झारखंड नाम आते ही केवल हम यह सोचते हैं कि यहाँ क्या हैं? यहाँ तो केवल बड़े- बड़े कारखाने और फैक्ट्री हैं।
जबकि झारखण्ड को मेरे जैसे सोलो यात्री की नजर से देखें, तो आपको यहाँ प्राकृतिक हरियाली, झरने, मन मोहने वाले पर्वत, मन्दिर और कई ऐसे छोटे- छोटे पिकनिक स्पॉट हैं, जहाँ पर आप अकेले, दोस्तो के साथ या फिर फैमिली ग्रुप के साथ जा सकते हैं।
आज मैंने सोच लिया था कि झारखंड की सैर करूंगा और एक छोटा सा ट्रिप प्लान करके मैं जा पहुँचा एक प्रसिद्ध मंदिर जिसे छिन्नमस्ता मन्दिर या छिन्नमस्तिका मन्दिर कहते हैं।
इस मंदिर का उल्लेख सनातन धर्म के वेद और पुराणों में मिलता है। यह मन्दिर वर्तमान में झारखण्ड राज्य के रामगढ़ जिले के अंतर्गत राजरप्पा नामक स्थान पर हैं।
राजरप्पा तीर्थ स्थान रामगढ़ जिला से लगभग 28 से 30 Km की दूरी पर दामोदर नदी और भेरो नदी के संगम पर पहाड़ी पर स्थित एक अति प्राचीन मंदिर हैं।
राजरप्पा में एक झरना भी हैं, जो लोगों के मध्य एक पर्यटक स्थल के रूप में भी आकर्षित करता हैं।
वैसे आप को यह जान कर हैरानी होगी कि भारत में सबसे बड़ा शक्तिपीठ असम में स्थित माता कामख्या मन्दिर हैं, तो दूसरे स्थान का शक्तिपीठ झारखंड का राजरप्पा का छिन्नमस्तिका मन्दिर हैं।
मन्दिर में दर्शन करने जाने का बजट
वैसे तो देवी या देवता के दर्शन करने के लिए रुपया या पैसे का खर्च मायने नही रखता हैं लेकिन धाम तक जाने के लिए कुछ मामूली खर्च करने की जरूरत हैं।
यदि आज की यात्रा की शुरुआत वाराणसी से करते हैं और ट्रेन को आधार बना कर बात करें तो-
ट्रेन से आने जाने का खर्च- 300× 2 = 600 ₹
टैक्सी या टेम्पू का खर्च- 50×2 = 100 ₹
नाश्ते और खाने- पीने पर खर्च- 200 ₹
यदि एक रात रुकना हो तो इसका खर्च- 500 से 700 ₹
अन्य खर्च- 500 ₹
कुल खर्च- 2000 से 2200 ₹
"छिन्नमस्ता" एक संस्कृत शब्द हैं, जिसका अर्थ हैं- "कटा हुआ मस्तक" यानी इस मंदिर की एक ख़ास बात हैं कि गर्भगृह में जो माता की प्रतिमा स्थापित हैं उसका सर यानी मस्तक कटा हुआ हैं और वह सर माता जी के एक हाथ में हैं।
इस मंदिर धाम यानी शक्तिपीठ को बिना सर वाली देवी का मन्दिर भी बोला जाता हैं। लगभग 6000 वर्ष से भी पुराना यह मन्दिर आज भी अपनी आभा बिखेर रहा हैं।
सर्व सिद्धि और जागता मन्दिर के रूप में प्रसिद्ध यह शक्तिपीठ सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद को पूरी करती हैं।
आप इस मंदिर तक बहुत आसानी से पहुँच सकते हैं। बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओड़िसा और उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं में तो यह मन्दिर खासा लोकप्रिय हैं।
भक्तों का मानना है कि यह एक देवी का जागता मन्दिर हैं, जहाँ पर सच्चे मन से दर्शन करने मात्र से ही लोंगो की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
इसके अलावा यह मन्दिर अपने तांत्रिक विद्या और एक अलग वास्तुशैली के रूप में सुविख्यात हैं। यहाँ पर बलि देने की भी परंपरा हुआ करती थी हालांकि अब कभी कभार ही ऐसे पूजन देखने को मिलते हैं।
भारत के बिहार राज्य के भभुआ जिले में स्थित माँ मुंडेश्वरी धाम में सात्विक बलि का आयोजन किया जाता हैं, अगर इसके बारे में विधिवत जानकारी चाहते हैं तो मेरे साइट को विजिट कर सकते हैं।
छिन्नमस्तिका मन्दिर कैसे पहुँचे?
