सतोपंथ का नाम सुनते ही मन में बर्फ की सफेद चादर और प्राकृतिक नज़ारों से भरे हुये रास्ते जो पथरीले पहाड़ी पत्थरों से भरे हो और उसपर गर्म जोशी के साथ आगे बढ़ते हुये सतोपंथ की चढ़ाई जीवन मे ना भुलाने वाली याद बन जाती हैं।
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सतोपंथ का अर्थ
"सतो" का शाब्दिक अर्थ- "सत्य" से हैं, जबकि "पंथ" का अर्थ- "मार्ग" या "रास्ता" होता हैं। यदि दोनों शब्दों को मिला दिया जाये तो- "सत्य का मार्ग" या "सत्य का रास्ता" कहलाता हैं।
अंग्रेजी में इसे "Way Of Truth" भी कह कर सम्बोधित करते हैं।
सतोपंथ एक हिमानी अर्थात Glacier हैं
सतोपंथ ताल यानी एक झील हैं, जो वर्तमान में भारत के उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के जिला चमोली में स्थित एक हिमानी या ग्लेशियर (Glacier) हैं।
यह एक तरफ से हिमालय पर्वत श्रेणी के नीलकंठ पर्वत के पश्चिमी तरफ विशालकाय रूप में विराजमान हैं। इस हिमानी या ताल की रचना त्रिभुजाकार जैसी हैं।
इस हिमानी या ताल या ग्लेशियर से उत्तराखंड की सबसे महत्वपूर्ण नदी, अलकनंदा नदी निकलती हैं। अलकनंदा नदी वही नदी हैं, जिसमें देवप्रयाग नामक स्थान पर भागीरथी नदी मिलकर संयुक्त धारा "गंगा नदी" बनाती हैं।
देवप्रयाग के साथ ही साथ उत्तराखंड के पंच प्रयाग के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए हमारे लेख "उत्तराखंड में पंच प्रयाग में कौन- कौन से प्रयाग शामिल हैं?" को एक बार अवश्य पढ़ें।
गंगा नदी ऋषिकेश और हरिद्वार होते हुये मैदानी इलाकों में प्रवेश करती हैं। यदि आपको गंगा के बारे में विस्तृत चर्चा करनी हो तो मेरे इस लेख का अवलोकन जरूर से करें "गंगा किनारे बसे पवित्र और धार्मिक नगर"।
अगर बात करें अलकनंदा नदी की तो इसी किनारे बद्रीनाथ धाम स्थित हैं। यदि इसके बारे और डिटेल से जानना हो तो मेरे इस लेख "उत्तराखंड की चार धाम यात्रा कब शुरू होती हैं?" को पढ़े, मेरा आपसे वादा हैं कि आपको, अपने सभी उत्तर मिल जाएंगे।
बद्रीनाथ धाम से मात्र 3 से 4 Km की दूरी पर भारत का सुदूर अंतिम या आख़री गांव "माना गांव" या "माणा गांव" स्थित हैं। आपको बता दे कि इसी खूबसूरत गांव से होते हुये ट्रैकिंग या हाईकिंग या धार्मिक ट्रैकिंग करके सतोपंथ पहुँचा जाता हैं।
सतोपंथ के साथ पौराणिक कथा
एक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस त्रिभुजाकार के तीनों बिंदु को क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी शिव जी का स्थान माना गया हैं।
महाभारत में इस बात का उल्लेख मिलता हैं कि पांडवों ने अपने जीवन के अंतिम समय में मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से उत्तराखंड में हिमालय पर्वतमाला में कठोर तपस्या करके सतोपंथ की यात्रा पर निकल पड़े तथा सतोपंथ के रास्ते ही स्वर्ग की ओर प्रस्थान किये थे।
इसीलिए कभी- कभी अपने सुना होगा कि कुछ लोग सतोपंथ के क्षेत्र को स्वर्ग जाने का द्वार या यही पर स्वर्ग में जाने की सीढ़ी बताते हैं।
सतोपंथ ताल जाने के लिए कहाँ और कैसे पहुँचे?
