क्या आपकी शादी हो चुकी हैं? मेरा मतलब यह कि क्या आपका शुभ-विवाह हो चुका है? नही हुआ हैं, तब तो आज आपके सोलो साथी आज का लेख ख़ास आप जैसे के लिए ही लेकर आये हैं, जिसका कि अभी विवाह नही हुआ हैं।
शादी से पहले लोगी की यह तमन्ना होती हैं कि फ्री माइंड घूमे वह भी अकेले या फिर बैचलर्स ग्रुप के साथ, तो उनके लिए यह लेख काफ़ी फायदेमंद साबित होने वाला हैं।
आज मैं आपका सोलो यात्री उन घूमने वाले जगहों के बारे में चर्चा करने वाला हूँ, जहाँ आप अकेले जाना पसंद करते हो।
पूरी जानकारी आपको हम आपके पसंदीदा भाषा हिंदी में देने जा रहे हैं ताकि आपको घूमने के समय की सभी बारीकियां तथा लाभ- हानि का समुचित ज्ञान हो सके, तो फिर चलिये आज की सैर शादी- विवाह से पहले की कर के आया जाये-
शादी के बंधन में बधने से पहले युवक यहाँ का टूर प्लान करके मौज मस्ती के साथ घूमने जा सकते हैं, इसके क्रम में हम बात करते हैं सभी युवाओं की धड़कन और दिलों पर राज करने वाले गोआ की, तो
गोवा
गोवा भारत में ही नही बल्कि पूरे विश्व में सुंदर और प्राकृतिक नजारों से भरपूर समुंद्री तटों के लिए सुविख्यात हैं। गोवा की राजधानी पणजी जो बेहद खूबसूरती के साथ बसा हुआ समुंद्री तटों वाला शहर हैं, यहाँ पर आपको मस्ती करने का भरपूर समय मिलेगा।
गोवा एक ऐसा स्थान हैं, जहाँ के समुंद्री बीचों पर विदेशी पर्यटकों का वर्ष भर जमावड़ा लगा रहता हैं, आप अपने जीवन में कम से कम एक बार तो गोवा अवश्य ही जाये।
Non-veg वालों के लिए गोवा किसी जन्नत से कम नही हैं। आप गोवा सड़क मार्ग से या फ्लाइट या फिर ट्रेन से जा सकते हैं। एयरपोर्ट की बात करे पणजी में तथा रेलवे स्टेशन वास्को हैं।
फूलों की घाटी
हरफनमौला के लिए फूलों की घाटी सबसे सही जगह है, जहाँ प्राकृतिक प्रेमी और फूल प्रेमी अपने जीवन मे कम से कम एक बार अवश्य ही जाना चाहेंगे।
उत्तराखंड के चमोली जिले में फूलों की घाटी के लिए ट्रैकिंग गोविंद घाट से शुरू होती हैं, जो बेहद ही खूबसूरत ट्रैकिंग में से एक हैं।
जब आप रुद्रप्रयाग से बद्रीनाथ धाम जा रहे होते हैं, तो गोविंद घाट रास्ते मे ही मिलेगा। यही से हेमकुंड साहिब के लिए भी धार्मिक ट्रैकिंग शुरू किया जाता हैं।
फूलों की घाटी वर्ष भर न होकर केवल अप्रैल से जून या जुलाई तक चलता है। बरसात में हरा- भरा ज्यादा हो जाता हैं। यहाँ फूलों की हज़ारों वेरायटी देखने को मिल जायेगी।
यहाँ आप दोस्तो के साथ घूमने का प्लान कर सकते हैं। बस ये जरूर ध्यान दे कि फूलों की घाटी वर्ष भर नही होती हैं। सर्दी में यह पूरा एरिया बन्द रहता हैं।
अप्रैल से जुलाई तक यहाँ आया जा सकता हैं। आप अकेले के स्थान पर एक ग्रुप बना कर ही आये तो ट्रिप का मज़ा दुगना हो जाएगा।
लेह-लद्दाख
शादी- विवाह के बाद तो आप जाएंगे ही लेकिन बिना रोक टोक के अपने ट्रिप का आनन्द लेना हैं, तो लेह- लद्दाख की यात्रा जरूर से करें।
सबसे मज़ा तो तब आएगा जब आप बाइक से ट्रिप करें लद्दाख जाने की, तो मंज़िल जितना ही नज़दीक आएगा आपका एडवेंचर इस हिल स्टेशन के प्रति और भी बढ़ता जाएगा।
