया और आज भी हम लोगो के मध्य अवस्थित हो कर हमें आशीर्वाद दे रहा हैं।
कहते हैं कि स्वयं शिव शम्भू यहाँ विराजते हैं और अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन देते रहते हैं।
इस मंदिर का निर्माण चन्द्र देव ने करवाया था। एक कथा के अनुसार चन्द्र देव जब शापित हुए थे तभी यहाँ पर भोलेनाथ की तपस्या की थी, बाद में इस मंदिर का निर्माण कराया गया और चन्द्र यानी सोम के नाम पर ही इस मंदिर का नाम सोमनाथ मंदिर पड़ गया।
कैसे पहुँचे सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ पहुँचने के लिए निकटम रेलवे स्टेशन वेरावल हैं, जो कि गुजरात राज्य का एक बंदरगाह क्षेत्र भी हैं।
वेरावल का रेलवे स्टेशन भारत के कई नगरों से ट्रेन के माध्यम से जुड़ा हुआ हैं।
बस की कनेक्टिविटी भी बहुत ही अच्छी हैं। यहाँ आने के लिए कई टूरिस्ट बस भी हैं और सरकारी बस की सुविधा भी हैं।
अगर एयरपोर्ट की बात करें तो नज़दीक का हवाई अड्डा राजकोट, अहमदाबाद प्रमुख हैं।
प्रमुख प्राचीन नगरों से दूरी सोमनाथ की- h
- राजकोट से- 195 KM
- अहमदाबाद से- 405 KM
- वडोदरा से- 455 KM
- गांधीनगर से- 430 KM
- उज्जैन से- 801 KM
- नासिक से- 822 KM
- वाराणसी से- 1690 KM
दर्शन के लिए कहाँ रुके
यहाँ पर रुकने की बहुत सारी व्यवस्था हैं। मन्दिर या यह कहे कि न्यास बोर्ड सोमनाथ की धर्मशाला हैं।
कई होटल, लॉज, होम स्टे की अच्छी व्यवस्था हैं। आप अपने बजट के अनुसार रुकने की व्यवस्था कर सकते हैं।
जाने का अनुकूल समय
यह एक समुद्र तटीय स्थल हैं, इसलिये यहाँ मौसम सदाबहार बना रहता हैं। दर्शन करने के लिये यहाँ आप सभी वर्ष में कभी भी आ सकते हैं।
वैसे सितम्बर माह से मार्च के महीने तक का समय भीड़- भाड़ वाला रहता हैं क्योंकि भारत एक गर्म जलवायु वाला देश हैं, जहाँ सभी लोग ठंडी के महीने में ज्यादा घूमना पसन्द करते हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल
द्वादश ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ मंदिर के अलावा भी यहाँ कई प्रमुख मन्दिर हैं, जिसमें अहिल्याबाई मन्दिर, यादव स्थल, गीता मन्दिर, त्रिवेणी घाट प्रमुख दर्शनीय स्थान में शुमार हैं।
खानपान और खरीदारी
यह भारत का मध्य- दक्षिण क्षेत्र हैं। यहाँ मध्य भारत और दक्षिण भारत की संस्कृति की अनूठा संगम माना जाता हैं।
यहाँ आप को गुजराती भोजन का अलग आनंद मिलेगा। प्रमुख रूप से गुजराती थाली और गुजराती कढ़ी प्रसिद्ध हैं।
वैसे भी आप को यहाँ हम बताते चले कि अधिकतर गुजराती व्यंजन में मिठास यानी चीनी का प्रयोग करते हैं तभी तो गुजराती कढ़ी टेस्ट में थोड़ी मीठी लगती हैं।
जब भी आप यहाँ आये तो इडली- सांभर, सांभर- वड़ा, डोसा इत्यादि का आनन्द लेना न भूलें क्योंकि हर एक शहर का जायका अलग- अलग होता हैं।
यहाँ समुंद्री सीप से बने सजावट के समान अत्यधिक आकर्षक लगते हैं। सैलानी वापसी के समय ऐसे आकर्षित वस्तुओं को अपने साथ ले जाना कभी नही भूलते हैं।
आज का सफर यही तक था, आगे फिर किसी जगह की जानकारी ले कर हम आपके समक्ष उपस्थित होंगे। आप जब भी यहाँ जाए तो हमे कमेंट्स कर के अपनी यात्रा का अनुभव जरूर साझा करें।
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