सर्वप्रथम आप सभी को उत्तराखंड के मोस्ट पॉपुलर शहर हरिद्वार, देहरादून या ऋषिकेश आना होगा। सभी तीनो शहर सड़क मार्ग और रेल मार्ग से वेल कनेक्टेड हैं, भारत के लगभग सभी बड़े नगरों से। यदि आप एयरपोर्ट यानी हवाई यात्रा करके आना चाहते हैं, तो नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून हैं।
कुल मिलाकर आप ऊपर के वर्णित तीनो में से किसी भी शहर आ गये हो तो पहले आप होटल, लॉज, धर्मशाला या होम स्टे को अपने बजट के अनुरूप बुक करके फ्रेश हो ले और एक नाईट आपको यही स्टे करना होगा।
कुछ लोग अपनी सुविधा के अनुसार हरिद्वार से लेकर बद्रीनाथ तक रास्ते में उन्हें कई और विकल्प मिल जायेंगे जैसे कि यदि आपका बजट है तो आप "रिसोर्ट" में "कॉटेज" में भी रुक सकते हैं।
Note- आपको हर हाल में सुबह 7 बजे या उससे पहले आगे की यात्रा यानी कि बद्रीनाथ धाम को जाने वाली बस से या निजी साधन या टैक्सी बुक कर के शुरू करनी होगी।
इस प्रकार आपको यात्रा शुरू करने से पहले एक रात अपने स्टार्टिंग बेस पॉइंट पर ही रुकना पड़ेगा।
और मैं अपने चहेतों को हरिद्वार या ऋषिकेश से यात्रा शुरू करने का सलाह देता हूँ ताकि आप गंगा जी में पुण्य की डुबकी लगा सकें।
सतोपंथ जाने के लिए यात्रा शुरू करें
यदि आप हरिद्वार या देहरादून से यात्रा शुरू करते हैं, तो ऋषिकेश- देवप्रयाग- श्रीनगर- रुद्रप्रयाग- गोपेश्वर- पिपलकोठी- जोशीमठ- गोविंदघाट होते हुये बद्रीनाथ धाम पहुँच जाइये।
यदि हरिद्वार से शुरू करते हैं तो 317 Km की दूरी हैं बद्रीनाथ धाम पहुँचने की या देहरादून से 328 Km हैं। आप यह दूरी लगभग 10 से 12 घण्टे में पूरी कर पायेंगे। इसलिए मैंने शुरू में 7 बजे तक निकले की बात कही थी।
पूरे रास्ते भर आपको खाने- पीने के लिए रेस्टोरेंट, ढाबा, लाइन होटल मिलते रहेंगे और साथ ही साथ आप रह -रह कर स्ट्रीट फूड को भी टेस्ट और एन्जॉय कर सकते हैं।
हरिद्वार से बद्रीनाथ धाम तक का रास्ता भारत के बेस्ट रोड ट्रिप में से एक हैं। वैसे तो आप बहुत यात्रा करते होंगे लेकिन मेरे बताये रास्तो पर घूमने और जाने का प्लान बनाये तो वो कभी नही भूलने वाला रोड ट्रिप बन जायेगा।
इसके लिए इस लेख "भारत के बेहतरीन रोड ट्रिप घूमने का नया अंदाज़" को एक बार कम से कम जरूर पढ़ें।
रास्ते में आपको श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच मे ही मुख्य सड़क मार्ग के किनारे चमत्कारी और शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक पीठ माता धारी देवी का मन्दिर स्थित हैं।
जब आप बद्रीनाथ धाम पहुँच गये तो शाम 7 बजे के आसपास मन्दिर के आरती में शामिल हो जाइये तथा दर्शन करके वही होटल में स्टे करिये।
सतोपंथ की मुख्य यात्रा बद्रीनाथ धाम से या माना गांव से शुरू करें
