मैं सूर्य प्रकाश सोलो यात्री आज आपको फूलों की घाटी वाले लेख के दूसरे भाग "हेमकुण्ड की धार्मिक ट्रैकिंग" पर ले चलते हैं। आपसे बस एक छोटी से रिक्वेस्ट हैं कि यदि आपने फूलों की घाटी वाले आर्टिकल "फूलों की घाटी कहाँ स्थित है, कैसे जाएं, सही समय" को नही पढा हैं तो यकीन मानिये की अभी भी आपसे बहुत कुछ छूट गया हैं।
यदि आप प्लान बना कर यहाँ आ रहे हैं, तो एक ही बार में कम से कम इन दोनों स्थलों को तो कवर कर के ही वापस आइये यदि आप से हो सके तो।
कहाँ हैं हेमकुण्ड साहिब?
भारतीय राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिकेश, बद्रीनाथ, माना गांव हाईवे पर जोशीमठ से मात्र 15 से 17 Km की दूरी पर स्थित गोविंदघाट नामक स्थान से ही हेमकुण्ड की धार्मिक यात्रा या आप सीधे कहे तो धार्मिक ट्रैकिंग शुरू होती हैं।
फूलों की घाटी को एक्सप्लोर करने के बाद आगे की यात्रा
एक दिन फूलों की घाटी को एक्सप्लोर करने के बाद थकान होने से क्योंकि पिछले दो दिनों से लगातार चलने के वजह से ही शरीर थोड़ा सा थक चुका था, तो एक दिन रेस्ट करने के लिए ट्रैकिंग में गैप कर दिया।
पूरे दिन घांघरिया विलेज यानी गोविंदधाम में होटल में सो कर के शरीर को आराम पहुँचाया। थकान के चलते पूरा दिन भर सोते हुए कब बीत गया पता ही नही चला।
शाम के टाइम ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर हाईकिंग करते हुए लोकल बाजार को घूमा और रास्ते में चाय के साथ स्नैक्स से पेट पूजा की।
मैंने कुछ बाहर स्ट्रीट फ़ूड को भी एन्जॉय किया इस छोटे से गांव को घूमता रहा एक बात बस ध्यान देने योग्य हैं कि ऊंचाई पर होने के कारण कोई भी सामना चाहे खाने की हो या प्रयोग की जाने वाली वस्तु ही हो कम से कम दो से तीन गुना महंगा मिलता हैं।
रात होने पर मैंने सोचा कि डिनर यानी रात्रि का भोजन कहाँ करें? तो पास के ही गुरुद्वारा में चलने वाले लंगर में प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण कर के वापस होटल चला आया।
आपको बता दे कि चाहे आप फूलों की घाटी घूमने जाये या हेमकुण्ड साहिब के दर्शन को जाये अंतिम रूप से घांघरिया गांव या कहे तो गोविंदधाम ही आ कर रुकना होगा।
यहाँ घांघरिया या गोविंदधाम में रुकने के लिए धर्मशाला, होटल, होम-स्टे, लॉज, डॉरमेट्री जैसी सुविधाएं मिल जाएगी जो आपके बजट के अनुकूल होगा।
यहाँ खाने- पीने के लिए बड़े और छोटे कई प्रकार के रेस्टोरेंट, ढाबा, भोजनालय या होटल बने हुए हैं बस देरी हैं आपके जा कर के इस धार्मिक स्थल की दर्शन करने की तो बताइए कब जा रहे हैं? इस पवित्र स्थान पर- हमें कमेंट्स कर के जरूर बताइयेगा।
हेमकुण्ड साहिब का इतिहास
हेमकुण्ड साहिब, सिक्खों के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक हैं। यह एक बर्फीली लेक (झील) के किनारे बना हुआ एक पवित्र और पुरातन काल का धार्मिक स्थल हैं, जो सात बर्फीली पहाड़ियों के मध्य बसा हुआ हैं।
यह अत्यंत प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ हैं। यह 15193 फिट की ऊंचाई पर स्थित हैं। इस गुरुद्वारा का उल्लेख श्री गोविंद सिंह के द्वारा लिखित पुस्तक "दसम ग्रंथ" में मिलता हैं।
यहाँ के गुरुद्वारा में आप सत्संग में भाग ले सकते हैं और लंगर में प्रसाद रूपी भोजन को ग्रहण कर सकते हैं। इस गुरुद्वारा पर सिक्ख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली रही हैं।
हेमकुण्ड साहिब कैसे पहुँचे
गोविंदघाट से मात्र 4 से 5 Km की दूरी पर पुलना गांव आपको वहाँ के लोकल टैक्सी से पहुँचना होगा या दो पहिया वाहन से आकर पुलना पार्किंग स्टैंड में पार्क कर दिया और यही से 10 Km की ट्रैकिंग करते हुए घांघरिया विलेज या गोविंदधाम पहुँचना होता हैं।