देवी धाम पर पहुँचने के लिए सड़क मार्ग और रेल मार्ग सबसे अच्छा विकल्प हैं। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रामगढ़ कैंट हैं, जहाँ पर प्रमुख ट्रेन का ठहराव हैं। यह रेलवे स्टेशन नई दिल्ली-कानपुर- प्रयागराज- सासाराम- डेहरी ऑन सोन- डाल्टनगंज- रांची रेल लाइन पर स्थित हैं।
रामगढ़ कैंट रेलवे स्टेशन पर उतर कर टैक्सी, टेम्पो या जीप के माध्यम से मन्दिर आसानी से पहुँचा जा सकता हैं।
अगर बात नजदीक के एयरपोर्ट की करें तो झारखंड की राजधानी रांची का बिरसा मुंडा एयरपोर्ट हैं जो मंदिर से लगभग 75 से 80 Km की दूरी पर स्थित हैं। यहाँ से टैक्सी के द्वारा आसानी से धाम तक पहुँचा जा सकता हैं।
प्रमुख शहरों से छिन्नमस्तिका मन्दिर की दूरी
रांची से- 79 Km
कोलकाता से- 375 Km
देवघर से- 200 Km
पटना से- 305 Km
सासाराम से- 282bKm
गया से- 204 Km
माँ कामख्या मन्दिर, गहमर गाज़ीपुर-372 Km
वाराणसी से- 405 Km
लखनऊ से- 731 Km
मन्दिर धाम पर दर्शन करने का सही समय
मन्दिर में दर्शन करने का कोई निर्धारित समय नही हैं। आप वर्ष भर कभी भी दर्शन करने जा सकते हैं। लेकिन सर्दी के मौसम में श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ देखने को मिल जायेगी।
ऐसा इसलिए कि यह पूरा क्षेत्र पहाड़ी हैं, जहाँ अप्रैल से जुलाई तक गर्मी ज्यादा रहती हैं, वहीं मानसून के समय यानी जुलाई से सितम्बर तक बरसात होने के कारण हरियाली और झरने ज्यादा मन को मोहते हैं।
कुल मिला कर देखा जाये तो अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे बेस्ट हैं इस धाम में दर्शन करने के लिए।
मन्दिर पर मेले का आयोजन
शारदीय नवरात्रि और बसंत ऋतु के नवरात्र में यहाँ जबरदस्त भीड़ देखने को मिलेगा। इन दिनों यहाँ मेले जैसा उत्सव होता हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति, रक्षाबंधन और महाशिवरात्रि के दिन भी विशेष रूप से श्रद्धालुओं के द्वारा दर्शन किया जाता हैं।
राजरप्पा में लॉजिंग और फूडिंग
मन्दिर परिसर में ठहरने के लिए धर्मशाला और राजरप्पा में भी धर्मशाला, होटल आसानी से मिल जायेगा, जहाँ पर कम पैसे में (Low Budget) रुक सकते हैं।
खाने- पीने के लिए रेस्टोरेंट, ढाबा मिलेगा जहाँ पर नाश्ता, लंच और डिनर किया जा सकता हैं। इसके अलावा भी सड़क के किनारे आपको स्ट्रीट फूड के ठेले मिलेंगे, जहाँ पर लोकल फ़ूड और मनपंसद खाने की चीजें कम दाम में मिल जायेगा।
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धन्यवाद।
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