कॉटेज (Cottage) को समझने के लिए हमें दो प्रकार के दृष्टिकोण की जरूरत पड़ेगी। पहला यह कि एक कॉटेज अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं,
वही दूसरी ओर एक कॉटेज अपने शौक को पूरा करने के लिए बनाई जाये। अब सवाल यह हैं कि हम कॉटेज को किस रूप में ग्रहण करेंगे?
सर्वप्रथम मैं सोलो यात्री सूर्य प्रकाश आपका, आपके चहेते ट्रिप प्लान साइट पर स्वागत करता हूँ और हमेशा की तरह इस बार भी कुछ नया बताने की उम्मीद में की आपका ज्ञान भी बड़े और अपने जानकारी को जो कि पूरी तरह से हिंदी में हैं, दूसरों को भी शेयर कर सके।
सबसे पहले आप यह जान ले कि कॉटेज, टेंट से भिन्न होता हैं क्योंकि याद रखिये कि-
"टेंट (Tent) हमेशा अस्थायी व्यवस्था होता हैं जबकि कॉटेज (Cottage) स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार का हो सकता हैं।"
कॉटेज किसे कहते हैं?
अगर कॉटेज को भारतीय संस्कृति में परिभाषित करें तो इसका अर्थ "कुटी" या "कुटिया" से हैं, जहाँ पर साधु और संत निवास करते हैं।
जबकि अंग्रेजी संस्कृति में कॉटेज को परिभाषित करें तो इसका अर्थ अमीर लोगो के रहने या कुछ समय के लिए रहने छोटा सा घर (फॉर्म हाउस) से हैं, जहाँ पर सभी सुख सुविधा होती हैं जैसे कि- एक होटल या पांच सितारा होटल के रूम की होती हैं।
पर्यटन में कॉटेज का महत्व
जब भी हम छोटी यात्रा या छोटा ट्रिप प्लान करते हैं, कभी- कभी मनोरंजन और विश्राम के लिए अपने घर के नज़दीक ही भीड़- भाड़ से दूर पिकनिक के उद्देश्य से सुख सुविधाओं से पूर्ण लक्सरी कॉटेज को बुक करते हैं।
कुछ लोग तो अपने फॉर्म हाउस को ही स्विस कॉटेज के रूप में प्रयोग करते हैं या पर्यटन की दृष्टि से दूसरों सैलानियों के लिए बुकिंग करते हैं।
कुछ कंपनियों के द्वारा स्विस कॉटेज या लक्सरी कॉटेज की एक श्रृंखला चलती हैं जिसकी बुकिंग उसके ऑफिसियल साइट से किया जा सकता हैं।
कॉटेज में मिलने वाली सुविधाओं का वर्णन
सुविधाओं की दृष्टि से कॉटेज को तीन भागों में बाँटा गया हैं-
सिंपल कॉटेज
ऐसे कॉटेज जिसमें केवल सोने की व्यवस्था हो, अर्थात बेड के साथ बिस्तर की व्यवस्था तथा अटैच की जगह केवल कॉमन वाशरूम बना रहता हैं। भोजन या ब्रेकफ़ास्ट की सुविधा नही रहती हैं।
ऐसे कॉटेज बहुत ही सस्ते होते है, यह एफोर्डेबल कॉटेज होता हैं, जो सभी के बजट में फिट बैठता हैं।
सेमी कॉटेज
ऐसा कॉटेज जिसमें बेड, बिस्तर, ड्रेसिंग टेबल और अटैच वाशरूम की व्यवस्था के साथ ही साथ भोजन की व्यवस्था ऑन डिमांड होती हैं।
इसका किराया सिंपल वाले कॉटेज से थोड़ा सा ज्यादा होता हैं। अधिकतर ऐसे ही कॉटेज की डिमांड होती हैं।
स्विस कॉटेज
ऐसा कॉटेज जो चलता फिरता पांच सितारा (5 Star) होटल की व्यवस्था जैसा हो, जैसे- बेड, बिस्तर, ड्रेसिंग टेबल, रीडिंग टेबल विथ लैंप, डायनिंग एरिया विथ फर्नीचर यानी कॉटेज विथ वेल फर्नीचर।
अटैच वाशरूम में सभी सुविधा यानी गीजर, बाथ टब के साथ ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर की व्यापक स्तर पर व्यवस्था होती हैं।
यानी लक्सरी लाइफ और इसका रेट भी महंगे होटलों के जैसे होते हैं।
भारत में कॉटेज की व्यवस्था कहाँ पर हैं?
