लज़ीज व्यंजन जो भारत की पहचान ही नही बल्कि लोगों के मध्य एक संस्कृति का प्रतीक हैं, यह भाई- चारे की एक परम्परा की अनुभूति कराता हैं।
आज इसी अनुभूति को ध्यान में रख कर उत्तर भारत के बेमिसाल मीठी पूड़ी के रूप में ख्याति प्राप्त एक पकवान जिसे आम बोलचाल में ठेकुआ या खास्ता भी बोलते हैं, कि बात कर रहें हैं।
सबसे जरूरी बात कि यह व्यंजन पूरी तरह से होम मेड यानी घर में बनाई जाती हैं, आप चाहें कि इस ठेकुआ को बाहर बाज़ार से खरीद ले तो आपको नही मिलेगा
इसीलिए यह और भी ख़ास हो जाता हैं क्योंकि आपके रसोई की यह जान हैं, जिसे आप अपने हिसाब से बना कर प्रयोग में ला सकते हैं।
जो न केवल हमारी संस्कृति को दर्शाता हैं अपितु हमारे पहचान को भी एक ऊंचाई प्रदान करता हैं। दोस्तो आज की पूरी चर्चा हम ऐसे ही ख़ास व्यंजन पर करने वाले हैं,
जो उत्तर भारत में या कहे तो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई हिंदी भाषी राज्यों में तीज-त्योहारों पर बनाई जाने वाली एक मिठाई के बारे में हैं।
कब बनाया जाता हैं ठेकुआ या मीठी पूड़ी
जब कोई त्योंहार हो या विशेष कर छठ पूजा हो या फिर कही छोटी से बड़ी यात्रा पर जा रहे हों या फिर ऐसे ही स्नैक्स के रूप में खाना हो, तो यही ठेकुआ बना कर हम अपनी-
यात्रा पूरी करते हैं या छठ व्रत पूजा के मुख्य प्रसाद के रूप में खाते है। इसे घर में बहुत ही शुद्ध और देशी पकवान के रूप में प्रयोग करते हैं।
कुल मिला कर इसे वर्ष में कभी भी बनाया जा सकता हैं, बच्चों या किसी उम्र के लोगों के द्वारा बहुत ही पसन्द किया जाता हैं।
कैसे बनता हैं ठेकुआ?
इसे बनाने की कई विधियां प्रचलन में हैं, परन्तु मुख्य रूप से यह खाद्य सामग्री जैसे गेंहू का आटा, मैदा, सूजी के साथ चीनी या गुड़ का प्रयोग करके तथा मिश्रण को दूध या पानी के साथ या फिर चासनी से तैयार करके अपने मन चाहा आकृति में देशी घी या रिफाइन तेल में तल कर बनाया जाता हैं।
खुशबू के लिये इसमें छोटी इलायची का पाउडर भी मिलाते हैं। कुछ लोगों के यहाँ इस ठेकुआ को बनाने में खोया (दूध का मावा) भी मिलाकर बनाते हैं।
मैंने कहा हैं न कि इसे बनाने की कई विधियां आप चाहे जिस विधि से बनाये यह डिस बनता लाज़वाब हैं।
इसे और टेस्टी बनाने के लिये अपने पसंद का ड्राई फ्रूट्स (सूखा मेवा) भी मिलाते हैं। अगर कुछ न भी मिलाया जाए तो भी यह व्यंजन कुरकुरा और स्वादिष्ट बनता हैं।
आज यह केवल उत्तर भारत ही नही बल्कि सम्पूर्ण भारत में बहुत ही जोरो सोर से बनाया जाने लगा हैं।
इस व्यंजन की सबसे बड़ी खासियत यह हैं कि यह जिस भी खाद्य पदार्थ से बनाया जाता हैं वह सभी लगभग सभी घरों में बहुत ही आसानी से मिलता हैं।
और अगर मौके पर कोई वस्तु उपलब्ध न हो तब भी कम खर्च में इसे बनाया जा सकता हैं। यदि इसे अच्छे से बन्द डिब्बे में रख कर कई दिनों तक खाया जा सकता हैं, इसका मतलब यह हैं कि
जब इसको अच्छे से तेल या घी में डिप फ्राई करते हैं, तो इसका कच्चापन या इसमें का पानी पूरी तरह से खत्म हो जाता हैं तभी तो इसे आसानी से स्टोर कर के कई दिनों तक खाया जा सकता हैं।
बच्चे तो मांग- मांग कर खूब चाव से खाते हैं कि ज्यादा दिनों तक बच ही नही सकता हैं।
तब आप कब अपने घर में बना कर या बनवा कर खा रहे हैं और फिर हमें कमेंट्स कर के बताइयेगा कि कब आपने इस व्यंजन यानी ठेकुआ को पहली बार खाया था?
Snigdha
आपकी दी हुई जानकारी बहुत ही लाभदायक रहती है
मुझे आगरा के बारे में कुछ जानकारी दे सकते तो बहुत ही मदद मिलती।
Surya Prakash
जी, बिलकुल आपकी बातों का ध्यान दिया जायेगा और हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि अगला लेख आगरा पर लिखा जाये