अगर हम दोनों में शब्दों में अंतर करना चाहे, तो सबसे जटिल काम होगा क्योंकि पर्यटन के शब्दकोश में कई ऐसे शब्द हैं, जो बेहद कंफ्यूजन पैदा करते हैं, जैसे कि पैराग्लाइडिंग और पैरासेलिंग या पैरासेंडिंग में क्या अंतर हैं जबकि हैंग ग्लाइडिंग किसे कहते हैं?
या होटल और मोटल किसे कहते हैं?। यदि हम आपसे पूछे कि "ट्रैकिंग और धार्मिक ट्रैकिंग" में भी कुछ अंतर होता हैं, तो-
आप शायद ही यकीन करें कि हम भारतीय सभी शब्दों में एक कॉमन ट्रेंड की तलाश करते हैं क्योंकि हम भारतीय जब भी घूमने का प्लान बनाते हैं,
तो सोचते हैं कि चलो किसी धार्मिक स्थल पर दर्शन करने चलते हैं और फिर घूमना भी हो जायेगा या कही भी घूमने का ट्रिप बनाते हैं, यात्रा की सोचते हैं, तो चलो इसी बहाने दर्शन भी कर लिया जाये। तब ऐसे समय में अपने व्यवहार या ट्रिप को क्या कहेंगे कि वास्तव में हम पर्यटन की दृष्टि से क्या करने जा रहे हैं?
जैसे कि किसी से पूछा जाये कि "हाईकिंग और ट्रैकिंग" में क्या अंतर होता हैं? तो शायद ही कोई ठीक से जवाब दे सके या आपको अपने उत्तर से सन्तुष्ट कर सकें।
विदेशी सभ्यता में कई ऐसे जवाब मिले, लेकिन सबसे सटीक जानकारी भारतीय पर्यटन में मिलेगी। सर्वप्रथम हम हाईकिंग और ट्रैकिंग शब्द की वास्तविकता की जांच करेंगे, तो चलिये फिर अपने दोस्त सोलो यात्री के साथ इन सभी पहलुओं पर एक विस्तृत चर्चा किया जाये-
हाईकिंग और ट्रैकिंग में सूक्ष्म और सटीक अंतर
हाईकिंग और ट्रैकिंग में कुछ छोटे-छोटे व शूक्ष्म अंतर है, जिसे समझना जरुरी है, क्योंकि इन्हीं कुछ अंतर की वजह से ये दोनों शब्दों का अर्थ बदल जाता है।

सुनने में दोनों लगभग एक जैसे लगते हैं परन्तु दोनों में भिन्नता है। तो चलिए जानते हैं हैं हाईकिंग और ट्रैकिंग का अर्थ हिंदी में आसान शब्दों में।
हाईकिंग का अर्थ हैं
पैदल लम्बी दूरी चलना या पैदल यात्रा या "पदयात्रा" से हैं। जब हम सभी सीधे रास्ते केवल चलते चले जायें तो पर्यटन की सरल भाषा में इसे हाईकिंग (Hiking) कहा जाता हैं।
ट्रैकिंग का अर्थ हैं
"पथरीले, पहाड़ी या ऊबड़- खाबड़ रास्ते पर" चलने से हैं। ट्रैकिंग एक विस्तृत और बड़ा शब्द हैं, अर्थात ट्रैकिंग में हाईकिंग करना शामिल हैं जबकि हाईकिंग में ट्रैकिंग शामिल नही होता हैं।
हाईकिंग और ट्रैकिंग में सूक्ष्म अंतर
- प्रत्येक हाईकिंग, ट्रैकिंग भी होता हैं, जबकि प्रत्येक ट्रैकिंग, हाईकिंग नही हो सकता हैं।
- हाईकिंग में सीधे और सरल रास्ते पर एक लम्बी पैदल यात्रा करते हैं, जबकि ट्रैकिंग हमेशा पथरीले, दुर्गम और पहाड़ी रास्ते पर करते हैं।
- हाईकिंग के लिए कोई विशेष तैयारी नही करनी पड़ती हैं, जबकि ट्रैकिंग के लिए कुछ अलग से तैयारी करनी पड़ती हैं, जैसे कि स्पेशल जूता, ड्रेस, छड़ी इत्यादि की व्यवस्था करनी होती हैं।
- हाईकिंग कहि पर भी किया जा सकता हैं, परन्तु ट्रैकिंग हमेशा चुने हुये स्थान विशेष पर ही करते हैं।
- हाईकिंग अधिकतर सुरक्षित होती हैं, जबकि ट्रैकिंग लगभग जोखिम भरा होता हैं क्योंकि रास्ता पथरीला और पहाड़ी होता हैं।
- हाईकिंग में मौसम भले ही सुहाना न हो या प्राकृतिक रूप से सुंदर न हो जबकि ट्रैकिंग में मौसम सुहावना और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा होता हैं।
- अगर बात बजट की करें तो हाईकिंग, ट्रैकिंग की अपेक्षा कम खर्चीला होता हैं अर्थात ट्रैकिंग में आपका बजट ज्यादा लग सकता हैं जबकि हाईकिंग सस्ता होता हैं।
- हाईकिंग आप अकेले भी कर सकते हैं, लेकिन ट्रैकिंग करते समय यदि ग्रुप साथ रहे तो सबसे अच्छा होता हैं क्योंकि पहाड़ी इलाकों में एक दूसरे का साथ ही सबसे बड़ा बल हैं।
- हाईकिंग किसी भी उम्र के व्यक्तियों के द्वारा किया जा सकता हैं जबकि ट्रैकिंग करने वाले व्यक्ति मन से मजबूत होने चाहिये क्योंकि ट्रैकिंग के रास्ते सकरे और जंगल- झाड़ी तथा पहाड़ी वाले होते हैं।
- आप चाहे ट्रैकिंग करें या हाईकिंग आप को शरीर से पूरी तरह से स्वस्थ्य होना चाहिये क्योंकि यदि आप पैदल चल रहे हो तो लम्बा सफर तय करना हैं और यदि पहाड़ी रास्ता हैं तो ट्रैकिंग करते समय ऊँचाई वाले रास्तों से गुजरना पड़ता हैं।
इन सभी बातों को ध्यान में रख कर ही आप हाईकिंग या ट्रैकिंग जैसे एक्टिविटी को कर सकते हैं।
भारत देश में हाईकिंग करने के विभिन्न प्रसिद्व स्थान हैं और ट्रैकिंग करने वाले स्थान की भी कमी नही हैं, तो ऐसे स्थानों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए मेरे पिछले लेखों का अवलोकन जरूर करें और अपनी यात्रा मंगलमय बनाये
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