भारत एक धार्मिक और सांस्कृतिक देश हैं, जहाँ पर हमेशा कोई न कोई मेला, त्योहार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता हैं।
वैसे में देशी और विदेशी सैलानियों तथा पर्यटकों का जमावड़ा वर्ष भर लगा रहता हैं, तो उनको रुकने के लिए भी विभिन्न प्रकार के स्थायी और अस्थायी ठिकानों की व्यवस्था की गई होती हैं।
स्थायी रूप से रुकने के लिए धर्मशाला, होटल, लॉज, होम- स्टे और मोटल की व्यवस्था की गई होती हैं,
परन्तु जब आप वास्तव में घूमने और पर्यटन का लुत्फ उठाना चाहते हो तो सबसे अच्छा विकल्प कॉटेज या स्विस कॉटेज की होती हैं।
आप, अपने बजट के अनुरूप कॉटेज का चयन कर सकते हैं। हाँ, इतना जरूर कहेंगे कि जैसा पैसा खर्च करेंगे वैसा ही आपको कॉटेज की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
इसके अंतर्गत आज हम आपको ऐसे जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ पर आप कॉटेज की व्यवस्था को बुक कर के अपने जर्नी का और ट्रिप का मज़ा दुगना कर सकते हैं।
कॉटेज में आपको ब्रेकफास्ट,लंच और डिनर जैसी सुविधा का भी मज़ा ले सकते हैं या फिर बाहर रेस्टोरेंट, ढाबा में भी आप अपने बजट के मुताबिक फ़ूड एन्जॉय कर सकते हैं-
भारत में महाकुंभ मेले में
भारत देश में कुल 4 स्थानों पर अर्थात प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक, उज्जैन जैसे धार्मिक स्थलों पर महाकुंभ का आयोजन होता हैं,
जो प्रत्येक 12 वर्षो पर आयोजित किया जाता हैं। इस मेले की धार्मिक महत्व होने के कारण देश ही नही विदेशों से भी सैलानी आते हैं।
इनके रुकने के लिए कुंभ मेला क्षेत्र में ही कॉटेज या स्विस कॉटेज की व्यवस्था की गई होती हैं, जो टेंट के रूप में अस्थायी व्यवस्था होती हैं, अर्थात मेला खत्म होने पर कॉटेज को भी हटा लिया जाता हैं।
इन कॉटेज की बुकिंग आप मेला प्रशासन के काउंटर से या उसकी वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।
जब भी आप महाकुंभ के दौरान नासिक, उज्जैन, हरिद्वार और स्पेशली प्रयागराज (इलाहाबाद) में सैलानियों और श्रद्धालुओं के लिए इतने कॉटेज बनाये गए होते हैं कि मानो जैसे एक टेंट का शहर ही बसा दिया गया हो।
सोनपुर का विश्व प्रसिद्ध पशु मेला
बिहार के छपरा, पटना और हाजीपुर के त्रिकोण में बसा सोनपुर और वहाँ का पशु मेला पूरे एक से डेढ़ माह तक लगा रहता हैं।
यह विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा मेलो में से एक मेला हैं। यहाँ का बिहारी कल्चर/ संस्कृति पूरे भारत के साथ विदेशों तक प्रसिद्ध हैं। और उसमें बाटी- चोखा या लिट्टी- चोखा का तड़का लग जाये तो फिर क्या पूछना।
यहाँ पर भी रुकने के लिए मेला क्षेत्र में मेला प्रशासन के द्वारा कॉटेज, स्विस कॉटेज की व्यवस्था की गई होती हैं, जो अपने आप में एक सुखद अनुभूति की याद दिलाती हैं।
पुष्कर मेला
राजस्थान के अजमेर जिले में पुष्कर नामक स्थान पर मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता हैं। यही पर विश्व प्रसिद्ध ब्रम्हा जी का मन्दिर हैं।
राजस्थान कि पहचान एक तरफ रेगिस्तान तो एक तरफ अजमेर के पुष्कर का यह मन्दिर हैं, जो दुनिया के किसी भी हिस्से में नही हैं।
यहाँ पर भी कॉटेज की व्यवस्था विदेशी पर्यटकों के आगमन को ध्यान में रख कर किया जाता हैं।
थार महोत्सव
राजस्थान के बाड़मेर जिले में तीन दिवसीय थार महोत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्ष में अक्टूबर माह में होता हैं, जिसमें देशी और विदेशी पर्यटक भाग लेते हैं।
राजस्थानी सभ्यता और संस्कृति का अनोखा संगम इस मेले में कॉटेज की सुविधा उपलब्ध होती हैं। बस देरी हैं आपके वहाँ जा कर रुकने की।
ऊँट महोत्सव (Camel Festival)
राजस्थान के बीकानेर में ऊँट मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने में किया जाता हैं। एक बात ध्यान देने वाली यह होती हैं कि पूरे राजस्थान में तीन ही चीजे प्रसिद्ध हैं-
पहला रेगिस्तान, दूसरा ऊँट, तीसरा राजस्थानी पकवान। यहाँ आपको एक से बढ़ कर लक्सरी कॉटेज की व्यवस्था मिलेगी।
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