इस 10 Km के रास्ते में जगह- जगह पर खाने- पीने की वस्तुएं मिलती रहेगी। पहाड़ी इलाकों में मैगी जो हर एक छोटे से बड़े दुकानों पर मिलती हैं, को जरूर खाये।
गोविंदधाम पर पहुँचने के बाद आपको पहला काम अपने बजट के अनुसार होटल लेना होगा ताकि रात्रि भोजन के बाद आराम किया जा सके।
यहाँ पर एक रात रुकने के बाद अगले दिन हेमकुण्ड साहिब आपको अपने प्लान के मुताबिक जाना होगा।
हेमकुण्ड जाने का सही समय क्या होना चाहिए
हेमकुंड साहिब जाने का सबसे सही समय जून से अक्टूबर तक का हैं क्योंकि सर्दी के समय पूरा बर्फ से ढका रहने वाला यह गुरुद्वारा सभी के दर्शन लिए बंद कर दिया जाता हैं।
वैसे तो हेमकुण्ड साहिब मई के महीने में ही खुल जाता हैं लेकिन भीड़ जुलाई से सिम्बर तक जबरदस्त वाली होती हैं।
आप जब जून से जुलाई में जायेंगे तो जगह जगह बर्फ देखने को मिल जायेगी। लेकिन वर्षा के मौसम के बाद बर्फ कम हो जाती हैं।
अगस्त से लेकर अक्टूबर तक आपको मौसम भी अच्छा मिलेगा। लेकिन इतना जरूर हैं कि यहाँ पर रुक- रुक कर कभी भी वर्षा हो जाती हैं।
इसलिए रेनकोट और छाता के साथ यहाँ की यात्रा करें और यह यात्रा एडवेंचर प्रेमी के लिए यह ट्रैकिंग या धार्मिक ट्रैकिंग तो किसी भी मामले में किसी एडवेंचर स्पोर्ट्स से कम नही हैं।
प्रमुख नगरों से हेमकुण्ड गुरुद्वारा की दूरी
फूलों की घाटी से- 9 Km
घांघरिया गांव से- 8 Km
पुलना विलेज से- 18 Km
गोविंदघाट से- 22 Km
बद्रीनाथ धाम से- 47 Km
माना गांव से- 51 Km
सतोपंथ ट्रेक से- 65 Km
जोशीमठ से- 37 Km
चोपता से- 150 Km
गौरीकुण्ड से- 294 Km
केदारनाथ से- 312 Km
धारी देवी मंदिर से- 163 Km
ऋषिकेश से- 278 Km
हरिद्वार से- 298 Km
नैनीताल से- 298 Km
अल्मोड़ा से- 264 Km
लखनऊ से- 649 Km
वाराणसी से- 924 Km
"जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल"
हेमकुंड साहिब दर्शन का बजट प्लान क्या होगा
आप यदि अपने स्थान से ऋषिकेश पहुँच जाते हैं क्योंकि हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू करने का सबसे अच्छा और सही स्थान ऋषिकेश में स्थित हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा हैं।
यहाँ से जत्था भी रवाना होता हैं ऋषिकेश के गुरुद्वारा से और अगला पड़ाव गोविंदघाट के गुरुद्वारा पर होता हैं, इन दोनों स्थानों के मध्य की दूरी 263 से 265 Km की हैं।
गोविंदघाट से अगला पड़ाव 13 से 14 Km की दूरी पर स्थित घांघरिया विलेज या गोविंदधाम का गुरुद्वारा हैं। फिर यहाँ से 7 से 9 Km की दूरी पर स्थित हेमकुंड साहिब हैं।
वापस आते समय इसी रूट से होते हुए ऋषिकेश पर यात्रा सम्पूर्ण हो जाती हैं। पूरे यात्रा के दौरान यदि आप अपने पास आधार कार्ड रखे हैं, तो गुरुद्वारा में रहने की कोई भी दिक्कत नही होगी खाने- पीने के लिए लंगर की व्यवस्था मिल जायेगी।
यानी आपके पास यदि मात्र 1000 से 1500 रुपये हैं तो जत्था के साथ ऋषिकेश के गुरुद्वारा से यात्रा शुरू करके हेमकुंड साहिब दर्शन करके वापस ऋषिकेश आ सकते हैं। इस रुपये से रास्ते मे भोजन और बस का खर्च इत्यादि के लिए देने पड़ेंगे।
यदि आप जत्था के साथ नही जाना चाहते है और रुकने और खाने के लिए गुरुद्वारा का चुनाव करते हैं तो तो भी 2000 से 2500 रुपये में आपका हो जाएगा।
यदि आप रुकने के लिए होटल या धर्मशाला तथा भोजन इत्यादि के लिए रेस्टोरेंट या ढाबा का प्रयोग करते हैं तो आपका बजट 3000 से 4000 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च करने पड़ सकते हैं।
नोट- इस खर्च में मैंने आपके अपने स्थान से ऋषिकेश आने और वापस जाने के खर्च को नही जोड़ा हूँ क्योंकि वह यात्रा आप अपने बजट के अनुसार यानी सामर्थ्य के अनुरूप अलग अलग मोड के द्वारा (बस, ट्रेन, फ्लाइट, निजी साधन या ट्रेन में स्लीपर AC बोगी) पूरा करते हैं।
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