आप अपनी सतोपंथ की ट्रैकिंग बद्रीनाथ धाम से भी शुरू कर सकते हैं और चाहे तो माना गांव से भी कर सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम से सतोपंथ ग्लेशियर की दूरी लगभग 27 Km के आसपास हैं जबकि वही दूसरी ओर माना गांव से इस सतोपंथ ताल की दूरी 24 Km के लगभग हैं।
आपको एक सुविधा जरूर मिल सकती हैं कि यदि आप बद्रीनाथ धाम से माणा गांव तक सफ़र जो लगभग 3 Km का हैं, को गाड़ी या टैक्सी से कर सकते हैं और माना गांव से तो आपको पैदल ही 24 Km की ट्रैकिंग या हाईकिंग करनी होगी।
Note- बहुत से पर्यटक सतोपंथ जाते समय बद्रीनाथ धाम से ही पैदल की यात्रा शुरू कर देते हैं।
सतोपंथ ग्लेशियर की ट्रैकिंग कब शुरू किया जाता हैं
सतोपंथ ताल हिमालय की गोद में ऊंचाई पर स्थित एक दूर से दिखने वाली हरे रंग (प्राकृतिक रंग के साफ पानी वाली ताल) की ग्लेशियर हैं, जो समुन्द्र तल से लगभग 4500 मीटर या उससे भी अधिक हैं।
सतोपंथ ताल तापमान गर्मी के समय 3℃से 5℃ डिग्री तक रहता हैं, जबकि सर्दी के मौसम में पूछना ही नहीं क्योंकि तापमान माइनस में यानी -20℃ से -30℃ तक या ज्यादा भी चला जाता हैं।
सतोपंथ जाने के लिये बेस्ट सीजन मई महीने से शुरू करके अक्टूबर महीने तक का हैं, हाँ इसमें से जुलाई और अगस्त मानसून का महीना निकाल दीजिए।
इसके बाद आप सतोपंथ जाते हैं, तो बर्फ ही बर्फ मिलेगा और दूसरी बात की आपको परमिट भी नही मिलेगा यहाँ की ट्रैकिंग करने के लिये क्योंकि पूरा बद्रीनाथ धाम और माना गांव सब ठंड और बर्फ के कारण बंद रहता हैं।
इसीलिए सबसे अच्छा मौसम मई और जून तथा सितम्बर और अक्टूबर हैं।
सतोपंथ की ट्रैकिंग के लिये परमिट जरूरी हैं
सतोपंथ का ट्रैकिंग करने के लिये आपको मौके पर बद्रीनाथ धाम पहुँच कर वहाँ बने कार्यालय यानी DFO (Divisional Forest Office) जिसे हम वन विभाग भी कहते हैं, से अपना डॉक्यूमेंट और उसका फोटोकॉपी देकर परमिट बनवाना होता हैं।
परमिट के लिए आवश्यक दस्तावेज जो चाहिए-
- आधार कार्ड या अन्य सरकारी आई कार्ड।
- फिटनेस सर्टिफिकेट।
- फ़ोटो जो रंगीन और तुरंत का हो।
- अन्य कोई डॉक्यूमेंट।
- अगर ग्रुप हैं, तो सभी के डॉक्यूमेंट।
सतोपंथ के लिये गाइड जरूरी हैं
सतोपंथ की यात्रा के लिए यदि आप अकेले या ग्रुप के साथ जाने का मन बना रहे हैं, तो रुकिए जरा! आप ऐसा नही कर सकते परमिट लेने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण कार्य हैं टूर गाइड करना जो निर्धारित शुल्क देकर बुक किया जाता हैं।
इसकी जानकारी परमिट कार्यालय से हो जायेगी। यदि बिना गाइड के जाते हैं, तो रास्ता भटक सकते हैं। अतः आपकी सुरक्षा को ध्यान में रख कर ऐसा नियम बनाया गया हैं।
सतोपंथ ताल के लिए बजट क्या होगा?