आप भारत के किसी भी कोने से सड़क मार्ग के द्वारा लद्दाख पहुँच सकते हैं। अगर हम नज़दीकी रेलवे स्टेशन की बात करें, तो जम्मू रेलवे स्टेशन भारत के लगभग सभी प्रमुख स्टेशन से जुड़ा हुआ हैं।
एयरपोर्ट लद्दाख का एकलौता हवाई अड्डा लेह में कुशोक बकुला रिमपोचे नाम से हैं, जो कि भारत सरकार का सार्वजनिक एयरपोर्ट हैं।
यहाँ पर अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए प्राकृतिक सौंदर्य से दोस्ती कर लें। मेरी बात एक याद रखियेगा की लद्दाख का ट्रिप जीवन में जल्दी नही आता तो इसका लाभ अवश्य ले।
सिक्किम में गंगटोक
उत्तर- पूर्वी भारत के शुरुआत में ही सिक्किम एक हिल स्टेशन वाला राज्य हैं। यहाँ का वातावरण हमेशा ठंडा वाला होता हैं। गंगटोक तो पूरा हिल स्टेशन के रूप में सुविख्यात हैं।
आप सिक्किम में गंगटोक जाने के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी उतरना होगा या सड़क मार्ग से जाना चाहे तो भी सिलीगुड़ी ही आना होगा फिर यहाँ से आसानी से टैक्सी के द्वारा गंगटोक पहुँचा जा सकता हैं।
ऋषिकेश
उत्तराखंड के ऋषिकेश में पहुँच कर रिवर राफ्टिंग का मज़ा ले सकते हैं। कुछ एडवेंचर करने की सोच रहे हैं, तो आप सही जगह आये हुए हैं।
यह गंगा नदी के किनारे स्थित स्वच्छ और पवित्र नगरों में से एक हैं। यहाँ घाटों की सैर करते हुए कई बने हुए आश्रम में दर्शन कर सकते हैं।
अंग्रेज़ी सभ्यता में इस प्रकार से पैदल चलने की क्रिया हाईकिंग कहलाती है। आप ट्रैकिंग या धार्मिक ट्रैकिंग करते हुए नीलकंठ पहाड़ी पर जा कर के प्रसिद्ध मंदिर नीलकंठ महादेव का दर्शन करने को मिल जायेगा।
ऋषिकेश का नज़दीकी रेलवे स्टेशन "योगनगरी ऋषिकेश" के नाम से स्थापित हैं। यहाँ अभी ट्रेन की सुविधाएं ज़्यादा नही हैं इसलिए मेरी माने तो आप हरिद्वार में उतर सकते है।
हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी लगभग 27 से 30 Km की हैं। अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाह रहे हैं, तो नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून में हैं। देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से ऋषिकेश की दूरी मात्र 20 से 22 Km की हैं।
शिलांग
मेघों का घर यानी मेघालय की राजधानी शिलांग उत्तर- पूर्व का हिल स्टेशनों में से एक हिल स्टेशन हैं। इसे झीलों का भी शहर कहते हैं।
यहाँ पर घूमने के लिए हाथी झरना,पुलिस बाजार, उमीयम झील, शिलांग पीक जैसे प्रमुख स्थान हैं।
यहाँ पर कुछ लोकल फ़ूड के साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय फ़ूड का लुत्फ़ विभिन्न प्रकार के रेस्टोरेंट, ढाबा, होटल से कर सकते हैं।
शिलांग में कुछ जगहों पर पैराग्लाइडिंग का भी आनंन्द ले सकते हैं। यहाँ आपको पैराग्लाइडिंग का शुल्क बहुत ज्यादा नही होता हैं।
शिलांग में रुकने की भी कोई टेंशन नही हैं क्योंकि यहाँ पर धर्मशाला, होटल, मोटल, लॉज, होम-स्टे जैसे सुविधा की भरमार हैं। शिलांग पहुँचने के लिए सबसे अच्छा और सुविधा सड़क मार्ग की हैं।
वाराणसी
उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि भारत देश की सांस्कृतिक और धार्मिक नगरी यदि कोई हैं, तो वह काशी अर्थात वाराणसी हैं।
अपने उत्तर प्रदेश में दो चींजे अत्यधिक प्रसिद्ध हैं वह हैं- "सुबह-ए-बनारस और शाम-ए-अवध" यहाँ अवध से तात्पर्य लखनऊ से हैं।
सुबह- सुबह गंगा नदी के किनारे बसे बनारस और वहाँ के प्रसिद्ध घाट सभी के आकर्षण का केंद्र होता हैं। यहाँ पर प्रसिद्ध घाटों में अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, नमो घाट (खिड़कियां घाट) हरिश्चन्द्र घाट इत्यादि हैं।
काशी में अनेक मन्दिर ख़ास तौर से बाबा विश्वनाथ मंदिर जो कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग है और सारनाथ के अवशेष देखने और घूमने के साथ दर्शन के लिए प्रसिद्ध हैं विश्व स्तर पर।
अब बात यहाँ पहुँचने की कर ले तो वाराणसी भारत के लगभग सभी महत्वपूर्ण नगरों से सड़क मार्ग और रेल मार्ग से वेल कनेक्ट है।
यहाँ बाबतपुर में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट भी हैं, जिससे कि आप वाराणसी आराम से किसी भी माध्यम से पहुँचा जा सकता हैं।
श्रीनगर
जम्मू की ग्रीष्म कालीन राजधानी हैं, जो पूरी तरह से हरियाली और हिमालय पर्वत रेंज से घिरा हुआ है। यहाँ की डल झील लोगो के मध्य आकर्षण कस केंद्र हैं।
यहाँ से गुलमर्ग और पटनीटॉप जैसे प्रसिद्ध हिल स्टेशनों पर भी पहुँचा जा सकता हैं। यहाँ से भी बाइक रेंट पर लेकर लेह लद्दाख तक कि यात्रा किया जा सकता हैं।
श्रीनगर को कश्मीर घाटी का द्वार भी कहा जाता हैं। श्रीनगर पहुँचने के लिए नज़दीकी और बड़ा रेलवे स्टेशन जम्मू हैं। सड़क मार्ग और एयरपोर्ट की भी सुविधा यहाँ उपलब्ध हैं।
मैनपाट, छत्तीसगढ़ का शिमला
छत्तीसगढ़ में शिमला जैसे बर्फ यानी स्नो फॉल का मज़ा लेना हो, तो मैनपाट जरूर आये यहाँ बैचलर्स ग्रुप में आने का मज़ा ही दुगना हो जाता हैं।
मैनपाट को छोटा तिब्बत भी कहते हैं क्योंकि यहाँ पर एक बस्ती हैं, जो तिब्बत से निर्वासित हो कर आये शरणार्थियों का ठिकाना हैं। कई वर्षों से लगातार वे सभी यही रह रहे हैं।
अम्बिकापुर से केवल 50 Km की दूरी पर यह बसा एक गांव हैं, जो छत्तीसगढ़ का एकमात्र हिल स्टेशन हैं। यहाँ आप उल्टापानी या दलदली भूमि भी घूम सकते हैं, जो प्राकृतिक रूप से अपनी अलग पहचान बनाये हुए हैं।
मैनपाट आने का सबसे अच्छा विकल्प आप के खुद की निजी साधन हैं, अर्थात सड़क मार्ग से आने का अच्छा ऑप्शन हैं। यदि रेल मार्ग की बात करे तो नज़दीकी रेलवे स्टेशन अम्बिकापुर हैं। एयरपोर्ट लगभग 390 Km की दूरी पर स्थित रायपुर का हैं।
मेरी एक सलाह जरूर माने की शादी से पहले- पहले एक बार किसी भी जगह पर जरूर जाकर घूम कर आये ताकि बैचलर्स टूर का आनन्द ले सके।
बस कही का भी प्लान बनाये तो अपने बजट का और यात्रा पर के परिधान का जरूर ख्याल रखे ताकि आपकी यात्रा सुखद और मंगलमय बनी रहे।
हमे कमेंट्स कर के अवश्य बताये की कहाँ जाने के प्लान कर रहे हैं और वापसी में आकर अपना अनुभव मुझसे जरूर साझा करें।
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