अपने पिछले लेख Paragliding (पैराग्लाइडिंग) क्या हैं? भारत में कहाँ- कहाँ होता है? पर एक विस्तृत चर्चा किया था। अब आपकी जानकारी को आगे बढ़ाते हुये कि- हैंग ग्लाइडिंग क्या हैं? इस पर चर्चा करने जा रहें ताकि आपके सभी कंफ्यूजन दूर हो जाये।
तो चलिए अपने सोलो ट्रैवलर सूर्य प्रकाश के साथ अपनी जानकारी को हिंदी में बढ़ाइये।
हैंग ग्लाइडिंग का इतिहास
इस अदभुत खेल के इतिहास में कई मतभेद हैं जैसे कि कुछ का मानना हैं कि इस खेल का जन्म चीन में हुआ जबकि कुछ लोग इसे अमेरिका का मानते हैं।
हमारा यहाँ इस बात पर की इस खेल का जन्म कहा हुआ हैं, से बड़ी बात इसके क्रिया कलापों की हैं।
19 वीं शताब्दी में इस रोमांचक खेल का उदभव हुआ और 20 वीं शताब्दी में विकसित होते हुए आज वर्तमान में (21 वीं शताब्दी) अत्यधिक लोकप्रिय हो चुका हैं।
Hang Gliding Meaning In Hindi
Hang Gliding का Hindi में meaning होता है लटक के उड़ना या लटक के सरकना। दरअसल ये एक प्रकार का मनोरंजक खेल है जो पहाड़ी क्षेत्र में किया जाता है ये दिखने में पैराशूट या पैराग्लाइडिंग की तरह ही होता है।
कैसी होती है हैंग ग्लाइडिंग की बनावट
यह हल्का दो पंखों वाला एयर विमान जैसा बिना मोटर के स्टील या एल्युमिनियम के फ्रेम का बना हुआ ढांचा होता हैं, जिसे एक व्यक्ति या कहे पायलट पैर के सहारे लांच करता हैं या कहे तो चलाता हैं।
इसकी आकृति एक पतंग जैसी या बड़ी चिड़िया या चील जैसी होती हैं। यह एक वायु खेल हैं, जो मनोरंजन के दृष्टिकोण से किया जाता हैं। आजकल ऐसे खेल का चलन बहुत बढ़ गया हैं।
भारत में हैंग ग्लाइडिंग की सम्भावना
भारत के कुछ प्रमुख पहाड़ी क्षेत्र और हिल स्टेशन हैं जहाँ पर हैंग ग्लाइडिंग की सम्भावना है और उनके नाम निम्नलिखित हैं।
हिमांचल प्रदेश
धर्मशाला, शिमला के साथ बीर- बिलिंग में हैंग ग्लाइडिंग की पूरी व्यवस्था हैं। जब भी आप हिमांचल की सैर पर जाये तो यहाँ आप मुख्य रूप से कांगड़ा, खज्जियार, डलहौजी के साथ धर्मशाला और बीर- बिलिंग में इस अति रोमांचक खेल को कर सकते हैं।
महाराष्ट्र
देवलाली, पुणे, मुम्बई, लोनावला, खंडाला, महाबलेश्वर जैसे हिल स्टेशन पर इस वायु खेल की पूरी संभावना रहती हैं। विगत कुछ वर्षों महाराष्ट्र हैंग ग्लाइडिंग के लिये पर्यटन की दृष्टि से बहुत उभर कर आया हैं।
नीलगिरी पहाड़ी क्षेत्र
ऊंटी, कालाहट्टी और कोडाइकनाल जैसे अतिलुभावन क्षेत्र विशेष रूप से मनोरंजन के लिये हैंग ग्लाइडिंग के लिये प्रसिद्ध हैं। यह सभी हिल स्टेशन एक दुसरो से सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं।
अन्य राज्य
वर्तमान में इस अद्धभुत खेल की पूरी संभावना कर्नाटक और उत्तराखंड के कई हिल स्टेशनों पर विकसित किया जा रहा हैं या फिर विकसित हो चुका हैं।
जब भी आप भारत के किसी भी हिल स्टेशनों पर जायेंगे तो वहाँ हैंग ग्लाइडिंग के बारे में पता कर लीजिए आप निराश नही होंगे।
खेल के नियम, शर्त और सावधानियां
कैसा भी खेल हो उसके नियम, शर्त के साथ कुछ सावधानियां भी होती हैं, जैसे कि-
- हैंग ग्लाइडिंग में ऊंचाई पर उड़ना होता हैं, तो जो भी ऊँचाई से डरता हो वे इस खेल से दूरी बना ले।
- इस खेल में थोड़ा प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती हैं जैसे कि हैंग ग्लाइडर को हैंडल कैसे करना है? पर पूरा फोकस करना होगा।
- वस्त्र जो भी पहन कर इस खेल या करतब को करना हैं, वह शरीर और मौसम के अनुकूल होना चाहिये।
- यह खेल एक निश्चित दूरी तक ही किया जाता हैं, तो कभी भी इससे ज्यादा दूरी का टारगेट कर के ही उड़ान भरें।
- अगर उल्टी होने के चांस आपके ज्यादा हैं या चक्कर आता हो ऊँचाई से तो इस खेल से बचे।
- मौसम अगर अत्यधिक कोहरे का हो या बरसात का हो तो हैंग ग्लाइडिंग करने से बचे, नही तो वर्षा में फिसलन या फिर कोहरे में कुछ दिखाई ही नही देगा।
तब आप कब जा रहे हैं किसी हिल स्टेशन पर जहाँ घूमने के साथ ही हैंग ग्लाइडिंग का मज़ा ले सकें।
और एक बात की जब भी आप जाये तो अपनी यात्रा का वर्णन मुझे कमेंट्स कर के जरूर बताये ताकि और कोई भी यदि इस रोमांचकारी खेल को करना चाहे तो लेटेस्ट न्यूज़ मिल सके।
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