यहाँ बद्रीनाथ से सतोपंथ झील तक कि ट्रैकिंग करने अर्थात जाने और वापस आने तक में प्रतिव्यक्ति लगभग 10000 रुपया लगेंगे क्योंकि बद्रीनाथ धाम से सतोपंथ जाना और आना कम से कम 5 से 6 दिन लग जायेंगे।
थोड़ा जल्दी करेंगे तो 4 से 5 दिन लगेगा लेकिन इससे कम का तो सवाल ही नही हैं।
Note- आप चाहे तो गूगल पर सर्च करके कई ट्रैकिंग टूर पैकेज देने वाले टूर ऑपरेटर से मन चाहा पैकेज भी बुक कर सकते हैं अपने बजट के अनुरूप भी चुन सकते हैं।
मैंने इसकी जानकारी जानबूझ कर नही दे रहा हूँ कि वहाँ पर जा कर या ऑनलाइन आप अपने से कई कंपनियों को खोज लेंगे, जो ऐसे ट्रिप ऑर्गेनाइज करवाते हो।
उसके टर्म&कंडीशन भी आप अच्छे से जान ले और पढ़ ले। उनके द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं में कोई फेरबदल या कुछ अलग से आप चाहते हो यह सभी बातें आप स्वयं करे तो बेहतर होगा।
मेरी राय में यह सबसे अच्छा ऑप्शन हैं क्योंकि-
- गाइड का टेंशन खत्म।
- परमिट बनवाने का स्वयं का झंझट खत्म।
- ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर की व्यवस्था मिलेगी।
- रुकने के लिए कैंपिंग की व्यवस्था मिलेगी।
- ग्रुप मिलेगा, जो एक दूसरे को साथ जाने में मदद मिलेगा।
- मेडिकल किट की नॉर्मल व्यवस्था मिलेगी।
- बात करने के लिए विकल्प मिलेगा।
- मौसम और लोकेशन की पूरी जानकारी मिलेगी।
Note- आपको पर्सनल मेडिसिन अपना ले जाना होगा और साथ में अपने कपड़े के साथ गर्म कपड़े, जूता, रेडी टू इट यानी स्नैक्स इत्यादि लाने होंगे जो सबसे जरूरी हैं।
सतोपंथ पवित्र ताल की ट्रैकिंग के मुख्य पड़ाव
मेरी राय में आप बद्रीनाथ धाम से सुबह 7 बजे तक अपने होटल या रुकने वाले स्थान से पैदल या गाड़ी से 3 Km की एक छोटी यात्रा करते हुये माना गांव पहुँचे।
माना गांव पर बने चेकपोस्ट पर अपने परमिट की जांच करा कर माणा गांव में नाश्ता और चाय करने के बाद अपने को यात्रा के लिए तैयार कर लीजिये क्योंकि वास्तविक ट्रैकिंग तो अब माना गांव से शुरू होने वाली हैं,
जो पथरीले, चट्टानों से भरे हुये और कलकल करती अलकनंदा नदी का बहाव के साथ ऊबड़ खाबड़ रास्ते जैसे कि आपको कह रहे हो कि सतोपंथ की धरती पर आपका स्वागत हैं।
एक बात और कि यह क्षेत्र भारत- तिब्बत सीमा क्षेत्र हैं कि अत्यंत नजदीक हैं अतः पर्यटकों और सैलानियों से परमिट की मांग की जाती हैं।
Note- भारत में ऐसे कई जगह हैं, जहाँ घूमने के लिए परमिट की आवश्यकता होती हैं, जैसे कि मुझे अच्छी तरह से याद हैं, जब 2019 में मैं और मेरा छोटा भाई सिक्किम की यात्रा पर गये थे तब गंगटोक को घूमने के दौरान नाथूला दर्रा भी घूमने गये थे तो परमिट की आवश्यकता पड़ी थी। हाँ दार्जिलिंग घूमने में ऐसी कोई बात नही थी।
ध्यान दे-
इस यात्रा को हम सुविधा के दृष्टिकोण से और समझाने की दृष्टि से तीन भागों में बांट कर बताने जा रहे हैं और जैसे-जैसे इस यात्रा की ट्रैकिंग किये हैं ठीक उसी तरह से वापसी भी करते आयेंगे-
माना या माणा गांव से लक्ष्मी वन तक
यह दूरी लगभग 7 से 8 Km की हैं, जो सुंदर रास्ते से होते हुये गुज़रता हैं।
माना गांव से परमिट चेक करा कर पैदल ट्रैकिंग करते हुए गणेश गुफा और महर्षि वेदव्यास की गुफा से होते हुये आगे बढ़ते हैं।
आप के साथ अलकनंदा नदी की समांतर प्रवाह बद्रीनाथ धाम की तरफ जाता हुआ दिखेगा। मात्र 2.5 Km से 3 Km की हाईकिंग करते हुए आपको कानों किसी झरने की मधुरम आवाज सुनाई देगा। यह झरना हिमालय पर्वत माला का ऊंचाई से गिरने वाले झरनों में से एक हैं।
आप सही सोच रहे हैं यह झरना वसुधरा जल प्रपात हैं और इसके जल में अनेक आयुर्वेदिक औषधीय गुण पाये जाते हैं। हो सके तो आप उस जल को पीने के लिए रखे या स्नान करने से अनेक रोग खत्म हो जाते हैं।
यहाँ से आगे चलते हुये लगभग 5 Km की ट्रैकिंग करने के बाद लक्ष्मी वन पहुँच जायेंगे। यहाँ आप को रात्रि विश्राम करना होगा। यहाँ पर सतोपंथ ताल जाने के लिये पहला पड़ाव माना जाता हैं।
यहाँ शिविर बने हुये हैं और रुकने के लिए कैम्प साइट बनाया जाता हैं।
लक्ष्मी वन से चक्रतीर्थ तक
यह दूरी लगभग 10 से 11 Km की होती हैं, जो अत्यंत दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र का निर्माण करने वाले रास्तों से होकर के गुजरना हैं। यह भी किसी एडवेंचर स्पोर्ट्स या एक्टिविटी से कम नही हैं।
सुबह जल्दी उठ कर सूर्योदय का सुंदर प्राकृतिक रूप में दीदार करने के बाद शुरू होगी दूसरे दिन की यात्रा।
आप अपने छड़ी के सहारे पथरीले रास्ते तथा उस पर बर्फ की चादर देखते बनता हैं। बीच-बीच में खिले हुये पहाड़ी फूल न चाहते हुए भी आपका ध्यान बरबस अपने तरफ खींच लायेंगे।
आज ट्रैकिंग के दूसरे दिन की समाप्ति पर आपको सतोपंथ की सुंदर घाटी नज़र आने लगेगी। आज का शिविर स्थल यानी कैंपिंग साइट चक्रतीर्थ पर रुक कर (रात्रि विश्राम) पूरा करना होता हैं।
चक्रतीर्थ से सतोपंथ हिमानी तक
यह दूरी लगभग 5 से 6 Km की दुर्गम रास्तों की पराकाष्ठा को पार करने वाली हैं। आप धीरे- धीरे 4500 मीटर की ऊंचाई पर आ चुके हैं। आज की यात्रा भी तीसरे दिन की शुरुआत हैं।
चारो तरफ बर्फ के पहाड़ तो एक तरफ नीलकंठ पर्वत की चोटी दिखाई दे रही हैं, तो दूसरे ओर सहस्त्रधारा की खड़ी चोटी को निहारते हुये आगे बढ़ रहे होते हैं।
पूरा ट्रेक अब पहले से ज्यादा खतरनाक हो चुका हैं। कई जगहों पर हिमस्खलन और हिमपात भी मिल सकता हैं।
गरजते बदलो का शोर आपको थोड़ा और कुछ देर के लिये बेचैन कर सकता हैं परंतु आपने भी सतोपंथ का दर्शन करने का वचन जो लिया हैं।
कुछ घंटों की अथक परिश्रम के बाद आप अपने को सतोपंथ हिमनद के पास पायेंगे। सच पूछे तो आपको भी यकीन नही होगा कि आपने यह कर दिखाया हैं।
यही आपको मौनी बाबा की छोटी सी कुटिया मिलेगी जहाँ पर बाबा कई वर्षों से रह कर तपस्या कर रहे हैं और बाबा भोजन नही करते बल्कि सूर्य की धूप और वायु यानी हवा ही इनका भोजन बन चुका हैं। आप इनका दर्शन करने के बाद सतोपंथ झील का भी इत्मीनान से दर्शन कर लीजिये।
कुछ समय या एक घण्टा या आराम करने भर तक का समय यहाँ बिता कर तुरंत वापसी भी करना शुरू कर दीजिए क्योंकि उसी दिन अंधेरा होने से पहले ही आपको चक्रतीर्थ के शिविर कैम्प तक आ जाना हैं।
जैसे- जैसे आप गये हैं ठीक उसी प्रकार से वापसी करते हुए माना गांव और फिर बद्रीनाथ धाम तक आ जाइये।
इसके बाद आप अपना प्रोग्राम अपने हिसाब से शेड्यूल कर लीजिए। आज की जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट्स करके जरूर बताइयेगा।मिलते हैं फिर किसी नये जानकारी को लेकर, तब तक के लिए धन्यवाद!
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